Posted on 07 May 2013 by admin
कानून मंत्री अश्विनी कुमार की कार्यशैली और उनके अक्खड़पन से आक्रांत अब उदय ललित ने भी कानून मंत्री से यह कहते हुए एडिशनल सॉलिसीटर जनरल बनने से मना कर दिया कि-‘सर, आपके साथ अपनी जमेगी नहीं।’ इससे पहले सॉलिसीटर जनरल रोहिंटन नारीमन, और फिर हरेन रावल का क्या हश्र हुआ यह तो सबके सामने है। नारीमन का अश्विनी कुमार से जगन मोहन रेड्डी के मुद्दे पर तीव्र मतभेद हो गया था। अश्विनी नारीमन को आदेशपूर्वक हैदराबाद भेजना चाहते थे, तल्ख़ लहजे में यह कहते हुए-‘यू नो आइ एम योर अपांइटिंग अथॉरिटी (आपको मालूम है कि मेरी वजह से आप इस पद पर हैं)।’ बिदक गए नारीमन ने फौरन एक कागा पर अपना इस्तीफा लिखा और उसे मंत्री को सौंपते हुए कहा,’नॉउ यू आर नॉट माय अपांइटिंग अथॉरिटी।’ सो, अश्विनी कुमार की अब भी एक अदद एडिशनल सॉलिसीटर जनरल की तलाश जारी है।
Posted on 30 April 2013 by admin
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Posted on 25 April 2013 by admin
पिदले दिनों संसदीय सौध यानी पार्लियामेंट एनेक्सी में भाजपा पदाधिकारियों की बैठक चल रही थी, इस बैठक में मोदी करीबी और गुजरात भाजपा के महासचिव भीखूभाई दलसानिया भी मौजूद थे। टी-ब्रेक के समय दलसानिया कुछ ऊंचे शब्दों में भाजपा के नवनियुक्त राष्ट्रीय महासचिव अमित शाह को कुछ समझा रहे थे। बंगाल भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष राहुल सिन्हा कुछ पल के लिए वहां रूके और उन्होंने दलसानिया की इस बात के लिए तारीफ की कि आज मीडिया में हर तरफ नरेंद्र भाई ही छाए हुए हैं। दलसानिया ने इस बाबत राहुल सिन्हा को गुरू मंत्र दिया, ‘आप भी मीडिया में चमक सकते हो बशर्ते कोलकाता के उद्योगपतियों से अपने तार जोड़ो और उनका पैसा मीडिया में पंप करवाओ।’ भौचक सिन्हा पलभर में बगले झांकते दिखे।
Posted on 05 March 2013 by admin
विपक्षी नेताओं और उनके करीबियों के फोन टेपिंग में आइबी के एक उच्च अधिकारी की महती भूमिका रही है। जिनके ससुर नार्थईस्ट केएक राज्य के गर्वनर हैं और ये अधिकारी स्वयं दस जनपथ एवं राहुल व प्रियंका गांधी के करीबियों में शुमार होते हैं। कहा जाता है कि इसी अधिकारी की पहल पर जेटली और उनके पुत्र रोहन तथा उनके दो ड्राइवर, नितिन गडकरी, उनके पीएस वैभव डांगे, उनके ड्राइवर, सीताराम येचुरी व विजय गोयल समेत 15 लोगों के फोन टेप हुए और अब सरकार कहती है कि उन्हें इस बात की जानकारी नहीं, तो कहती रहे।
Posted on 05 March 2013 by admin
आने वाले 3-4 दिनों में राजनाथ सिंह अपनी नई टीम का ऐलान कर सकते हैं। सूत्र बताते हैं कि 3 और 4 मार्च की शाम को रामलाल, गडकरी व राजनाथ की नई टीम को लेकर एक अहम बैठक होने वाली है। समझा जाता है कि 4 मार्च तक राजनाथ की नई टीम के नाम फाइनल हो जाएंगे फिर इस लिस्ट को रस्मी तौर पर अडवानी, सुषमा स्वराज, अरूण जेटली, नरेंद्र मोदी, मुरली मनोहर जोशी, वेंकैया नायडू और अनंत कुमार को दिखलाई जाएगी और नई टीम पर उनकी औपचारिक सहमति लेने के उपरांत आने वाले एक-दो राो में राजनाथ की नई टीम की घोषणा हो सकती है।
Posted on 27 February 2013 by admin
राज ठाकरे की भाजपा से बढ़ती नजदीकियां कांग्रेस व एनसीपी को रास नहीं आ रही हैं। अभी पिछले दिनों उद्योगपति गौतम अदानी के पुत्र के विवाह के मौके पर गोवा में डिनर टेबल पर राज ठाकरे को नरेंद्र मोदी और नितिन गडकरी से बतियाते देखा गया। ये बेहद घुल-मिल कर बातें कर रहे थे। चुंकि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव सिर पर हैं इसे देखते हुए राज ठाकरे और उध्दव ठाकरे दोनों ही धुंआधार रैलियां कर रहे हैं। पिछले दिनों उध्दव की रैली जालना में और राज की सभाएं सोलापुर, कोल्हापुर, और कोंकण में हुईं। राज की सभाओं में युवाओं की काफी मौजूदगी देखी गई और राज ने उत्तर भारतीयों के बजाए सीधे एनसीपी और उनके मंत्रियों पर निशाना साधना शुरू कर दिया है। राज का मीडिया मैनेजमेंट भी राज्य की सत्ताधारी पार्टियों को चकित करने वाला है। चुनांचे कांग्रेस व एनसीपी दोनों ही पार्टियां नहीं चाहती हैं कि किसी भी भांति राज व भाजपा की नजदीकियां बढ़े।
Posted on 27 February 2013 by admin
जैसे-जैसे लोकसभा चुनाव नादीक आ रहे हैं तमिलनाडु में डीएमके सहानुभूति फैक्टर को भुनाने में जुट गया है। जब से राजीव गांधी के हत्यारों को फांसी की सजा मिलने की आहटें पुख्ता होने लगी हैं द्रमुक के विरोधी स्वर भी तेज होने लगे हैं। जबकि जब लिट्टे का सफाया हुआ था तब भारत ने ही श्रीलंका को पूरी इंटेलीजेंस मुहैया करायी थी। सनद रहे कि उस वक्त तमिलनाडु में डीएमके की सरकार थी। सनद रहे कि इस ऑपरेशन की पूर्व बेला में जेल में बंद नलिनी से मिलने प्रियंका गांधी वाड्रा पहुंची थीं और उन्होंने बकायदा नलिनी से यह सवाल पूछा था कि -‘तुमने ऐसा क्यूं किया और किसके कहने पर किया?’ नलिनी ने फिर अपनी सारी जानकारी प्रियंका के साथ शेयर भी की थी। और जब उस र्वात्तालाप में स्व. राजीव गांधी की जघन्य हत्या में लिट्टे का हाथ साबित हो गया, तब कहीं जाकर भारत ने लिट्टे के सफाया अभियान को हरी झंडी दिखायी।
Posted on 26 February 2013 by admin
हैदराबाद धमाकों से जहां कांग्रेसनीत यूपीए सरकार के इरादों की चिंदियां उड़ीं, बड़बोले गृहमंत्री के बड़े बोल से राष्ट्र के ाख्म हरे हुए, बेगुनाहों के खून ने मानो चीख-चीख कर बस यही कहा-‘शिंदे साहब, आतंक का कोई रंग नहीं होता, न भगवा, न हरा और आतंक का प्रयोजन भी सिर्फ एक ही होता है-दहशत।’ सो, काबिल गृहमंत्री के कुशल दिशा-निर्देशों में काम कर रही खुफिया एजेंसियों की नारें तब कहां थीं जब हैदराबाद ब्लास्ट के चार दिन पहले ही घटनास्थल को मॉनिटर करने वाले सीसीटीवी कैमरों के तार काट डाले गए और सरकार को आतंकियों के इरादों की भनक भी नहीं मिली। मतलब इंडियन मुजाहिद्दीन काम पर था और हमारी एजेंसियां सो रही थीं। एक फकत यह जानने कि कोशिश भी नहीं हुई कि आखिर इन क्लाो सर्किट कैमरों के तार किस मकसद से काट दिए गए हैं। सब जानते हैं कि आइएम द्वारा प्रयुक्त बम में अमोनियम नाइट्रेट और टाइमर का इस्तेमाल होता है, ये आतंकी संगठन शाम के 6-7 बजे के बीच ही घटना को अंजाम देता है। और यह संगठन उन्हीं शहरों में ऐसी कायराना वारदातों को अंजाम देता है जिसकी रेकी पहले से की गई होती है यानी वैसे शहरों के रिपीट होने की ज्यादा संभावनाएं होती हैं जहां ये आतंकी संगठन पहले विस्फोट कर चुका है। ऐसे में यहां यह सवाल उठना निहायत लाािमी है कि हमारी खुफिया एजेंसियों ने ऐसी धमकियों या सूचनाओं को किंचित गंभीरता से क्यों नहीं लिया? चार दिन पहले ही सीसीटीवी कैमरों की तार कट जाती है और हमारी सुरक्षा एजेंसियों को इसकी भनक नहीं मिलतीहै, इससे साफ है कि इन सीसीटीवी कैमरों की फुटेज को मॉनिटर करने वाला कोई नहीं था। जाहिर है जब हमारी सुरक्षा पर किसी की निगरानी नहीं, तो हम आम अवाम की जान तो ऊपरवाले के ही भरोसे है।
Posted on 12 February 2013 by admin
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Posted on 12 February 2013 by admin
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