Posted on 26 March 2018 by admin
शून्य से शिखर तक की ऐसी ही एक यात्रा त्रिपुरा के नए नवेले भगवा चिराग और वहां के मुख्यमंत्री विप्लब देब की भी है, जो त्रिपुरा से दिल्ली अपनी पढ़ाई के सिलसिले में आए थे। यहां दिल्ली में उनकी मुलाकात सतना से भाजपा के सांसद गणेश सिंह से होती है, गणेश सिंह को मृदुभाषी और मल्टी टैलेंटेड विप्लब इतने भाए कि इस भाजपा नेता ने इन्हें अपने सहायक के तौर पर नियुक्त कर लिया। जिक्र पहले हो चुका है कि विप्लब की प्रतिभा के अनेक आयाम थे जिसमें उनका एक कुशल ड्राइवर होना भी शामिल था सो वे न सिर्फ सांसद महोदय की गाड़ी ड्राईव किया करते थे बल्कि उनकी उद्दात राजनैतिक महत्त्वाकांक्षाओं को भी एक नई दिशा देते रहे, विप्लब ने दिल्ली में अपना एक कोर ग्रुप तैयार किया था, इस ग्रुप से कई मंझे पत्रकार, शिक्षाविद् आदि जुड़े थे जिनका काम सांसद महोदय के लिए संसद में पूछे जाने वाले सवालों को तय करना था। सनद रहे कि गणेश सिंह तीन टर्म से मध्य प्रदेश के सतना से भाजपा के मौजूदा सांसद हैं। इसके बाद विप्लब संघ विचारक और मोदी करीबी सुनील देवधर के संपर्क में आए और देवधर ने विप्लब को त्रिपुरा में भगवा जमीन तैयार करने की मुहिम में अपने साथ ले लिया और यहीं से विप्लब का सितारा नई बुलंदियों की ओर अग्रसर हो चला।
Posted on 26 March 2018 by admin
मोदी सरकार में अनुभवी खनन मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर अपनी डिलिवरी व परफॉरमेंस की समस्याओं से जूझ रहे हैं, शायद यही वजह रही कि सरकार में अब तक कई बार उनके पोर्टफोलियो से छेड़छाड़ हो चुकी है। सो, इन दिनों तोमर अपने मंत्रालय के कामकाज को लेकर अतिसक्रिय जान पड़ते हैं। पिछले दिनों उनके मंत्रालय ने रेत खनन को लेकर दिल्ली में ’सैंड माइनिंग फ्रेमवर्क कॉन्क्लेव’ का आयोजन किया, यह अपने तरह का एक अनूठा प्रयोग था, जिसमें अलग राज्यों के प्रतिनिधि शामिल हुए, नौकरशाही और रेत खनन से जुड़ी कंपनियों ने भी इस कॉन्क्लेव में शिरकत की। जैसे ही कॉन्क्लेव खत्म हुआ कई अफसर और मंत्रालय के लोगों और खनन कंपनियों से जुड़े मातहत अधिकारियों ने आयोजकों से इस ’फ्रेमवर्क’ की कॉपी मांगी। जिस व्यक्ति को कॉपी वितरण के कार्य में लगाया गया था उसने बताया कि एक व्यक्ति अपने को मंत्रालय का अधिकारी बता सारी कापियां ले गया, उसके पास कुल गिनती की 10 कांपियां रह गई है। तब लोगों ने कहा कि कोई बात नहीं इसकी डिजिटल या सॉफ्ट कॉपी ही हमें मेल कर दो, सूत्र बताते हैं कि मंत्रालय की ओर से इसकी डिजिटल कॉपी ही तैयार नहीं हुई थी। हमारे प्रधानमंत्री जी देश को नए डिजिटल युग में ले जाना चाहते हैं, पर वे अपने कैबिनेट साथियों का क्या करें?
Posted on 26 March 2018 by admin
आप के संजय सिंह जब से ऊपरी सदन में पहुंचे हैं उन्होंने अपनी अतिसक्रियता से सत्ता पक्ष की नाक में दम कर रखा है। बतौर सांसद उनसे पूछा गया कि वे किस संसदीय कमेटी का हिस्सा होना चाहेंगे। संजय ने अपनी ओर से तीन च्वॉइस दिए उनकी पहली प्राथमिकता अर्बन डेवलपमेंट मिनिस्ट्री थी और दूसरी होम और तीसरी च्वॉइस के तौर पर उन्होंने इस्पात व खनन मंत्रालय का नाम दिया। भाजपा के नीति निर्धारकों ने सोचा चूंकि दिल्ली में सीलिंग का काम अपने ऊफान पर है सो संजय सिंह सीलिंग से जुड़े मुद्दों पर सरकार को घेरने का काम करेंगे। सो, वेंकैया जी के कहने पर उन्हें खनन मंत्रालय में भेज दिया गया। अब भाजपा के लोग इस बात से अनजान थे कि संजय सिंह एक माइनिंग इंजीनियर हैं, सो अब यह आप सांसद खनन नियमों से जुड़े दुर्लभ सवालों की पोथी तैयार करने में जुट गए हैं, भगवा पाठशाला के गुरूओं को जल्दी ही इन सवालों की काट ढूंढनी होगी। संजय ने ताजा मामला सार्वजनिक उद्यम क्षेत्र की एक बडी कंपनी सेल के विस्तार प्लान का निकाला है। कहते हैं सेल के एक्सपेशन प्लान के लिए तय 78 हजार करोड़ की रकत में से 74 हजार करोड़ की रकम का बंदरबांट हो चुका है, पर इसके प्रोडक्शन में मात्र 3 फीसदी की मामूली बढत दर्ज हुई है।
Posted on 26 March 2018 by admin
मोदी सरकार के आईटी व कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद अपने बड़बोलेपन की वजह से अक्सर विपक्ष के निशाने पर आ जाते हैं, मेहुल चोकसी प्रकरण की आंच में अभी हौले-हौले प्रसाद तप ही रहे थे कि कैंब्रिज एनालिटिका के फेसबुक डाटा चोरी का नया मामला प्रकाश में आ गया। उनका यह बयान सुर्खियों का सिरमौर बना रहा जब उन्होंने जोश ही जोश में कह डाला कि वे आईटी कानून के तहत नियमों का उल्लंघन करने वालों पर सख्त से सख्त कार्यवाही करेंगे और जरूरत पड़ने पर फेसबुक नियंता मार्क जबरबर्ग को भारत में सम्मन करेंगे।’ इस पर विपक्ष को हमले के नए सूत्र मिल गए, राजनीति के नए विद्यार्थी तेजस्वी यादव ने फौरन ट्वीट कर प्रसाद पर हमला बोला-’ यह सब नौटंकी बंद कीजिए और सबसे पहले कॉलड्रॉप की समस्या का निदान ढूंढिए।’ और जब सरकार ने कैंब्रिज एनालिटिका (जिन्हें प्रसाद ’रॉग’ यानी गुंडा बता रहे थे) को मात्र 6 सवालों का एक नोटिस जारी किया तो इसमें मार्क जकरबर्ग से जुड़ा कोई बड़ा सवाल नहीं था, कंपनी को इन सवालों के जवाब देने के लिए भी 31 मार्च तक का वक्त दिया गया है। फिर जब विपक्ष ने इन सवालों की फेहरिश्त पर हो-हंगामा मचाया तो प्रसाद के मंत्रालय की ओर से सफाई दी गई कि चूंकि मार्क जकरबर्ग ने पहले ही माफी मांग ली है, चुनांचे इस मामले को तूल देना ठीक नहीं है।’
Posted on 26 March 2018 by admin
आप पार्टी में सब कुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा है। एक दौर था जब अरविन्द केजरीवाल, मनीष सिसौदिया, संजय सिंह और आशुतोष जैसे आप नेता देर रात तक बैठकें किया करते थे, साथ फिल्में देखते थे। लेकिन राज्यसभा चुनावों के बाद से संजय सिंह व आशुतोष केजरीवाल से नाराज़ जान पड़ते हैं। अब ये मजलिस भी बंद है और बोलचाल के सूत्र भी मौन हैं। संजय का ज्यादा वक्त अपने राज्यसभा के काम-काज में लग रहा है तो आशुतोष अपने लिखने-पढ़ने के काम में जुट गए हैं, इन दोनों नेताओं को केजरीवाल से बस यही शिकायत है कि ’केजरीवाल तो बात मूल्य आधारित राजनीति करते हैं और जब राज्यसभा देने की बारी आती है तो कोई सुशील गुप्ता इसका मूल्य लगा देते हैं, यह कैसा विरोधाभास है?’
Posted on 26 March 2018 by admin
इस दफे के राज्यसभा चुनाव में जहां कई सियासी दिग्गज मसलन राजीव शुक्ला और राम माधव जैसे लोग ऊपरी सदन आने से वंचित रह गए तो वहीं जया बच्चन का सितारा नई सियासी रोशनी से सराबोर रहा। ममता बनर्जी की टीएमसी ने अपनी चौथी सीट आखिरी वक्त तक जया के इंतजार में खाली रखी थी, ममता जया के बंगाली अस्मिता का कार्ड खेलना चाहती थी, वहीं दूसरी ओर सपा भी अपने इस वाचाल सांसद को हाथ से नहीं निकलने देना चाहती थी, सो टिकटों के अनाऊंसमेंट से ऐन पहले ममता दीदी ने मुलायम व अखिलेश दोनों से बात की और पूछा कि क्या वे जया बच्चन को सीट दे रहे हैं? पिता-पुत्र से ठोस आश्वासन प्राप्त होने के बाद ही दीदी ने अपने चौथी सीट पर से सस्पेंस खत्म किया।
Posted on 26 March 2018 by admin
जब से दिल्ली हाई कोर्ट ने आम आदमी के 20 अयोग्य करार दिए गए विधायकों की सदस्यता बहाल करने की बात की है, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल किंचित विनम्रता की नई प्रतिमूर्ति बनते नजर आ रहे हैं। वे अपने तमाम पुराने गिले-शिकवे भुलाकर अब ’माफी-मोड’ में आ गए हैं। उनके ’माफी-मोड’ में आने की कहानी भी कम दिलचस्प नहीं, जब मजीठिया के मान-हानि मामले में पंजाब में अरविन्द के ऊपर मुकदमा दर्ज हुआ और कोर्ट में इसकी तारीख लग गई तो केजरीवाल ने पंजाब में आप पार्टी के विधायक दल के नेता और नेता प्रतिपक्ष सुखलाल खैरा को फोन करके कहा कि वे इस मामले को देख ले और वहां किसी वकील का इंतजाम कर लें, क्योंकि फिलहाल वे अपनी व्यस्तताओं के चलते पंजाब आने में असमर्थ हैं। इसके बाद दो तारीखों पर खैरा ने केजरीवाल की ओर से वकील भेजा और सूत्रों का कहना है कि खैरा ने इसके बाद 6 लाख रुपयों का एक बिल केजरीवाल को भेज दिया। यह बिल देखकर केजरीवाल का सिर चकराया और सूत्रों की मानें तो उन्होंने फौरन खैरा को फोन लगाया और उनसे पूछा-’ वकील की इतनी ज्यादा फीस?’ तो खैरा का जवाब आया कि ’वैसे तो यह वकील साहब अपनी हर पेशी का 5 लाख रुपए चार्ज करते हैं, वो तो मेरा लिहाज कर इन्होंने अपनी फीस दो लाख रुपए कम कर दी है।’ केजरीवाल ने सिर धुन लिया, बोले-’मेरे पास इतना पैसा कहां कि हर हियरिंग के 3 लाख रुपए दूं, मेरे ऊपर तो इस तरह के छत्तीसों केस चल रहे हैं, मैं इतने पैसे कहां से लाऊंगा, अगर यह मेरे ही मान-सम्मान की बात है तो मैं माफी मांग लेता हूं, पार्टी पर इसकी कोई आंच नहीं आएगी।’ और उसी वक्त से केजरीवाल ’माफी-मोड’ में चले गए हैं। माफी मांगने की कवायद में उनका अगला ठिकाना देश के वित्त मंत्री अरूण जेटली हैं, केजरीवाल को पक्का भरोसा है कि जेटली जी बड़ा दिल दिखाते हुए उन्हें माफ कर देंगे।
Posted on 26 March 2018 by admin
राज्यसभा चुनावों के नतीजों ने मुरझाए भगवा खेमे उत्साह की एक नई जोत जगा दी है। पर कम लोगों को ही पता है कि इस राज्यसभा चुनाव में कई भगवा उम्मीदवार ऐसे हैं जिन्हें बस मोदी की फराखदिली का इनाम मिला है। नहीं तो उत्तराखंड से आने वाले किंचित से एक अनाम चेहरे अनिल बलूनी की क्या मज़ाल जो वे राम माधव जैसे दिग्गज को रेस में पछाड़ ऊपरी सदन में जा पहुंचे। अब जरा बलूनी जी के इतिहास को खंगाला जाए। वे कभी कुबेर टाइम्स व जेवीजी टाइम्स जैसे हिंदी के मामूली अखबारों में स्टिंगर हुआ करते थे, कालक्रम से जब ये दोनों अखबार बंद हो गए तो ये दिल्ली में भाजपा व संघ कार्यालयों की परिक्रमा करने लगे। फिर इनकी जान-पहचान सुंदर सिंह भंडारी के साथ बढ़ गईं, जब भंडारी गुजरात के राज्यपाल बनें तो उन्होंने बलूनी को अपना ओएसडी बना लिया। यह 2001 की बात है। यह वही काल था जब मोदी ने गुजरात की गद्दी संभाली थी, तब बलूनी सीएम मोदी और गवर्नर भंडारी के बीच संवाद सूत्र का कार्य करने लगे। दुर्भाग्यवश गवर्नर भंडारी नहीं रहे, तो उनके निधन के बाद बलूनी मोदी की शरण में जा पहुंचे, मोदी ने उन्हें उत्तराखंड भाजपा का प्रवक्ता नियुक्त करवा दिया। जब मोदी केंद्र में सत्तारूढ़ हो गए तो बलूनी ने भी दिल्ली की ठौर पकड़ ली और वे दिल्ली में प्रवक्ता की नईं भूमिका में अवतरित हो गए। मोदी अपने विश्वासियों को कभी भूलते नहीं, यह बताने के लिए इस दफे बलूनी को राज्यसभा से भी उपकृत कर दिया गया।
Posted on 19 March 2018 by admin
भाजपा के इतिहास में शायद पहली बार ऐसा हुआ कि ना तो लोकसभा के उप चुनाव और न ही राज्यसभा के टिकटों के लिए पार्लियामेंट्री बोर्ड की बैठक बुलाई गई और न ही दिखावे के लिए ही सही इलेक्शन कमेटी की बैठक बुलाने की जरूरत समझी गई। यूपी के उप चुनावों के लिए दोनों नाम अध्यक्ष जी और सुनील बंसल ने तय कर दिए। बिहार के अररिया उप चुनाव के लिए जिस प्रदीप सिंह के नाम को चुना गया, उसके नाम पर अररिया भाजपा में ही सबसे ज्यादा विरोध था। और जिस राजद सांसद तस्लीमुद्दीन के निधन से अररिया सीट खाली हुई थी, सूत्रों का कहना है कि कालांतर में यही प्रदीप सिंह उसी तस्लीमुद्दीन के लिए जोर-आजमाइश दिखाया करते थे और उनके खास वफादारों में शुमार होते थे। प्रदीप सिंह को टिकट दिलवाने में राज्य के उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी की सबसे अहम भूमिका थी। वहीं राज्यसभा के टिकट मोदी व शाह की जोड़ी ने अपने दम पर फाइनल कर दिए।
Posted on 19 March 2018 by admin
कांग्रेस की राज्यसभा सांसद रजनी पाटिल सेंट्रल हॉल में बैठीं गपशप लड़ा रही थीं कि अचानक से उन्हें फरमान आया कि उन्हें सोनिया गांधी ने याद किया है, रजनी को साक्षात ऐसा लगा कि मानो राज्यसभा के लिए उनकी लॉटरी निकल आई है, वह भागी-भागी संसद भवन स्थित सोनिया के कक्ष में पहुंची, वह इतनी जल्दी में थीं कि इस भागमभाग में उनका पर्स भी सेंट्रल हॉल में ही छूट गया। जब रजनी सोनिया के कक्ष में दाखिल हुईं तो सोनिया अपनी कुर्सी से उठ रही थीं घर जाने के लिए, रजनी को देखकर सोनिया ने कहा-’ चलो घर चलते हैं, रास्ते में बात हो जाएगी, घर पहुंच कर साथ चाय पी लेंगे।’ रजनी सोनिया के कार में सवार होकर 10 जनपथ पहुंची, रास्ते में जो थोड़ी बहुत बातचीत हुई वह भी खालिस राजनैतिक। चाय-वाय के बाद जब रजनी जाने को तैयार हुईं तो सोनिया ने पूछा-’यहां से कहां जाओगे?’ रजनी ने बताया संसद भवन, चूंकि उनका पर्स जल्दबाजी में वहीं सेंट्रल हॉल में छूट गया। फिर वहां से वह घर जाने के लिए संसद वाली बस ले लेंगी जिससे जाने पर मात्र 20 रुपए खर्च होते हैं। सोनिया को यह सुनकर अच्छा लगा कि आज भी ऐसे सांसद है जिनका कोई ताम-झाम नहीं। फिर सोनिया ने अपने पर्स में हाथ डाला तो उसमें सिर्फ 120 रुपए ही मौजूद थे, ये पैसे उन्होंने रजनी को सौंपे और रजनी ने एक अमानत के तौर पर उन पैसों को अपने पास रख लिए।