Archive | February, 2021

मोदी के लिए पंजाबी गाना

Posted on 07 February 2021 by admin

किसान आंदोलन की तीव्रता और पंजाब में उसके असर की व्यापकता को देखते हुए आसन्न पंजाब चुनाव में मोदी की लोकप्रियता को नया आसमां मुहैया कराने के लिए, कुछ शानदार गानों का निर्माण हो रहा है। सूत्र बताते हैं कि इन गानों का कुल बजट 14 करोड़ रूपयों के आसपास है। सूत्र यह भी बताते हैं कि इन गानों को तैयार करने की जिम्मेदारी पंजाबी संगीत के तीन चमकते सितारों को सौंपी गई है। यह तिकड़ी है जानी जोहन, बी प्राक और अरविंद खेड़ा की, इन तीनों ने देसी मेलोडीज़ नामक कंपनी बनाई हुई है। इस टीम के अगुआ हैं भठिंडा के 31 साल के जानी जोहन, जो गीतकार और म्यूजिक कंपोजर हैं, बी प्राक यानी प्रतीक बच्चन जो चंडीगढ़ के रहने वाले एक नामचीन गायक हैं, जिन्होंने अक्षय कुमार के लिए ’ फिलहाल…’ और ’केसरी’ फिल्म में ’तेरी मिट्टी में…’ जैसे हिट गाने गाए हैं, इस टीम के एक अन्य प्रमुख सदस्य हैं अरविंद खेड़ा जो इन गानों के म्यूजिक वीडियो बनाते हैं, ’फिलहाल’ गाने को भी इन्होंने ही डायरेक्ट किया है। पीएम मोदी की इमेज को प्रोजेक्ट करने के लिए यह तिकड़ी दिन-रात काम कर रही है, क्योंकि पंजाब विधानसभा चुनाव में अभी मात्र एक वर्ष का समय जो बचा है।

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क्यों वापिस लौटने लगे किसान?

Posted on 07 February 2021 by admin

’उड़ने का हुनर कहां मालूम था, तो जेब में तितलियां भर कर चले
आसमां-आसमां तुम खेलते रहे, और हम हवाओं संग उड़ चले’

26 जनवरी को जैसे ही किसानों का आंदोलन उग्र होकर बेपटरी हुआ या कर दिया गया, तो मजमून भांपते योगी सरकार ने प्रशासन से आनन-फानन में गाजीपुर बॉर्डर खाली कराने को कहा, किसान नेता राकेश टिकैत प्रशासन से हाथ जोड़ कर गुजारिश कर रहे थे कि उन्हें बॉर्डर खाली करने के लिए एक-दो दिन का वक्त दिया जाए। पर इसी बीच केंद्र सरकार के रणनीतिकारों ने राकेश टिकैत के बड़े भाई नरेश टिकैत से अपने तार जोड़ लिए। नरेश टिकैत बालियान खाप पंचायत के मुखिया होने के साथ-साथ भारतीय किसान यूनियन के मौजूदा राष्ट्रीय अध्यक्ष भी हैं, सो नरेश टिकैत ने 27 तारीख को आनन-फानन में आंदोलनकारी किसानों के समक्ष यह फरमान जारी कर दिया कि किसान अपने-अपने घरों को लौट जाएं, क्योंकि भानु प्रताप सिंह गुट ने भी किसानों से यही आह्वान कर रखा था, अपने नेताओं के आह्वान पर किसान अपने-अपने घरों को लौटने लगे। वहीं सिंधु और टीकरी बॉर्डर पर जमे किसानों की नज़र टिकैत बंधुओं पर टिकी थी, इसी बीच राकेश टिकैत की रोते हुए वीडियो वायरल हो गई, इस वीडियो को देख वेस्टर्न यूपी के किसान पुनः धरना स्थल की ओर वापिस लौटने लगे, नरेश टिकैत को तब पासा पलटता हुआ दिखा तो उन्हें शुक्रवार को मुजफ्फरनगर के किसान महापंचायत में भरे मन और द्विविधाग्रस्त अवचेतन से यह घोषणा करनी पड़ गई कि ‘मेरे भाई के आंसू व्यर्थ नहीं जाएंगे।’ इसके बाद हजारों की तादाद में किसान वापिस दिल्ली की ओर कूच करने लगे, यह एक ऐतिहासिक भीड़ थी, किसानों की एकजुटता के सियासी मायने निकाले जाने लगे। पश्चिमी यूपी के जाट किसानों के इतने भारी उत्साह को देखते हुए सोशल मीडिया पर यह दावा होने लगा कि वीएम सिंह और भानु प्रताप की किसान राजनीति खतरे में आ गई है, पर नरेश टिकैत के आखिरी वक्त का पैंतरा उनके काम आ गया।

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…और अंत में

Posted on 07 February 2021 by admin

किसानों की 7 दिसंबर की ट्रैक्टर रैली को सफल बनाने में हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की भी एक प्रमुख भूमिका मानी जा सकती है। इससे पहले किसानों को दिल्ली आने से रोकने के लिए खट्टर सरकार ने बड़े पैमाने पर पुलिस बल का इस्तेमाल किया था, लाठियां चली, किसानों पर आंसू गैस छोड़े गए, पुलिस प्रशासन ने किसानों के ट्रैक्टर को रोकने के लिए जगह-जगह सड़कें खोद दीं। जिसके चलते हरियाणा सरकार को समर्थन दे रहे विधायकों के एक वर्ग, खास कर दुष्यंत चौटाला की पार्टी में खासा असंतोष था। इस बार खट्टर जब बदली भाव-भंगिमाओं के साथ किसानों से पेश आएं तो उन्हें दिल्ली तलब कर लिया गया और शुक्रवार को हाईकमान ने उनकी अच्छी-खासी क्लास ली।

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किस राह जाएगा किसान आंदोलन

Posted on 07 February 2021 by admin

दिल्ली की बर्फीली बारिश और सरकार के ठंडे रूख के बाद भी किसान आंदोलन की गर्मी जस की तस बनी हुई है। कई दौर की बातचीत की विफलताओं के बाद जहां सरकार अदालत की ओर टकटकी लगाए देख रही है, वहीं किसान नेताओं को लगता है उनकी सुनवाई अदालत में नहीं, जनतंत्र के मंदिर में होनी चाहिए, हालांकि शुरूआत में अदालत का रूख आंदोलन के पक्ष में लग रहा है, पर किसानों को लगता है कि जनतंत्र की सबसे बड़ी खूबसूरती यही है कि अपने हक-हूकूक की बात सड़कों पर भी की जा सकती है। 26 जनवरी के दिन किसान एक लाख ट्रैक्टर के साथ रैली निकालने की बात कर रहे हैं, एक किसान नेता कहते हैं कि उनके पास धरने पर बैठने के लिए मई तक का राशन है और उससे भी कहीं बड़ा हौंसला है, सरकार अब से पहले जहां 40 से ज्यादा यूनियन के नेताओं से बात
कर रही थी, अब इन यूनियन की संख्या बढ़ कर 100 के पार जा चुकी है यानी विरोध बढ़ रहा है और विरोध करने वालों के हौंसले भी।

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दिले नादां तुझे हुआ क्या है

Posted on 07 February 2021 by admin

बंगाल में भाजपा को सौरभ गांगुली से ढेर सारी उम्मीदें थीं, पर ऐन वक्त उनकी उम्मीदों को पलीता लग गया। बंगाल में भाजपा और उनके शीर्ष नेताओं ने पूरी ताकत झोंक रखी है, इसके नतीजे भी दिख रहे हैं, दीदी की पेशानियों पर चिंता की लकीरें हैं। वहां माहौल भी किंचित भगवा-भगवा है। बस भाजपा के समक्ष एक ही महती चुनौती है कि उसके पास मुख्यमंत्री के तौर पर बंगाल में पेश किया जा सकने वाला कोई मुफीद चेहरा नहीं है। भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व सलामी बल्लेबाज और बीसीसीआई के मौजूदा अध्यक्ष सौरभ गांगुली भाजपा की उम्मीदों को नया आसमां मुहैया करा सकते थे। पर पिछले कुछ समय से वे खासे मानसिक दबाव में थे, यूं भी वे विचारों से वामपंथियों के ज्यादा करीब हैं, बंगाल में रह कर वे ममता दीदी से भी बैर नहीं चाहते थे और उनके घर में भी, खास कर उनकी लाडली बेटी भाजपा और संघ के विचारों का खुल कर विरोध करती रही है। ऐसे में अचानक सौरभ का यूं बीमार पड़ जाना कईयों को हैरत में डाल गया, यहां तक कि बंगाल के राज्यपाल ओपी धनखड़ भी अस्पताल में सौरभ से मिल कर बाहर निकले तो उन्हें भी वे फिट लगे।

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रजनी ने अपने पैर पीछे क्यों खींच लिए?

Posted on 07 February 2021 by admin

तमिल फिल्मों के सुपर स्टार रजनीकांत पिछले 2 वर्षों से लगातार अपनी राजनैतिक पार्टी की जमीन तैयार करने में जुटे थे, 31 दिसंबर 2017 को बकायदा उन्होंने राजनीति में आने और अपनी नई पार्टी बनाने का ऐलान भी कर दिया था। उनकी योजना पिछले वर्ष अपनी पार्टी लांच करने की थी, उन्होंने भाजपा से जुड़े रा. अर्जुनामूर्ति को इस नई पार्टी का संयोजक भी बना दिया था, और गांधी मक्कल इयाकम के संस्थापक तनिलस्वी मन्नियन को अपनी पार्टी का काम देखने की जिम्मेदारी भी सौंप दी थी। सूत्र बताते हैं कि रजनीकांत का पीएम मोदी से एक अतिरिक्त लगाव भी था और वे एक पार्टी के तौर पर भाजपा को पसंद भी करते थे। भाजपा और संघ की ओर से एस. गुरूमूर्ति लगातार रजनीकांत के संपर्क में थे। सूत्र बताते हैं कि रजनी लगातार एक के बाद एक राज्य में जनमत सर्वेक्षण करवा रहे थे और उन सर्वेक्षणों में उन्हें भगवा कमल के पूर्ण प्रस्फुटन का आभास नहीं मिल पा रहा था। सूत्रों की मानें तो उन्होंने तब अपनी नई पार्टी में अपना सब कुछ झोंकने का इरादा छोड़ दिया, सूत्र यह भी बताते हैं कि रजनी की पत्नी लता रजनीकांत ने तब गुरूमूर्ति से मिल कर अपनी पार्टी खड़ी करने के लिए एक बड़ी आर्थिक मदद मांगी, इस बाबत गुरूमूर्ति ने भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व से बात भी की, पर मामला बना नहीं। भाजपा नेतृत्व को लग रहा था कि जो पार्टी अभी बनी ही नहीं उस पर इतना बड़ा दांव लगाना ठीक नहीं, मामले की नज़ाकत को भांपते हुए रजनीकांत ने भी अपने पैर पीछे खींच लिए।

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नेताजी के जन्मदिन को खास बनाने की तैयारी

Posted on 07 February 2021 by admin

23 जनवरी को नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती है, इस मौके को यादगार बनाने के लिए स्वयं प्रधानमंत्री कोलकाता जा रहे हैं, जहां पीएम एक बड़ी जनसभा को संबोधित करेंगे। भाजपा की योजना पीएम के इस उद्बोधन को बंगाल के गांव-गांव तक पहुंचाने की है, इसके लिए विभिन्न न्यूज चैनल पर इस भाषण का लाइव प्रसारण होगा, सोशल और डिजिटल मीडिया के माध्यम से आम जन के मोबाइल तक इस भाषण की पहुंच बनाई जाएगी, भाजपा के कार्यकर्ता और नेता गांव-चैबारों में यह सुनिश्चित करेंगे कि मोदी की बात सुनने से कोई बंगालवासी वंचित न रह जाए। स्वयं पीएम मोदी भी बंगाल चुनाव को किंचित बड़ी गंभीरता से ले रहे हैं, यहां तक कि इस दफे पीएम ने बंगाल की मुख्यमंत्री को उनके जन्मदिन के मौके पर अपना कोई बधाई संदेशा भी नहीं भेजा। वहीं दूसरी ओर ममता बनर्जी भी नेताजी की सवा सौवीं जयंती को यादगार बनाने के प्रयासों में जुटी हैं। ममता ने नेताजी के भतीजे सुब्रतो बोस, नोबल विजेता और बंगाल के कई नामचीन कलाकारों को लेकर एक कमेटी बनाई है, जो यह सुनिश्चित करेगी कि कैसे नेताजी के जन्म दिवस को यादगार बनाया जाए। दीदी की योजना नेताजी के नाम पर
हावर्ड की तरह एक अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय स्थापित करने की है। 21 मार्च के दिन स्वयं ममता एक बड़े पैदल मार्च का नेतृत्व करेंगी, यह पैदल मार्च नेताजी के घर से निकल कर सुभाष चौक तक जाएगा। चुनावी मौसम में नेताजी की याद आनी उतनी ही लाजिमी है।

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