Posted on 16 April 2018 by admin
पीएम के बीच-बचाव और चेतावनी के बावजूद योगी और मौर्या में पटरी नहीं बैठ रही है। भाजपाध्यक्ष अमित षाह के 11 अप्रैल के यूपी विजिट से पहले यूपी भाजपा की प्रवक्ता दीप्ति भारद्वाज ने अपनी ही सरकार के खिलाफ ट्वीट कर दिया। फिर क्या था योगी कैंप ने भी ट्विटर पर जंग का उद्घोश कर दिया। कई ट्वीट धड़ाधड़ आने लगे जिसमें दावा किया जा रहा था कि सरकार के एक पॉवरफुल मंत्री की छत्रछाया में ही रेप के आरोपी भाजपा विधायक सेंगर को पनाह मिल रही है। इषारा साफ था कि सरकार के वह षक्तिषाली मंत्री कौन है? सनद रहे कि दीप्ति भारद्वाज भले ही संघ से जुड़ी नेत्री हों पर उनकी मौर्या से वफादारी किसी से छुपी नहीं है। सूत्रों की मानें तो मौर्या को अब भी लगता है कि फूलपुर हरवाने के पीछे योगी और उनका प्रषासन है तो योगी को लगता है कि मौर्या उनके खिलाफ विरोध की ज़मीन तैयार कर रहे हैं। कहते हैं योगी और मौर्या के बीच खिंची तलवारों का मज़ा राज्य के एक और डिप्टी सीएम दिनेष षर्मा उठा रहे हैं। जिनके बारे में कहा जाता है कि वे हर बड़े नेता के दरबार की षोभा हैं, पर आप भरोसे के साथ कह नहीं सकते कि वे आदमी किसके हैं। वहीं जब अमित षाह लखनऊ पहुंचे तो उनकी सीएम योगी के साथ 7 घंटे की मैराथन बैठक चली, सूत्रों की मानें तो षाह ने योगी को साफ तौर पर चेतावनी दी है कि कर्नाटक चुनाव से पहले राज्य की स्थितियां ठीक कर लें वरना अंजाम भुगतने के लिए तैयार रहें। वैसे भी दत्तात्रेय होसबोले और कृश्ण गोपाल अपने दो दिनों के लखनऊ प्रवास के बाद नागपुर लौट गए हैं, जहां पहुंच कर उन्होंने संघ प्रमुख मोहन भागवत को एक विस्तृत रिपोर्ट सौंपी है कि जिस तरह राज्य में भाजपा की दलित विरोधी छवि बनी है वह उसके सियासी स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं है।
Posted on 16 April 2018 by admin
विपक्षी एकता का एक नया खटराग अलाप रहे बुआ-भतीजे की जोड़ी पर केंद्र सरकार की पूरी नज़र है। दिल्ली का निज़ाम जानता है कि नेताजी यानी मुलायम सिंह को किस तरह सीबीआई नाम का फोबिया है, कमोबेष मायावती की भी यही स्थिति है। चुनांचे जैसे 19 के आम चुनाव का खुमार अपने उफान पर होगा आय से अधिक संपत्ति के बोतल से एक नया जिन्न प्रकट जो जाएगा। जो लोग इस गलतफहमी के षिकार हैं कि आय से अधिक संपत्ति के मामले में मुलायम सिंह को लेकर सीबीआई ने अपनी फाइनल रिपोर्ट दे दी है, वे गफलत में हैं। बस उस वक्त के सीबीआई प्रमुख रंजीत कुमार का एक बयान भर आया था कि इस मामले में फाइनल रिपोर्ट तैयार है, पर हकीकत में यह रिपोर्ट कभी सौंपी ही नहीं गई, वैसे भी सीबीआई के तमाम मुखियाओं पर जांच की फाइलें ईडी और सीबीआई में लंबित है, चांद के सिर पर सूरज का पहरा है और रोषनी से दगाबाजी नाकाबिले बर्दाष्त है।
Posted on 16 April 2018 by admin
मध्य प्रदेष के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान साधु-संतों को उपकृत करने के मामले में भले ही सबसे आगे दिख रहे हों, पर सच्चाई बस इतनी भर नहीं है। देष भर के साधु संतों को साधने का अचूक मंत्र हमारे यषस्वी प्रधानमंत्री के पास है। सूत्र बताते हैं कि देष के शायद कोई विरले ही बड़े साधु-महात्मा रह गए हों मोदी जिनके संपर्क में न हों। उच्च पदस्थ सूत्रों की मानें तो रोज़ाना कोई 2-3 साधु-संत से पीएम की रोज़ बातचीत हो जाती है। कई बार तो उनसे वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए बात की जाती है, और अगर किसी साधु-संत के यहां 20 हजार की भी भीड़ जुटने की उम्मीद दिखती है तो पीएम का कार्यक्रम वहां लग जाता है।
Posted on 16 April 2018 by admin
कर्नाटक में लिंगायत को अलग धर्म का दर्जा दिए जाने का प्रस्ताव कर्नाटक के कांग्रेसी मुख्यमंत्री सिद्दारमैया ने केंद्र को भेज दिया था और अब इनका यही दांव मास्टर स्ट्रोक साबित हो रहा है। क्योंकि अभी पिछले दिनों लिंगायतों के 70 संगठनों ने मोदी व षाह को पत्र लिख कर सिद्दारमैया के इस प्रस्ताव पर तुरंत हामी भरने का अनुरोध किया है और इस पर विचार करने के लिए और अपनी स्वीकृति देने के लिए पीएम और भाजपा प्रेसिडंेट को बुधवार तक का समय दिया है, साथ ही उन्होंने धमकी भी दी है कि अगर इस बुधवार तक इस प्रस्ताव पर सहमति नहीं दी जाती है तो लिंगायतों का वोट इस चुनाव में कांग्रेस के लिए होगा। वहीं भाजपा का तर्क है कि बासवन्ना हिंदू धर्म को मानने वाले थे, पर ये संगठन इसके लिए राजी नहीं।
Posted on 16 April 2018 by admin
कर्नाटक में लिंगायत को अलग धर्म का दर्जा दिए जाने का प्रस्ताव कर्नाटक के कांग्रेसी मुख्यमंत्री सिद्दारमैया ने केंद्र को भेज दिया था और अब इनका यही दांव मास्टर स्ट्रोक साबित हो रहा है। क्योंकि अभी पिछले दिनों लिंगायतों के 70 संगठनों ने मोदी व षाह को पत्र लिख कर सिद्दारमैया के इस प्रस्ताव पर तुरंत हामी भरने का अनुरोध किया है और इस पर विचार करने के लिए और अपनी स्वीकृति देने के लिए पीएम और भाजपा प्रेसिडंेट को बुधवार तक का समय दिया है, साथ ही उन्होंने धमकी भी दी है कि अगर इस बुधवार तक इस प्रस्ताव पर सहमति नहीं दी जाती है तो लिंगायतों का वोट इस चुनाव में कांग्रेस के लिए होगा। वहीं भाजपा का तर्क है कि बासवन्ना हिंदू धर्म को मानने वाले थे, पर ये संगठन इसके लिए राजी नहीं।
Posted on 16 April 2018 by admin
आप मौजूदा वक्त को प्रखर हिंदूवादी संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का स्वर्णिम काल मान सकते हैं, संघ की बुलंदियों का सूरज सातवें आसमान पर चमक रहा है, और उसकी चिटकती धूप से जो चेहरा छू जाता है, चेहरे की भंगिमाएँ भगवा हो जाती हैं, पल भर के लिए ही सही। सो, तमाम मोर्चों पर भगवा पताका लहराने के बाद अब सुनने में आया है कि संघ के ऊपर 100 करोड़ की लागत से एक मेगा फिल्म का निर्माण हो रहा है। सूत्रों की मानें तो संघ के कर्णधारों को फिल्म ’बाहुबली’ की भव्यता व बॉक्स ऑफिस पर इसकी अपार सफलता इस कदर मोहित कर गई कि उन्होंने ’बाहुबली’ फिल्म के चर्चित निर्देषक एसएस राजा मौलि के पिता के वी विजेन्द्र प्रसाद से संपर्क साधा है। विजेन्द्र प्रसाद भी एक सुलझे हुए पटकथा लेखक व मंझे निर्देषक हैं। उनकी हालिया चर्चित फिल्मों में ’बाहुबली’ और ’बजरंगी भाईजान’ का नाम लिया जा सकता है। प्रसाद ने 2011 में एक चर्चित तेलुगू फिल्म ’रज्जन्ना’ को निर्देषित किया था जिसे बेस्ट फीचर फिल्म के नंदी अवार्ड से सम्मानित किया गया था। प्रसाद ने अपने फिल्म कैरियर की शुरूआत सन् 1988 में की और अब तक वे 25 से ज्यादा फिल्में लिख चुके हैं और इनमें से अधिकांश फिल्में सुपर-डुपर हिट रही हैं। सूत्र बताते हैं कि प्रसाद की यह फिल्म संघ के एक विहंगम रूप को सामने लाएगी, इसमें संघ की विचारधारा, आदर्ष, मिषन और उपलब्धियों को फिल्मी ताने-बाने में गुंथा जाएगा। इस फिल्म में डॉ. हेडगेवार, एमएस गोलवलकर, वीर सावरकर, के सुदर्षन और संघ प्रमुख मोहन भागवत के जीवन के प्रेरक किस्सों को एक सूत्र में पिरोया जाएगा और उसे नए कलेवर में पेष किया जाएगा जिससे कि नई पीढ़ी इससे प्रेरणा पा सके। सूत्र बताते हैं कि इस फिल्म के सिलसिले में प्रसाद की नागपुर में कई बैठकें हो चुकी हैं। इस प्रोजेक्ट से अक्षय कुमार व अजय देवगन जैसे अभिनेता भी जुड़ने को तैयार बताए जाते हैं। मूल फिल्म का निर्माण हिंदी में होगा और इसे तेलुगू, कन्नड़ जैसे क्षेत्रीय भाषाओं में डब किया जाएगा। 2019 में आम चुनावों से पहले देष भर में एक साथ इस फिल्म को रिलीज करने की तैयारी है। ज़रा आंखें मल कर धूप के उस पार देखो, देखना एक दिन उतर आएगा यह सुर्ख सूरज तेरे कांधों पर।
Posted on 16 April 2018 by admin
बंद कोठरी के दरवाजे खुल गए हैं, बोसीदा हवाओं में नई खिड़कियों के गंध घुल गए हैं। संघ और उनके कर्णधारों को भली भांति इस बात का इल्म हो गया है कि अगर देष की युवा आबादी में अपनी पैठ बनानी है तो सांस्कृतिक उपनेषवाद के नए मिथक गढ़ने होंगे, संवाद और विचारों को नए पन का लिबास पहनाना होगा, षायद यही वजह थी कि पिछले कुछ वर्शों में संघ ने सिनेमा, संगीत व रंगमंच के लिए अपने दरवाजे खोल दिए। पिछले कुछ दिनों में संघ की प्रेरणा पाकर दो ऐसे फिल्म फेस्टिवल आयोजित किए गए, जिसमें शामिल हुई फिल्मों में भारतीय संस्कृति और एक नवराष्ट्रवाद की झलक देखी गई। यह पहल सिनेमाई फलक को नापने की शुरूआत भर थी। सूत्र बताते हैं कि अब देशभर में भगवा विचारों से अभिप्रेरित फिल्मोत्सवों की बाढ़ आने वाली है, और कई बड़े फिल्मकार, एक्टर व फाइनेंसर नदी की इस भगवा उफान में बहने को तैयार हैं। पिछले वर्ष संघ ने प्रयोग के तौर पर एक प्रोजेक्ट को हरी झंडी दी थी। इस फिल्म का नाम था-’एक थी रानी ऐसी भी।’ इस फिल्म को गुल बहार सिंह ने निर्देषित किया था और हेमा मालिनी ने इस फिल्म में दिवंगत भाजपा नेत्री विजया राजे सिंधिया का किरदार निभाया था। कहना न होगा कि यह फिल्म राजमाता सिंधिया के ऊपर बनी एक बॉयोपिक थी। इसको लिखने का श्रेय गोवा की मौजूदा गवर्नर मृदुला सिन्हा को जाता है, जिन्होंने राजमाता की जिंदगी के विभिन्न रंगों को समेटते हुए एक उपन्यास लिखा- ‘राजपथ से लोकपथ पर।’ इसी उपन्यास को आधार बनाकर इस फिल्म की पटकथा लिखी गई। भगवा विचारों की आग में तपने के लिए और फिर कुंदन बन कर निखरने के लिए अमिताभ बच्चन, अक्षय कुमार, अजय देवगन, कंगना रणौत, प्रिंटी जिंटा, अुर्जन रामपाल जैसे सितारे, सोनू निगम व अभिजीत जैसे सिंगर, सुभाश घई व मधुर भंडारकर जैसे बड़े निर्देषक पलक पांवड़े बिछाए बैठे हैं। इन्होंने समय से समय का रुख भांप लिया है।
Posted on 02 April 2018 by admin
रेल मंत्री पीयूश गोयल की उम्मीदों की रेल चल निकली हैं, इन दिनों वे भाजपा अध्यक्ष अमित षाह के बेहद भरोसेमंदों में षुमार होने लगे हैं। सो, यूपी के उप चुनावों के नतीजों से फक्क हुई भाजपा ने कुम्हलाए कमल को नया स्पंदन देने की जिम्मेदारी गोयल के कंधों पर रखी, और इस राज्यसभा चुनाव में यूपी में भगवा कमल खिलाने की खातिर गोयल पखवाड़े पहले से लखनऊ में जमे बैठे थे। विपक्ष को चारो खाने चित्त करने के लिए एक चाक चौबंद व्यूह रचना रची गई, सबसे पहले वरीयता के क्रम में भगवा उम्मीदवारों को सजाया गया, मसलन अरूण जेटली को सबसे ऊपर रखा गया। जरूरी 37 की जगह, दो अतिरिक्त यानी 39 सीनियर विधायकों का एक गुलदस्ता तैयार हुआ, इस गुलदस्ते को मांजने-संवारने की महती जिम्मेदारी मंत्री सतीष म्हाना को सौंपी गई, इसी तरह 39-39 विधायकों के समूह पर नज़र रखने की जिम्मेदारी एक अदद मंत्री को सौंपी गई। चुनाव से ऐन पहले विधायकों से वोट देने की ’मॉक ड्रिल’ कराई गई। फर्स्ट टर्म एनडीए विधायकों को बकायदा ट्रेनिंग दी गई कि वे अपना वोट कैसे कास्ट करें और इस महती जिम्मेदारी को स्वयं पीयूश गोयल ने उठाया। गोयल अब वोट मैनेजमेंट में भी सिद्दहस्त हो चुके हैं, चुनांचे अनिल अग्रवाल की जीत पक्की करने के लिए तलवार की धार पर चलने की तरह था, सेकिंड प्रिफ्रेंस के 14 वोटों की उन्हें जरूरत थी, भाजपा के अपने 12 वोट बचे थे, जरूरत थी सिर्फ 2 वोट की, जब चुनाव के नतीजे आए तो अग्रवाल को निर्दलीय व अन्य उच्च जाति के विधायकों के 4 वोट मिल गए और उन्होंने मैदान मार लिया और पीयूश गोयल ने भी खुद को एक नवअवरित रणनीतिकार के तौर पर साबित कर दिया।
Posted on 02 April 2018 by admin
तीसरे मोर्चे को एक नया चेहरा-मोहरा देने की गरज से बंगाल की उत्साही मुख्यमंत्री ममता बनर्जी दिल्ली में थीं। उन्हें एनसीपी नेता षरद पवार से मिलना था, मिलने का वक्त तय हो चुका था कि ममता-षरद मुलाकात के ठीक ऐन पहले कांग्रेस के वरिश्ठ नेता गुलाम नबी आजाद आनन-फानन में पवार से मिलने एनसीपी के दफ्तर में पहुंचे। सूत्र बताते हैं कि आजाद ने पवार से गुजारिष की कि वे ममता को समझा दें कि उनसे मिलने के बाद ममता दीदी का मीडिया में जो बयान आए उससे कहीं ऐसा नहीं लगना चाहिए कि कांग्रेस विपक्षी एका की इस पहल से अलग-थलग है। पवार की सहमति हासिल करने के बाद आजाद वहां से चले गए। फिर दीदी वहां पहुंची और सियासत के उस्ताद बाजीगर पवार ने ममता को जाने क्या समझाया कि षाम की प्रेस-कांफ्रेंस में दीदी ने बेखटके कहा-’हम मिलकर लड़ेंगे।’ और इसके बाद दीदी ने सोनिया को फोन कर उनसे मिलने का समय मांगा और हंसी खुषी उनसे मिलने भी गईं।
Posted on 02 April 2018 by admin
इस मंगलवार को लोकसभा में कांग्रेस के केसी वेणुगोपाल ने सदन में अन्नाद्रमुक के सदस्यों से जाने ऐसा क्या कह दिया कि नौबत मारपीट की आ पहुंची। हुआ कुछ ऐसा कि जब स्पीकर सुमित्रा महाजन ने अन्नाद्रमुक सदस्यों के वेल में आ जाने पर सदन स्थगित कर दिया तो सांसदगण एक-एक कर सदन से बाहर आने लगे। ठीक उसी वक्त सोनिया गांधी के पीछे बैठे वेणुगोपाल ने कथित तौर पर अन्नाद्रमुक सांसदों से तमिल में कुछ ऐसा कह दिया कि वे भड़क उठे और वे वेणुगोपाल की ओर लपके। यह तो षुक्र है कि सोनिया ने इस पूरे मामले की नजाकत को भांपते, फौरन अपनी जगह से उठ खड़ी हुईं और अपने दोनों हाथ उठाकर अन्नाद्रमुक सांसदों को रोकने में कामयाब हुईं, यह नजारा जैसे ही कांग्रेस के युवा सांसद को देखने को मिला, वे भागकर आए और वेणुगोपाल के इर्द-गिर्द एक घेरा बना लिया। चूंकि उस वक्त तक सदन स्थगित हो गया था, तो पत्रकार गैलरी भी खाली थी, एक उत्तर भारतीय पत्रकार इत्तफाक से वहां मौजूद था और वह सारा नज़ारा देख रहा था, तब उसने कांग्रेसी सांसदों से जानना चाहा कि वेणुगोपाल ने आखिर ऐसा क्या कह दिया था, जो इतना हंगामा बरप गया, तो जवाब मिला-’जब आप इसकी रिपोर्ट ही नहीं कर सकते तो उस तमिल षब्द को जानकर क्या करेंगे?’ और यह बात सियासी नेपथ्य में दफन हो गई।