नेशनल कांफ्रेंस के एक प्रमुख नेता उमर अब्दुल्ला इस दफे इंडिया गठबंधन की ओर से कश्मीर के बारामूला से लोकसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं पर फिलवक्त उमर अपनी सीट पर चहुंओर से घिर गए लगते हैं। उमर के पिता फारूख अब्दुल्ला श्रीनगर से सांसद हैं, यह सीट नेशनल कांफ्रेंस की परंपरागत सीट में शुमार होती है। अपनी उम्र और स्वास्थ्यगत कारणों का हवाला देते हुए फारूख ने इस दफे श्रीनगर से चुनाव लड़ने से मना कर दिया है पर उमर को बारामूला की सीट ज्यादा सेफ दिखी जहां उनका मुकाबला पीपुल्स कांफ्रेंस के सज्जाद लोन से है। ये भी कयास लग रहे हैं कि सज्जाद लोन को अंदरखाने से भाजपा का सहयोग प्राप्त है। लेकिन बारामूला के चुनाव को इस बार दिलचस्प बना दिया है तिहाड़ जेल में बंद शेख अब्दुल रशीद उर्फ इंजीनियर रशीद ने। रशीद 2 बार के विधायक हैं और ’टेरर फंडिंग’ के मामले में जेल में बंद हैं। रशीद बारामूला से आवामी इंतेहा पार्टी यानी ‘एआईपी’ के सहयोग से निर्दलीय मैदान में उतर गए हैं। उनके चुनाव प्रचार की कमान उनके 23 वर्षीय पुत्र अबरार रशीद ने संभाल रखी है। अबरार के रोड शो और रैलियों में युवाओं की जबर्दस्त भीड़ उमड़ रही है। कहना न होगा कि इंजीनियर रशीद ने बारामूला का चुनावी मुकाबला त्रिकोणिय बना दिया है यहीं चिंता उमर अब्दुल्ला को खाई जा रही है।
अमेठी और रायबरेली में इस दफे कांग्रेस के हौंसले बम-बम हैं। रायबरेली से स्वयं राहुल गांधी मैदान में हैं, वहीं अमेठी से गांधी परिवार ने अपने खास वफादार किषोरी लाल शर्मा को चुनावी मैदान में उतारा है। रायबरेली में सोनिया गांधी भी अभी ताजा-ताजा भावुक अपील कर आई हैं। सो, कांग्रेस से जुड़े सूत्रों का दावा है कि राहुल गांधी यहां से बड़े मार्जिन से जीत रहे हैं। वहीं अमेठी में भी किशोरी लाल शर्मा ने भाजपा की प्रमुख नेत्री स्मृति ईरानी की नींद उड़ा दी है। यहां कांग्रेस के इतने आत्मविश्वास का कारण यह भी है कि अमेठी में 3 लाख मुस्लिम और डेढ़ लाख यादव वोटर हैं। वहीं गांधी परिवार से सहानुभूति रखने वाले वोटरों की भी एक बड़ी तादाद है। सो, अमेठी को इतने हल्के में लेने वाली भाजपा और संघ ने यहां अब अपनी पूरी ताकत झोंक दी है।
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शायद आपको याद हो ’महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना’ के अध्यक्ष राज ठाकरे ने राज्य में भाजपा को बिना शर्त लोकसभा चुनाव में समर्थन देने का ऐलान किया था, इसकी पृष्ठभूमि दिल्ली में तैयार हुई थी जब राज ठाकरे दिल्ली आकर भाजपा शीर्ष से मिले थे। इसके बाद ही भाजपा शीर्ष ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को यह जिम्मा सौंपा था कि ’वे राज ठाकरे का पूरा ध्यान रखें और उन्हें सहयोग करें।’ शिंदे की ओर से शुरूआत में थोड़ा सहयोग हुआ पर बाद में उनका रवैया उदासीन हो गया। इस पर नाराज़ होकर राज ठाकरे घर बैठ गए। जब यह बात भाजपा नेतृत्व को पता चली तो उसने जम कर शिंदे की क्लास लगाई, फिर शिंदे की ओर से राज को और सहयोग हुआ, जिसके बाद राज ठाकरे कोपभवन से बाहर निकले और अब वे महाराष्ट्र की पांचवें चरण की 13 सीटों पर जम कर भाजपा के पक्ष में प्रचार कर रहे हैं, जहां 20 मई को चुनाव होने वाले हैं। इसके अलावा वे 17 मई को शिवाजी पार्क में मोदी के साथ एक चुनावी रैली में मंच भी साझा करेंगे।
मुंबई नॉर्थ से दो बार की सांसद पूनम महाजन का टिकट इस बार काट दिया गया है और उनकी जगह भाजपा ने जनता के वकील उज्ज्वल निकम को मौका दिया है। अपने टिकट कटने का पूनम को कहीं पहले ही आभास हो गया था। सो, कुछ दिन पहले ही वो अपने जिलाध्यक्षों को साथ लेकर भाजपाध्यक्ष जेपी नड्डा और अमित शाह से मिलने दिल्ली आई थीं। सूत्र बताते हैं कि नड्डा से मिलने के लिए भी उन्हें काफी इंतजार करना पड़ा और बाद में नड्डा ने बेहद साफगोई से उनसे कह दिया कि ’पार्टी उनकी भूमिका इस दफे बदलना चाहती है।’ पूनम को इस बात का आभास तब भी हो गया था जब भाजपा सांसदों की एक मीटिंग में पीएम ने एक उद्धरण पेश करते हुए कहा कि ’कोई व्यक्ति चाहे कितना भी बड़ा क्यों न हो जाए, उसे कभी अहंकार नहीं पालना चाहिए।’ इसके लिए उन्होंने प्रमोद महाजन का उदाहरण देते हुए बताया कि ’जब प्रमोद महाजन का सितारा बेहद बुलंदी पर था तो एक दफे एयरपोर्ट पर एक सुरक्षाकर्मी द्वारा रोके जाने पर उन्होंने उसके साथ कैसा व्यवहार किया था।’ सूत्रों की मानें तो पूनम महाजन के पास कांग्रेस में भी शामिल होने का अवसर आया था पर उन्होंने कांग्रेस में जाने से मना कर दिया। इसके बाद शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे से भी पूनम की एक लंबी बात हुई है। सूत्रों की मानें तो उद्धव पूनम के लिए एक बड़ा रोडमैप तैयार कर रहे हैं।
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भाजपा शीर्ष बिहार को लेकर किंचित चिंता में है। इसी आलोक में अमित शाह ने बिहार भाजपा की कोर कमेटी की एक अहम बैठक बुलाई। समझा जाता है कि शाह ने बिहार के भगवा नेताओं को जमकर झाड़ पिलाई और कहा कि ’जनता दल यू से आपका तालमेल क्यों नहीं बैठ पा रहा? क्यों घमासान मचा है? आप दोनों चुनाव में एक दूसरे की मदद क्यों नहीं कर रहे?’ इसके बाद भाजपा शीर्ष ने अपने प्रदेश के नेताओं से जानना चाहा कि इस दफे गठबंधन कि कितनी सीटें आ रही हैं। इस पर एक भाजपा नेता ने हिचकते हुए कहा शायद 25, इस पर शाह चौंक गए और कहा कि ’पिछली बार हम 40 में से 39 सीटें जीते थे, इस बार क्या हो गया?’ तो उन्हें जवाब मिला कि इस बार महागठबंधन खास कर राजद अच्छा कर रही है, तो शाह बोले कि ’अब आप लोग समझ गए हैं न कि आपसी तालमेल कितना जरूरी है।’
देश के पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा लंबे समय तक हासन से सांसद रहे पर विडंबना देखिए कि उन्होंने अपनी सीट कभी अपने बेटों के लिए नहीं बल्कि अपने दुलारे पोते प्रज्वल रेवन्ना को तोहफे में दे दी। कहा जाता है कि प्रज्वल शुरू से ही अपने दादा का बहुत लाडला रहा है। वह अपने दादा का ख्याल भी खूब रखता था। जब देवेगौड़ा परिवार ने पढ़ने के लिए प्रज्वल को आस्ट्रेलिया भेजा तो वहां उसका दिल ही नहीं लगा। उसने परिवार को बताया कि ’वह अपने दादा के बगैर नहीं रह सकता। दादा के साथ रह कर उनकी सेवा करनी है।’ सो, जब 2019 के लोकसभा चुनाव में देवेगौड़ा अपनी सीट प्रज्वल के लिए छोड़ रहे थे तो कुमारस्वामी ने इसका जोरदार विरोध किया था। कुमारस्वामी ने अपने पिता से यह भी कहा था कि ’इसको टिकट मत दो इसकी आदतें ठीक नहीं हैं।’ वैसे भी कुमारस्वामी की अपने बड़े भाई एचडी रेवेन्ना से कभी पटी नहीं। दोनों भाईयों की राजनीतिक महत्वाकांक्षाएं हमेशा आपस में टकराती रहीं। सो, जब 2023 के कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कुमारस्वामी के बेटे निखिल चुनाव हार गए तो इसके पीछे रेवन्ना परिवार का हाथ माना गया। सूत्रों का दावा है कि कुमारस्वामी का यह भी मानना था कि फिल्म अभिनेत्री राधिका के साथ उनके संबंधों और इन संबंधों की वजह से पैदा हुई बेटी के बारे में खबर को सार्वजनिक करने में रेवेन्ना परिवार का ही हाथ था। एक बार जब यह बात मीडिया में लीक हो गई तो कुमारस्वामी को राधिका के साथ अपने संबंधों को सार्वजनिक करना पड़ा।
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कभी भाजपा के चर्चित प्रवक्ता संबित पात्रा से यह सवाल पूछ कर तहलका मचाने वाले कि 5 ट्रिलियन में कितने जीरो होते हैं? अर्थशास्त्र के प्रोफेसर और कांग्रेस के पूर्व प्रवक्ता गौरव वल्लभ अब रंग बदल कर भगवा हो गए हैं वो भी सनातन धर्म का हवाला देते हुए। राजस्थान से ताल्लुक रखने वाले गौरव वल्लभ जमशेदपुर के ’एक्सएलआरआई’ में प्रोफेसर रहे हैं। कांग्रेस के टिकट पर 2019 का विधानसभा चुनाव उन्होंने भाजपा के रघुबर दास के खिलाफ झारखंड के जमशेदपुर से लड़ा था, जहां उन्हें बुरी तरह मुंह की खानी पड़ी थी। इस हार से सीख न लेते हुए 2023 के राजस्थान विधानसभा चुनाव में वे उदयपुर से फिर से कांग्रेस के टिकट पर मैदान में उतर गए और एक बार फिर उन्हें पराजय का सामना करना पड़ा। पिछले कुछ समय से वे कांग्रेस हाईकमान से अपने लिए राजस्थान से लोकसभा चुनाव का टिकट मांग रहे थे पर जब कांग्रेस नेतृत्व ने उनकी इस मांग को ठुकरा दिया तो वे रंग बदलते हुए भाजपाई हो गए। सूत्र यह भी बताते हैं कि गौरव वल्लभ के इस्तीफा पत्र का ड्राफ्ट भाजपा रणनीतिकारों द्वारा ही तय किया गया था। पत्र की भाषा व भंगिमा इस बात की चुगली खाती थी।
कांग्रेस से बागी हुए संजय निरूपम अपने लिए नई राजनीतिक राह की तलाश में हैं। इस कार्य में उन्हें उनके मित्र मिलिंद देवड़ा की भी भरपूर मदद मिल रही है। सनद रहे कि कुछ दिनों पहले ही देवड़ा भी कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हुए हैं। भाजपा गठबंधन ने मुंबई की 6 में से 4 सीटों पर अपने उम्मीदवार तय कर दिए हैं पर ’मुंबई नार्थ सेंट्रल’ सीट से अभी किसी उम्मीदवार की घोषणा नहीं की गई है। यहां से भाजपा गठबंधन को एक जिताऊ चेहरे की तलाश है सो, पहले प्रिया दत्त से बात की गई पर उनकी ओर से अभी तक कोई जवाब नहीं मिला। इसी सीट पर कांग्रेस की ओर से स्वरा भास्कर को भी ऑफर गया है। साथ ही राज बब्बर के नाम पर भी विचार हो रहा है। अगर राज यहां से चुनाव नहीं लड़ते तो हरियाणा की गुरूग्राम सीट से अपनी किस्मत आजमा सकते हैं। दिवंगत प्रमोद महाजन की बेटी पूनम महाजन यहां से भाजपा के टिकट पर 2 बार विजयी रही हैं। पर उनके ’एंटी इन्कंबेंसी’ को देखते हुए भाजपा गठबंधन यहां से एक नए चेहरे की तलाश में जुटा है। नाम तो विधायक आशीष शेलार का भी चल रहा है पर चूंकि इस सीट पर चार लाख से ज्यादा मुसलमान वोटर हैं सो संजय निरूपम की दावेदारी यहां से सबसे माकूल मानी जा रही है। क्योंकि वे मुसलमानों में भी खासे लोकप्रिय हैं। सो, मुमकिन है वे शिवसेना शिंदे के टिकट पर यहां से मैदान में उतरें।
इसी 15 जनवरी को भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर अपनी दो दिवसीय ईरान यात्रा पर तेहरान पहुंचे थे, जहां उनकी मुलाकात ईरानी राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी और वहां के विदेश मंत्री हुसैन अमीर अब्दुल्लाहयान से हुई। बातचीत का मसला चाबहार पोर्ट पर ही केंद्रित था जिसे भारत को नया रूप रंग देना था। ईरान के राष्ट्रपति इस प्रोजेक्ट में हो रही देरी से नाखुश बताए जाते हैं, उन्होंने दो टूक लहजे में जयशंकर से पूछा कि ’आप इस प्रोजेक्ट की डेडलाइन बताइए?’ सनद रहे कि ईरान के तटीय शहर चाबहार के विकास के लिए भारत व ईरान के बीच आज से दो दशक पहले 2003 में सहमति बनी थी, 2016 में इस समझौते को मंजूरी मिली थी। यह बंदरगाह अंतरराष्ट्रीय व्यापार के लिए इंटरनेशनल नार्थ-साउथ कोरिडोर के तौर पर काफी अहम है। पर इस बार भारत में आयोजित हुए जी-20 सम्मेलन में नए ट्रेड रूट बनाने पर सहमति बनी है जिससे भारत के लिए चाबहार आईएनएसटीसी और आईएमईसी में निवेश करना उतना आसान नहीं रह जाएगा। इससे पूर्व कुछ ऐसा ही श्रीलंका के हब्बन टोटा बंदरगाह को लेकर भी हुआ था, पहले भारत को ही इस पोर्ट को विकसित करना था, उस वक्त महिंद्रा राजपक्षे श्रीलंका के राष्ट्रपति थे और उनके भाई वहां के विदेश मंत्री। तब ये दोनों भाई एक चीनी डेलीगेट्स के संपर्क में आए और चीन ने हब्बनटोटा में दिलचस्पी दिखाई और भारत के हाथ से यह प्रोजेक्ट चला गया था जो पोर्ट रणनैतिक रूप से हमारे देश के लिए बेहद महत्वपूर्ण था, क्या अब चाबहार भी उसी रास्ते चल निकला है? क्या इस प्रोजेक्ट पर भी चीन की नज़र है?
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जैसे-जैसे लोकसभा चुनावों की घड़ी पास आ रही है, नेताओं के पाला बदलने का मौसम भी शुरू हो गया है। भाजपा शीर्ष से जुड़े एक विश्वस्त सूत्र के दावे पर अगर यकीन किया जाए तो भगवा पार्टी की ओर से कांग्रेस के कम से कम 15 बड़े नेताओं की एक लिस्ट पीएम मोदी को सौंपी गई है, जो नेतागण भाजपा में प्रवेश के लिए भगवा द्वार पर दस्तक दे रहे हैं। यह अब पूरी तरह पीएम मोदी पर निर्भर करता है कि इनमें से किन नेताओं को वह अपनी पार्टी में लेना चाहते हैं। सूत्रों का दावा है कि इस लिस्ट में आनंद शर्मा, मनीष तिवारी, शशि थरूर, कार्ति चिदंबरम जैसे नेताओं के नाम शामिल हैं। कर्नाटक में भी जगदीश शेट्टार की भाजपा में घर वापसी के बाद बेल्लारी के चर्चित जर्नादन रेड्डी के भी भाजपा में वापिस आने के चर्चे गर्म हैं।
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