Posted on 27 February 2013 by admin
पार्टी के नवनवेले उपाध्यक्ष राहुल गांधी को लेकर कांग्रेसियों का उत्साह देखते ही बनता है। जब से राहुल पार्टी के उपाध्यक्ष बने हैं कांग्रेस के कुछ उत्साही नेताओं ने जोर-शोर से यह मांग उठानी शुरू कर दी है कि लोकसभा में राहुल को अगली पंक्ति में बिठाया जाए। पर स्वयं राहुल को यह आइडिया पसंद नहीं आया वे सदन में बैक बेंचर ही बने रहना चाहते हैं। सो, जैसे ही संसद का बजट सत्र आरंभ हुआ और राष्ट्रपति के अभिभाषण के दौरान भी राहुल को पीछे की सीट पर बैठे पाया गया। वैसे भी राहुल ने पार्टी जनों से साफ कर दिया है कि वे सरकार की जगह संगठन पर ज्यादा फोकस कर रहे हैं।
Posted on 12 February 2013 by admin
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Posted on 06 February 2013 by admin
भाजपा के नवनियुक्त अध्यक्ष राजनाथ सिंह अपनी टीम के गठन में अभी से जुट गए हैं। राजनाथ की नई टीम की घोषणा मार्च में हो सकती है। धमर्ेंद्र प्रधान व जे.पी.नङ्ढा के ऊपर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। खासकर प्रधान को लेकर भाजपा में यह जुमला इन दिनों परवान चढ़ गया है कि ‘जहां जहां पैर पड़े संतन के…’ यानी उत्तराखंड, कर्नाटक, झारखंड जिन-जिन राज्यों की जिम्मेदारी प्रधान को सौंपी गई है वहां पार्टी की मिट्टी पलीद हो गई है। संघ व राजनाथ के दरम्यान नई टीम को लेकर बातचीत का आगाा हो चुका है। संघ चाहता है कि राजनाथ अपनी टीम में ग्लैमरस चेहरों की बजाए पार्टी कार्र्यकत्ताओं पर ज्यादा ध्यान दे। मसलन नए पार्टी महासचिव के रूप में मुरलीधर राव, अमित शाह, वरूण गांधी के नाम चल रहे हैं। अमित शाह का नाम अडवानी कैंप चला रहा है। अमित शाह को लेकर राजनाथ उहापोह की स्थिति में है क्योंकि अमित शाह दिल्ली में रह कर गडकरी विरोधियों का ध्रुव बन सकते हैं। इनकी गिरफ्तारी की भी संभावनाएं हैं। सो, राजनाथ के मन में शाह को लेकर दुविधा बरकरार है।
Posted on 23 January 2013 by admin
कांग्रेस के कई राज्यसभाई नेता 2014 के लोकसभा चुनाव में अपनी किस्मत आजमाना चाहते हैं। मसलन राजीव शुक्ला जो मनमोहन सरकार में राज्य मंत्री के ओहदे पर बरकरार हैं और उन्हें कम महत्त्व वाले मंत्रालयों से ही काम चलाना पड़ रहा है, सो अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षा को एक बड़ा कैनवस देने के मकसद से उन्होंने भी यूपी से लोकसभा चुनाव लड़ने का मन बना लिया है। शुक्ला जी की सपा और बसपा से बराबर की दोस्ती है। सतीश मिश्र के मार्फत उनकी पहुंच बहिनजी तक है। सो, शुक्लाजी बहिनजी को मनाने में जुटे हैं कि अगर बसपा उनके खिलाफ उम्मीदवार ना उतारे तो वे अपनी पसंद की सीट का ऐलान कर दें। उसी प्रकार जयंती नटराजन भी तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर से, जी.के.वासन तमिलनाडु के मल्लादुराई या दक्षिण चेन्नै से तो रहमान खान और अश्विनी कुमार क्रमश: कर्नाटक व पंजाब से लोकसभा का चुनाव लड़ना चाहते हैं। खान और कुमार ने तो इसके लिए बकायदा एआइसीसी में र्आी भी लगा रखी है।
Posted on 15 January 2013 by admin
मेघालय में चुनाव की तिथि 23 फरवरी का एलान होते ही वहां चुनावी सरगर्मियां तेज हो गईं हैं। 5 जनवरी को पी.ए.संगमा ने अपने नए राजनीतिक दल ‘नेशनल पीपुल्स पार्टी’ का एलान कर दिया है। मेघालय में फिलवक्त मुकुल संगमा के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार है। यहां कांग्रेस, नेशनल पीपुल्स पार्टी और यूडीफ में मुख्य लडाई है।कांग्रेस ने अपने 33 उम्मीदवारों की सूची पहले ही घोषित कर दी है जिसमें कांग्रेस के 7 निर्वतमान विधायकों के टिकट कट गए हैं। वहीं संगमा की एनपीपी गारो हिल्स की 24 में से 20 सीटों पर मुख्य प्रतिद्वंद्वी पार्टी कड़ी टक्कर दे रही है। सबसे अहम बात तो यह है कि यहां के लोकल ट्राइब्स और चर्च दोनों ही संगमा के साथ हैं। यही कांग्रेस के लिए सबसे बड़ी चिंता का विषय है।
Posted on 26 December 2012 by admin
20 तारीख के गुजरात चुनाव के नतीजों के ऐलान के बाद से ही पार्टी व संघ में लगातार यह मंथन चल रहा है कि मोदी के साथ क्या सलूक किया जाए, क्योंकि राष्ट्रीय राजनीति में उतरने की मोदी की इच्छा का इसी बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि अपनी जीत के बाद के पहले उद्बोधन में मोदी गुजराती की बजाए हिंदी में बोले। वे चाहते थे कि उनकी बात देश के कोने-कोने तक पहुंचे। मोदी अगर राष्ट्रीय राजनीति में पदार्पण भी करते हैं तो गुजरात चलाने के लिए उन्होंने एक ‘ऑटोक्रेट मैकेनिज्म’ बना लिया है, जिसमें राज्य के कुछ सीनियर ब्यूरोक्रेटस व आनंदी बेन पटेल, सौरभ पटेल जैसे उनके अति विश्वासपात्र लोग शुमार हैं। पार्टी में यह बात भी उठ रही है कि आगामी लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी को हिंदुत्व के एक नए पुरोधा के तौर पर उभरने के लिए, उन्हें यूपी के लखनऊ या वाराणसी से मैदान में उतारा जाए जिससे भाजपा यूपी में कम से कम आधी सीटों पर सफलता र्दा करा सकती है और बिहार में भी इसका असर होगा। पर अगर ऐसा हुआ तो यूपी भाजपा के जूनियर मोदियों मसलन योगी आदित्यनाथ व वरूण गांधी सरीखे नेताओं का क्या होगा?
Posted on 20 December 2012 by admin
अन्ना हजारे कालांतर के अपने दुलारे अरविंद केजरीवाल से बहुत नाराा हैं और स्वभाव से सरल अन्ना ने अपनी यह नाराागी सार्वजनिक रूप से छुपाई भी नहीं। इस नाराागी के चलते ही अन्ना ने केजरीवाल को पैसे व सत्ता का लालची करार दिया। इसके पीछे की वजहें साफ होने लगी हैं। टीम अन्ना से जुड़े विश्वस्त सूत्र बताते हैं कि अरविंद जाते हुए न सिर्फ चंदे में मिली सारी रकम साथ ले गए, बल्कि ‘इंडिया अगेंस्ट करप्शन‘ मूवमेंट के दौरान हासिल की गई लिस्ट ऑफ डोनर, कंट्रीब्यूटर्स और वालंटियर्स के तमाम डाटा भी अपने साथ ले गए। इस बात को लेकर अन्ना ने केजरीवाल से अपनी नाराागी जताई पर केजरीवाल यह डाटा लौटाने में आनाकानी करते रहे। समझा जाता है कि इसी बात से नाराा होकर अन्ना ने यह घोषणा की है कि वे केजरीवाल की ‘आम आदमी पार्टी‘ के लिए चुनाव प्रचार नहीं करेंगे।
Posted on 27 November 2012 by admin
म्यांमार की प्रमुख नेता आंग सान सूकी भारत को लेकर कई मौकों पर अपनी नाराागी जाहिर कर चुकी हें। हालिया दिनों में जब वो नेहरू मेमोरियल लेक्चर देने भारत आईं तो उन्होंने खुलकर इस बारे में बात की। सूकी को मनाने का जिम्मा कांग्रेस ने लोकसभा स्पीकर मीरा कुमार पर छोड़ रखा था। मीरा कुमार सूकी की घनिष्ठ मित्रों में शुमार होती हैं। और यह मित्रता भी आज की नहीं बल्कि उनके स्कूली दिनों की है। सनद रहे कि सूकी की मां भारत में बर्मा की राजदूत थीं। जब भी उन्हें कहीं बाहर जाना होता था वो अपनी बेटी सू को अपनी एक घनिष्ठ मित्र, जो जयपुर के एमजीडी स्कूल में टीचर थीं उनके पास छोड़ जाती थीं। उस वक्त मीरा भी जयपुर के एमजीडी स्कूल में पढ़ रही थीं। जहां सूकी से उनकी गहरी मित्रता हो गई। चुनांचे यूपीए सरकार को उम्मीद है कि दोनों सहेलियों की दोस्ती से मन की गांठे जरूर खुलेंगी।
Posted on 20 November 2012 by admin
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Posted on 05 November 2012 by admin
तमाम प्रतिकूल झंझावतों से जूझने के बावजूद भी सलमान खुर्शीद का राजीतिक अभ्युदय कांग्रसियों को भी हैरानी में डाल रहा है। खुर्शीद को पदोन्नति दिलवाने में ना सिर्फ गांधी परिवार से उनकी पुरानी वफादारी है बल्कि वे प्रधानमंत्री के चहेते मंत्रियों में शुमार होते हैं। शायद यही वजह रही कि इस दफे के मंत्रिमंडल फेरबदल में जहां राहुल गांधी आनंद शर्मा को विदेश मंत्री बनाए जाने के पक्षधर थे, वहीं स्वयं मनमोहन सिंह कई कारणों से शर्मा को पसंद नहीं करते। उनके वीटो की वजह से सलमान को विदेश मंत्री की गद्दी मिल पाई। दूसरा, उनका विदेश में पढ़ा-लिखा होना और एक सियासतदां के तौर पर उनके लंबे अनुभव को भी तराीह दी गई। एक तो यूपी से हैं, मुस्लिम हैं और पुराने कांग्रेसी परिवार से हैं। कई पीढ़ियों से इनकी वंफादारी गांधी परिवार के साथ है। इनके नाना जाकिर हुसैन थे, इनके पिता खुर्शीद आलम कांग्रेस के पुराने नेता हैं, राज्यसभा के सदस्य रह चुके हैं और पूर्व में कर्नाटक के राज्यपाल भी रह चुके हैं। सलमान पहले भी विदेश मंत्रालय में राज्य मंत्री रह चुके हैं। चुनांचे इसीलिए प्रधानमंत्री ने राहुल गांधी की सलाहों पर अमल करने की बजाए अपने विवेक को ज्यादा महत्व दिया।