Posted on 11 July 2023 by admin
बाबा के नाम से मशहूर सरगुजा के महाराज व छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव को बघेल सरकार में उप मुख्यमंत्री बनाने का फैसला कांग्रेस हाईकमान के लिए किंचित आसान नहीं था। सूत्रों की मानें तो राज्य में मुख्यमंत्री का ढाई साल का टर्म नहीं मिलने से सिंहदेव अपने पार्टी हाईकमान से इस कदर नाराज़ थे कि उन्होंने चुनाव से ऐन पहले कांग्रेस छोड़ने का पक्का मन बना लिया था। सूत्रों की मानें तो सिंहदेव की बात आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल से हो चुकी थी और वे आसन्न राज्य चुनावों में कांग्रेस के जीत के मंसूबों पर झाड़ू लगाने को तैयार बैठे थे। कहते हैं इसके बाद राहुल करीबी कनिष्क सिंह हरकत में आए और उन्होंने आनन-फानन में सिंहदेव की बात राहुल से करवाई। फौरन सिंहदेव को दिल्ली तलब किया गया। कांग्रेस नेतृत्व को इस बात का डर सता रहा था कि सिंहदेव के बागी होने से सरगुजा संभाग की 14 सीटों पर इसका सीधा असर पड़ सकता है, इसके अलावा सरगुजा के आसपास की कोई दर्जन भर सीटों पर भी इसका प्रभाव पड़ सकता है। सो, सिंहदेव के दिल्ली पहुंचते ही उनकी राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे और छत्तीसगढ़ की प्रभारी कुमारी सैलजा के साथ कोई चार घंटे की मैराथन बैठक चली। इसके बाद कोई 45 मिनट खड़गे व राहुल गांधी अकेले में बैठे, फिर सिंहदेव को डिप्टी सीएम बनाने का अहम फैसला ले लिया गया।
Posted on 11 July 2023 by admin
भाजपा ने मध्य प्रदेश में अपनी चुनावी रणनीति को नई धार देनी शुरू कर दी है, राज्य में जनमत सर्वेक्षण मनमाफिक न आने के बाद पार्टी हाईकमान ने एक नई रणनीति को परवान चढ़ाया है, इस नीति के तहत जिन सीटों पर कांग्रेस के मजबूत बागी मैदान में होंगे भाजपा उन्हें आर्थिक मदद देगी जिससे कि वे अधिकृत कांग्रेस प्रत्याशी की नाक में दम कर सके। कुछ मजबूत प्रत्याशियों को कांग्रेस उम्मीदवार के मुकाबले खड़ा भी करवाया जा सकता है। बुंदेलखंड क्षेत्र में बसपा में विद्रोह की स्थिति है, भाजपा ने अभी से यहां बागी बसपा नेताओं की शिनाख्त शुरू कर दी है, भाजपा इन्हें भी साजो-सामान से लैस कर कांग्रेस उम्मीदवारों के खिलाफ मैदान में उतार सकती है।
Posted on 11 July 2023 by admin
एक ओर जहां विपक्षी एका की कोशिशों का महाकुंभ चल रहा है, वहीं भाजपा भी अपनी चुनावी तैयारियों को चाक-चौबंद कर रही है। इस संदर्भ में पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने लगभग इस बात पर मुहर लगा दी है कि ’2024 के चुनाव में पार्टी अपने 70प्लस सांसदों को अलविदा कह देगी और उनकी जगह नए चेहरों को मैदान में उतारा जाएगा।’ इसके अलावा पार्टी के मौजूदा 25 फीसदी सांसदों के टिकट कटना भी तय माना जा रहा है। इसके लिए भाजपा ने अपने तमाम मौजूदा सांसदों की रिपोर्ट कोर्ड भी तैयार कर ली है। यूपी में भाजपा ने सभी 80 सीटों को जीतने का लक्ष्य रखा गया है। जिन 70 प्लस नेताओं के सिर पर टिकट कटने की तलवार लटक रही है, वे हैं सत्यदेव पचौरी, वीके सिंह, हेमा मालिनी, रीता बहुगुणा जोशी, रमापति राम त्रिपाठी, संतोष गंगवार, जगदंबिका पाल और सत्यपाल सिंह के अलावा पहलवानों के विरोध का ताप झेल रहे बृजभूषण शरण सिंह का भी टिकट कट सकता है। बिहार के मौजूदा 17 में से 6 सांसदों के टिकट कट सकते हैं, जिसमें गिरिराज सिंह, अश्विनी चौबे, आरके सिंह, राधा मोहन सिंह, रमा देवी और रवि शंकर प्रसाद के नाम शामिल हो सकते हैं। अश्विनी चौबे मौके की नज़ाकत को भांपते हुए पहले से ही अपने बेटे अर्जित शाश्वत के टिकट के लिए हाथ पैर मार रहे हैं। बताया जा रहा है कि गुजरात के 10, कर्नाटक से 9, महाराष्ट्र से 8, झारखंड के 2, मध्य प्रदेश के 5 और राजस्थान के भी 5 मौजूदा भगवा सांसदों के टिकट कटने लगभग तय है। टिकट काटने का यह सिलसिला आने वाले 5 राज्यों के विधानसभा चुनावों से ही शुरू हो सकता है। संघ भी इस बात का पक्षधर बताया जाता है कि ’मध्य प्रदेश जैसे हिंदी पट्टी के बड़े राज्यों में नए और फ्रेश चेहरों पर ही दांव लगाया जाए’, रिपोर्ट है कि मध्य प्रदेश के भी 40 मौजूदा भाजपा विधायकों के टिकट कट सकते हैं।
Posted on 11 July 2023 by admin
देश के नौकरशाही भले ही इस बात पर लाख इतरा ले कि सारा राज-काज वही चला रहे हैं, तो वे कान खोल कर सुन लें कि सत्तारूढ़ भाजपा ने उन्हें अपने सांचे में फिट करने का पक्का बंदोबस्त कर लिया है। सूत्र बताते हैं कि भाजपा 2024 के चुनाव में 50 से ज्यादा मौजूदा या रिटायर्ड ब्यूरोक्रेट्स को चुनावी मैदान में उतार सकती है। सूत्र यह भी बताते हैं कि भाजपा के संगठन महासचिव बीएल संतोष और पार्टी महासचिव विनोद तावड़े की अगुवाई में एक टीम गठित की गई है, जिन्होंने देश भर में घूम-घूम कर ऐसे लोकप्रिय नौकरशाहों की शिनाख्त पूरी कर ली है। इस कड़ी में कुछ नाम उभर कर सामने आ रहे हैं, उनमें से एक नाम पूर्व आईएएस अधिकारी परवीन सिंह परदेसी का भी है, जो फिलहाल नीति आयोग की शोभा बढ़ा रहे हैं, उन्हें महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र से भाजपा का टिकट मिल सकता है। राधेश्याम मोपलवार जो मराठवाडा में पानी पंचायत से लोकप्रिय हुए थे, ये एकनाथ शिंदे की पसंद बताए जाते हैं, इन्हें भी चुनावी मैदान में उतारने की तैयारी है। वहीं परवीन सिंह परदेसी की निकटता देवेंद्र फड़णवीस से जगजाहिर है। इसके अलावा मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह को हरियाणा या राजस्थान के किसी गुर्जर बहुल सीट से मैदान में उतारा जा सकता है। इनका नंबर यूपी या महाराष्ट्र से भी लग सकता है।
Posted on 11 July 2023 by admin
पिछले दिनों बसपा प्रमुख मायावती ने अपने लखनऊ स्थित पार्टी कार्यालय से डॉ. आंबेडकर और मान्यवर कांशीराम की मूर्तियां हटवा दीं और इन्हें शिफ्ट कर अपने सरकारी आवास में लगवा दिया है, इसके साथ ही मायावती ने अपनी मूर्ति बनाने का भी ऑर्डर दे दिया है, माना जाता है कि माया मेमसाहब की मूर्ति डॉक्टर और मान्यवर की मूर्तियों के ठीक बीच में लगाई जाएगी। पार्टी मुख्यालय से इन दोनों मूर्तियों को हटाने के पीछे यह तर्क दिया जा रहा है कि बहिनजी इन दिनों कभी पार्टी कार्यालय जाती ही नहीं थीं, बसपा का सारा काम-धाम वह अपने सरकारी निवास से ही कर लेती हैं। पर पार्टी सिरमौर के मूर्ति हटाने के निर्णय का विरोध पार्टी में ही शुरू हो गया है, कभी बहिनजी के खास विश्वासपात्रों में शुमार होने वाले कुंवर फतेह बहादुर ने इस विरोध की अलख जगा दी है। वहीं बहिनजी इन दिनों बसपा नेताओं और कार्यकर्ताओं से अक्सर कहते सुनी जा सकती हैं कि ’बाबा साहेब और कांशीराम जी कहते थे कि दलितों का उत्थान तभी हो सकता है जब वह सत्ता के साथ रहे।’ बहिनजी का यह ताजा उद्घोष कहीं इस बात का संकेत तो नहीं कि वह 2024 के चुनाव में भाजपा के साथ जाने की इच्छुक हैं?
Posted on 11 July 2023 by admin
विपक्षी एका का मंच अभी सजा भी नहीं है कि उसकी चूलें हिलने लगी है। अभी विपक्षी एका की बैठक शुरू ही होनी थी कि आप ने अपना खटराग अलाप दिया कि ’जो अध्यादेश पर हमारे साथ है वह लोकतंत्र के साथ है, जो इसके साथ नहीं वह लोकतंत्र का विरोधी है।’ पर जब दो मुख्यमंत्री केजरीवाल व मान समेत आप का पांच सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल पटना पहुंचा तो कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे ने टका सा जवाब दे दिया कि ’अध्यादेश की बात संसद में होनी चाहिए, सार्वजनिक मंचों पर नहीं।’ खड़गे की बात सुन कर आप खेमे में इतनी निराशा व्याप्त हो गई कि जिस पार्टी प्रतिनिधिमंडल को दिल्ली के लिए शाम 4.30 बजे की फ्लाइट लेनी थी उसने वह एका की प्रेस कांफ्रेंस से पहले ही डेढ़ बजे दोपहर की फ्लाइट पकड़ ली। जबकि राहुल गांधी की फ्लाइट ढाई बजे की थी राहुल प्रेस कांफ्रेंस में आखिर तक बैठे रहे।
Posted on 11 July 2023 by admin
’क्या यह मौसम बदलने की आहट है
मेरे सिर पर धूप व हाथों में छतरी है’
पटना में इस 23 जून को जब विपक्षी एका का नया मंजर सजा तो जाने-अनजाने राहुल गांधी ने महफिल लूट ली। 15 विपक्षी दलों का जो कुनबा सजा था, उसमें 13 दलों में से सिर्फ राहुल को ही रिसीव करने सीएम नीतीश ने अपने मंत्रियों के दल-बल के साथ पटना एयरपोर्ट पर मज़मा लगाया था। नीतीश चाहते थे कि ’राहुल की अगवानी कर वे उन्हें सीधे एयरपोर्ट से अपने सीएम निवास ले जाएं, जहां विपक्षी एका की बैठक आहूत थी।’ पर वक्त की बेवफाईयों ने राहुल को भी शातिर बना दिया है, वे टीम नीतीश को गच्चा देकर सीधे सदाकत आश्रम जा पहुंचे, जहां कांग्रेसियों की भारी भीड़ जमा थी, देश के प्रथम राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद को संदर्भित करते हुए राहुल ने तुर्रा उछाला कि ’कांग्रेस के डीएनए में ही बिहार है।’ राहुल ने यह भी कहा कि ’जब अपनी भारत जोड़ो यात्रा के दौरान वे दक्षिण भारतीय राज्यों से गुज़र रहे थे तो वहां भी बिहार के लोगों की भारी भीड़ ने उनका स्वागत किया था।’ सबसे खास बात तो यह कि बिहार कांग्रेस ने राहुल के आने को खासा प्रचारित नहीं किया था कि राहुल सदाकत आश्रम आकर कांग्रेस कार्यकर्ताओं को संबोधित करेंगे, बावजूद इसके राहुल की सभा में कांग्रेसी उमड़ पड़े। विपक्षी एका की इस अहम बैठक में लालू यादव आधा घंटा पहले ही नीतीश के घर पहुंच गए, इससे एकबारगी उन कयासों पर भी विराम लग गया कि राज्य में राजद और जदयू के बीच एक कुछ ठीक नहीं चल रहा है। ममता बनर्जी पहले लालू के घर पहुंचीं जो बिहार के इस खांटी नेता के महत्व को बताने के लिए काफी था। लालू ने एक तरह से पूरी महफिल लूट ली, वे झकाझक सफेद कुर्ता-पाजामा में नज़र आए और उन्होंने लगे हाथ मुनादी भी कर दी कि वे ’अब बिल्कुल फिट हैं।’ लालू ने राहुल की शादी की बात छेड़ कर एक तरह से यह इशारा भी दे दिया कि ’2024 में विपक्ष में दूल्हे का सेहरा राहुल के सिर ही सजेगा।’ जैसा कि इस कॉलम में सबसे पहले इस रहस्य से पर्दा उठाया गया था कि कांग्रेस चाहती है कि ’विपक्षी एका की अगली मीटिंग किसी कांग्रेस शासित राज्य में हो’, कांग्रेस ने अपनी ओर से दो विकल्प भी सुझाए थे शिमला या फिर जयपुर, अंततः शिमला के नाम पर इस बैठक मुहर लग गई।
Posted on 11 July 2023 by admin
’विदा लेती शाम ने आसमां के कोतवाल से बस यही चाहा था,
जब अंधेरों का श्रृंगार किए यह पंख फैलाती रात जमीं पर उतरे
तो चांद का मुंह काला ना हो, पर नासमझ मेघों ने यह भी ना होने दिया’
जैसे-जैसे 2024 के आम चुनाओं की बेला करीब आ रही है, भगवा सियासत भी रोज़बरोज़ नए रूप-रंग धर रही है। सियासी फिज़ाओं में बदलाव के बारूद सुलग रहे हैं, सो भाजपा अभी से लोकसभा की एक-एक सीट के जोड़-घटाव में लग गई है। कई नए कायदे-कानून गढ़े जा रहे हैं, जैसे राज्यसभा के कोटे से मोदी सरकार में सुशोभित होने वाले मंत्रियों से कह दिया गया है कि वे अपने-अपने गृह राज्यों में अपने लिए माकूल सीट तलाश लें, जहां से उन्हें लोकसभा का अगला चुनाव लड़ना है। नरेंद्र मोदी जब 2014 में भाजपा के एकमेव
चेहरा बने थे तभी उन्होंने तय कर लिया था कि किसी भी पार्टी नेता को राज्यसभा का टर्म 2 बार से ज्यादा नहीं मिलेगा, पूर्व केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी भी उनके इसी सूत्र वाक्य की बलि चढ़ गए। मोदी का एक और सूत्र वाक्य भगवा सुर्खियों में जगह बना गया कि 75 पार के नेताओं को मंत्री पद नहीं मिलेगा, इसके शिकार कर्नाटक में येदियुरप्पा भी हुए, उन्हें सीएम पद छोड़ना पड़ा और जाते-जाते उन्होंने इस बार कर्नाटक में भाजपा की संभावनाओं पर पलीता लगा दिया। इस हिसाब से 2024 का आम चुनाव भाजपा के स्टार चेहरे मोदी का भी आखिरी चुनाव हो सकता है, 17 सितंबर 1950 में जन्मे मोदी का 75वां वर्ष 2024 से शुरू हो जाएगा सो, भाजपा के रणनीतिकार अभी से 2024 के सापेक्ष में मंथन बैठकों में जुट गए हैं। इन बैठकों से निकली यह प्रतिध्वनियां भी अब साफ सुनाई देने लगी हैं कि यूपी, राजस्थान, मध्य प्रदेश जैसे हिंदी पट्टी के बड़े राज्यों में एक-तिहाई से ज्यादा मौजूदा सांसदों के टिकट कट सकते हैं। वहीं यूपी सरकार के कुछ मंत्रियों और विधायकों को भी लोकसभा चुनाव के टिकट मिल सकते हैं। इस सूची में आप जितिन प्रसाद, राजेश्वर सिंह, ब्रजेश पाठक, केशव प्रसाद मौर्य व दिनेश प्रताप सिंह के नाम रख सकते हैं। पूर्व ईडी अफसर राजेश्वर सिंह अमित शाह की निजी पसंद बताए जाते हैं। राजेश्वर सिंह की नज़र सुल्तानपुर सीट पर बतायी जाती है, अभी मेनका गांधी वहां की मौजूदा सांसद हैं।
Posted on 11 July 2023 by admin
कहते हैं राजनीति में कुछ भी चिर स्थायी नहीं होता, न दुश्मनी, ना मित्रता। इतने वर्षों से जगनमोहन रेड्डी के नखरे उठा रही मोदी सरकार अब आंध्र को लेकर एक बदले तेवर में दिख रही है। इसकी सुगबुगाहट का तब अंदाजा हुआ जब दक्षिण की एक जनसभा में केंद्रीय गृह मंत्री अमित ‘ााह ने पहली बार आंध्र के सीएम जगनमोहन रेड्डी को आड़े हाथों लेते हुए कहा-‘जगनमोहन सरकार ने राज्य में कुछ काम नहीं किया है, सिवाय भ्रष्टाचार के। दिल्ली की मोदी सरकार आंध्र को जो पैसे भेजती है जगन का काडर उसे लूट लेता है।’
‘ााह के इस ‘ांखनाद में भविष्य की राजनीति की आहटें छुपी हैं। दरअसल, 2014 के आम चुनाव में नायडू की तेदेपा और भाजपा के बीच गठबंधन था, जिसमें भाजपा 3 सीट जीत गई थी। पर 2018 में चंद्रबाबू ने भाजपा से अपना नाता तोड़ लिया था। पर अब पिछले एक वर्ष से चंद्रबाबू अपने गृह राज्य में अपनी खोई जमीन हासिल करने की जद्दोजहद में दिल्ली आकर भाजपा के ‘ाीर्ष नेताओं के खूब चक्कर काट रहे हैं। इस राष्ट्रपति चुनाव में भी चंद्रबाबू की तेदेपा ने एनडीए की राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मु का खुला
समर्थन किया था। भाजपा दक्षिण भारत में अपने कमजोर होते जनाधार से पार पाना चाहती है, सो अगर ऐसे में उसे चंद्रबाबू का साथ मिला तो आने वाले तेलांगना विधानसभा चुनाव में भी वह चंद्रशेखर राव के समक्ष महती चुनौती उपस्थित कर सकती है क्योंकि तेलुगु देशम का तेलांगना के कुछ सीटों पर अब भी प्रभाव है। अगले साल मई में लोकसभा चुनाव के साथ-साथ आंध्र के विधानसभा चुनाव भी होने हैं जहां भाजपा चंद्रबाबू का साथ पाकर 2014 का इतिहास दुहराना चाहती है।
Posted on 11 July 2023 by admin
मल्लिकार्जुन खड़गे को कांग्रेस का अध्यक्ष बने 6 माह से भी ज्यादा वक्त गुज़र गया है, पर वे अब भी अपनी नई टीम का गठन नहीं कर पाए हैं। कहते हैं कि इसके पीछे खड़गे की संचालन समिति के वे 47 सदस्य खासे एक्टिव हैं, जो नहीं चाहते कि अपनी नई टीम की घोषणा के साथ पार्टी अध्यक्ष उनकी उपयोगिताओं को दरकिनार कर दें। सोनिया गांधी और राहुल गांधी की ओर से भी खड़गे पर दबाव है कि वे जल्द से जल्द अपनी नई टीम का ऐलान कर दें। कहते हैं इस बाबत पिछले 2-3 दिनों से खड़गे अपनी कोर टीम के साथ
मैराथन बैठक में जुटे हैं, जिससे कि वे अपनी नई टीम को एक चेहरा-मोहरा दे पाएं। सूत्र बताते हैं कि भूपिंदर सिंह हुड्डा को हरियाणा चुनाव में ‘फ्रीहैंड’ देने की तैयारी है। हुड्डा अपने पुत्र दीपेंद्र हुड्डा को पश्चिमी यूपी का प्रभार दिए जाने की लॉबिंग कर रहे हैं। राजनीति से संन्यास की इच्छा जता चुके उत्तराखंड के पूर्व सीएम हरीश रावत वर्किंग कमेटी का हिस्सा बने रहना चाहते हैं। मध्य प्रदेश कांग्रेस के दोनों पुराने व महत्त्वपूर्ण नेता यानी कमलनाथ और दिग्विजय सिंह 75 पार के हो गए हैं पार्टी अपने युवा व नए चेहरों को आगे लाना चाहती है, पर इसके लिए ये नेता द्वय तैयार नहीं दिखते। मध्य प्रदेश के ही एक युवा नेता जीतू पटवारी का नाम सामने आ रहा है, खड़गे उन्हें अपनी टीम में एक महत्त्चपूर्ण जिम्मेवारी सौंपना चाहते हैंं।