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मोटी है मोदी की थैली

Posted on 07 May 2010 by admin

आईपीएल के बदनाम छोरे ललित मोदी ने अपनी थैली का मुंह वकीलों के लिए खोल दिया है, सूत्र बताते हैं कि कई नामचीन वकीलों को वे 50 लाख तक देने को तैयार हैं। सनद रहे कि मोदी को बीसीसीआई के नोटिस का जवाब 15 दिनों के अंदर देना है, बीसीसीआई मोदी का जवाब आने के बाद यह मामला अनुशासन समिति के सुपुर्द कर सकती है, तीन सदस्यीय अनुशासन समिति में चिरायु अमीन, शशांक मनोहर और अरुण जेतली शामिल हैं, अनुशासन समिति अपनी कार्यवाही रिपोर्ट बोर्ड की आमसभा की बैठक में रख सकती है, जहां मोदी पर तलवार चल सकती है। मोदी तो फिलवक्त वकीलों में उलझे हैं, मशहूर वकील मुकुल रोहतगी ने उनका केस लेने से साफ मना कर दिया है, फली एस नरीमन के बेटे ने भी मना कर दिया है और जो वकील ‘हां’ कर रहे हैं मोदी को उनमें बहुत संभावनाएं नहीं दिख रहीं।

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यूपी, बिहार व भूमिहार

Posted on 07 May 2010 by admin

बिहार चुनाव को लेकर भगवा पार्टी में सियासी गहमा-गहमी बढ़ गई है, और जब से अप्रत्याशित तौर पर भूमिहार जाति का प्रतिनिधित्व करने वाले डा. सी.पी ठाकुर बिहार भाजपा के नए प्रदेश अध्यक्ष बने हैं, तब से बिहार भाजपा की अंदरूनी राजनीति में भूचाल आ गया है, बिहार भाजपा पर लंबे समय से काबिज सुशील मोदी ग्रुप हक्का-बक्का है, मंगल पांडे ग्रुप व अश्विनी चौबे ग्रुप की आपसी खींचतान भूमिहार लॉबी के लिए नए अवसर लेकर आई, अब गडकरी चाहते हैं कि कर्नाटक मूल के अनंत कुमार को बिहार का प्रभार सौंप दिया जाए, पर अनंत कुमार के नाम पर बिहार भाजपा में घमासान मचा है। सो गडकरी वफादार फिलहाल चुप रह कर बिहारी सियासत की लहरें गिन रहे हैं। अब चूंकि डा. ठाकुर बिहार भाजपा के अध्यक्ष हो गए हैं सो उत्तर प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष पद के लिए सूर्य प्रकाश शाही की उम्मीदवारी को एक पल को विराम लग गया है, चूंकि शाही भी भूमिहार हैं सो शाही विरोधी खेमा तर्क दे रहा है कि दो साथ लगे हिंदी भाषी राज्यों में भूमिहारों के हाथों में ही कमान कैसे सौंपी जा सकती है? पर आश्वस्त शाही खेमे का तर्क है कि जब भाजपा संसदीय दल में 7 ब्राह्मण हो सकते हैं, आधा दर्जन राज्यों के प्रदेश अध्यक्ष भी ब्राह्मण हो सकते हैं तो महज दो भूमिहारों की अध्यक्षीय दायित्व पर इतना बावेला क्यों?

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कहां से आए टंडन?

Posted on 05 May 2010 by admin

अगर आप वाजपेयी जी के जमाने के अशोक टंडन को नहीं भूले हों तो वे ताजा-ताजा भाजपा अध्यक्ष गडकरी के मीडिया एडवाइजर हो गए हैं, टंडन साहब कभी एक भारतीय समाचार एजेंसी के डिप्लोमेटिक एडिटर के तौर पर लंदन में कार्यरत थे, फिर वाजपेयी के मीडिया सलाहकार हो गए, वहां से छूटे तो माखनलाल चतुर्वेदी संस्थान में निदेशक हो गए। फिलवक्त वे दिल्ली से लगे गुड़गांव में रहते हैं, पिछले दस सालों में किसी ने भी उन्हें भाजपा में आते-जाते नहीं देखा, फिर यूं अचानक उनका ऐसा अभ्युदय…आखिर किसका हाथ है? पार्टी वाले गडकरी से अलग नाराज हैं कि ऐसे व्यक्ति को कैसे अपना सलाहकार नियुक्त कर लिया है जो नई पीढ़ी के पत्रकारों को पहचानते भी नहीं।

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माया पर कांग्रेसी छाया

Posted on 05 May 2010 by admin

मायावती और कांग्रेस में अचानक क्या खूब खिचड़ी पकी है। सूत्र बताते हैं कि बीएसपी अब कटमोशन पर संसद में सरकार का समर्थन करती नजर आएगी, और तो और अब तो आय कर विभाग वालों ने भी कह दिया है कि बहिन जी को मिले गिफ्ट में उन्हें कोई गड़बड़ी नजर नहीं आती। आने वाले दिनों में शायद मूर्ति मामले पर भी कांग्रेसी रुख तनिक लचर नजर आए, पवार और अपने कई अन्य सहयोगी दलों के बदले तेवर से कुछ हैरान-परेशान कांग्रेस को इन दिनों मायावती के 21 सांसदों के समर्थन की सख्त जरूरत आन पड़ी है।

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हर्जाना ढाई मीलियन

Posted on 26 April 2010 by admin

एक अंग्रेजी साप्ताहिक पत्रिका में अगले कुछ रोज में शशि थरूर की मौजूदा कनाडियन मूल की पत्नी का इंटरव्यू आ रहा है। यह इंटरव्यू उन्होंने न्यूयॉर्क में दिया है, इस इंटरव्यू में थरूर की पत्नी ने दावा किया है कि वो अब भी थरूर की  विवाहिता हैं और अगर वे (थरूर) सचमुच तलाक चाहते हैं तो ढाई मीलियन डॉलर एलीमनी अर्थात् हर्जाने की रकम अदा करें, यानी आने वाले दिन थरूर के लिए और मुश्किलों भरे हो सकते हैं।

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धूत के दूत

Posted on 22 April 2010 by admin

लगता है शरद पवार और प्रफुल्ल पटेल का दवाब रंग लाया है, कोच्चि की आईपीएल टीम उनके वर्तमान फे्रंचाइची ‘रौंदेवू’ से छिन सकती है, और अब यह थर्ड पार्टी यानी वेणुगोपाल धूत के पास जा सकती है। धूत कौन? अरे जनाब वीडियोकॉन!

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…और अंत में

Posted on 16 April 2010 by admin

कांग्रेसी राजमाता सोनिया गांधी द्वारा सुझाए गए दिशा-निर्देश पर केंद्र सरकार सचमुच नरेंद्र मोदी के पीछे हाथ धोकर पड़ गई है। सूत्र बताते हैं कि अगर सब कुछ इसी सुविचारित कांग्रेसी रणनीतियों के अनुरूप चला तो मोदी को लंबा कारावास झेलना पड़ सकता है, मोदी भी इस बात को समझते हैं, चुनांचे मोदी ने अभी से अपने उत्तराधिकारी की तलाश शुरू कर दी है। और इस फेहरिस्त में सबसे पहला नाम आनंदी बेन का है, अमित शाह का नंबर दूसरा है।

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पलटवार के लिए तैयार जोशी

Posted on 16 April 2010 by admin

खरामां-खरामां बेखौफ और बेखटके, अतीत के बोझ से जरा सिर बाहर निकाल कर बिचारे संजय जोशी अपनी पहचान और और अस्मिता के संकट से उबर कर अपने विरोधियों के खिलाफ पलटवार के लिए हथियार उठाने को आमदा हैं, जोशी जानते हैं कि उनकी जड़ में मट्ठा डालने का काम आखिर है किसका-एक अदद अडवानी, नरेंद्र मोदी और भाजपा के केंद्रीय कार्यालय में जमे उस पदाधिकारी का जिनसे संजय का छत्तीस का आंकड़ा है। जोशी को ले देकर एक स्वयंसेवक होने का निरा गुमान था पर बेदर्द संघ वालों ने राजगीर में संघ का वह फीता भी उतार लिया, सो भरे बैठे हैं जोशी और बोरी भर कर उन्होंने साक्ष्य इकट्ठे कर लिए हैं अपने विरोधियों के खिलाफ। संजय के साक्ष्यों में इतनी धार थी कि वेंकैया नायडू भागे-भागे गडकरी के पास पहुंचे और अध्यक्ष को बताया कि संजय जो कह रहे हैं उन बातों को निराधार मानकर खारिज नहीं किया जा सकता, उनकी बातों में भी दम है और उनके साक्ष्यों में भी। सो, आने वाले दिनों में गडकरी संजय जोशी को अपने पास बुलाकर उनसे अकेले में कुछ जरूरी बातें कर सकते हैं। क्या यह बागी धार को कुंद करने की तैयारी है?

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…और अंत में

Posted on 04 April 2010 by admin

भारत के माननीय मुख्य न्यायाधीश के.जी.बालाकृष्णन आगामी 12 मई को रिटायर हो रहे हैं, अब यह भी तय हो चुका है कि अपनी सेवा निवृत्ति के बाद वे राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के चैयरमैन बनेंगे। देश के अगले मुख्य न्यायाधीश एस.एच. कापड़िया होंगे जो मुंबई से हैं और इनकी छवि काफी सख्त न्यायाधीश की है, श्री कापड़िया का कार्यकाल डेढ़ वर्ष तक रहने की उम्मीद हैं, जाहिर है उनसे देश को भी काफी उम्मीदे हैं।

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सबसे बड़ा कारोबारी

Posted on 04 April 2010 by admin

भाजपा के नए सीसीटीवी में पिक्चर अब से ही धुंधलाने लगी है, उनका एप्रोच सियासी कम मैनेजमेंट गुरू का ज्यादा है, अपने पास आने वालों को यह किस्सा वे बड़ी चाव से सुनाते हैं कि कैसे उन्होंने मात्र 5 हजार रुपयों से अपना कारोबार शुरू किया था और आज उनका कुल कारोबार बढ़कर आज डेढ़ हजार करोड़ रुपयों का हो चुका है। पर जनाब गडकरी को कौन समझाए सियासत के पेंचोखम भी बड़े अजीब हैं और कम से कम यह कोई कारोबार तो हार्गिज नहीं।

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