Posted on 13 September 2020 by admin
बात उस वक्त की है जब भाजपा और शिवसेना के बीच दोस्ती की पींगे थीं, एक सामंजस्य का माहौल था और शिवसेना भी एनडीए के सबसे पुराने घटक दलों में शुमार होती थी। उसी दौर की बात है केंद्रनीत मोदी सरकार बिजली विपणन के क्षेत्र में एक नायाब योजना लेकर आई थी जिसका नामकरण हुआ था-’आदित्य’ यानी अटल डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम इंप्रूवमेंट योजना। यह योजना बिजली कंपनियों के बिजली विपणन में मदद देने के लिए बनी थी, लेकिन जब से भाजपा और शिवसेना के रिश्तों के दरम्यान तल्खियां आई हैं इस योजना को कहीं न कहीं ठंडे बस्ते के हवाले कर दिया गया है। कहते हैं भाजपा को लगता है कि इस योजना के प्रचार-प्रसार से आदित्य ठाकरे को अप्रत्यक्ष तौर पर इसका लाभ मिलेगा, सुना जा रहा है कि अब इस योजना का नाम बदल कर इसे पुनः लांच करने की तैयारियां चल रहीं हैं, नाम वाली गलती अब नहीं होगी।
Posted on 13 September 2020 by admin
कंगना रनौत ने भी जोश-जोश में मुंबई की तुलना पीओके से कर दी और इस ऐलान के साथ कि ’उन्हें तो अब मुंबई जाने से भी डर लगता है।’ यह बयान आते ही मुंबई और प्रदेश भाजपा की पूरी यूनिट सन्न रह गई। फौरन ही डैमेज कंट्रोल के उपक्रम ढूंढे जाने लगे, हर तरफ से आरोप झेल रही शिवसेना के लिए यह बयान अंधे के हाथ बटेर लग जाने जैसा था, शिवसेना घूम-घूम कर कंगना के इस बयान को प्रचारित करने लगी।
ऐसे में देवेंद्र फड़णवीस फौरन हरकत में आए और उन्होंने भाजपा की ओर से कंगना के इस बयान से पल्ला झाड़ लिया, कहा भाजपा कंगना के इस बयान से इत्तफाक नहीं रखती। भाजपा के संगठन महामंत्री बीएल संतोष ने ट्वीट कर फौरन आमिर खान के एक पुराने बयान को जिंदा कर दिया जिसमें उन्होंने रहने के लिए देश को ही ‘अनसेफ’ करार दिया था। फिर क्या था भाजपा और संघ की पूरी डिजिटल आर्मी राशन-पानी लेकर उद्धव पर टूट पड़ी।
Posted on 13 September 2020 by admin
लोक जनशक्ति पार्टी के सिरमौर चिराग पासवान भाजपा और नीतीश के दरम्यान तल्ख होते रिश्तों को एक नए माएने दे रहे हैं। एनडीए के पार्टनर होने के बावजूद चिराग नीतीश की जदयू पार्टी के प्रत्याशियों के खिलाफ अपने कैंडीडेंट उतारेंगे, पर भाजपा प्रत्याशियों के खिलाफ नहीं। अगर ऐसा हुआ तो फिर जदयू उम्मीदवारों के चुनाव जीतने की संभावनाओं को चोट लग सकती है। सूत्र बताते हैं कि चिराग की इस मुहिम को अंदरखाने से भाजपा का भी समर्थन हासिल है। भले ही नीतीश की जदयू राज्य में भाजपा से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ रही हो, पर इतना तो तय है कि अगर भाजपा के विधायक जदयू की तुलना में संख्या बल में ज्यादा जीत कर आए तो भाजपा मुख्यमंत्री पद के लिए अपना दावा ठोक सकती है। नीतीश भी पासवान की काट में अपने साथ जीतन राम मांझी को लेकर आए हैं, पर पासवान की तुलना में राज्य के दलित वोटरों में मांझी की उतनी पैठ नहीं है, सिर्फ आधा दर्जन सीटों पर ही उनका असर बताया जाता है। बड़े पासवान ने भी अपने पुत्र चिराग के स्टैंड का खुल कर समर्थन कर दिया है और नीतीश हैं कि सब समझ कर भी वे अनजान बने हुए हैं।
Posted on 13 September 2020 by admin
’दास्तां जब भी तूफानों की लिखी जाएगी, ये जलते चिरागों की कतारों से बयां होगी’
यूं ही नहीं दहाड़ रहा है भगवा एंकर कि ‘उद्धव तेरे दिन गिनती के बचे हैं’, महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले महाअघाड़ी सरकार की उल्टी गिनती शुरू हो गई है, और इस बार भी घर को आग लगेगी घर के चिराग से। पुणे के पिंपरी चिंचवाड़ में पिछले सप्ताह एनसीपी नेता अजीत पवार एक अस्पताल का उद्घाटन करने गए थे, ज़रा सोचिए तो उनके साथ मंच शेयर कौन कर रहा था? महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस। यानी कि अजीत पवार का भाजपा प्रेम अब भी बचा हुआ है। बताया जाता है कि उन्हें अब भी एनसीपी के अंदर 15-16 विधायकों का समर्थन हासिल है। अजीत के बेटे पार्थ पवार अब खुल कर अपने दादा शरद पवार की सोच के खिलाफ अपनी भावनाओं के उद्गार व्यक्त कर रहे हैं, इसकी शुरूआत तब हो गई थी जब पार्थ ने बीजेपी लाइन का सपोर्ट करते हुए सुशांत सिंह राजपूत की मौत की सीबीआई जांच की मांग कर दी थी। सूत्र बताते हैं कि अब महाराष्ट्र में पूरे खेल की कमान भाजपा के हाथों में आ गई है, दांव पर हैं शरद पवार। या तो अब वे राज्य में भाजपा को सरकार बनाने के लिए खुला समर्थन दें या फिर अपनी पार्टी में दोफाड़ के लिए तैयार रहें, दोनों ही सूरतों में गद्दी तो उद्धव की ही जाएगी।
Posted on 13 September 2020 by admin
मध्य प्रदेश में 24 विधानसभा सीटों पर उप चुनाव होने हैं, पहले ये उप चुनाव अगस्त-सितंबर में होने थे, पर कोरोना महामारी के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए इन उप चुनावों की तारीखें आगे खिसकाने की बात चल रही है। पर इन उप चुनावों में अगर किसी की साख कसौटी पर है तो वह हैं कांग्रेस से भाजपा में नए-नए आए ज्योतिरादित्य सिंधिया की। मध्य प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चैहान भी मजे से हैं, उन्हें अपनी सरकार बचाए रखने के लिए इस्तीफा देने वाले कांग्रेसी विधायकों में से सिर्फ 9 की जीत से भी काम चल जाएगा। अब ऐसे में अपने 22 समर्थक विधायकों को पुनः जिता कर लाना ग्वालियर के महाराज सिंधिया के समक्ष सबसे महती चुनौती है। जैसे सिंधिया के सबसे पसंदीदा भरोसेमंद तुलसीराम सिलावट की इंदौर की सांवेर सीट से चुनाव लड़ने की संभावना हैं, जिसके लिए सिंधिया सुमित्रा ताई (महाजन) के दर पर भी शीश नवा आए हैं जिनकी अब भी इंदौर में तूती बोलती है। सिंधिया जानते हैं कि उनका असर सिर्फ ग्वालियर और भिंड तक सीमित है सो, अपने अन्य समर्थक विधायकों की जीत के लिए उन्हें भाजपा व संघ कैडर का ही आसरा रह गया है, वह भी ऐसे वक्त में जब शिवराज को लगातार यह डर सता रहा है कि सिंधिया का भगवा कलेवर में नया अभ्युदय उनके समक्ष कोई चुनौती न उपस्थित कर दे।
Posted on 13 September 2020 by admin
ठाकरे परिवार में ’डाइपर बदल’ राजनीति के सिरमौर संजय राउत को उनकी परिवार भक्ति का शिवसेना में भरपूर ईनाम मिला है और उन्होंने सियासत में एक नई पाठशाला का शुभारंभ भी किया है कि महज़ स्तुति गान कर भी राजनीति में अपनी एक जगह बनाई जा सकती है। कहते हैं शिवसेना और भाजपा के रिश्तों में मट्ठा डालने में उनकी एक अहम भूमिका रही है, क्योंकि उनके तार एनसीपी नेता शरद पवार से भी कहीं गहरे जुड़े हैं। और यही वजह है कि उन्होंने विगत जून में ही यह आवाज उठानी शुरू कर दी थी कि पवार को देश का अगला राष्ट्रपति बनाया जाना चाहिए। सूत्रों की मानें तो उनकी सियासी महत्वाकांक्षाएं इस कदर हिलौरे मारने लगी कि एक वक्त ऐसा भी आया जब उन्हें लगने लगा कि वे प्रदेश के सीएम बन सकते हैं, उनका सपना टूटा तो वे अस्पताल में भर्ती हो गए। सुशांत सिंह राजपूत के असमय मौत के मामले में अनाप-शनाप बयान देने वाले राउत अचानक से उत्तर भारतीयों की नज़र में एक खलनायक के तौर पर अवतरित हो गए हैं।
उत्तर भारतीय लोग उनकी शख्सियत से इस कदर आहत हैं कि सोशल मीडिया पर उनकी पार्टी शिवसेना को ’शव सेना’ के नाम से पुकारा जाने लगा। जब आदित्य ठाकरे से उन्होंने ज्यादा लाड़ दिखाना शुरू किया तो छोटे ठाकरे के भी बोल बिगड़ने लगे और भाजपा की डिजिटल आर्मी उनके पीछे हाथ धोकर पड़ गई और बिचारे आदित्य ठाकरे को राहुल के बाद ‘दूसरा पप्पू’ साबित करने की होड़ मच गई। उन्हें सोशल मीडिया पर ’बेबी पेंग्विन’ के नाम से भी पुकारा जाने लगा। यानी राउत ने आदित्य के साथ वही कर दिया ‘जैसे खेत खाए गदहा और मार खाए जुलाहा’। शेरो शायरी के शौकीन राउत ट्विटर पर अक्सर उधार के शेर मारा करते हैं, जैसे हालिया दिनों में उन्होंने कहा कि ’बारिशों में भी घर जल जाते हैं’ अब जिन्हें आदत है चिंगारियों से खेलने की तो आग और धुएं से उनके राग को सहज समझा
जा सकता है।
Posted on 13 September 2020 by admin
सुशांत सिंह राजपूत के नहीं रहने पर भी उनके लिए लोगों की दीवानगी बढ़ती ही जा रही है, खास कर बिहार के लोगों में उनके लिए एक नया जुनून निकल कर सामने आया है, खालिस बिहारीपन की यह शिद्दत इतनी गहरी है कि केंद्रनीत भाजपा सरकार को इस बात का कहीं पहले इल्म हो गया था कि सुशांत की असमय मौत बिहार विधानसभा चुनाव में एक बड़ा मुद्दा बनेगी। उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक केंद्र सरकार सुशांत सिंह राजपूत को मरणोपरांत देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म विभूषण देने की तैयारी कर रही है। 21 जनवरी को सुशांत का जन्मदिन आता है और नागरिक सम्मानों की घोषणा गणतंत्र दिवस के मौके पर 25 जनवरी के आसपास की जाती है। वैसे भी बिहार सरकार की अनुशंसा को अनुमोदित करते मोदी सरकार ने सुशांत की मौत का मामला सीबीआई को सौंप दिया है। सुशांत के माममे में रोज-ब-रोज नए खुलासे हो रहे हैं, रॉ के एक पूर्व खुफिया एजेंट एन के सूद का दावा है कि सुशांत की मौत का कनेक्शन डी कंपनी से है, जहां से उन्हें लगातार धमकियां मिल रही थी, कहते हैं कि वे इन धमकियों से इतना डर गए थे कि कुछ रोज में ही उन्होंने अपने 50 सिम कार्ड बदल डाले।
कभी-कभी वे अपनी गाड़ी किसी सुनसान जगह पर पार्क कर देते थे और उसी में सो जाया करते थे। सूद सवाल उठाते हैं कि दो फिल्मों की स्क्रिप्ट लिखने वाले सुशांत को नियमित रूप से डायरी लिखने की भी आदत थी और अगर उनके मन में आत्महत्या जैसा कोई बेतुका ख्याल आता तो वे कोई न कोई सुसाइड नोट भी अवश्य छोड़ते। सूद को सुशांत के फिल्ममेकर मित्र संदीप सिंह पर शक है कि उन्होंने सुशांत के नौकर के साथ मिल कर इस काम को अंजाम दिया है। सूद को यह भी शक है कि संदीप ही सुशांत से जुड़ी तमाम जानकारियां करण जौहर और सलमान खान से शेयर करते थे। सूद सलमान के अंडरवर्ल्ड के साथ रिश्तों का भी खुलासा करते हैं। अब चूंकि मामला सीबीआई के पास है तो ऐसे किसी निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले इंतजार करना ही श्रेयस्कर रहेगा।