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…और अंत में

Posted on 16 March 2010 by admin

भाजपा के नव निर्वाचित अध्यक्ष नितिन गडकरी ने अपने मराठी भाई-बहनों, नेताओं और पत्रकारों को साफ ताकीद कर दी है कि जब तक गडकरी साहब महाराष्ट्र की पावन धरती पर होंगे, बस तब तक ही मराठी में बात करेंगे और अगर एक बार वे महाराष्ट्र राज्य की सीमा पार कर जाते हैं तब उनकी बोलचाल की जुबान हिंदी होगी। सो उन्होंने अपने मराठी भाई-बहनों से आह्वान किया है कि वे महाराष्ट्र से बाहर उनसे सिर्फ हिंदी या अंग्रेजी में ही बात करें गडकरी साहब ने अपने मराठी मानुष को यह भी याद दिलाया है कि अब वे एक राष्ट्रीय पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं।

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गोरखपुर के बदले सुर

Posted on 16 March 2010 by admin

इसके बाद दिग्गी राजा ने अपने बस्ते से एजेंडा गोरखपुर निकाला। यानी कि कैसे राहुल भाजपा के भगवा योगी आदित्यनाथ का किला ध्वस्त करें, सो राहुल की गोरखपुर यात्रा का आनन-फानन में ताना-बाना बुना जाने लगा, तब तक इस बाबत आइबी की एक गुप्त रिपोर्ट आ गई कि अगर मुसलमानों को लुभाने के लिए राहुल गोरखपुर जाते हैं तो इस पर हिंदुओं में प्रतिक्रिया हो सकती हैं और वहां सांप्रदायिक तनाव बढ़ सकता है जिसका फायदा भाजपा को मिल सकता है। इस रिपोर्ट के आते ही राहुल की प्रस्तावित गोरखपुर यात्रा पर भी विराम लग गया।

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राज्यसभा की आस

Posted on 16 March 2010 by admin

पत्रकार और भाजपा नेता अरुण शौरी की राज्यसभा सदस्यता समाप्त होने वाली है, देखना दिलचस्प रहेगा कि पार्टी उनके साथ क्या सलूक करती है, उन्हें फिर से राज्यसभा में लाया जाएगा या फिर बाहर का दरवाजा दिखाया जाएगा। यूं तो मुख्तार अब्बास नकवी को भी पार्टी संसदीय बोर्ड और चुनाव समिति ने आश्वस्त किया हुआ है कि चाहे जिस राज्य से राज्यसभा की सीट आए मुख्तार का नंबर जरूर लगेगा। वैसे तो यूपी भाजपा के वरिष्ठ नेता केशरीनाथ त्रिपाठी को अडवानी ने राज्यसभा से उपकृत करने का आश्वासन दिया हुआ है, वहीं अडवानी दरबार में चंदन मित्रा भी रोजबरोज हाजिरी लगा रहे हैं। वहीं पीयूष गोयल को स्वयं नितिन गडकरी ने राज्यसभा में लाने का भरोसा दे रखा है, लाइन में तो किरीट सोमैया भी हैं। नजमा आपा का इंतजार भी दुश्वार हुआ जाता है, नजमा हेपतुल्लाह वैसे तो अब राजस्थान से राज्यसभा में आना चाहती हैं, पर उनका नंबर लगे तब तो?

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खेल-खेल में क्रिकेट

Posted on 07 March 2010 by admin

ललित मोदी ने खेल-खेल में बड़े खेल सीख लिए हैं। उन्होंने अपने ड्रीम प्रोजेक्ट आईपीएल के ऊपर जब बीसीसीआई और अन्य आनुषांगिक संगठनों का शिकंजा कसते पाया तो सीधे उन्होंने अमरीका का रुख कर लिया है, जहां वे आईपीएल की तर्ज पर ही एक क्रिकेट लीग शुरू करना चाहते हैं, गेम प्लॉन यह है कि ऐसे में उनके ऊपर किसी बोर्ड का नियंत्रण नहीं रह जाएगा। समझा जाता है कि इस प्रस्तावित लीग का बोर्ड के सचिव श्रीनिवासन ने जमकर विरोध किया है। मोदी ने अपनी चतुर सुजान नीति को अमलीजामा पहनाते हुए गोवा की मीटिंग में आईपीएल के ब्रॉडकास्ट राइट के सौदे के लिए शरद पवार के दामाद सदानंद सूले के कंधे पर बंदूक रख दी। 20-20 क्रिकेट प्रसारण आईपीएल अधिकार सोनी को देने की एवज में क्रिकेट के इतिहास में पहली बार सुविधा शुल्क के नाम पर 400 करोड़ रुपए एक डब्ल्यूएसजी कंपनी को दिए गए और यह कोई छुपी बात नहीं कि कंपनी केर् कत्तर्ाधत्ता भी ललित मोदी ही हैं, सो घी चाहे जहां गिरे, गिरेगा तो चावल पर।

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राहुल की पाठशाला

Posted on 07 March 2010 by admin

कांग्रेस के देदीप्यमान नक्षत्र हैं राहुल बाबा, कांग्रेस के मान्य परंपराओं से दीगर उन्हें नई सियासी इबारत लिखने में दक्षता हासिल हैं, चुनांचे जब पिछले दिनों एक राज्य की राजधानी पहुंचे और वहां वे युवा कांग्रेसियों की एक सभा में शिरकत कर रहे थे तो वहां मौजूद एक युवा से वे इस कदर प्रभावित हो गए कि बाबा ने फौरन उस युवक को एक महती पेशकश कर दी थी ‘क्या वे उनकी यानी राहुल की टीम ज्वॉयन करना चाहेंगे?’ किसी बड़ी प्रबंधन संस्थान से पढ़ाई पूरी कर अभी-अभी एक नई कंपनी ज्वॉयन की थी उस युवक ने, सो उसने तनिक सकुचाते हुए राहुल की टीम यह कहते हुए ज्वॉयन करने से मना कर दिया कि उन्हें 60 हजार की पगार मिलती है। एक पल सोच कर राहुल ने कहा-‘ठीक है मैं इससे दोगुना दूंगा यानी एक लाख बीस हजार रुपए महीना, क्या तुम्हें मंजूर है?’ युवक ने सहर्ष हामी भर दी और अब वह राहुल की टीम में हैं जहां पहले से ही डेढ़ दर्जन से ज्यादा ऐसे लोग काम कर रहे हैं जिनकी महीने की तनख्वाह 1 लाख रुपए से ज्यादा है। पर जब इरादे बड़े हों तो दिल बड़ा रखना ही होता है इसे आप कांग्रेसी युवराज राहुल गांधी से सीख सकते हैं।

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तुसी ग्रेट हो अमरीका जी!

Posted on 07 March 2010 by admin

अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा और हमारे राष्ट्र के सिरमौर मनमोहन सिंह की मुलाकात के जो लोग साक्षी रहे हैं वे शायद ही इस बात को भूल पाएं कि हमारे प्रिय प्रधानमंत्री किस कदर अमरीकी प्रेम में आकंठ डूबे हैं, सिकंदर की कैद में पोरस ने उनसे कहा था कि ‘उनके साथ वही व्यवहार किया जाए जैसा कि एक राजा दूसरे से करता है…।’ पर अपने राष्ट्र का दुर्भाग्य देखिए हमारे प्रधानमंत्री ओबामा के ओज में इस कदर डूबे थे कि हर दूसरे वाक्य में अनुग्रह की चाशनी में लिपटा उनका स्वर बारंबार सामने आ रहा था…सर…सर, जैसे एक मातहत अधिकारी अपने हुजूर की हाजिरी बजा रहा हो। यूपीए द्वितीय काल में अब तो खुलकर प्रधानमंत्री अपना अमरीकी प्रेम जाहिर कर रहे हैं और वरिष्ठ काबीना मंत्रियों में तो जैसे महाबली अमरीका को खुश करने ही होड़ मची हो। चुनांचे पी.चिदंबरम हो, कपिल सिब्बल, मुरली देवड़ा, आनंद शर्मा, शशि थरूर , जयराम रमेश, पृथ्वीराज चौहान सरीखे मंत्री दे दनादन अमरीकी एजेंडे को आगे बढ़ा रहे हैं। सबसे हैरत की बात तो यह कि एक अमरीकी कंपनी जीएम फूड्स की सरपरस्ती बनाने रखने के लिए प्रधानमंत्री के निर्देश पर उनके मातहत पृथ्वीराज चौहान विज्ञान व प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सौजन्य से एक ‘बॉयोटेक रेग्युलेटरी बिल’ लाने जा रहे हैं जिसके तहत अगर कोई भारतीय नागरिक जीएम फूड्स या उनकी दवाईयों की बाबत कोई सवाल पूछेगा तो उसे अपने देश में छह महीने की सजा मुर्करर हो सकती है। यानी एक और आपातकाल की दहलीज पर खड़े हैं हम और प्रमुख विपक्षी पार्टी नाच-गान में मग्न है, जब रोम जल रहा था तो नीरो बंसी ही तो बजा रहा था। तुसी ग्रेट हो गडकरी जी। और आपसे भी ग्रेट है आपकी मिरासी सेना!

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गडकरी की नई टीम

Posted on 07 March 2010 by admin

गडकरी अपनी नई टीम बनाने के लिए प्रयासरत हैं। पहले नजर उनके संभावित महासचिवों की सूची पर डालते हैं-‘अनंत कुमार, रूढ़ी या रविशंकर प्रसाद, वसुंधरा राजे सिंधिया, करुणा शुक्ला, शाहनवाज या नकवी, नवजोत सिंह सिध्दू।’ महासचिवों की नई टीम से विनय कटियार की छुट्टी हो रही है, कलराज मिश्र को उपाध्यक्ष बनाया जा रहा है, वरुण गांधी को युवा मोर्चे की जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है, वाणी त्रिपाठी और शाइना एन.सी. भी गडकरी की नई टीम के देदीप्यमान चेहरे हो सकते हैं।

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€या करें पी.सी.?

Posted on 19 February 2010 by admin

तेलांगाना पर चिदंबरम के गैर जिमेदाराना रवैए को लेकर आंध्र कांग्रेस के दिग्गजों की हवा खिसकी हुई है, सो चाहे जयपाल रेड्डी हों या जगमोहन रेड्डी वे लगातार पी.सी.को लेकर दस जनपथ जाकर अपने मन का गुबार निकाल रहे हैं। वहीं अपोलो अस्पताल के मालिक प्रताप रेड्डी के दामाद ने राजधानी दिल्ली में तेलांगाना के प्रखर विरोध को लेकर एक मंच बनाया है जिसमें राजनेता, पत्रकार से लेकर उद्योगपतियों तक को जोड़ा जा रहा है जो समझते हैं कि अलग तेलांगाना का गठन नहीं होना चाहिए। और यही बात है जो पी.सी.को नगवार गुजर रही है।

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…और अंत में

Posted on 19 February 2010 by admin

पंडित नारायण दžा तिवारी पिछले हते चार दिनों तक दिल्ली में डेरा-डंडा जमाए रहे कि बस एक बार सोनिया गांधी से मुलाकात हो जाएं तो वे अपनी सफाई पेश कर सके। पर मिलना तो दूर सोनिया का वयोवध्द तिवारी से फोन पर बात करना भी गवारा न था।

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वेक अप मिनिस्टर

Posted on 10 February 2010 by admin

संप्रग सरकार में दो ऐसे मंत्री हैं जिनका कैबिनेट की बैठकों से कोई लेना-देना नहीं। डीएमके के कोटे के अझागिरी को ही लीजिए मंत्री जी ने आज तक कैबिनेट की कोई भी बैठक ‘अटैंड’ नहीं की है और न ही इन्होंने संसद में ही किसी सवाल का बतौर मंत्री कोई जवाब दिया है। दूसरा नंबर रेल मंत्री ममता बनर्जी का है जिन्होंने अब तक मात्र 3 कैबिनेट बैठकों में शिरकत की है, उनकी रेल वैसे भी बमुश्किल बंगाल से बाहर निकलती है।

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