Posted on 26 December 2022 by admin
’बस इस उम्मीद में तेरे दर पर रोज एक चि़राग जला देते हैं
मेरे ख्वाब हो रौशन, इसी लौ से एक टीका लगा लेते हैं’
ऐसे कयास लग रहे हैं कि बहुत जल्द मोदी कैबिनेट में एक बड़ा फेरबदल होने जा रहा है। सूत्रों की मानें तो मंत्रियों के प्रदर्शन को आधार बना कर उनके ’रिपोर्ट कार्ड’ तैयार किए गए हैं। यह भी सुनने में आ रहा है कि इस बार कई हैवीवेट मंत्रियों की विकेट गिर सकती है। दो युवा मंत्रियों को उनके अति उत्साही बोलों की कीमत चुकानी पड़ सकती है। दिल्ली के निकाय चुनावों को आधार बनाते हुए मनोज तिवारी या गौतम गंभीर में से किसी को मंत्री बनाया जा सकता है, मीनाक्षी लेखी पर भी खतरे की तलवार टंगी है। फेरबदल के कयासों को इस बात से भी बल मिला है कि गृह मंत्री अमित शाह से मिलने के लिए भगवा सांसद गण लगातार टाइम मांग रहे हैं। यूपी के एक चर्चित सांसद जब शुक्रवार को गृह मंत्री से मिल कर बाहर निकले तो उनके सहयोगियों के हौंसले बम-बम थे, उन्हें उम्मीद बंध गई है कि सांसद महोदय इस दफे मंत्री बनने के लिए कतार में शामिल हो गए हैं।
Posted on 23 November 2022 by admin
’घर-घर में आज भी चल रही राम कथा है
विभीषण जिंदा है, सीता की वही पुरानी व्यथा है’
यादव परिवार की इस चिंता ने कि ‘घर का भेदी अगर लंका ढाह सकता है’ तो फिर मैनपुरी का उप चुनाव किस खेत की मूली है, इस ख्याल ने अखिलेश को सपा प्रत्याशी बदलने पर मजबूर कर दिया। मुलायम सिंह यादव के निधन से रिक्त हुई मैनपुरी संसदीय सीट पर 5 दिसंबर को उप चुनाव होने हैं। भाजपा को जैसे ही पता चला कि अखिलेश यहां से तेजप्रताप यादव को मैदान में उतारना चाहते हैं, भगवा पार्टी ने अखिलेश के चाचा शिवपाल यादव पर दांव लगाने का मन बना लिया, स्वयं योगी ने शिवपाल को फोन कर दिया, शिवपाल उस वक्त दिल्ली में थे, वे भागे-भागे लखनऊ पहुंचे, मुख्यमंत्री के संग उनकी मुलाकात में फिर यह तय हो गया कि वे मैनपुरी से भाजपा के उम्मीदवार होंगे। जब यह बात अखिलेश को पता चली तो उन्होंने आनन-फानन में तेजप्रताप की जगह मैनपुरी के मैदान में डिंपल को उतारने का फैसला कर लिया। पर सूत्रों की मानें तो डिंपल चुनाव लड़ने की इच्छुक नहीं थी, उन्हें कन्नौज और फिरोजाबाद में मिली हार का दंश अभी भी परेशान कर रहा था। अखिलेश ने बमुश्किल उन्हें चुनाव लड़ने को मनाया, यह कहते हुए कि यह परिवार की इज्जत का सवाल है। डिंपल मान गईं तो चाचा शिवपाल के समक्ष धर्मसंकट पैदा हो गया, उन्होंने योगी को फोन कर के कहा कि ’माफ कीजिएगा मैं बहू के सामने चुनाव नहीं लड़ सकता।’ योगी ने समझाना चाहा, पर शिवपाल नहीं माने, यानी अखिलेश का ‘मास्टर स्ट्रोक’ चल निकाला।
Posted on 23 November 2022 by admin
मल्लिकार्जुन खड़गे को पार्टी का नया अध्यक्ष बनने पर उन्हें बधाई देने के लिए राहुल कोटरी के एक अहम सदस्य भंवर जितेंद्र सिंह पहुंचे। बातों ही बातों में भंवर जितेंद्र ने खड़गे को बताया कि आपके तमाम समझाने के बावजूद अजय माकन फिर से जयपुर पहुंच गए हैं। भंवर का इशारा था कि इस पर गहलोत की प्रतिक्रिया फिर से सामने आ सकती है। खड़गे ने फौरन माकन को संदेशा भिजवाया कि वे जयपुर छोड़ कर दिल्ली आ जाएं। पर माकन नहीं माने, उल्टे उन्होंने पार्टी की अनुशासन समिति को पत्र लिख कर गहलोत समर्थक तीन विधायकों पर कड़ी कार्यवाई की मांग कर दी। पर यह चिट्ठी लीक हो गई और माकन जिन तीन विधायकों पर कार्यवाई चाहते थे उनमें से एक विधायक राहुल की भारत जोड़ो यात्रा का इंचार्ज बन गया। माकन ने दीवार पर लिखी इबारत पढ़ ली और उन्होंने कांग्रेस के राजस्थान प्रभारी पद से इस्तीफा दे दिया।
Posted on 23 November 2022 by admin
दिग्विजय सिंह राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा को बिहार ले जाने का सारथी बनना चाहते हैं। दिग्विजय की दिली इच्छा है कि राहुल की यात्रा बिहार में दिग्विजय के ननिहाल गिठौर (बांका) से शुरू होकर 1023 किलोमीटर का सफर तय कर बोधगया में समाप्त हो। बिहार में इस यात्रा की जिम्मेदारी दिग्विजय और जयराम रमेश ने वहां के पूर्व मंत्री अवधेश सिंह को सौंपी है। पर बिहार कांग्रेस के समक्ष सबसे बड़ी समस्या यह है कि राहुल की बिहार यात्रा का खर्चा कौन उठाएगा, क्योंकि बिहार में कांग्रेस वर्षों से सत्ता से बाहर रही है और थैलीशाहों ने भी पार्टी से एक दूरी बना रखी है। वैसे भी राहुल की यात्रा का एक अहम नियम है कि उनकी यात्रा जिस राज्य में पहुंचती है, उस राज्य के पार्टी नेता ही इस यात्रा का पूरा खर्च उठाते हैं, कहते हैं यात्रा के एक दिन का खर्च भी करोड़ों में होता है। सो कुछ पार्टी नेताओं के सुझाव आए कि यात्रा पटना तक ही सीमित रखी जाए, पर अवधेश सिंह इसे गया लेकर जाना चाहते हैं, क्योंकि 2024 का चुनाव वह गया से लड़ने के इच्छुक हैं।
Posted on 23 November 2022 by admin
दिल्ली के छत्तरपुर में जिस बर्बर तरीके से मुंबई की श्रद्धा वाल्कर की हत्या हुई उसे लेकर दिल्ली का मीडिया बाजार में कूद गया है। खबर ब्रेक करने की ऐसी होड़ मची है कि चैनल वाले आरोपी आफताब पूनावाला के घर के बाथरूम, किचन और कमरे से चिपक कर ‘पीस टू कैमरा’ कर रहे हैं। दिल्ली पुलिस अब तक हत्या के सारे सबूत नहीं जुटा पाई है, ऐसे में इस बात को लेकर चर्चा गर्म है कि क्या मीडिया, उसके कैमरे और पत्रकार अनजाने में कत्ल के अहम सुराग से छेड़छाड़ कर रहे हैं? कुछ उत्साही मीडिया मंडली तो महरौली के जंगलों में श्रद्धा के शरीर के टुकड़े ढूंढने में जुटी है। इन बातों से दिल्ली के पुलिस कमिश्नर संजय अरोड़ा काफी परेशान हैं, अरोड़ा तमिलनाडु कैडर के आईपीएस अफसर हैं, जो वीरप्पन को पकड़ने के लिए गठित टास्क फोर्स के एक अहम सदस्य थे। वे आईटीबीपी के डीजी भी रह चुके हैं। अरोड़ा के कैडर की वजह से कहते हैं दिल्ली पुलिस के बड़े अफसर उन्हें पूरा सहयोग भी नहीं कर रहे हैं।
Posted on 23 November 2022 by admin
’मेरा वजूद यूं राहों में दूर तक बिखरा है
तू मेरा अक्स था मुझसे टूट का बिछड़ा है’
जुलाई माह में नवनिर्मित सेंट्रल विस्टा के शानदार परिसर में नई संसद के शिखर पर कांसे में ढले राष्ट्रीय प्रतीक अशोक स्तंभ को स्थापित किया गया था, जिसका लोकार्पण प्रधानमंत्री के कर कमलों द्वारा संपन्न हुआ था। इसके बाद इन स्थापित शेरों की भंगिमाओं को लेकर सोशल मीडिया पर घमासान छिड़ गया और इस ओर इशारा किया गया कि इन शेरों को बिलावजह ज्यादा गुस्से में दिखाया गया है, कई नेतागण भी इस विवाद में कूद गए, जाहिरा तौर पर सरकार को बचाव की मुद्रा अख्तियार करनी पड़ी। फिर अचानक कोई पखवाड़े पूर्व नई दिल्ली के राजेंद्र प्रसाद रोड की ओर मुंह किए शेर को ढक दिया गया, कारण पूछे जाने पर सीपीडब्ल्यूडी की ओर से कोई जवाब नहीं आया, अब जब शेर के मुंह से कपड़ा हटाया गया है तो आपको यह देख कर हैरानी होगी कि शेर के क्रोधित भंगिमाओं को कम करने के प्रयास हुए हैं, उसका मुंह भी पहले से कहीं छोटा दिखता है। मौजूदा निजाम के इस बदले रुख से इतना तो समझा ही जा सकता है कि वह अब ’करेक्शन मेजर’ पर भी अमल करने को तैयार है, यह उसकी फराखदिली है या मजबूरी? क्या मालूम!
Posted on 23 November 2022 by admin
भाजपा के लौह पुरुष लाल कृष्ण अडवानी 95 साल के हो गए हैं, उनके अवतरण दिवस के मौके पर पीएम मोदी ने भी अडवानी के घर जाकर उन्हें जन्मदिन की बधाईयां दीं। अडवानी अपने बर्थडे के मौके पर पुत्री प्रतिभा का सहारा लेकर ड्राईंग रूम तक आए और अपनी चिरपरिचित मुद्रा में वहीं एक सोफे पर बैठ गए। उन्हें बधाई देने वालों का तांता लगा रहा, फोन की घंटी भी लगातार बज रही थी। प्रतिभा फोन रिसीव कर कॉल को स्पीकर पर रख दे रही थीं, अडवानी सुन रहे थे, पर कम लोगों से ही बात की। इस उम्र में भी उनकी याददाश्त दुरूस्त लग रही थी, हर किसी को नाम से पहचान ले रहे थे, आगंतुकों के लिए अलग-अलग किस्म की ढेरों मिठाईयों का वहां अंबार लगा था, पूरा कमरा गुलदस्तों से भर गया था, फिर भी अडवानी की खोई आंखें जैसे कुछ ढूंढ रही थीं, कुछ खोया हुआ सा जो हासिल न हो सका उनको।
Posted on 23 November 2022 by admin
गुजरात चुनाव की कमान कोई साल भर पहले से संघ ने संभाल रखी थी, संघ से जुड़े विश्वस्त सूत्रों ने खुलासा किया कि भाजपा शीर्ष से परामर्श के बाद संघ ने अपने 6000 से ज्यादा स्वयंसेवकों को गुजरात का जिम्मा सौंप दिया था, एक-एक विधानसभा में 40 से ज्यादा स्वयंसेवक सक्रिय हैं। चुनाव प्रबंधन के दो मुख्य केंद्र बनाए गए हैं, एक अहमदाबाद में और दूसरा सौराष्ट्र क्षेत्र के लिए राजकोट में। भाजपा हाईकमान ने स्पष्ट तौर पर अपने कार्यकर्ताओं से कह रखा था कि वे संघ से तालमेल कर काम करें। शायद यही कारण था कि गुजरात चुनाव में बड़े पैमाने पर भाजपा ने अपने स्थापित नेताओं के टिकट काट दिए पर कहीं कोई चू-चपड़ नहीं हुई, संघ ने गुजरात को हिमाचल बनने ही नहीं दिया, नाराज़ नेताओं को मनाने का जिम्मा संघ ने स्वयं उठा रखा था।
Posted on 23 November 2022 by admin
इस बार का हिमाचल चुनाव लगता है बागियों के नाम रहा। भले ही प्रत्याशियों के भाग्य ईवीएम में कैद हो चुके हों, पर चुनाव से पहले यहां दोनों प्रमुख पार्टियों यानी भाजपा व कांग्रेस के घर खूब कोहराम मचा। भाजपा बागियों की खबर तो निकल कर बाहर आ गई, यहां तक कि पीएम मोदी को भी उन्हें मनाने में ढेरों मशक्कत करनी पड़ी। वहीं कांग्रेस में भी कोई कम असंतोष नहीं था। भले ही हिमाचल का जिम्मा प्रियंका गांधी ने उठा रखा था, पर पार्टी की अंदरूनी कलह का उन्हें भी भान था। सबसे खास तो यह कि हिमाचल में इस दफे प्रियंका ने अपनी पूरी साख ही दांव पर लगा दी, उनकी आठ बड़ी चुनावी रैलियां हुई पर उसमें उन्होंने वोट राहुल गांधी के नाम पर नहीं मांगे बल्कि परिवर्तन के नाम पर। राहुल जहां अपनी ‘भारत जोड़ो यात्रा’ में भारत जोड़ने की बात कर रहे थे, हिमाचल में उनकी पार्टी अलग-अलग गुटों में बंटी नज़र आई। इसी गुटबाजी ने कांग्रेस के सीएम पद के एक दावेदार मुकेश अग्निहोत्री की भी मुश्किलें बढ़ा दी। यही वजह है कि बागियों की वजह से पिछड़ती लग रही भाजपा को यहां एक बार फिर से सरकार बनाने का भरोसा हो चला है क्योंकि आप यहां एक बेहद कमजोर पिच पर है।
Posted on 23 November 2022 by admin
बिहार की गोपालगंज सीट पर लालू यादव की पार्टी के उम्मीदवार मोहन गुप्ता को मात्र 1794 वोटों से भाजपा के हाथों शिकस्त खानी पड़ी। इस चुनाव में भाजपा के दो अघोषित मित्रों यानी बसपा और औवेसी की एआईएएम ने भाजपा को यहां जिताने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। बसपा ने यहां आखिरी वक्त पर लालू के साले साहब यानी साधु यादव की पत्नी इंद्रा यादव को मैदान में उतार दिया जो अकेले 8008 वोट ले आई, जब तक साधु लालू के साथ थे तो गोपालगंज का जिम्मा वही संभालते थे, इस नाते उनका क्षेत्र में अब भी थोड़ा बहुत असर है ही। औवेसी के उम्मीदवार 12 हजार से ज्यादा वोट ले आए, नीतीश कुमार गोपालगंज उप चुनाव प्रचार में गए ही नहीं क्योंकि मोहन गुप्ता घोषित तौर पर एक शराब कारोबारी हैं।