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स्वामी भक्ति में लीन नितिन

Posted on 11 October 2011 by admin

स्वामी सिर्फ पीएम के ही नहीं, संघ व नितिन गडकरी के भी उतने ही दुलारे हैं, उन्हें गाहे-बगाहे अध्यक्ष जी के तीर्नमूत्ति आवास में घंटों मजलिस जमाए देखा जा सकता है। अध्यक्ष जी उनकी अच्छी आव-भगत भी करते हैं। और जब अपने विशेष कक्ष में मुलाकातियों से मिल रहे होते हैं तो ठीक उस कक्ष के साथ वाले आलीशान ड्राईंगरूम के भव्य सोफे पर स्वामी पूरे समय विराजमान रहते हैं। अध्यक्ष जी लगे हाथ पार्टी के बड़े नेताओं से पूछ ही लेते हैं कि बगल के कमरे में स्वामी जी बैठे हैं क्या आप उनसे मिलना पसंद करेंगे?

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…और अंत में

Posted on 02 October 2011 by admin

पीएम और सोनिया से अपनी मुलाकात के दौरान प्रणब दा ने अपनी एक शिकायत का खास तौर पर जिक्र किया, दादा ने सोनिया से कहा कि आपके पास आने के बस चंद मिनटों पहले मैंने चिदंबरम से बात की थी और अब मैं देख रहा हूं कि वह सारी बातचीत चैनलों पर जस की तस आ रही है।

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कहां से आया डील का पैसा?

Posted on 26 September 2011 by admin

अब कोई पूछे कि ‘कैश फॉर वोट’ में जब पैसा लेने वाले और पैसा देने वाले सभी जेल की हवा खा रहे हैं तो इस न्यूक्लीयर डील का पैसा कहां से आया और कहां गया? जो इस पूरे मामले की जननी है उस डील का पैसा कथित तौर पर एक बड़ी बहुराष्ट्रीय अमरीकी कंपनी के माध्यम से भारत में आया और इन सारे पैसों का भुगतान भी भारत में ही हुआ। वैसे भी इस कंपनी के कारोबार, जड़ें व रसूख भारत में काफी पुराना है।

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अमर का गम

Posted on 26 September 2011 by admin

अमर सिंह अपनी मौजूदा हालत के लिए कांग्रेस व भाजपा के दो बड़े नेताओं को दोषी मान रहे हैं। उन्हें लगता है कि गांधी परिवार को खुश करने के लिए चिदंबरम ने ही उन्हें फंसाने की पूरी योजना बनाई है, जबकि एक प्रमुख भाजपा नेता ने अपनी दोस्ती का मान नहीं रखा, उन्हीं की जानकारी व समुचित देखरेख में पूरे स्टिंग ऑपरेशन की रूपरेखा बनीं पर अमर को अंधेरे में रखा गया।

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निर्दयी होती सरकार

Posted on 26 September 2011 by admin

सियासत अब से पहले इतनी खूंखार कभी न थी, अब तो इससे होकर गुजरने में भी डर लगता है, जाने गर्दन में उतर जाएंगे कितने दांत, सड़क पर सरेआम टप-टप बरसता सुर्ख लहू, आसमां सिंदूरी, चांद लाल होगा… हर पल तुम्हें इस जंगल से गुजरने का मलाल होगा… अब तो कांग्रेसी भी खुलेआम कहने लगे हैं कि प्रधानमंत्री के वकील सलाहकार अब पार्टी का बेड़ा गर्क कर रहे हैं, और पीएम राजनैतिक इच्छा शक्ति से नहीं अपितु आइपीसी (पी.चिदंबरम) और सीआरपीसी (कपिल सिब्बल) से सरकार व देश चला रहे हैं।

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बम-बम हैं मोदी

Posted on 18 September 2011 by admin

नरेंद्र मोदी के हालिया अभ्युदय को स्वीकार करने में भले ही पार्टी के वयोवृध्द नेता लालकृष्ण अडवानी ने एक पल की भी देर नहीं लगाई हो, पर पार्टी अध्यक्ष नितिन गडकरी के लिए इसे खतरे की घंटी माना जा सकता है। पहली दफा है जब संघ ने भी मोदी से अपना पुराना वैमनस्य भुलाकर उन्हें मुक्तकंठ से स्वीकार करने की उदारता दिखाई है। वैसे अडवानी की बहुत पहले से यह मंशा रही थी कि वे गडकरी को उनका दूसरा टर्म नहीं लेने देना चाहते हैं। सो, जैसे ही संघ के अंदर से यह संकेत आने लगे कि मोदी पार्टी के अगले अध्यक्ष हो सकते हैं, अडवानी कैंप ने जोर-शोर से इसे मीडिया में प्रचारित करना शुरू कर दिया है, मोदी ने भी अब अपने उदारता के दर्शन दिखाने शुरू कर दिए हैं, इतने वर्षों में शायद उन्हाेंने पहली बार अपनी पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व से पूछा कि उत्तर प्रदेश चुनाव के मद में पार्टी को कितना पैसा चाहिए होगा, मोदी दिल व खजाना दोनों ही लुटाने को तैयार बैठे हैं। क्योंकि उन्हें मालूम है कि अगर यूपी में भाजपा का प्रदर्शन खस्ता-हाल रहा तो कांग्रेस उन्हें इतनी आसानी से छोड़ने वाली नहीं।

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बारू की बारी

Posted on 13 September 2011 by admin

प्रधानमंत्री के पूर्व मीडिया सलाहकार संजय बारू जो फिलहाल जिनेवा और न्यूयॉर्क की यात्रा पर हैं, 19 तारीख को स्वदेश लौट आएंगे और अपने बिजनेस स्टैंडर्ड अखबार की नौकरी से 1 नवंबर को त्याग पत्र देकर लंदन अवस्थित ‘इंस्टीटयूट ऑफ स्ट्रेटिजक स्टडीज’ ज्वॉइन कर लेंगे, पर उनकी पोस्टिंग दिल्ली में रहेगी ताकि वे और मुक्त भाव से प्रधानमंत्री को अपनी सलाहों से नवाज सके।

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गवर्नर का पत्र

Posted on 04 September 2011 by admin

मेघालय के गवर्नर आर.एस.मुशाहरी ने तमाम सांसदों को एक भावपूर्ण चिट्ठी लिखी है कि ‘…मैं सिविल सोसायटी का सदस्य होने के नाते… आपसे मांग करता हूं…’ अब सांसद एक-दूसरे से पूछ रहे हैं कि मुशाहरी साहब तो जिंदगी भर पुलिस की नौकरी करते रहे एक आईपीएस होने के नाते, नौकरी से रिटायर होते ही गवर्नर लग गए, अब गवर्नर साहब को सिविल सोसायटी की डिग्री कब मिल गई?

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अफसर का ालवा

Posted on 04 September 2011 by admin

मनमोहन सरकार के एक सबसे ताकतवर मंत्री के पुत्र जो देश के सबसे बड़े कॉरपोरेट के लिए काम करते हैं, वे सुबह की फ्लाइट में चंडीगढ़ पहुंचते हैं और शाम होते-होते उनका काम हो जाता है, जिस बिल्डर की सिफारिश लेकर वे मुख्यमंत्री हुड्डा के पास पहुंचे थे उन्हें लाईसेंस मिल जाता है और इस काम को सरंजाम देते हैं 82 बैच के एक आईएएस अफसर जो इन दिनों मुख्यमंत्री की नाक के बाल बने हुए हैं। राजीव गांधी फाऊंडेशन को भी जमीन देने में इसी अफसर की महती भूमिका थी। अफसर खुद तो चंडीगढ़ में रहते हैं पर इनका परिवार दिल्ली में राज्य सिंचाई विभाग के गेस्ट हाउस में रहता है, इनके बच्चे दिल्ली के स्कूल में पढ़ते हैं सो अब इन्हें भी अपने लिए दिल्ली दूर नहीं लगती।

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क्या चाहता है चुनाव आयोग

Posted on 28 August 2011 by admin

चुनाव आयोग बिहार-बंगाल के सफल चुनावी मॉडल से बम-बम है और अब यूपी में भी वह अपना यही फार्मूला आजमाना चाहता है। चुनाव आयोग यूपी में सात चरणों में मतदान करवाना चाहता है और इस पूरी प्रक्रिया में डेढ़ से दो महीने का वक्त लग सकता है। चुनाव तो पंजाब व उत्तराखंड में भी होने हैं उम्मीद जताई जा रही है कि इन दोनों राज्यों में मध्य जनवरी तक चुनाव करवा लिए जाएंगे। गोवा व मणिपुर में अप्रैल के दूसरे सप्ताह में चुनाव करवा लिए जाएंगे। चूंकि अगले ही साल राष्ट्रपति व उपराष्ट्रपति के भी चुनाव होने हैं, राष्ट्रपति का चुनाव 2012 के मध्य जून में होना है, सो चुनाव आयोग चाहता है कि राष्ट्रपति चुनाव से पहले इन 5 राज्यों की नई विधानसभा गठित हो जाए जिससे कि ‘इलेक्ट्रॉल रोल’ बनाने में आसानी हो सके।

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