Archive | April, 2018

सियासी रंगरेज कैंब्रिज

Posted on 02 April 2018 by admin

जिस कैंब्रिज एनालिटिका पर इतना बवाल मचा है, सूत्र बताते हैं कि इसके भगवा सरोकार व कनेक्षन के दर्षन 2012 से लेकर 2014 तक हो चुके थे। सूत्रों का दावा है कि 2014 के लोकसभा चुनावों में मोदी के चुनावी अभियान को धार देने में इस संगठन की एक महती भूमिका थी। 2014 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस की भद्द पिट गई और महीनों जब कांग्रेस में आत्ममंथन का दौर चला तो सूत्र बताते हैं कि तब राहुल ने अपने लोगों से कहा कि कांग्रेस क्यों नहीं इस संगठन की सेवा लेती है? कहते हैं फिर कैंब्रिज के लिए कांग्रेस के दरवाजे खुल गए। और इसका साथ मिलने के बाद सोषल मीडिया में कांग्रेस की छवि बदलने लगी। राहुल की इमेज में भी निरंतर सुधार आने लगा। सूत्र बताते हैं कि भाजपा के मन में कांग्रेस की इस बदलती छवि को लेकर एक भय का आलम व्याप्त होने लगा और इसके बाद जो कुछ भी हुआ वह इसी भय से बाहर आने का कष्मकष माना जा सकता है।

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कैंब्रिज का प्रताप

Posted on 02 April 2018 by admin

कैंब्रिज एनालिटिका से भाजपा का कहीं पहले से चोली-दामन का साथ रहा है। सूत्रों की मानें तो जब 2004 में भाजपा के हाई प्रोफाइल नेता राजीव प्रताप रूढ़ी छपरा से लालू यादव के खिलाफ लोकसभा का चुनाव लड़ा था तो रूढ़ी ने इस कंपनी की मदद ली थी। कहते हैं इस कंपनी की रूढ़ी के छपरा चुनाव में एक महती भूमिका थी। कंपनी ने छपरा में एक व्यापक सर्वेक्षण करवाया था, और हर बूथ का गणित निकाल लिया था कि बूथ पर किस जाति, वर्ग और आय वर्ग के मतदाता हैं, उनका पारंपरिक रूझान किस पार्टी की ओर है और इसमें से कितने फ्लोटिंग वोटर्स हैं। इस रिपोर्ट के आधार पर ही रूढ़ी और भाजपा ने अपने बूथ मैनेजमेंट की रणनीतियों का अंतिम रूप दिया था, यह और बात है कि इस चुनाव में राजीव प्रताप रूढ़ी को लालू के हाथों पराजय का घूंट पीना पड़ा था।

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…और अंत में

Posted on 02 April 2018 by admin

दिल्ली से देहरादून जाने वाली उस इंडिगो फ्लाइट के यात्री उस वक्त अचंभे में रह गए, जब उन्होंने देखा कि फ्लाइट छूटने के ऐन वक्त पर दो वीआईपी यात्री प्रियंका गांधी और रॉबर्ट वाड्रा ने फ्लाइट में प्रवेष किया और वे चुपचाप विमान की सबसे पिछली सीट की ओर बढ़ चले। बाद में जब फ्लाइट के पायलट ने अनाऊंसमेंट की तो यात्रियों को पता चला कि यह विमान उड़ा रहा पायलट इटली का है और कैबिन क्रू पॉलेंड का। वाड्रा दंपत्ति अपने बच्चों से मिलने देहरादून जा रहे थे।

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सुशासन बाबू के बिहार में षासन लापता है

Posted on 02 April 2018 by admin

सुशासन बाबू के बिहार में षासन लापता है और नफ़रत की चिंगारियां भड़क रही हैं, अगर मौजूदा हालात को मुनव्वर राना के अल्फाजों का लिबास पहना दें तो अक्स कुछ ऐसा उभरता है-’ये देख कर पतंगें भी हैरान हो गईं, अब तो छतें भी हिंदू-मुसलमान हो गईं/ क्या षहर-ए-दिल में जष्न-सा रहता था रात-दिन, क्या बस्तियां थीं, कैसे बियाबान हो गईं।’ षासन के हौंसलों पर ताले हैं और नीतीष सरकार के कई मंत्रिगणों की जुबाने आग उगल रही हैं। सूत्रों की मानें तो अब नीतीष को भी अपनी खिसकते अस्मिता का खौफ होने लगा है, अपने करीबियों से वे इस बात पर मंत्रणा करने लगे हैं कि आखिरकार भाजपा का हमसफर बन और कितना रास्ता तय किया जा सकता है? नीतीष के एक करीबी की बातों पर अगर यकीन करें तो नीतीष ने भाजपा को बाय-बाय कहने का पूरा मन बना लिया है, इंतजार बस एक माकूल वक्त का है। नीतीष एक बार फिर से महादलित, अतिपिछड़ा और अगड़े वोट बैंक को एकजुट करने में जुट गए हैं। इस बाबत केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान से उनकी एक बेहद गोपनीय मुलाकात इन कयासों को पंख लगाते दिखती है कि अब बस नीतीष भाजपा को अलविदा कहने के बहाने ढूंढ रहे हैं। रामविलास पासवान के भाई पषुपति पारस को पहले विधान परिशद का सदस्य फिर अपनी सरकार में मंत्री बनाने का नीतीष का फैसला दूरगामी सोच से ओत प्रोत था। नीतीष के भाजपा कनेक्षन सुषील मोदी की षाह व मोदी के समक्ष वैसे ही घिग्गी बंधी रहती है, एक नीतीष करीबी का कहना है कि ’हमें सुषील मोदी की सियासी धमक का अंदाजा उसी रोज हो गया था, जब 2016 में राज्यसभा भेजे जाने के लिए चार लोगों के नामों की सूची अमित षाह को भेजी गई थी, इसमें पहले नंबर पर सुषील मोदी का नाम था और चौथे नंबर पर गोपाल नारायण सिंह का, षाह ने सुषील मोदी का नाम काट कर गोपाल नारायण का नाम लिख दिया और उन्हें राज्यसभा में लेकर आ गए।’ नीतीष और भाजपा की दोस्ती में 2019 का आगामी आम चुनाव भी आड़े आ रहा है, कभी राज्य में भाजपा जदयू की जूनियर पार्टनर हुआ करती थी, तब जदयू राज्य के 40 में से 25 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारती थी और 15 सीटें भाजपा के लिए छोड़ देती थी। पर अब बदले सियासी हालात में भाजपा नीतीष के लिए मात्र 8-10 सीटें छोड़ने का इरादा रखती है, जिसके लिए नीतीष किंचित तैयार नहीं, इसके बजाए वे रामविलास पासवान की पार्टी के साथ मोर्चा बना लोकसभा चुनाव में जाना पसंद करेंगे, पर भाजपा है कि वह किसी भी कीमत पर नीतीष को अपने पाले से बाहर नहीं निकलने देना चाहती, सो नीतीष को मनाने के हर भगवा उपक्रम जारी रहेंगे, बिहार के चेहरे पर भले ही जख्मों के निषान उभर रहे हों पर सियासत तो उस औरत का दुपट्टा है जो किसी के आंसुओं से तर नहीं होता।

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तेजस्वी को सियासी ककहरा कंठस्थ

Posted on 02 April 2018 by admin

लालू यादव भले जेल में हो पर उनके छोटे पुत्र तेजस्वी यादव ने बड़ी जल्दी सियासत के दस्तूर सीख लिए हैं, षह-मात की बिसात पर युवा तेजस्वी का हर दांव सही पड़ रहा है। पिता की गैर मौजूदगी में तेजस्वी 2019 के चुनावों के लिए अभी से सहयोगी दलों के साथ मिल बैठ कर सीटों के तालमेल को अंतिम रूप दे रहे हैं। लालू की पार्टी राज्य की तीन लोकसभा सीटें वामपंथी दलों के लिए छोड़ने को तैयार है। इसमें से बेगूसराय की सीट सीपीआई के हिस्से जा सकती है और यहां से जेएनयू फेम के कन्हैया कुमार अपनी किस्मत आजमा सकते हैं, सूत्र बताते हैं कि भाजपा ने यहां से अपने मौजूदा सांसद भोला सिंह का टिकट काटने का मन बनाया हुआ है, कहते हैं इस बात का इल्म भोला सिंह को भी हो चला है, चुनांचे उन्होंने भी एक तरह कन्हैया का साथ देने का मन बना लिया है। इसके अलावा राजद आरा और सीवान सीटें सीपीआई (एमएल) के लिए छोड़ने को तैयार बताई जाती है। राजद 10 सीटें कांग्रेस के लिए छोड़ सकता है, तो वहीं राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री मांझी अपनी पार्टी के लिए 3 सीटों की मांग कर रहे हैं- गया, महाराजगंज और वैषाली।’ सूत्र बताते हैं कि तेजस्वी गया और महाराजगंज सीट मांझी को देने के लिए तैयार हो सकते हैं। इस वक्त राज्य के यादव और मुस्लिम वोट राजद के पक्ष में गोलबंद जान पड़ते हैं। ठाकुर वोटरों का भी भगवा पार्टी से मोहभंग हो गया बताया जा रहा है, ठाकुर वोट भी कमोबेष राजद की ओर लौट सकते हैं। वैसे भी राजद ने अपनी पार्टी के प्रवक्ता डॉ. मनोज झा को इस बार राज्यसभा में भेजकर ब्राह्मण मतदाताओं को संकेत देना चाहती है। वहीं भाजपा 2019 के चुनाव में अगड़ी व पिछड़ी जातियों के समन्वय से अपना चुनावी रास्ता निकालना चाहती है।

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