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माया की माया अपरंपार

Posted on 09 September 2023 by admin

भले ही बसपा सुप्रीमो मायावती ने मुनादी कर दी हो कि वह विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ और शासक गठबंधन ‘एनडीए’ से बराबर की दूरी रखेंगी, पर इसके बावजूद उन्होंने अपने सियासी विकल्प खुले रखे हैं। शायद इसी कड़ी में पिछले दिनों उन्हें सपा मुखिया अखिलेश यादव का फोन आ गया। अखिलेश चाहते थे कि घोसी उप चुनाव में माया सपा उम्मीदवार का समर्थन कर दें जिससे कि दलबदलू भाजपा उम्मीदवार दारा सिंह को कायदे से सबक सिखाया जा सके। पर कहते हैं माया ने अखिलेश के इस प्रस्ताव को सिरे से नकार दिया। पर दोनों नेताओं में इस बात पर सहमति जरूर बनी है कि जनवरी माह में दोनों एक बार साथ जरूर बैठेंगे, 15 जनवरी को मायावती का जन्मदिन आता है, जन्मदिन की बधाई देने के लिए अखिलेश माया के घर जाएंगे फिर लोकसभा चुनावों को लेकर आगे की रणनीति पर चर्चा हो सकती है। बातों ही बातों में अखिलेश ने माया से यह भी स्पष्ट कर दिया कि ’सपा अभी सिर्फ लोकसभा की 33 सीटों पर ही अपना पूरा फोकस रख रही है’, यानी अखिलेश ने एक तरह से माया को सिग्नल भेज दिया है कि ’अगर वे चाहे तो 2019 के प्रारूप वाले गठबंधन पर फिर से काम हो सकता है।’

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हरियाणा भाजपा में भगदड़

Posted on 09 September 2023 by admin

हरियाणा भाजपा में सब कुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा है, पिछले दिनों यहां के तीन भाजपा सांसद पार्टी बदलने को तत्पर दिखे। ये तीन सांसद बारी-बारी से कांग्रेस नेता भूपिंदर सिंह हुड्डा से मिलने पहुंचे और अपने लिए कांग्रेस के टिकट की मांग की। कहते हैं हुड्डा ने उन्हें भरोसा दिलाया है कि ’उनकी ओर से तो ’हां’ है, बस उन्हें इसके लिए एक बार पार्टी हाईकमान की रज़ामंदी मिल जाए।’ वहीं भाजपा के एक और वरिष्ठ नेता राव इंद्रजीत सिंह ने अपने पार्टी हाईकमान को संदेशा भिजवा दिया है कि ’अगर उनकी सीट भूपेंद्र यादव को दी गई तो वे कांग्रेस में शामिल होने से नहीं हिचकेंगे।’ भाजपा सांसदों की नाखुशी का नजारा तब भी देखने को मिला, जब राज्य के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने राज्य के सांसदों की एक अहम मीटिंग तलब की तो उस मीटिंग में प्रदेश के 10 में से मात्र 6 सांसद ही पहुंचे।

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बिहार में हवाई अड्डों की राजनीति

Posted on 11 July 2023 by admin

‘सिर्फ पंखों से कहां मुकम्मल होती है कोई उड़ान,
इसमें मिलाओ रंग हौसलों का और थोड़ा आसमान’

सियासत को तो यूं भी पंख फैला कर उड़ने की आदत होती है, ऐसे में जब बात हवाई अड्डों की हो तो सियासतदां भी आसमां से चुगली करने लग जाते हैं। एक बिचारे पटना एयरपोर्ट पर आफत आन पड़ी है, इस एयरपोर्ट की लोकेशन ही कुछ ऐसी है कि इसका और विस्तार मुमकिन नहीं, पटना हवाई अड्डे का रनवे भले ही 2.286 मीटर लंबा हो पर यहां जहाज उतारने वाले पायलट इसका मात्र 1.954 मीटर ही इस्तेमाल कर पाते हैं। सो, उन्हें यहां बेहद मुश्किल लैंडिंग करानी पड़ती है क्योंकि लैंडिंग करने वाले जहाज की राह में पटना विधानसभा भवन का क्लॉक टॉवर और दूसरी स्टेशन फूलवारी शरीफ का रेलवे स्टेशन आड़े आ जाता है, साथ ही पटना एयरपोर्ट पर विमान से पक्षी टकराने की आशंका भी सदैव बनी रहती है। डीजीसीए की हमेशा यहां फ्लाइट उतारने वाले पायलटों पर नज़र होती हैं, पटना से सटे बिहटा एयरपोर्ट के पास भी 2500 मीटर का रनवे है, पर यह भी ‘वाइड बॉडी एयरक्राफ्ट’ के उतरने के लिए नाकाफी है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहटा एयरपोर्ट के लिए 126.41 एकड़ जमीन अधिग्रहण को मंजूरी प्रदान की थी, और अब एयरपोर्ट के टर्मिनल बिल्डिंग के लिए एयरपोर्ट ऑथिरिटी को 108 एकड़ भूमि ’फ्री ऑफ कॉस्ट’ दी गई है। यही वजह है कि पूर्व नागरिक उड्डयन मंत्री रूढ़ी इसे अपने संसदीय क्षेत्र सारण के अंतर्गत आने वाले सोनपुर ले जाना चाहते हैं। वहीं नीतीश कुमार चाहते हैं कि ’पटना के विकल्प के तौर पर नालंदा में एक बड़ा एयरपोर्ट बने जहां ’वाइड बॉडी एयरक्राप्ट’ (बड़े जहाज) भी उतर सकें।’ वहीं पटना से लगे बिहटा एयरपोर्ट का काम चल रहा है, वैसे भी नालंदा में एयरपोर्ट के लिए जमीन अधिग्रहण में ढेरों समस्याएं आ रही हैं। पर नीतीश कुमार के लिए एक अच्छी खबर यह है कि कभी उनके बेहद भरोसेमंद अधिकारी रहे चंचल कुमार नागरिक उड्डयन मंत्रालय में सचिव पद का जिम्मा संभालने जा रहे हैं। चंचल कुमार बिहार कैडर के 1992 बैच के आईएएस अधिकारी हैं, जो आईआईटी कानपुर से पढ़े लिखे हैं। जब नीतीश केंद्र में मंत्री थे तब भी चंचल कुमार उनके साथ ही थे।

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क्यों सुलग रहा है मणिपुर?

Posted on 11 July 2023 by admin

मणिपुर में राज्य हाई कोर्ट के 3 मई के उस फैसले के बाद वहां बवाल मचा हुआ है, जिस आदेश में राज्य की गैर जनजाति मैतेई समुदाय को जनजाति में शामिल करने की बात कही गई थी। मैतेई समुदाय का राज्य की कुल आबादी में 64 फीसदी की हिस्सेदारी है, राज्य के 60 में से 40 विधायक मैतई समुदाय से ताल्लुक रखते हैं, मैतेई समुदाय का एक बड़ा हिस्सा हिंदू धर्मावलंबी है। जबकि राज्य की अन्य दोनों प्रमुख जनजातियां यानी कुकी और नगा ईसाई धर्म को मानने वाले हैं। राज्य के मौजूदा मुख्यमंत्री नोंगथोंबन बीरेन सिंह भी इसी बहुसंख्यक मैतेई जाति से आते हैं। मैतेई आम तौर पर घाटी में बसे हुए हैं और कुकी पहाड़ों पर। कुकी समुदाय बड़े पैमाने पर अफीम की खेती से भी जुड़े हैं। मैतेई के पास राज्य की केवल 8 फीसदी भूमि है और मौजूदा कानून के मुताबिक उन्हें पहाड़ों पर जमीन खरीदने की इजाजत नहीं है, पर एक बार अगर वे जनजाति में शुमार हो जाते हैं तो वे भी आसानी से पहाड़ों पर जमीन खरीद पाएंगे। बदलते दौर के साथ मणिपुर ड्रग्स की स्मगलिंग के एक बड़े अड्डे के रूप में विकसित होता गया है, सूत्रों का दावा है कि यहां से ड्रग्स देशभर में सप्लाई होती है। मणिपुर पिछले दो महीनों से सुलग रहा है, ऐसे में यहां से बड़े पैमाने पर कुकी जनजाति का पलायन हुआ है, या तो वे पहाड़ों पर चले गए हैं, या फिर असम जैसे राज्यों में शिफ्ट हो गए हैं। गृह मंत्री अमित शाह के दौरे के बाद भी जब यहां के हालात नहीं सुधरे तो केंद्र सरकार ने अब यहां राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवल को सक्रिय कर दिया है, केंद्र को उम्मीद है कि डोवल यहां के हालात कुछ दिनों में सामान्य कर देने की क्षमता रखते हैं।

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सचिन पायलट कैसे माने?

Posted on 11 July 2023 by admin

क्या कांग्रेस ने अपने राजस्थान का झगड़ा वाकई सुलझा लिया है? क्या राहुल के समझाने पर सचिन पायलट ने अपने हथियार डाल दिए हैं? अशोक गहलोत भले ही इस मीटिंग में अपने पैर की चोट का हवाला देकर वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से शामिल हुए हों पर उनकी गैर मौजूदगी में राहुल का रूख पायलट के लिए किंचित बहुत सकारात्मक था। दिल्ली की इस मीटिंग में राहुल के अलावा कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, केसी वेणुगोपाल, कांग्रेस के राजस्थान प्रभारी सुखजिंदर रंधावा, गोविंद सिंह डोटासरा और वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से अशोक गहलोत जुड़े थे। कहते हैं इस बैठक में दो महत्वपूर्ण फैसला लिए गए, एक तो पार्टी किसी को भी सीएम फेस बनाए बगैर मैदान में उतरेगी और पार्टी एक बार फिर से राजस्थान में विजयी रहती है तो भी गहलोत को दिल्ली आकर पार्टी के राष्ट्रीय संगठन में काम करना होगा। कहते हैं बैठक समाप्त होने के बाद सचिन ने अपनी ओर से 60 प्रत्याशियों की एक सूची भी खड़गे को सौंपी है, जिन्हें वे इस बार के चुनाव में टिकट दिलवाना चाहते हैं, सचिन को आश्वासन मिला है कि पार्टी उनके दिए गए नामों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करेगी।

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खड़गे कब करेंगे संगठन में फेरबदल

Posted on 11 July 2023 by admin

मल्लिकार्जुन खड़गे को कांग्रेस पार्टी का कार्यभार संभाले 8 महीनों से ज्यादा का वक्त होने को आया है पर अभी तक वे पार्टी संगठन में कोई माकूल फेरबदल नहीं कर पाए हैं। सबसे अहम सवाल तो यह कि कांग्रेस में फेरबदल अहम कार्यनिर्धारक समिति सीडब्ल्यूसी यानी कांग्रेस वर्किंग कमेटी में फेरबदल क्या वे 2024 के आम चुनाव से पहले कर पाएंगे? कहते हैं सीडब्ल्यूसी में यथास्थिति बनाए रखने में गांधी परिवार के करीबी माने जाने वाले उन नेताओं की बड़ी भूमिका है जो 1998 के बाद से ही यानी सोनिया गांधी के पार्टी अध्यक्ष बनने के बाद से ही इसमें कुंडली मारे बैठे हैं। खड़गे पुराने नेताओं को हटाने की बला अपने सिर नहीं लेना चाहते, आज तक वे राज्यसभा में भी अपनी जगह पार्टी का कोई नेता नहीं बना पाए हैं, वहां भी पार्टी अपने डिप्टी लीडर प्रमोद तिवारी से ही काम चला रही है। लोकसभा में भी अधीर रंजन चौधरी एक साथ दो-दो पदों पर बने हुए हैं, वे लोकसभा में नेता विपक्ष हैं और बंगाल कांग्रेस के मुखिया भी।

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छत्तीसगढ़ में कांग्रेस का अंदरूनी विवाद

Posted on 11 July 2023 by admin

छत्तीसगढ़ में कांग्रेस का अंदरूनी विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा। अभी पिछले दिनों पार्टी ने बाबा यानी टीएस सिंहदेव को राज्य का उप मुख्यमंत्री बना उनकी नाराज़गी दूर करने का प्रयास किया है। ऐसे में राज्य के एक पुराने ओबीसी नेता ताम्रध्वज साहू ने अपनी नाराज़गी सार्वजनिक कर पार्टी की पेशानियों पर बल ला दिए हैं। अब साहू भी बाबा के कदम पर चल कर राज्य के डिप्टी सीएम बनना चाहते हैं। हाईकमान ने साहू से जब बात की तो कहते हैं साहू ने अपने कुछ पसंदीदा लोगों की एक लिस्ट उन्हें थमा दी है जिन्हें वे इस विधानसभा चुनाव में टिकट दिलवाना चाहते हैं। पार्टी शीर्ष ने उन्हें भरोसा दिया है कि उनके द्वारा सुझाए गए नामों पर भी गंभीरता से विचार होगा।

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मोदी मंत्रिमंडल में एक बड़े फेरबदल के कयास

Posted on 11 July 2023 by admin

’एक खबर सा है तू, रोक नहीं पाता खुद को बिखरने से
एक आइना सा है तू, रोक नहीं पाता किसी को संवरने से’

आने वाले कुछ दिनों में मोदी मंत्रिमंडल में एक बड़ा फेरबदल मुमकिन है, कयासों के मंजर सज चुके हैं, आने व जाने वालों की धड़कनें तेज हैं। सूत्रों की मानें तो संसद के मानसून सत्र यानी 17 जुलाई से पहले यह फेरबदल कभी भी हो सकता है। इसके लिए जो तारीख मुकर्रर हो सकती है, वह है 4 या 5 जुलाई या फिर 8-15 जुलाई के बीच कभी भी। जो नाम मंत्री बनने की रेस में शामिल हैं, वे हैं कैप्टन अमरिंदर सिंह, सीपी जोशी, चिराग पासवान, हरसिमरत कौर बादल, केशव प्रसाद मौर्य, प्रताप राव जाधव, राहुल शेवाले या श्रीरंग बर्ने में से कोई एक। कई बड़े मंत्रियों को आसन्न 2024 के चुनावों के मद्देनज़र पार्टी संगठन में भेजा जा सकता है, जैसे धर्मेंद्र प्रधान, भूपेंद्र यादव, नरेंद्र सिंह तोमर, प्रह्लाद जोशी, गजेंद्र सिंह शेखावत व महेंद्र नाथ पांडेय, ये लोग भाजपा संगठन की शोभा बढ़ा सकते हैं। कुछ मंत्रियों के भार कम किए जा सकते हैं, जैसे अश्विनी वैष्णव आईटी, ज्योतिरादित्य सिंधिया से स्टील और अनुराग ठाकुर से सूचना-प्रसारण मंत्रालय वापिस लिया जा सकता है। बदले परिदृश्य में एकनाथ शिंदे की शिवसेना, मुकेश सहनी की वीआईपी और एनडीए का पुराना घटक दल अकाली फिर से सरकार में वापसी कर सकते हैं। वापसी के कयास तो चंद्रबाबू नायडू की तेदेपा के लिए भी है। राजस्थान के आने वाले विधानसभा चुनावों को देखते हुए दौसा की सांसद जरकौर मीणा, व बांसवाड़ा-डूंगरपुर के सांसद कनकमल कटारा के नाम भी मंत्री पद की रेस में शामिल बताए जाते हैं। वहीं राजस्थान का ब्राह्मण चेहरा घनश्याम तिवाड़ी, सीकर के सांसद सुमेधानंद सरस्वती व राजकुमारी दीया कुमारी के नाम के भी चर्चे हैं। तेलांगना के प्रदेश अध्यक्ष बांदी संजय कुमार को भी कैबिनेट में शामिल किया जा सकता है। मल्याली सुपर स्टार सुरेश गोपी जो केरल से आते हैं, इनको भी केंद्र में मंत्री बनाया जा सकता है। तेलांगना प्रदेश भाजपा के नए अध्यक्ष के तौर पर एटाला राजेंद्र और डीके अरूणा के नामों की चर्चा है। इन कयासों को इसीलिए भी पंख मिल रहे हैं कि प्रगति मैदान दिल्ली के नए बने कन्वेंशन सेंटर में पीएम मोदी अपने कैबिनेट की अहम बैठक 3 जुलाई को कर रहे हैं। इससे पहले अपनी विदेश यात्रा से लौटने के तुरंत बाद इस बुधवार को पीएम ने अपने सरकारी आवास पर अमित शाह, जेपी नड्डा व संगठन महासचिव बीएल संतोष के साथ 5 घंटों की एक मैराथन बैठक की थी, यह बैठक सरकार व पार्टी संगठन में व्यापक बदलाव पर फोकस थी।

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शताब्दी वर्ष की तैयारियों में जुटा संघ

Posted on 11 July 2023 by admin

डॉ. केशव हेडगेवार ने सन् 1925 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की नींव डाली थी, इस लिहाज से आने वाले 2025 में संघ अपनी स्थापना के 100 वर्ष पूरे कर लेगा। संघ ने अपने शताब्दी वर्ष को जोर शोर से मनाने की तैयारियां अभी से शुरू कर दी है। अभी देशभर में संघ की 55,000 शाखाएं लगती हैं, संघ का लक्ष्य 2025 तक इसे एक लाख करने का है। संघ का लक्ष्य गांव-गांव तक अपने विचारों के विस्तार का है, जिसके लिए संघ ने अपने नंबर दो दत्तात्रेय होसाबोले की अगुवाई में 3000 लोगों की एक टीम बनाई है, इस टीम को ’शताब्दी वर्ष विस्तारक’ के रूप में जाना जाएगा। ये विस्तारक गांव-गांव तक पहुंचेंगे, इनका लक्ष्य खास तौर पर दलित व घुमंतु जातियों को साधने का है। 10-12 गांवों को मिला कर ये विस्तारक इसे एक मंडल का रूप देंगे। उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों में यही विस्तारक ’एक गांव, एक कुआं और एक श्मशान’ की नीति को अमलीजामा पहनाएंगे। 2024 के आसन्न आम चुनाव के मद्देनज़र ये विस्तारक देशभर की जमीनी हकीकत और लोगों के मूड को खंगाल कर इसकी रिपोर्ट ऊपर तक देंगे यानी कहीं न कहीं भाजपा को भी इन शताब्दी वर्ष विस्तारकों के जमीनी फीडबैक का लाभ मिलने वाला है।

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कैसे माने सिंहदेव?

Posted on 11 July 2023 by admin

बाबा के नाम से मशहूर सरगुजा के महाराज व छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव को बघेल सरकार में उप मुख्यमंत्री बनाने का फैसला कांग्रेस हाईकमान के लिए किंचित आसान नहीं था। सूत्रों की मानें तो राज्य में मुख्यमंत्री का ढाई साल का टर्म नहीं मिलने से सिंहदेव अपने पार्टी हाईकमान से इस कदर नाराज़ थे कि उन्होंने चुनाव से ऐन पहले कांग्रेस छोड़ने का पक्का मन बना लिया था। सूत्रों की मानें तो सिंहदेव की बात आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल से हो चुकी थी और वे आसन्न राज्य चुनावों में कांग्रेस के जीत के मंसूबों पर झाड़ू लगाने को तैयार बैठे थे। कहते हैं इसके बाद राहुल करीबी कनिष्क सिंह हरकत में आए और उन्होंने आनन-फानन में सिंहदेव की बात राहुल से करवाई। फौरन सिंहदेव को दिल्ली तलब किया गया। कांग्रेस नेतृत्व को इस बात का डर सता रहा था कि सिंहदेव के बागी होने से सरगुजा संभाग की 14 सीटों पर इसका सीधा असर पड़ सकता है, इसके अलावा सरगुजा के आसपास की कोई दर्जन भर सीटों पर भी इसका प्रभाव पड़ सकता है। सो, सिंहदेव के दिल्ली पहुंचते ही उनकी राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे और छत्तीसगढ़ की प्रभारी कुमारी सैलजा के साथ कोई चार घंटे की मैराथन बैठक चली। इसके बाद कोई 45 मिनट खड़गे व राहुल गांधी अकेले में बैठे, फिर सिंहदेव को डिप्टी सीएम बनाने का अहम फैसला ले लिया गया।

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