स्वामी ने क्यों थामा सपा का हाथ

June 26 2016


स्वामी प्रसाद मौर्य के यूं अचानक बसपा छोड़ने की कुछ खास वजहें थीं, एक तो वह अपने अलावा अपने बेटे और बेटी के लिए भी बसपा का टिकट मांग रहे थे, सनद रहे कि उनकी पुत्री संघमित्रा मौर्य पिछले चुनाव में एटा से बुरी तरह से पराजित हुई, बसपा सुप्रीमो ने स्वामी प्रसाद के बच्चों को पार्टी टिकट देने से साफ इंकार कर दिया था। इसके अलावा मौर्य के सगे भतीजे पर, जो बसपा की ओर से अवध मंडल का अध्यक्ष था, उन पर टिकट दिलाने के नाम पर पैसे लेने के गंभीर आरोप लगे थे। सूत्रों की माने तो मायावती ने इस मामले की जांच भी करा ली थी। सूत्र बताते हैं कि बहिन जी के पास इस बारे में भी कुछ पुख्ता खबरें थीं कि स्वामी प्रसाद पिछले दो महीनों में भाजपा नेता ओम माथुर से 3 बार, आजम खां और षिवपाल यादव से भी 3-4 दफे मिल चुके थे, और वहां मोल-भाव कर रहे थे। कहते हैं कि मायावती को यह भी कयास था कि मौर्य बीजेपी से मोल-तोल में मोदी सरकार में अपने लिए मंत्रिपद मांग रहे थे, भाजपा ने उनकी इस मांग को एक झटके में खारिज कर दिया, तो वे सपा के करीब हुए, अखिलेष उन्हें सपा में लेने को तो राजी थे, पर अपनी सरकार में मंत्री बनाने से उन्होंने मौर्य को मना कर दिया था। सूत्र बताते हैं कि एक दिन जब सहसा मौर्य के सचिव पार्टी कार्यालय पहुंचे तो उनके एक मुंहलगे चपरासी ने उन्हें अंदर की खबर दी और बताया कि परसों बाबूजी (मौर्य) को पार्टी से ‘एक्सपेल्ड‘ किया जा रहा है, इसके लिए जरूरी पेपर टाइप हो रहे हैं। सचिव ने यह खबर भाग कर मौर्य तक पहुंचाई और भाग मिल्खा भाग की तर्ज पर मौर्य भाग कर सपा की षरण में जा पहुंचे और बसपा से उन्होंने इस्तीफा दे दिया।

 
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