Posted on 22 May 2021 by admin
यूपी के हालिया पंचायत चुनावों में भाजपा का प्रदर्शन निराशाजनक रहा है। अयोध्या, मथुरा, काशी, प्रयागराज और लखनऊ में तो भगवा पार्टी की तमाम आशाएं धूलधुसरित हो गई। दरअसल पहले बनारस को लेकर भाजपा की अपना दल के अनुप्रिया पटेल से बात चल रही थी, भाजपा 40 में से 10 सीट अपना दल के लिए छोड़ने को तैयार थी, अपना दल 15 सीटें चाहती थी, सो बात बनी नहीं। दोनों दल अलग-अलग लड़े और इन दोनों ही दलों को मात्र 5-5 सीटें आई। जब चुनाव परिणामों की समीक्षा हुई तो जहां भाजपा मात्र 5 सीटों पर दूसरे नंबर पर रही तो अनुप्रिया की अपना दल 21 सीटों पर दूसरे स्थान पर रही। यानी अगर भाजपा और अपना दल मिल कर लड़ते तो काशी में चुनाव परिणाम कुछ और हो सकते थे। ये पंचायत चुनाव 2022 विधानसभा चुनाव के लिए खतरे की घंटी साबित हो सकते हैं, जिसमें समाजवादी पार्टी का प्रदर्शन सबसे शानदार रहा है। 22 के चुनाव में भी सपा प्रगतिशील लोकतांत्रिक पार्टी और पश्चिमी यूपी में रालोद के साथ गठबंधन कर चुनाव में उतरेगी। कोविड कुव्यवस्था और किसानों की नाराज़गी का भी योगी सरकार को जवाब देना पड़ सकता है।
Posted on 20 December 2013 by admin
सुल्तानपुर के कांग्रेसी सांसद संजय सिंह और उनकी पत्नी अमिता सिंह ने कांग्रेसी युवराज और राजमाता के खिलाफ बगावत के बिगुल फंूक दिए हैं, संजय सिंह कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के खिलाफ अमेठी से लोकसभा का चुनाव लडऩे को इच्छुक हैं, सो इस बाबत लखनऊ जाकर उन्होंने अखिलेश यादव से मुलाकात की और सपा में आने की इच्छा जताई। संजय चाहते थे कि उनकी पत्नी अमिता को अखिलेश सरकार में मंत्री बना दिया जाए और उन्हें राहुल के खिलाफ अमेठी से सपा के टिकट पर मैदान में उतारा जाए। पर अखिलेश ने संजय सिंह से साफ कर दिया कि सपा इस बार भी राहुल के खिलाफ अपना कोई उम्मीदवार मैदान में नहीं उतारेगी, रही बात अमिता सिंह की तो वे उन्हें किसी निकाय का चैयरपर्सन बना सकते हैं, बात बनी नहीं सो संजय सिंह उसके बाद बसपा सुप्रीमो मायावती से मिले, पर वहां भी उनकी दाल गली नहीं, तो वे नरेंद्र मोदी से मिलने के लिए गांधी नगर रवाना हो गए। दरअसल अमिता महाराष्टï्र के ब्राह्मïण परिवार से संबंध रखती हैं और इनके पिता संघ के पुराने स्वयंसेवकों में शुमार होते हैं और इनके परिवार के संघ प्रमुख मोहन भागवत से भी निजी रिश्ते हैं, सो भाजपा की डगर इनके लिए अपेक्षाकृत आसान है। सो जब संजय-अमिता ने गांधी नगर पहुंचकर मोदी से उनका आशीर्वाद मांगा तो मोदी ने छूटते ही कहा-‘आप भाजपा के टिकट पर अमेठी से लड़ो, मैं भी आपके प्रचार में आऊंगा, आप जीते तो केद्र में मंत्री, नहीं जीत पाए तो भी हमारे साथ रहेंगे, आपका पूरा ध्यान रखा जाएगा।’ सो अब अमेठी के राजा संजय सिंह अपनी पत्नी समेत भगवा चोला ओढऩे को तत्पर है।
Posted on 14 December 2013 by admin
कहते हैं सोनिया गांधी ने शशि थरूर को यह संदेशा भिजवाया है कि उनकी (थुरूर की) पत्नी सुनंदा पुष्कर गांधी परिवार खासकर प्रियंका गांधी के बारे में अनर्गल प्रलाप बंद करें।
Posted on 08 December 2013 by admin
बहिनजी में बदलाव आया है, इस बार के चार राज्यों के विधानसभा चुनावों में उन्होंने पेशेवर रूख अपनाया है और इस बात का ध्यान रखा है कि जीत सकने वाले उम्मीदवारों को ही हाथी की सवारी गांठने का मौका मिले। सो, उन्होंने बसपा के बारे में प्रचलित इस अवधारणा को इस बार के चुनाव में तोड़ा कि बसपा का टिकट पैसे के दम पर ही मिलता है, बसपा का टिकट चाहने वाले अभ्यर्थियों से बहिन जी ने कोई डिमांड नहीं की बस इतना कहा कि जो भी पैसा लगाना है उन्हें अपने चुनाव पर ही लगाना है। क्या लोकसभा चुनाव तक यह परंपरा कायम रहेगी या हाथी का मुंह फिर से खुल जाएगा?
Posted on 08 December 2013 by admin
सेंट्रल हॉल में इस बात की चर्चा गर्म थी कि बजाए इस वक्त लोकसभा को भंग करने के, मनमोहन की जगह यूपीए सरकार की कमान राहुल गांधी के हाथों सौंप कर कांग्रेस को चुनाव में जाना चाहिए, ताकी लोगों के मन में बदलाव की एक आशा जगे और कांग्रेस के प्रति मुखर हो रहे ‘व्यवस्था-विरोधी’ वोटों का रूख किंचित नरम हो सके। ज्यादातर कांग्रेसियों की राय है कि अगर राहुल के नेतृत्व में कांग्रेस इस दफे का लोकसभा का चुनाव हार भी जाती है तो कोई बात नहीं, चुनाव के बाद राहुल को औपचारिक रूप से पार्टी की कमान सौंपी जा सकती है और उन्हें बीमार सोनिया की जगह कांग्रेस का नया अध्यक्ष बनाया जा सकता है। वरना नेपथ्य का यह शोर मुखर होकर सियासी रंगमंच पर गूंजने लगेगा कि ‘प्रियंका लाओ, कांग्रेस बचाओ।’
Posted on 01 December 2013 by admin
वक्त के फौरी नज़ाकत को भांपने में माहिर मनमोहन सरकार में कनिष्क मंत्री इस आशय और मनुहार के साथ सोनिया गांधी के पास जा पहुंचे कि अब वक्त आ गया है कि प्रियंका गांधी को सक्रिय राजनीति में उतारा जाए, नहीं तो देश भर में चल रही मोदी-बयार को रोक पाने में राहुल जी चूक रहे हैं। हालांकि पार्टी जनों से ऐसी राय सुनने की सोनिया आदी नहीं, फिर भी वक्त की नज़ाकत को भांपते हुए उन्होंने संयम का परिचय दिया और प्रियंका भक्त उस कांग्रेसी मंत्री को हौले से समझाया कि इस समय प्रियंका को राजनीति में लाने का अर्थ होगा कि रॉबर्ट के लिए राजनीति के तमाम द्वार खोल देना, वह प्रियंका को सक्रिय राजनीति में लाने की तब सोचेंगी जब प्रियंका के फैसलों पर रॉबर्ट का कोई असर दिखाई नहीं देगा, सोनिया की दो टूक बातें सुनकर अपना सा मुंह लेकर वापिस लौट आए मंत्री जी।
Posted on 01 December 2013 by admin
गुजरते वक्त ने भले ही कांग्रेस सुप्रीमो सोनिया गांधी को सियासत की बदलती करवटों का मिजाज पढऩे में माहिर बना दिया हो, पर इन दिनों दो वजहों से उनके ऊपर मायूसी हावी है, एक तो चुनाव प्रचार के लिए वो अपनी हेल्थ को माकूल नहीं पा रहीं, चुनांचे कांग्रेसी मैनेजरों को इन 5 राज्यों के चुनावों में उनकी चुनावी रैलियों में कटौती करनी पड़ी है। वहीं एक मां और एक राजनेत्री के तौर पर अपने पुत्र व कांग्रेसी उपाध्यक्ष राहुल गांधी को लेकर उनकी चिंताएं बढ़ गई हैं, दिल्ली व जोधपुर की राहुल की चुनावी सभाओं में जिस तरह लोग उठकर जाने लगे, रोकने से भी न रूके, यह बात सोनिया को साल गई है। उनके दिवंगत पति राजीव गांधी के एक करीबी मित्र जब सोनिया से मिलने पहुंचे तो सोनिया ने बेहद भावुक होकर उनको अपना हाले दिल सुनाया और चिंता जताई कि तमाम प्रयासों के बावजूद भी राहुल ‘क्लिक’ नहीं हो रहे हैं, सोनिया अपने पति के मित्र से जानना चाहती थी कि राहुल को प्रोजेक्ट करने में कांग्रेस से कोई रणनैतिक चूक तो नहीं हो रही? समझा जाता है कि सोनिया ने राहुल को सदैव घेरे रखने वाली मंडली को लेकर भी नाखुशी जाहिर की है, 5 राज्यों के चुनावी नतीजे अगर सोनिया के मनोनकूल नहीं आए तो कुछ तो बदलेगा, चाहे तो कमान या फिर राहुल की मंडली।
Posted on 24 November 2013 by admin
राजनीति, पत्रकारिता व न्यायपालिका में नैतिकता व शुचिता की महज बातें होती है, नहीं तो इनको लेकर नित्य नए किस्से सुनने को मिल रहे हैं, बताया जाता है दिल्ली के एक सबसे नामी गिरामी कार्डियो सर्जन हर हफ्ते अपने एक चार्टर्ड विमान से ताशकंद की उड़ान भरते हैं (रूसी रूपसियों की चाह में) उनकी फ्लाइट में सवार होने के लिए बड़े नेताओं व बड़े उद्योगपतियों में रेलमपेल मची रहती है। केंद्रनीत कांग्रेस सरकार के कुछ बड़े मंत्रियों को नियमित अंतराल पर गुजरात के एक प्रमुख उद्योगपति के फार्महाउस पर विभिन्न मुद्राओं में पाया जा सकता है। छत्तीसगढ़ से लगे मध्य प्रदेश की सीमा के एक प्रमुख कांग्रेसी नेता कई रिज़नल फिल्मों में बेनामी पैसा लगाते हैं, यहां तक कि कई फिल्मों की शूटिंग तो इस नेताजी के फॉर्महाउस में ही होती है, इन फिल्मों की हीरोइनों में नेताजी की खास दिलचस्पी बनी रहती है। दिल्ली के एक प्रमुख युवा उद्योगपति की पेजथ्री पत्नी की नजदीकियां कथित तौर कई राजनेताओं से रह चुकी है, इन दिनों उनकी करीबी देश के एक सर्वशक्तिमान दामादजी हैं, इन दोनों की तस्वीरें साथ-साथ कई पत्र-पत्रिकाओं में छप चुकी हैं। ऐसे किस्सों का तो अंबार है, चाहे वह विपक्ष हो या सरकार हो।
Posted on 01 September 2013 by admin
मोदी और अडवानी में भले ही इन दिनों छत्तीस का आंकड़ा नार आ रहा हो पर मोदी ने अपनी ओर से एक सुलह का फॉर्मूला निकाला है और उन्होंने अडवानी कैंप को संदेश भेजा है कि वे अडवानी की जगह उनकी पुत्री प्रतिभा अडवानी को गुजरात में कहीं से भी चुनाव लड़वाने को तैयार हैं। प्रतिभा चाहें तो अपने पिता की संसदीय सीट गांधीनगर से भी चुनाव लड़ सकती हैं, पर मोदी को अभी तक उनके इस प्रस्ताव पर अडवानी का कोई माकूल जवाब नहीं आया है।
Posted on 10 August 2013 by admin
एक विपक्षी दल के नेता ने डॉलर के मुकाबले लुढ़कते रूपए पर चिंता जाहिर करते हुए दो टूक लहो में कुछ यूं कहा कि चूंकि चुनाव के लिए तमाम राजनैतिक दल खासकर सत्ताधारी दल को बाहर से पैसा देश के अंदर लेकर आना है इसीलिए रूपए का अवमूल्यन जारी है।