Archive | विशेष

ब्राह्मणवाद के खिलाफ अलख

Posted on 16 September 2023 by admin

लगता है विपक्षी खेमे ने भी बहुत सोच विचार कर सनातन की डिबेट को हवा दी है, शायद इसीलिए स्टालिन पुत्र उदयनिधि इस मुद्दे पर इतनी उछल कूद मचा रहे हैं, सो वे सुविचारित रूप से सनातन को कभी डेंगू, कभी मलेरिया या कभी कोरोना बुलाते हैं। सनानत धर्म का मुद्दा अब विपक्षी गठबंधन इंडिया के लिए भी एक एसिड टेस्ट हो गया है। दक्षिण से अलग उत्तर भारत में विपक्ष के लिए सनातन का अर्थ वर्णवाद से जुड़ा है। वैसे भी दक्षिण भारत में ब्राह्मणवाद के विरोध का फायदा हमेशा से विपक्षी दल उठाते रहे हैं, कारण ओबीसी व दलित जैसी जातियां हमेशा से ब्राह्मणों से त्रस्त रही है। ओबीसी व दलित जातियों को मद्देनज़र रखते ही भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने अपने नेताओं व वक्ताओं से कहा है कि ’वे बिलावजह सनातन डिबेट में न उलझें।’ वहीं जी-20 समिट में मेहमानों को जहां शुद्ध शाकाहारी भोजन परोसा जाता है, तो वहीं राहुल गांधी का लालू यादव के साथ वह वीडियो वायरल हो जाता है जिसमें वे खास चंपारण मीट पकाते नज़र आते हैं। यह विपक्षी गठबंधन इंडिया की एक सुविचारित रणनीति हो सकती है। शायद यही वजह है कि एक ओर जहां भाजपा राम मंदिर की बात करती है तो सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य और आरजेडी नेता व बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर रामचरित मानस के विरोध में अलख जगाते हैं, चंद्रशेखर तुर्रा उछालते हैं कि ’रामचरित मानस में तो पोटेशियम साइनाइट है।’ पिछले दो लोकसभा चुनावों यानी 2014 व 2019 में ओबीसी वोटरों ने भाजपा का साथ दिया था, इंडिया गठबंधन इसी गणित को पलटने में जुटा है।

Comments Off on ब्राह्मणवाद के खिलाफ अलख

जब योगी को मोदी का बुलावा आया

Posted on 09 September 2023 by admin

2024 के आसन्न आम चुनाव की आहटों के मद्देनज़र दिल्ली दरबार में यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पूछ अचानक से बढ़ गई है। नहीं तो पिछले काफी समय से योगी पीएम से मिलने का वक्त मांग रहे थे, पर उन्हें पीएम की अतिव्यस्ताओं का हवाला दिया जाता रहा था। जी20 आयोजन शुरू होने से ऐन पहले योगी को दिल्ली दरबार से अचानक से ही बुलावा आ गया, तो वक्त की नज़ाकत को भांपते हुए चतुर सुजान योगी ने दिल्ली संदेशा भिजवाया कि ’उन्हें पीएम के समक्ष अयोध्या में निर्माणाधीन राम मंदिर को लेकर एक प्रेजेंटेशन भी देना है।’ दिल्ली से हामी मिलने के बाद योगी अपने साथ राज्य के नगर विकास व ऊर्जा मंत्री अरविंद कुमार शर्मा को भी साथ लेकर दिल्ली पहुंचे जो एक समय पीएम के सबसे दुलारे अफसरों में शुमार होते थे, योगी दिल्ली आए, ये प्रेजेंटेशन भी 2 घंटों तक चला, पीएम ने भी ध्यानपूर्वक यह प्रेजेंटेशन देखा, फिर योगी के साथ उनकी वन-टू-वन बातचीत हुई। नहीं तो इससे पहले तक अमित शाह के दुलारे व राज्य के उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक को ही दिल्ली तलब कर उनसे रिपोर्ट तलब कर ली जाती थी। अब इस घोसी उप चुनाव को ही ले लें, दिल्ली के कहने पर भाजपा उम्मीदवार दारा सिंह के लिए यहां 18 केंद्रीय मंत्रियों, दो उप मुख्यमंत्रियों और दर्जनों प्रमुख भगवा नेताओं की टीम लगाई गई थी, फिर भी दारा सिंह यहां से सपा के हाथों चुनाव हार गए, क्योंकि दारा सिंह को लेकर योगी अपना पुराना दर्द भूल नहीं पाए थे, क्योंकि जब दारा सपा में थे तो उन्होंने एक तरह से योगी के खिलाफ मोर्चा ही खोल रखा था। सबसे हैरत की बात तो यह कि घोसी से दारा सिंह को जिताने का जिम्मा भी दिल्ली ने अपने दुलारे एके शर्मा को ही सौंप रखा था।

Comments Off on जब योगी को मोदी का बुलावा आया

क्या होगा संसद के विशेष सत्र में

Posted on 09 September 2023 by admin

आगामी 18 सितंबर से 22 सितंबर तक आहूत होने वाले संसद के विशेष सत्र में दोनों सदनों में प्रश्नकाल व शून्यकाल में कोई गैर सरकारी कामकाज पर फोकस नहीं होगा यानी केवल सरकारी कामकाज पर ही चर्चा होगी। यानी लोकतंत्र के सबसे बड़े मंदिर में जनता के लिए व जनता के प्रतिनिधित्व से जुड़ी किसी बात पर चर्चा नहीं होनी है। कहते हैं इस विशेष सत्र में चंद्रयान-3 मिशन की सफलता, अमृत काल के दौरान जी20 का सफल आयोजन और इन सबका श्रेय यशस्वी प्रधानमंत्री को दिए जाने पर जोर रहेगा। वहीं इस विशेष सत्र में जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य देने का महत्वपूर्ण विधेयक भी पास करवाया जा सकता है। जम्मू-कश्मीर के पूर्ण राज्य का दर्जा कम करने के 4 साल बाद केंद्र सरकार इसे पूर्ण राज्य बनाने का बिल लेकर आ सकती है। पिछले दिनों संविधान के अनुच्छेद 370 पर दायर याचिका पर बहस के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से पूछा था कि ’उसके पास जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा देने के लिए क्या समय सीमा है, क्या रोड मैप है?

Comments Off on क्या होगा संसद के विशेष सत्र में

संसद के विशेष सत्र का छुपा एजेंडा क्या है?

Posted on 09 September 2023 by admin

’उतनी बारूद अपने अंदर बचा कर रखना
जितनी रखती हैं माचिस की तिल्लियां
अंधेरों को मालूम हो तेरे जलने का हुनर’

शह-मात की सियासी बिसात पर आप इसे केंद्र नीत भाजपा सरकार का एक बेहद सुविचारित दांव मान सकते हैं, अब यह महज़ इत्तफाक तो नहीं हो सकता कि गुरूवार को केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी 18 से 22 सितंबर तक संसद का विशेष सत्र बुलाने की घोषणा करते हैं और उसके अगले ही दिन शुक्रवार को केंद्र सरकार ’एक देश एक चुनाव’ की संभावनाओं को टटोलने के लिए पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के नेतृत्व में एक कमेटी का गठन कर देती है और यह घोषणा होते ही भाजपाध्यक्ष जेपी नड्डा फूलों का गुलदस्ता लिए कोविंद के घर पहुंच जाते हैं। सवाल यह भी अहम है कि 1 सितंबर को गठित होने वाली कमेटी क्या 18 सितंबर को शुरू होने वाले संसद के विशेष सत्र से पहले अपनी रिपोर्ट सौंप देगी? जबकि इस कमेटी के अन्य सदस्यों की घोषणा होनी अभी बाकी है, माना जा रहा है कि इस कमेटी में एक पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त और एक पूर्व मुख्य न्यायाधीश को लिया जाना है। भारत की संसदीय परंपरा के इतिहास में यह पहला मौका है जब किसी सबसे बड़े संवैधानिक पद पर काबिज रहे किसी व्यक्ति को ऐसी कोई जिम्मेदारी मिली हो। ’वन नेशन, वन इलेक्शन’ के मुद्दे पर केंद्र सरकार की ’हां’ में ’हां’ मिलाने वाले चुनाव आयोग से भी यह पूछा जाना चाहिए कि जब वह दो राज्यों के चुनाव साथ-साथ नहीं करा सकता, (अभी पिछले दिनों संपन्न हुए गुजरात व हिमाचल के चुनाव इसकी मिसाल हैं) तो आम चुनावों के साथ-साथ वह ढाई दर्जन राज्यों के चुनाव कैसे साथ करा सकता है? क्या उसके पास इसके लिए इतनी बड़ी मशीनरी है? इतनी बड़ी संख्या में ईवीएम हैं? लोग हैं? अभी कुछ महीने बाद ही नवंबर माह में 5 राज्यों यानी मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, मिजोरम व तेलांगना में विधानसभा चुनाव होने हैं, उम्मीद की जा रही थी कि सितंबर माह के अंत तक चुनाव आयोग इनकी तारीखों की घोषणा भी कर देगा, तो अब क्या होगा? क्या इन पांचों राज्यों के चुनाव रद्द कर लोकसभा की चुनाव की तारीखों तक यहां राष्ट्रपति शासन लग दिए जाएंगे? और इन राज्यों में जहां कथित तौर पर भाजपा की हालत पतली है वहां केंद्र सरकार की अगुवाई में चुनाव होंगे? यह बात कितनी नीति सम्मत है, क्योंकि इनमें से ज्यादातर राज्यों में विपक्षी दलों की सरकारें हैं, जिन्होंने आगामी चुनाव के लिए काफी पहले से अपना एजेंडा तय कर रखा है। अगर केंद्र सरकार इसी खटराग पर चली तो यूपी, पंजाब, कर्नाटक जैसे राज्यों का क्या होगा जहां पिछले कुछ दिनों में चुनाव हुए हैं? इन बड़े सवालों से गुजर कर ही केंद्र सरकार को ’वन नेशन, वन इलेक्शन’ के खटराग को सिरे चढ़ाना होगा।

Comments Off on संसद के विशेष सत्र का छुपा एजेंडा क्या है?

कयास ये भी हैं

Posted on 09 September 2023 by admin

कयास यह भी लगाए जा रहे हैं कि 18 से 22 सितंबर तक आहूत होने वाले संसद के विशेष सत्र में सरकार के एजेंडे पर तीन प्रमुख बिल हैं। एक तो ’वन नेशन, वन इलेक्शन’ को लेकर बिल लाया जा सकता है, केंद्र सरकार से जुड़े सूत्र यह भी बताते हैं कि सरकार की ‘समान नागरिक संहिता’ और ‘महिला आरक्षण’ पर भी विधेयक लाने की पूरी तैयारी है। अब तक संसद पुराने संसद भवन से ही चल रही है, जबकि नए बने संसद भवन में लोकसभा के 888 और राज्यसभा के 384 सांसदों के बैठ सकने की क्षमता है। 2026 के बाद नई जनगणना के आधार पर सीटों का नया परिसीमन आकार पा सकता है। 1973 में जब आखिरी बार लोकसभा का परिसीमन किया गया था तब देश की आबादी 54.80 करोड़ थी यानी एक लोकसभा सांसद पर लगभग 10 लाख लोगों के प्रतिनिधित्व का जिम्मा था, आज देश की जनसंख्या बढ़ कर 143 करोड़ के आसपास पहुंच गई है, यानी एक सांसद पर लगभग 25 लाख लोगों के प्रतिनिधत्व का जिम्मा आ गया है। नए परिसीमन में उत्तर व दक्षिण के राज्यों का मसला भी फंसेगा, क्योंकि दक्षिण की तुलना में उत्तर भारतीय राज्यों की आबादी तेजी से बढ़ी है, यानी कि आबादी के हिसाब से उत्तर के राज्यों की लोकसभा सीटें बढ़ेंगी और उस अनुपात में दक्षिण में सीटें घटेंगी, इस बात का अभी से दक्षिण के राज्य विरोध कर रहे हैं। आखिरी परिसीमन 2002 में शुरू होकर 2008 तक चला था। सो, अभी से यह कयास लगाए जा रहे हैं कि अगर संसद में ’महिला आरक्षण विधेयक’ पारित हो जाता है तो नए परिसीमन में महिला प्रतिनिधित्व को ध्यान में रख कर परिसीमन में नई सीटों का गठन होगा। संघ से जुड़े सूत्रों का दावा है कि 22 जनवरी से एक सप्ताह तक चलने वाले राम मंदिर उद्घाटन समारोह का असर बस यूपी तक सीमित रह सकता है इसे देखते हुए ही भाजपा नेतृत्व अन्य बड़े विकल्पों की तलाश में जुटा है।

Comments Off on कयास ये भी हैं

चाचा-भतीजा में कौन है सवा सेर?

Posted on 11 July 2023 by admin

महाराष्ट्र में इन दिनों चाचा शरद पवार और भतीजे अजित पवार के बीच तलवारें कुछ इस कदर तनी हैं कि दोनों में से कोई भी इसे वापिस म्यान में रखने को राजी नहीं। इस द्वंद युद्ध की पटकथा मुंबई में उस वक्त लिख दी गई थी जब एनसीपी के 25वें स्थापना दिवस को लेकर शरद पवार के घर एक मीटिंग चल रही थी। दरअसल इस विवाद की शुरूआत तब हो गई थी जब भोपाल की एक जनसभा में पीएम मोदी ने बड़े पवार का नाम लेकर 70 हजार करोड़ के घोटाले का जिक्र अपने भाषण में किया था। पीएम का यह भाषण एनसीपी के शीर्ष नेताओं की नींद उड़ाने के लिए काफी था। इस 25वें स्थापना दिवस के मौके पर प्रफुल्ल पटेल ने महाराष्ट्र के अखबारों में एक पूरे पेज का विज्ञापन देकर उसमें शरद पवार के सानिध्य और मार्गदर्शन का बखान किया था। कहते हैं स्थापना दिवस की मीटिंग के ही रोज अजित पवार और प्रफुल्ल पटेल ने शरद पवार के समक्ष अपना दुखड़ा रोया और कहा कि हमारी पार्टी के तीन बड़े नेता अनिल देशमुख, छगन भुजबल और नवाब मलिक पहले ही जेल जा चुके हैं, अब जेल जाने की हमारी बारी हो सकती है। फिर तय हुआ कि अगर एकनाथ शिंदे अपने अन्य 16 विधायकों के साथ अयोग्य घोषित किए जाते हैं तो बड़ी पार्टी होने के नाते सीएम पद पर एनसीपी का दावा हो सकता है और वह राज्य में भाजपा के साथ मिल कर सरकार बना सकती है। कहते हैं इस मीटिंग में यह भी तय हुआ कि लोकसभा की महाराष्ट्र की 48 सीटों पर भाजपा व एनसीपी का दावा आधा-आधा होगा। इस फार्मूले में सुप्रिया सुले को केंद्र की मोदी सरकार में मंत्री बनाने की बात भी शामिल थी। सूत्र यह भी बताते हैं कि जब अजित पवार ने डिप्टी सीएम पद की शपथ ली तो 11 विधायक बड़े पवार से मिलने आए तो शरद ने उन्हें अजित के साथ जाने को कहा। सो, राजनैतिक पर्यवेक्षक हैरत में है कि ’चाचा-भतीजा की यह लड़ाई वाकई असली है या दोनों स्वांग रच रहे हैं।’

Comments Off on चाचा-भतीजा में कौन है सवा सेर?

सक्रिय राजनीति में आएंगी अहमद पटेल की बेटी मुमताज

Posted on 11 July 2023 by admin

कभी कांग्रेस की राजनीति की धुरी रहे और पार्टी के चाणक्य में शुमार होने वाले दिवंगत अहमद पटेल की बेटी मुमताज पटेल ने कांग्रेस की सक्रिय राजनीति में उतरने के लिए अपनी कदमताल तेज कर दी है। जिस दिन दिल्ली स्थित कांग्रेस मुख्यालय में छत्तीसगढ़ को लेकर एक अहम बैठक चल रही थी, उसी रोज मुमताज अपने पिता के पूर्व सहयोगी यतीन्द्र शर्मा के साथ राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे और वेणुगोपाल से मिली थीं। इस मीटिंग को तय करवाने में कनिष्क सिंह और मुकुल वासनिक की एक अहम भूमिका बताई जाती है। कभी अहमद पटेल के बेहद भरोसेमंद लोग चाहते हैं कि मुमताज को पार्टी के शीर्ष निर्णायक संगठन ’कांग्रेस वर्किंग कमेटी’ में जगह मिले। यह भी सुना जा रहा है कि खड़गे ने मुमताज के समक्ष महिला कांग्रेस की बागडोर संभालने का प्रस्ताव रखा, पर मुमताज ने इसके लिए मना कर दिया है। मुमताज अपने पिता की भरूच सीट से लोकसभा का अगला चुनाव लड़ना चाहती है। यह सीट 1952 से लेकर 1977 तक लगातार कांग्रेस के पास रही थी, 1977 में जब देश में कांग्रेस विरोधी लहर चल रही थी तब अहमद पटेल को कांग्रेस ने इस सीट से उतारा था और तब पटेल चुनाव जीत गए थे और जीतने के बाद उन्होंने इंदिरा गांधी के लिए यह सीट छोड़ने की पेशकश भी कर दी थी। फिर अहमद पटेल ने 1980 और 1985 का चुनाव भी भरूच से जीत कर अपनी जीत की तिकड़ी बना दी, 1989 में वे राज्यसभा के लिए चुन लिए गए, फिर लगातार राज्यसभा में ही बने रहे पर भरूच से उनका नाता कभी टूटा नहीं, वे लगातार भरूच में सक्रिय रहे, जबकि भरूच राजपूतों के दबदबे वाली सीट है। राहुल गांधी ने कांग्रेस संगठन में 50 से कम उम्र के युवाओं को 50 फीसदी जगह देने का लक्ष्य रखा है, यही वजह है कि मुमताज को भी लगता है कि उन्हें कांग्रेस संगठन में कुछ बड़ा मिलने जा रहा है।

Comments Off on सक्रिय राजनीति में आएंगी अहमद पटेल की बेटी मुमताज

केसीआर व भाजपा में क्या गुप्त डील है?

Posted on 11 July 2023 by admin

कभी भाजपा के खिलाफ देशभर में घूम-घूम कर अलख जगाने वाले चंद्रशेखर राव ने क्यों इतना बड़ा सियासी ’यू-टर्न’ ले लिया है? क्यों यूं अचानक शराब घोटाले में उनकी बेटी कविता पर जांच एजेंसियों की लटकती तलवारों की धार कुंद पड़ गई हैं? क्या केसीआर अब अंदरखाने से भाजपा की मदद को प्रस्तर हैं? जैसे पिछले दिनों जब केसीआर महाराष्ट्र के पंढरपुर के विट्ठल रूक्मिणी मंदिर में अपने 600 गाड़ियों के काफिले के साथ पूजा अर्चना को पहुंचे तो एक नया सियासी समीकरण भी वहां अंगड़ाई लेते दिखा। पूजा अर्चना के बाद केसीआर ने बकायदा वहां एक रैली कर अपना शक्ति प्रदर्शन भी कर दिया। कहते हैं महाराष्ट्र में महाअघाड़ी गठबंधन को चुनौती देने के लिए केसीआर का भाजपा के साथ एक गुप्त समझौता हो गया है। जिसके तहत वे पूरे महाराष्ट्र में अपने उम्मीदवार खड़े कर रहे हैं, जिससे महाअघाड़ी के वोट बैंक में सेंध लगाई जा सके, वैसे भी महाराष्ट्र के विदर्भ में तेलुगू भाषियों की एक अच्छी खासी तादाद है, बदले में भाजपा तेलांगना में केसीआर की राहों में कांटे नहीं बिछाएगी और जरूरत पड़ने पर उनकी पुत्री कविता को भी अभयदान मिल सकता है।

Comments Off on केसीआर व भाजपा में क्या गुप्त डील है?

थोकभाव में भाजपा सांसदों के टिकट कटेंगे

Posted on 11 July 2023 by admin

एक ओर जहां विपक्षी एका की कोशिशों का महाकुंभ चल रहा है, वहीं भाजपा भी अपनी चुनावी तैयारियों को चाक-चौबंद कर रही है। इस संदर्भ में पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने लगभग इस बात पर मुहर लगा दी है कि ’2024 के चुनाव में पार्टी अपने 70प्लस सांसदों को अलविदा कह देगी और उनकी जगह नए चेहरों को मैदान में उतारा जाएगा।’ इसके अलावा पार्टी के मौजूदा 25 फीसदी सांसदों के टिकट कटना भी तय माना जा रहा है। इसके लिए भाजपा ने अपने तमाम मौजूदा सांसदों की रिपोर्ट कोर्ड भी तैयार कर ली है। यूपी में भाजपा ने सभी 80 सीटों को जीतने का लक्ष्य रखा गया है। जिन 70 प्लस नेताओं के सिर पर टिकट कटने की तलवार लटक रही है, वे हैं सत्यदेव पचौरी, वीके सिंह, हेमा मालिनी, रीता बहुगुणा जोशी, रमापति राम त्रिपाठी, संतोष गंगवार, जगदंबिका पाल और सत्यपाल सिंह के अलावा पहलवानों के विरोध का ताप झेल रहे बृजभूषण शरण सिंह का भी टिकट कट सकता है। बिहार के मौजूदा 17 में से 6 सांसदों के टिकट कट सकते हैं, जिसमें गिरिराज सिंह, अश्विनी चौबे, आरके सिंह, राधा मोहन सिंह, रमा देवी और रवि शंकर प्रसाद के नाम शामिल हो सकते हैं। अश्विनी चौबे मौके की नज़ाकत को भांपते हुए पहले से ही अपने बेटे अर्जित शाश्वत के टिकट के लिए हाथ पैर मार रहे हैं। बताया जा रहा है कि गुजरात के 10, कर्नाटक से 9, महाराष्ट्र से 8, झारखंड के 2, मध्य प्रदेश के 5 और राजस्थान के भी 5 मौजूदा भगवा सांसदों के टिकट कटने लगभग तय है। टिकट काटने का यह सिलसिला आने वाले 5 राज्यों के विधानसभा चुनावों से ही शुरू हो सकता है। संघ भी इस बात का पक्षधर बताया जाता है कि ’मध्य प्रदेश जैसे हिंदी पट्टी के बड़े राज्यों में नए और फ्रेश चेहरों पर ही दांव लगाया जाए’, रिपोर्ट है कि मध्य प्रदेश के भी 40 मौजूदा भाजपा विधायकों के टिकट कट सकते हैं।

Comments Off on थोकभाव में भाजपा सांसदों के टिकट कटेंगे

क्या राहुल को दुल्हा बनाने के लिए विपक्ष तैयार है?

Posted on 11 July 2023 by admin

’क्या यह मौसम बदलने की आहट है
मेरे सिर पर धूप व हाथों में छतरी है’

पटना में इस 23 जून को जब विपक्षी एका का नया मंजर सजा तो जाने-अनजाने राहुल गांधी ने महफिल लूट ली। 15 विपक्षी दलों का जो कुनबा सजा था, उसमें 13 दलों में से सिर्फ राहुल को ही रिसीव करने सीएम नीतीश ने अपने मंत्रियों के दल-बल के साथ पटना एयरपोर्ट पर मज़मा लगाया था। नीतीश चाहते थे कि ’राहुल की अगवानी कर वे उन्हें सीधे एयरपोर्ट से अपने सीएम निवास ले जाएं, जहां विपक्षी एका की बैठक आहूत थी।’ पर वक्त की बेवफाईयों ने राहुल को भी शातिर बना दिया है, वे टीम नीतीश को गच्चा देकर सीधे सदाकत आश्रम जा पहुंचे, जहां कांग्रेसियों की भारी भीड़ जमा थी, देश के प्रथम राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद को संदर्भित करते हुए राहुल ने तुर्रा उछाला कि ’कांग्रेस के डीएनए में ही बिहार है।’ राहुल ने यह भी कहा कि ’जब अपनी भारत जोड़ो यात्रा के दौरान वे दक्षिण भारतीय राज्यों से गुज़र रहे थे तो वहां भी बिहार के लोगों की भारी भीड़ ने उनका स्वागत किया था।’ सबसे खास बात तो यह कि बिहार कांग्रेस ने राहुल के आने को खासा प्रचारित नहीं किया था कि राहुल सदाकत आश्रम आकर कांग्रेस कार्यकर्ताओं को संबोधित करेंगे, बावजूद इसके राहुल की सभा में कांग्रेसी उमड़ पड़े। विपक्षी एका की इस अहम बैठक में लालू यादव आधा घंटा पहले ही नीतीश के घर पहुंच गए, इससे एकबारगी उन कयासों पर भी विराम लग गया कि राज्य में राजद और जदयू के बीच एक कुछ ठीक नहीं चल रहा है। ममता बनर्जी पहले लालू के घर पहुंचीं जो बिहार के इस खांटी नेता के महत्व को बताने के लिए काफी था। लालू ने एक तरह से पूरी महफिल लूट ली, वे झकाझक सफेद कुर्ता-पाजामा में नज़र आए और उन्होंने लगे हाथ मुनादी भी कर दी कि वे ’अब बिल्कुल फिट हैं।’ लालू ने राहुल की शादी की बात छेड़ कर एक तरह से यह इशारा भी दे दिया कि ’2024 में विपक्ष में दूल्हे का सेहरा राहुल के सिर ही सजेगा।’ जैसा कि इस कॉलम में सबसे पहले इस रहस्य से पर्दा उठाया गया था कि कांग्रेस चाहती है कि ’विपक्षी एका की अगली मीटिंग किसी कांग्रेस शासित राज्य में हो’, कांग्रेस ने अपनी ओर से दो विकल्प भी सुझाए थे शिमला या फिर जयपुर, अंततः शिमला के नाम पर इस बैठक मुहर लग गई।

Comments Off on क्या राहुल को दुल्हा बनाने के लिए विपक्ष तैयार है?

Download
GossipGuru App
Now!!