Archive | मुख्य

भाजपा की नई चुनावी रणनीति

Posted on 11 July 2023 by admin

भाजपा ने मध्य प्रदेश में अपनी चुनावी रणनीति को नई धार देनी शुरू कर दी है, राज्य में जनमत सर्वेक्षण मनमाफिक न आने के बाद पार्टी हाईकमान ने एक नई रणनीति को परवान चढ़ाया है, इस नीति के तहत जिन सीटों पर कांग्रेस के मजबूत बागी मैदान में होंगे भाजपा उन्हें आर्थिक मदद देगी जिससे कि वे अधिकृत कांग्रेस प्रत्याशी की नाक में दम कर सके। कुछ मजबूत प्रत्याशियों को कांग्रेस उम्मीदवार के मुकाबले खड़ा भी करवाया जा सकता है। बुंदेलखंड क्षेत्र में बसपा में विद्रोह की स्थिति है, भाजपा ने अभी से यहां बागी बसपा नेताओं की शिनाख्त शुरू कर दी है, भाजपा इन्हें भी साजो-सामान से लैस कर कांग्रेस उम्मीदवारों के खिलाफ मैदान में उतार सकती है।

Comments Off on भाजपा की नई चुनावी रणनीति

नौकरशाही पर भगवा मुलम्मा

Posted on 11 July 2023 by admin

देश के नौकरशाही भले ही इस बात पर लाख इतरा ले कि सारा राज-काज वही चला रहे हैं, तो वे कान खोल कर सुन लें कि सत्तारूढ़ भाजपा ने उन्हें अपने सांचे में फिट करने का पक्का बंदोबस्त कर लिया है। सूत्र बताते हैं कि भाजपा 2024 के चुनाव में 50 से ज्यादा मौजूदा या रिटायर्ड ब्यूरोक्रेट्स को चुनावी मैदान में उतार सकती है। सूत्र यह भी बताते हैं कि भाजपा के संगठन महासचिव बीएल संतोष और पार्टी महासचिव विनोद तावड़े की अगुवाई में एक टीम गठित की गई है, जिन्होंने देश भर में घूम-घूम कर ऐसे लोकप्रिय नौकरशाहों की शिनाख्त पूरी कर ली है। इस कड़ी में कुछ नाम उभर कर सामने आ रहे हैं, उनमें से एक नाम पूर्व आईएएस अधिकारी परवीन सिंह परदेसी का भी है, जो फिलहाल नीति आयोग की शोभा बढ़ा रहे हैं, उन्हें महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र से भाजपा का टिकट मिल सकता है। राधेश्याम मोपलवार जो मराठवाडा में पानी पंचायत से लोकप्रिय हुए थे, ये एकनाथ शिंदे की पसंद बताए जाते हैं, इन्हें भी चुनावी मैदान में उतारने की तैयारी है। वहीं परवीन सिंह परदेसी की निकटता देवेंद्र फड़णवीस से जगजाहिर है। इसके अलावा मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह को हरियाणा या राजस्थान के किसी गुर्जर बहुल सीट से मैदान में उतारा जा सकता है। इनका नंबर यूपी या महाराष्ट्र से भी लग सकता है।

Comments Off on नौकरशाही पर भगवा मुलम्मा

मूर्ति में माया

Posted on 11 July 2023 by admin

पिछले दिनों बसपा प्रमुख मायावती ने अपने लखनऊ स्थित पार्टी कार्यालय से डॉ. आंबेडकर और मान्यवर कांशीराम की मूर्तियां हटवा दीं और इन्हें शिफ्ट कर अपने सरकारी आवास में लगवा दिया है, इसके साथ ही मायावती ने अपनी मूर्ति बनाने का भी ऑर्डर दे दिया है, माना जाता है कि माया मेमसाहब की मूर्ति डॉक्टर और मान्यवर की मूर्तियों के ठीक बीच में लगाई जाएगी। पार्टी मुख्यालय से इन दोनों मूर्तियों को हटाने के पीछे यह तर्क दिया जा रहा है कि बहिनजी इन दिनों कभी पार्टी कार्यालय जाती ही नहीं थीं, बसपा का सारा काम-धाम वह अपने सरकारी निवास से ही कर लेती हैं। पर पार्टी सिरमौर के मूर्ति हटाने के निर्णय का विरोध पार्टी में ही शुरू हो गया है, कभी बहिनजी के खास विश्वासपात्रों में शुमार होने वाले कुंवर फतेह बहादुर ने इस विरोध की अलख जगा दी है। वहीं बहिनजी इन दिनों बसपा नेताओं और कार्यकर्ताओं से अक्सर कहते सुनी जा सकती हैं कि ’बाबा साहेब और कांशीराम जी कहते थे कि दलितों का उत्थान तभी हो सकता है जब वह सत्ता के साथ रहे।’ बहिनजी का यह ताजा उद्घोष कहीं इस बात का संकेत तो नहीं कि वह 2024 के चुनाव में भाजपा के साथ जाने की इच्छुक हैं?

Comments Off on मूर्ति में माया

24 की टंकार और संभावनाओं के खुलते नए द्वार

Posted on 11 July 2023 by admin

’विदा लेती शाम ने आसमां के कोतवाल से बस यही चाहा था,
जब अंधेरों का श्रृंगार किए यह पंख फैलाती रात जमीं पर उतरे
तो चांद का मुंह काला ना हो, पर नासमझ मेघों ने यह भी ना होने दिया’

जैसे-जैसे 2024 के आम चुनाओं की बेला करीब आ रही है, भगवा सियासत भी रोज़बरोज़ नए रूप-रंग धर रही है। सियासी फिज़ाओं में बदलाव के बारूद सुलग रहे हैं, सो भाजपा अभी से लोकसभा की एक-एक सीट के जोड़-घटाव में लग गई है। कई नए कायदे-कानून गढ़े जा रहे हैं, जैसे राज्यसभा के कोटे से मोदी सरकार में सुशोभित होने वाले मंत्रियों से कह दिया गया है कि वे अपने-अपने गृह राज्यों में अपने लिए माकूल सीट तलाश लें, जहां से उन्हें लोकसभा का अगला चुनाव लड़ना है। नरेंद्र मोदी जब 2014 में भाजपा के एकमेव
चेहरा बने थे तभी उन्होंने तय कर लिया था कि किसी भी पार्टी नेता को राज्यसभा का टर्म 2 बार से ज्यादा नहीं मिलेगा, पूर्व केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी भी उनके इसी सूत्र वाक्य की बलि चढ़ गए। मोदी का एक और सूत्र वाक्य भगवा सुर्खियों में जगह बना गया कि 75 पार के नेताओं को मंत्री पद नहीं मिलेगा, इसके शिकार कर्नाटक में येदियुरप्पा भी हुए, उन्हें सीएम पद छोड़ना पड़ा और जाते-जाते उन्होंने इस बार कर्नाटक में भाजपा की संभावनाओं पर पलीता लगा दिया। इस हिसाब से 2024 का आम चुनाव भाजपा के स्टार चेहरे मोदी का भी आखिरी चुनाव हो सकता है, 17 सितंबर 1950 में जन्मे मोदी का 75वां वर्ष 2024 से शुरू हो जाएगा सो, भाजपा के रणनीतिकार अभी से 2024 के सापेक्ष में मंथन बैठकों में जुट गए हैं। इन बैठकों से निकली यह प्रतिध्वनियां भी अब साफ सुनाई देने लगी हैं कि यूपी, राजस्थान, मध्य प्रदेश जैसे हिंदी पट्टी के बड़े राज्यों में एक-तिहाई से ज्यादा मौजूदा सांसदों के टिकट कट सकते हैं। वहीं यूपी सरकार के कुछ मंत्रियों और विधायकों को भी लोकसभा चुनाव के टिकट मिल सकते हैं। इस सूची में आप जितिन प्रसाद, राजेश्वर सिंह, ब्रजेश पाठक, केशव प्रसाद मौर्य व दिनेश प्रताप सिंह के नाम रख सकते हैं। पूर्व ईडी अफसर राजेश्वर सिंह अमित शाह की निजी पसंद बताए जाते हैं। राजेश्वर सिंह की नज़र सुल्तानपुर सीट पर बतायी जाती है, अभी मेनका गांधी वहां की मौजूदा सांसद हैं।

Comments Off on 24 की टंकार और संभावनाओं के खुलते नए द्वार

फिर से भाजपा के करीब आते चंद्रबाबू

Posted on 11 July 2023 by admin

कहते हैं राजनीति में कुछ भी चिर स्थायी नहीं होता, न दुश्मनी, ना मित्रता। इतने वर्षों से जगनमोहन रेड्डी के नखरे उठा रही मोदी सरकार अब आंध्र को लेकर एक बदले तेवर में दिख रही है। इसकी सुगबुगाहट का तब अंदाजा हुआ जब दक्षिण की एक जनसभा में केंद्रीय गृह मंत्री अमित ‘ााह ने पहली बार आंध्र के सीएम जगनमोहन रेड्डी को आड़े हाथों लेते हुए कहा-‘जगनमोहन सरकार ने राज्य में कुछ काम नहीं किया है, सिवाय भ्रष्टाचार के। दिल्ली की मोदी सरकार आंध्र को जो पैसे भेजती है जगन का काडर उसे लूट लेता है।’
‘ााह के इस ‘ांखनाद में भविष्य की राजनीति की आहटें छुपी हैं। दरअसल, 2014 के आम चुनाव में नायडू की तेदेपा और भाजपा के बीच गठबंधन था, जिसमें भाजपा 3 सीट जीत गई थी। पर 2018 में चंद्रबाबू ने भाजपा से अपना नाता तोड़ लिया था। पर अब पिछले एक वर्ष से चंद्रबाबू अपने गृह राज्य में अपनी खोई जमीन हासिल करने की जद्दोजहद में दिल्ली आकर भाजपा के ‘ाीर्ष नेताओं के खूब चक्कर काट रहे हैं। इस राष्ट्रपति चुनाव में भी चंद्रबाबू की तेदेपा ने एनडीए की राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मु का खुला
समर्थन किया था। भाजपा दक्षिण भारत में अपने कमजोर होते जनाधार से पार पाना चाहती है, सो अगर ऐसे में उसे चंद्रबाबू का साथ मिला तो आने वाले तेलांगना विधानसभा चुनाव में भी वह चंद्रशेखर राव के समक्ष महती चुनौती उपस्थित कर सकती है क्योंकि तेलुगु देशम का तेलांगना के कुछ सीटों पर अब भी प्रभाव है। अगले साल मई में लोकसभा चुनाव के साथ-साथ आंध्र के विधानसभा चुनाव भी होने हैं जहां भाजपा चंद्रबाबू का साथ पाकर 2014 का इतिहास दुहराना चाहती है।

Comments Off on फिर से भाजपा के करीब आते चंद्रबाबू

कब बनेगी खड़गे की नई टीम

Posted on 11 July 2023 by admin

मल्लिकार्जुन खड़गे को कांग्रेस का अध्यक्ष बने 6 माह से भी ज्यादा वक्त गुज़र गया है, पर वे अब भी अपनी नई टीम का गठन नहीं कर पाए हैं। कहते हैं कि इसके पीछे खड़गे की संचालन समिति के वे 47 सदस्य खासे एक्टिव हैं, जो नहीं चाहते कि अपनी नई टीम की घोषणा के साथ पार्टी अध्यक्ष उनकी उपयोगिताओं को दरकिनार कर दें। सोनिया गांधी और राहुल गांधी की ओर से भी खड़गे पर दबाव है कि वे जल्द से जल्द अपनी नई टीम का ऐलान कर दें। कहते हैं इस बाबत पिछले 2-3 दिनों से खड़गे अपनी कोर टीम के साथ
मैराथन बैठक में जुटे हैं, जिससे कि वे अपनी नई टीम को एक चेहरा-मोहरा दे पाएं। सूत्र बताते हैं कि भूपिंदर सिंह हुड्डा को हरियाणा चुनाव में ‘फ्रीहैंड’ देने की तैयारी है। हुड्डा अपने पुत्र दीपेंद्र हुड्डा को पश्चिमी यूपी का प्रभार दिए जाने की लॉबिंग कर रहे हैं। राजनीति से संन्यास की इच्छा जता चुके उत्तराखंड के पूर्व सीएम हरीश रावत वर्किंग कमेटी का हिस्सा बने रहना चाहते हैं। मध्य प्रदेश कांग्रेस के दोनों पुराने व महत्त्वपूर्ण नेता यानी कमलनाथ और दिग्विजय सिंह 75 पार के हो गए हैं पार्टी अपने युवा व नए चेहरों को आगे लाना चाहती है, पर इसके लिए ये नेता द्वय तैयार नहीं दिखते। मध्य प्रदेश के ही एक युवा नेता जीतू पटवारी का नाम सामने आ रहा है, खड़गे उन्हें अपनी टीम में एक महत्त्चपूर्ण जिम्मेवारी सौंपना चाहते हैंं।

Comments Off on कब बनेगी खड़गे की नई टीम

वेणुगोपाल की चिट्ठी हिंदी में

Posted on 11 July 2023 by admin

ख्अभी पिछले दिनों यूपी के प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बृजलाल खाबरी के पास कांग्रेस के ‘ाक्तिशाली महासचिव के सी वेणुगोपाल का एक कथित पत्र हिंदी में पहुंचा, जिसमें वेणुगोपाल झांसी और जौनपुर के कार्यकारी जिलाध्यक्षों की नियुक्तियों को रद्द करने की बात कर रहे हैं, पर खाबरी को इस पत्र को लकर ‘ाुरू से एक संशय था सो उन्होंने वेणुगोपाल के इस पत्र की संस्तुतियों पर कोई भी कार्यवाही नहीं की। अमूमन वेणुगोपाल की ओर से जब कोई भी पत्र भेजा जाता है वह अंग्रेज़ी में होता है। कहा जाता है कि वेणुगोपाल को हिंदी नहीं आती और ऐसे में बताया जाता है कि दूसरे को यानी खाबरी को ठीक से अंग्रेज़ी नहीं आती, तो दोनों के बीच संवाद सेतु कायम कैसे हो? यही सबसे बड़ा सवाल है। वैसे भी वेणुगोपाल का आॅफिस कोई चिट्ठी भेजने के बाद संबंधित व्यक्ति को फोन भी कर देता है, पर इस बार खाबरी के पास कोई फोन नहीं आया। खाबरी समझते रहे कि उन्हें भेजा गया यह पत्र जाली है सो, झांसी और जौनपुर के कार्यकारी अध्यक्षों की कुर्सी अब तक सलामत बची है।

Comments Off on वेणुगोपाल की चिट्ठी हिंदी में

यूपी में कांग्रेस का पुनर्जागरण काल

Posted on 11 July 2023 by admin

जैसे-जैसे 24 के चुनाव की धमक करीब आती जा रही है विपक्षी नेतागणों को सीबीआई-ईडी जैसे जांच एजेंसियों की आंच भी सहनी पड़ सकती है। पुराने मामलों को खोदा जा रहा है नए मामले खंगाले जा रहे हैं। पिछले दिनों सपा के एक प्रमुख नेता रामगोपाल यादव के बेटे अक्षय यादव और उनकी पत्नी ऋचा यादव पर ’फाइनेंशियल इंबेज़लमेंट’ का मामला सामने आया है जिसके सूत्र एक अहम जांच से जुड़े बताए गए हैं। इस जांच की आंच अखिलेश यादव पर भी पड़ सकती है। वैसे भी यूपी में सपा के ढुलमुल रवैए को देखते हुए यह कहा जा रहा है कि सपा भी अब जांच एजेंसियों के दबाव में बसपा की राह चल पड़ी है। ऐसे में यह कयास लगाए जा रहे हैं कि सपा के कोर वोटर मुसलमान उससे छिटक कर कांग्रेस का रुख कर सकते हैं। यूपी के मुस्लिम समुदाय को कहीं न कहीं ऐसा लग रहा है कि कांग्रेस ही देश की एकमात्र ऐसी पार्टी है जो भाजपा के दबाव के आगे न झुकी है, न टूटी है शायद इस ख्याल से यूपी में कांग्रेस का अवसान गीत गाने को आतुर लोगों को बैचेनियों ने घेर लिया है।

Comments Off on यूपी में कांग्रेस का पुनर्जागरण काल

कांग्रेस ने नीतीश के आगे क्या रखी है ‘ार्त?

Posted on 19 June 2023 by admin

’सिर्फ तेरा ही एक चेहरा मेरे तसव्वुर से झांकता रहा है,
मेरे ही चिल्मन में रहकर मुझको मुझी से मांगता रहा है’
विपक्षी एका का एक नया मैराथन शुरू हो गया है, जिसके शिल्पकार बने हैं बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार। 23 जून को पटना में विपक्षी एका की पहली बैठक आहूत है, जिसमें कांग्रेस की ओर से राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे दोनों बड़े नेता शाामिल हो सकते हैं। इसके अलावा इस बैठक में ‘शामिल होने के लिए ममता बनर्जी, ‘शरद पवार, अखिलेश यादव, हेमंत सोरेन और एम के स्टालिन जैसे बड़े विपक्षी नेताओं ने भी हामी भर दी है। बस दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और तेलांगना के सीएम केसीआर का पेंच अभी भी फंसा हुआ है। दरअसल, इसके पीछे कांग्रेस है जो नहीं चाहती कि वो इन दोनों नेताओं के साथ एक मंच पर दिखे। आने वाले कुछ महीनों में तेलांगना में भी विधानसभा के चुनाव होने हैं, ऐसे में कांग्रेस को डर है कि वह केसीआर के साथ साझा मंच षेयर करती नज़र आई तो राज्य में उसके वोट केसीआर की पार्टी ‘बीआरएस’ को ट्रांसफर हो सकते हैं। कांग्रेस का जोर इस बैठक को शिमला में आहूत कराने को लेकर था, पर जब नीतीश ने समझाया कि विपक्षी एका के इस नए गठबंधन का आगाज़ लोकनायक जयप्रकाश नारायण की धरती से होना चाहिए, जिन्होंने अपने नैतिक बल से तब कि सत्तारूढ़ दिल्ली की चूलें हिला दी थीं। कांग्रेस यह भी चाहती है कि यूपीए के स्थान पर जो नया गठबंधन आकार ले रहा है इसकी नियमित अंतराल पर बैठक हो। सूत्रों की मानें तो पटना के बाद इस गठबंधन की अगली बैठक किसी कांग्रेस ‘शासित राज्य मसलन हिमाचल प्रदेश या राजस्थान में हो सकती है। सूत्र यह भी खुलासा करते हैं कि इस नए गठबंधन का अध्यक्ष शरद पवार को बनाया जा सकता है और नीतीश इसके संयोजक हो सकते हैं।

Comments Off on कांग्रेस ने नीतीश के आगे क्या रखी है ‘ार्त?

गाज़ीपुर का नया गाज़ी कौन होगा?

Posted on 19 June 2023 by admin

उत्तर प्रदेश के गाज़ीपुर लोकसभा के सांसद रहे अफज़ाल अंसारी को जब एक मामले में कोर्ट से 4 साल की सजा मुकर्रर हुई तो इनकी लोकसभा की सदस्यता भी जाती रही। अब गाज़ीपुर उपचुनाव के लिए कमर कस रहा है। गाज़ीपुर लोकसभा सीट से 2014 का लोकसभा चुनाव जीतने वाले और यहां से 2019 का चुनाव हारने वाले जम्मू-कश्मीर के गवर्नर मनोज सिन्हा इस सीट पर अपनी पकड़ बरकरार रखने के लिए यहां से अपनी पुत्रवधु दीपाली या पुत्र अनुभव सिन्हा को भाजपा का टिकट दिलवाना चाहते हैं, वहीं यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपने सजातीय और सपा के प्रमुख नेता रहे राधेमोहन सिंह को यहां से मैदान में उतारना चाहते हैं। कभी गाज़ीपुर भूमिहार बाहुल्य सीट हुआ करती थी, पर परिसीमन में यहां की दो प्रमुख भूमिहार सीटें मोहम्मदाबाद और जहुराबाद बलिया में शामिल हो गईं और अब गाज़ीपुर में राजपूत और यादव वोट निर्णायक हो गए हैं। वैसे भी योगी का तर्क है कि गाज़ीपुर के 19 प्रतिशत यादव वोट और 10 फीसदी मुस्लिम वोट की काट बस राजपूतों के पास ही है। इस सीट पर चंद्रशेखर के पुत्र और राज्यसभा सांसद नीरज शेखर की भी नज़र है, दावा तो वीरेंद्र सिंह मस्त का भी है पर महाठग संजय षेरपुरिया के धरे जाने से मनोज सिन्हा की पकड़ गाज़ीपुर सीट पर कमजोर हो गई है, क्योंकि षेरपुरिया के बारे में दावा किया जा रहा था कि वे सिन्हा के करीबियों में शामिल रहे हैं। 2019 के चुनाव से पहले सिन्हा ने जो चुनाव आयोग को अपना हलफनामा दिया था बताया जा रहा है कि उसमें इस बात का भी जिक्र है कि चुनावी खर्चे के लिए उन्होंने तब षेरपुरिया से 25 लाख रुपयों का कर्ज भी लिया था।

Comments Off on गाज़ीपुर का नया गाज़ी कौन होगा?

Download
GossipGuru App
Now!!