शौरी का पीएमओ-प्लॉन |
August 23 2014 |
अरुण शौरी भले ही जाहिरा तौर पर मोदी कैबिनेट में शामिल नहीं किए गए हों पर पीएमओ से जुड़े सूत्र बताते हैं कि प्रधानमंत्री की नीतियों और विचारों को अमलीजामा पहनाने में इन दिनों शौरी की एक अहम भूमिका है। लोग भूले नहीं हैं कि कोई आठ महीने पूर्व 23 जनवरी 2014 को नई दिल्ली स्थित फिक्की ऑडिटोरियम में जब नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जन्मशती मनाई जा रही थी तो गवनर्ेंस पर अपना ‘की नोट एडे्रस’ देते हुए अरुण शौरी ने बेहद साफगोई से कहा था कि जिस तरह यूपीए-1 और यूपीए-2 के कार्यकाल में पीएमओ इस कदर कमजोर हुआ है कि सरकार के ताकतवर मंत्रियों ने अपना अलग सत्ता केंद्र विकसित कर लिया है, मंत्री अपनी पसंद का विभागीय सचिव लेकर आ रहे हैं और सरकार चलाने में अपनी मनमानी कर रहे हैं। तब शौरी ने ये विचार दिए थे कि अगर केंद्र में आने वाली सरकार को लोगों की अपेक्षाओं पर खरी उतरनी है तो उसे ‘डिलीवर’ करना होगा और पीएमओ को भी अमरीका के व्हाईट हाउस के तर्ज पर केंद्रित और ताकतवर बनाना होगा, सरकार की पूरी नकेल पीएमओ के पास होनी चाहिए, यहां तक कि मंत्रियों को सचिव व उनके निजी सचिवों की नियुक्ति में भी पीएमओ का दखल होना चाहिए। गौर से देखिए तो मोदी सरकार भी इसी शौरी-फार्मूले पर बेरोक टोक चल रही है। |
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August 26th, 2014
It seems to be true what ever claimed