Posted on 30 April 2018 by admin
भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने पिछले छह दिनों से कर्नाटक में ही डेरा-डंडा जमाया हुआ है। सूत्रों की मानें तो शाह के लिए सेंट्रल बेंगलुरू में छह कमरों का एक आलीशान मकान किराए पर लिया गया है, जहां शाह अपने लाव-लश्कर के साथ रहा करते हैं। शाह से नियमित तौर पर मिलने वाले नेताओं में मुरलीधर राव, प्रकाश जावड़ेकर, अनंत कुमार, बीएस येदुरप्पा और बीएल संतोष का नाम लिया जा सकता है। बीएल संतोष को मोहन भागवत और मोदी का आदमी माना जाता है। सूत्र बताते हैं कि अनंत कुमार भी सीधे मोदी को रिपोर्ट कर रहे हैं। बीएल संतोष को मुख्यमंत्री पद का एक प्रमुख दावेदार माना जा रहा है, शायद यही वजह है कि जब शाह येदुरप्पा को मिलने के लिए बुलाते हैं तो संतोष को इस बात की भनक नहीं होती और जब संतोष शाह से मिलने पहुंचते हैं तो येदुरप्पा को इस बात का इल्म नहीं होता। सूत्र बताते हैं कि भाजपा हाईकमान ने जनार्दन रेड्डी को साफ कह रखा है कि वे भाजपा के सार्वजनिक मंचों से हर मुमकिन दूरी बनाए रखें, वहीं जब येदुरप्पा जब कोई सभा करते हैं तो जनार्दन को अपने साथ मंच पर ले जाना नहीं भूलते, यह बात भाजपा की किरकिरी करा रही है और कई बार शाह को इन सवालों के जवाब देने में मुश्किल आ जाती है।
Posted on 30 April 2018 by admin
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Posted on 30 April 2018 by admin
न्यायपालिका और सरकार के बीच रिश्तों में आई तल्खी कम होती नहीं दिख रही, ताज़ा मामला उत्तराखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस एम जोसेफ का है, जब सुप्रीम कोर्ट में उनकी नियुक्ति की सिफारिश की फाइल को पीएम ने पुनर्विचार के लिए वापिस भेज दी। कहा गया कि कोलेजियम जिन नामों की सिफारिश करे सरकार उसे मानने को बाध्य नहीं और ना ही इसके लिए सिर्फ वरिष्ठता को आधार माना जा सकता है। वैसे भी जस्टिस चेलमेश्वर की वरिष्ठता को दरकिनार करते हुए सरकार ने जस्टिस दीपक मिश्रा को सुप्रीम कोर्ट का चीफ जस्टिस नियुक्त किया था। ऐसे में यह सवाल उठना लाजिमी है कि क्या जस्टिस मिश्रा की कुर्सी पर जस्टिस रंजन गोगई काबिज होंगे या जस्टिस मिश्रा के कार्यकाल को 2 वर्शों का एक्सटेंशन मिलेगा? सूत्रों की मानें तो केंद्र सरकार चीफ जस्टिस के कार्यकाल को 65 वर्श की जगह 67 वर्ष करने पर विचार कर रही है। मनमोहन सिंह भी 2010 में 114 संविधान संशोधन विधेयक लाना चाहते थे, ताकि देश के मुख्य न्यायाधीश की रिटायरमेंट की उम्र 67 वर्ष की जा सके, पर कुछ कारणों से यह मामला ठंडे बस्ते में पड़ा रहा। भाजपा सरकार के पास ऐसा संशोधन लाने का पूरा आधार है पर इसमें दिक्कत सिर्फ एक है कि यह एक संवैधानिक संशोधन होगा, जिसकी तपिश से गुजरने के लिए भगवा पार्टी को तैयार रहना होगा।
Posted on 30 April 2018 by admin
स्वामी असीमानंद अब मक्का मस्जिद ब्लास्ट केस से बरी हो चुके हैं, विश्वस्त सूत्रों की मानें तो अब भाजपा हाईकमान उनकी सेवाएं पश्चिम बंगाल चुनाव में लेना चाहता है। सनद रहे कि असीमानंद का असली नाम नबा कुमार सरकार है, जो मूलरूप से पश्चिम बंगाल से ही आते हैं। ये काफी समय से संघ और उसके आनुशांगिक संगठन वनवासी कल्याण केंद्र से जुड़े रहे हैं। इन्होंने अकेले पुरूलिया में 25 से ज्यादा आदिवासी छात्रावास बनाए हैं, आदिवासी लोगों के बीच इनकी काफी अच्छी पकड़ है, सो कहना न होगा कि भाजपा राज्य के आदिवासी मतदाताओं को गोलबंद करने में असीमानंद की एक पुख्ता भूमिका चाहती है।
Posted on 30 April 2018 by admin
पिछले दिनों सीपीएम की पार्टी कांग्रेस हैदराबाद में आहूत थी। इस बैठक में मार्क्सवादी पार्टी के दो दिग्गजों सीताराम येचुरी और प्रकाश कारत और उनके समर्थकों के बीच तलवारें खींच गई। पार्टी कांग्रेस में इस बात को लेकर बहस तेज थी कि आखिरकार पार्टी को लाइन कौन सी लेनी है येचुरी लाइन या कारत लाइन। एक वक्त तो इस बात को लेकर इतना हंगामा बरपा कि पंजाब से आए एक डेलीगेट ने वहीं धरना पर बैठ जाने की धमकी दे डाली। इस बीच पार्टी की एक नई आवाज उदय नरवेकर खड़े हुए और उन्होंने खम्म ठोंककर कहा कि ’मेरा दावा है कि पार्टी ने आने वाले सिर्फ तीन सालों तक ही अगर कारत लाइन को फॉलो किया तो इसका नाम सीपीएम से बदलकर सीपीआई रखना पड़ जाएगा।’ और फिर नरवेकर ने सीपीआई की नई परिभाषा से पर्दा उठाया- ’कम्युनिस्ट पार्टी इरिलीवेंट’ यानी फिर भारतीय राजनीति में हमारी पार्टी का कोई मतलब नहीं रह जाएगा। कहना न होगा कि इसके बाद पार्टी कांग्रेस में ’येचुरी लाइन’ को अपनाने का फैसला ले लिया गया।
Posted on 30 April 2018 by admin
जब से रेप के आरोपी झांसाराम उर्फ आसाराम को कोर्ट ने आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई है, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की परेशानियां बढ़ गई है। दरअसल शिवराज ने वोट बैंक की राजनीति को पल्लवित पुष्पित करने के लिए भोपाल के राजा भोज एयरपोर्ट के नजदीक के एक रोड क्रासिंग और एक बस स्टैंड का नाम आसाराम के नाम पर रख दिया था। अब आमजनों सहित कांग्रेस पार्टी का दवाब मुख्यमंत्री पर बढ़ने लगा है कि इन दोनों जगहों से ढोंगी बाबा आसाराम का नाम हटाया जाए। पर शिवराज को डर है कि अगर वे ऐसा करते हैं तो फिर बाबा के भक्तों की नाराज़गी उन्हें झेलनी पड़ सकती है।
Posted on 30 April 2018 by admin
पिछले हफ्ते राहुल गांधी ने नई दिल्ली के ताल कटोरा स्टेडियम से ’संविधान बचाओ’ अभियान की शुरूआत की। इस मौके पर बड़ी संख्या में पार्टी के सीनियर नेताओं की भी मौजूदगी थी। पर राहुल ने अपने संबोधन में सबसे पहला नाम अशोक गहलोत का लिया, जिन्हें हालिया दिनों में पार्टी संगठन की महती जिम्मेदारी सौंपी गई है और उन्हें संगठन मामलों का महासचिव बनाया गया है। इसके बाद राहुल ने गुलाम नबी आजाद का नाम लिया, फिर मल्लिकार्जुन खड़गे का और फिर सुशील कुमार शिंदे का। तब तक राहुल की नज़र अग्रिम कतार में बैठे दिग्विजय सिंह पर पड़ गई, जो इन दिनों अपनी नर्मदा यात्रा पूरी कर चर्चा में है। राहुल ने हंसते हुए, उनकी ओर देखा और फिर उनका भी नाम ले लिया।
Posted on 30 April 2018 by admin
भाजपा ने 2019 के चुनाव के लिए अभी से कमर कस ली है, अमित शाह ने भाजपा के लगभग डेढ़ सौ सांसदों को संकेत दे दिया है कि वे अभी से चुनाव की तैयारियों में जुट जाएं, भाजपा के 282 सांसद जीत कर आए थे, यानी 130-132 सांसदों के गर्दन पर अभी भी तलवार लटक रही है कि उनका टिकट कट सकता है। (एनटीआई-gossipguru.in)
Posted on 30 April 2018 by admin
कर्नाटक में कमल के प्रस्फुटन को लेकर भाजपा में किंचित संशय का आलम है, जहां प्रदेश में कांग्रेस के हौंसले बम-बम हैं, वहीं भाजपा में चीनी कम है। इसे देखते हुए दक्षिण भारत के एक बड़े सियासी नटराज अनंत कुमार फौरन हरकत में आ गए, अनंत एंड कंपनी को लगता है कि इस दफे राज्य में त्रिशंकु विधानसभा हो सकती है। इस कयास के हिंडौलों पर सवार अनंत जेडीएस के कुमारस्वामी को साधने में जुट गए हैं। सूत्रों की माने तो अनंत कुमार और कुमारस्वामी में इस बात को लेकर कई दौर की बैठकें हो चुकी है। पर इन बैठकों का अब तलक कोई लब्बोलुआब नहीं निकल पाया है, चूंकि कुमारस्वामी का मानना है कि कर्नाटक में जो भी अगली सरकार बनेगी वह जेडीएस के समर्थन से बनेगी, सो, अगर उनकी पार्टी किंग मेकर की भूमिका में आती है फिर तो सीएम भी जेडीएस का ही होना चाहिए, यानी खुले तौर पर कुमारस्वामी खुद को सीएम कैंडिडेट मान कर चल रहे हैं। वैसे भी कुमारस्वामी के लिए भाजपा एक सहज च्वॉइस है क्योंकि उनके पिता एचडी देवेगौड़ा और कर्नाटक के कांग्रेसी मुख्यमंत्री सिद्दारमैया में छत्तीस का आंकड़ा है। देवेगौड़ा ने चुनावी सभाओं में अपना यह दर्द बयां करने से संकोच नहीं किया है कि सिद्दारमैया उनकी छवि धूमिल करना चाहते हैं। देवेगौड़ा का कर्नाटक के लोगों से कहना है कि वे देश के एकमात्र ऐसे प्रधानमंत्री बने जो कर्नाटक से आते हैं, इस नाते कर्नाटक के तमाम सरकारी दफ्तरों में उनकी तस्वीर लगी थी पर सिद्दारमैया ने मुख्यमंत्री बनते ही तमाम सरकारी दफ्तरों से उनकी तस्वीरें हटवा दीं।
Posted on 30 April 2018 by admin
पर देवेगौड़ा के एक पुराने मित्र ऐसे भी हैं जो उनके तार सीधे कांग्रेस से जोड़ने में मदद कर रहे हैं और ये नेता हैं शरद यादव, जिनके समर्थकों ने हालिया दिनों एक नई राजनैतिक पार्टी की बुनियाद डाली है। वैसे भी पिछले काफी समय से जेडीएस प्रमुख एचडी देवेगौड़ा, शरद यादव और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के प्रमुख सीताराम येचुरी के संपर्क में है। देवेगौड़ा चाहते हैं कि इस दफे के कर्नाटक चुनाव में ये दोनों लोग और उनकी पार्टियां जेडीएस के समर्थन में अलख जगाएं। पर जब पिछले दिनों शरद यादव कर्नाटक में थे तो उन्होंने कांग्रेस को समर्थन देने की खुली घोषणा कर दी, वहीं इस मुद्दे पर अभी तक येचुरी ने चुप्पी साध रखी है, वे न तो जेडीएस और न ही कांग्रेस को समर्थन देने की बात कह रहे हैं, पर सीपीएम से जुड़े सूत्र खुलासा करते हैं कि वामपंथी दलों ने अपने जमीन से जुड़े कार्यकर्ताओं को अंदरखाने से यह खबर भिजवा दी है कि उन्हें कांग्रेस के समर्थन में काम करना है। कहते हैं शरद यादव ने अपने पुराने मित्र एचडी देवेगौड़ा को इस बारे में आश्वस्त किया है कि जेडीएस और कांग्रेस के बीच मित्रता और चुनाव पश्चात् गठबंधन के द्वार खुले रहेंगे। यानी जेडीएस एक साथ दो मोर्चों पर काम कर रही है, जहां पिता देवेगौड़ा कांग्रेस से तार भिड़ा रहे हैं तो पुत्र कुमारस्वामी भगवा उम्मीदों का कमल खिला रहे हैं।