मोदी, सुषमा और एक अदद ई-मेल |
August 17 2014 |
15 अगस्त को लाल किले की प्राचीर से दहाड़ते हुए नरेंद्र मोदी ने इस बात का शिद्दत से जिक्र किया कि केंद्र सरकार के मंत्रालयों के बीच आपसी समन्वय कितना जरूरी है और कैसे पूर्र्ववत्ती सरकार के दो मंत्रालयों में ऐसी ठनी कि मामला सुप्रीम कोर्ट तक जा पहुंचा। सो, मोदी की अपने मंत्रियों को बेहद साफ हिदायत है कि वे आपस में मिलजुल कर काम करें। कहना ना होगा कि मोदी सरकार का हर मंत्री अपने मुखिया की हिदायत को एक ‘आर्डर’ की तरह ले रहा है। मिसाल के तौर पर संयुक्त राष्ट्र से जुड़े एक सामाजिक आंदोलनकर्मी संदीप भूरिया नरेंद्र मोदी के काम काज के तौर तरीकों से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने मोदी से मिलने की ख्वाहिश जाहिर करते उन्हें एक मेल लिख डाला। अगले ही दिन यानी 11 अगस्त को उनके पास पीएमओ से फोन आ गया कि कल यानी 12 तारीख को उन्हें मुलाकात की बाबत सूचित कर दिया जाएगा, दरअसल संदीप ने पीएम को भेजे अपने मेल में यह इच्छा व्यक्त की थी कि वे विदेश नीति से जुड़े कुछ अहम मुद्दों पर अपनी राय देना चाहते हैं। 12 तारीख को संदीप के पास फोन आ गया कि वे कल संसद भवन में अमुक समय पर विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से मिल लें। इत्तफाक से उस रोज संसद में नेशनल ज्यूडिशयल एपांयरमेंट कमीशन बिल पर वोटिंग चल रही थी, पर भूरिया तय समय पर सुषमा से मिलने संसद भवन जा पहुंचे। सूचना मिलते ही सुषमा सदन छोड़ कर संदीप से मिलने आ पहुंची और करीब एक घंटे तक यह मुलाकात चली, जाते-जाते सुषमा ने संदीप से पूछा कि ‘वे मोदी जी को कब से जानते हैं?’ संदीप का जवाब था-‘जी, उनसे कभी मिला नहीं, बस एक मेल भेजा था।’ संदीप का जवाब सुनकर मोदी सरकार की यह वरिष्ठतम मंत्री स्थितप्रज्ञ रह गईं। |
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August 18th, 2014
Really love your gossips hope there is some truth in it though. :P
August 24th, 2014
This is wonderful from PM. If some one wants to do something really good for the Country and he has got good ideas to share with, he should be given an opportunity . This is called democratic approach and participative management.The whole objective is Country’s progress and image building with people’s welfare being the undercurrent.Good going.