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सीवीसी के लिए लॉबिंग

Posted on 01 August 2010 by admin

देश के मुख्य सर्तकता आयुक्त प्रत्युष सिन्हा इसी वर्ष नवंबर में रिटायर हो रहे हैं। इस पद के लिए सीबीआई डायरेक्टर अश्विनी कुमार सबसे जोरदार लॉबिंग कर रहे हैं, समझा जाता है कि उनकी इस लाबिंग को प्रियंका गांधी का भी मूक समर्थन हासिल है। पर अश्विनी के विरोध में आइएएस लॉबी खुले तौर पर उतर आई है, जो किसी भी शर्त पर यह पोस्ट अपने हाथों से निकलने नहीं देना चाहती।

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डोवल पर भी अटकल

Posted on 01 August 2010 by admin

आईबी के पूर्व निदेशक अजीत डोवल भी संदेह के घेरे में है। इनके ऊपर भी आरोप तय किए जा सकते हैं, अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि कथित हिंदू आतंकवाद की नेटवर्किंग में डोवल इतने सक्रिय क्यों थे, समझा जाता है कि हिंदी में लिखी गई एक धमाकेदार पुस्तक-‘बम कैसे बनाएं?’ भी इनके खाते की ही है। एमआई के चंद आला अधिकारियों की भूमिका को भी संदेह की नजरों से देखा जा रहा है। तो क्या प्रज्ञा ठाकुर हालात की मोहरा भर है?

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पीएम का गम

Posted on 01 August 2010 by admin

कांग्रेस अध्यक्षा ने अपने सांसदों और पार्टी के प्रमुख नेताओं को साफ ताकीद कर दी है कि अब से हर राजनैतिक व संसदीय मामला प्रणबदा ही देखा करेंगे, सो अगर अपनी समस्या लेकर कोई सांसद भूले से भी प्रधानमंत्री के पास पहुंच जाता है तो वे हौले से कहते हैं, ‘बुरा मत मानिए,प्लीज आप प्रणब दा से जाकर मिल लीजिए।’ क्या समझा जाए, क्या माननीय प्रधानमंत्री के पर आहिस्ता-आहिस्ता कुतरे जा रहे हैं?

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सरकारी गवाह बनने की होड़

Posted on 24 July 2010 by admin

यूं तो अमित शाह मामले में गवाही देने वालों की एक लंबी कतार है, पर सरकारी गवाह बनने के लिए सीबीआइ के समक्ष जिन चार लोगों ने अर्जी दे रखी है, उसमें एक पुलिस मैन, दो सब इंस्पेक्टर और पुलिस का एक डीएसपी शामिल है। अब इनमें से किस-किस को सरकारी गवाह बनाया जाए इस पर विचार चल रहा है, जो भी सरकारी गवाह बनाया जाएगा उसको केस में माफी मिल जाएगी। पर आने वाले दिन अमित शाह के लिए मुश्किलों भरे हो सकते हैं क्योंकि उनके ऊपर पहले से ही मारपीट, व धमकाने के कई मामले विभिन्न अदालतों में चल रहे हैं।

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इशरत का सच

Posted on 21 July 2010 by admin

अब यह बात किसी से छुपी नहीं रह गई है कि इशरत जहां पक्के तौर पर एक फियादिन थी, वे पिल्लै यानी जावेद के साथ 4 बार लखनऊ आई थी। पिल्लै की मुस्लिम मां शमीमा और पिता केरल में एक हिंदू परिवार से ताल्लुक रखते थे। इशरत के बारे में हेडली के एफबीआई के समक्ष एक अहम खुलासे के बाद भी गुजरात पुलिस जांच एजेंसियों को अब तक यह नहीं समझा पा रही कि आखिर इशरत को जब पूछताछ के लिए चार दिन पहले अहमदाबाद लाया गया तो उसका भी एनकाऊंटर उसी चौराहे पर क्यों किया गया जहां पहले कभी सोहराबुद्दीन को भी इसी चौराहे पर मुठभेड़ में मार गिराया गया था? क्या यह महज इत्तफाक है?

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मानसून सत्र में हंगामों की बारिश

Posted on 21 July 2010 by admin

तय मानिए, अपने विपक्षी साथियों के साथ मिलकर भाजपा ने जो ताना-बाना बुना है उसके मुताबिक 26 जुलाई से आहूत संसद का मानसून सत्र बेहद हंगामाखेज हो सकता है, भाजपा अपने घर के झगड़ों से आजिज होकर अब अपने खोल से बाहर निकले पर आमदा है यानी संसद के आगामी सत्र में पार्टी का रुख व रवैया दोनों ही बेहद आक्रामक रहने वाला है, महंगाई, भोपाल गैस त्रासदी, व कर्नाटक के मुद्दे की धार पर भाजपा अपना सियासी दांव चलेगी तो वहीं अपने बदले पैंतरों व भाव-भंगिमाओं के साथ कांग्रेस हिंदू आतंकवाद में संघ की भूमिका और कर्नाटक में खनन माफिया के सिरमौर रेड्डी बंधुओं को एक बड़ा मुद्दा बना सकती है।

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रफ्ता-रफ्ता आगे बढ़ें गुप्ता

Posted on 11 July 2010 by admin

गडकरी अपनी फिसलती जुबान, गिरती साख और भाजपा की दूसरी पांत से परेशान हैं। जब इस दफे 5 जुलाई को महंगाई के खिलाफ विपक्ष के भारत बंद का आह्वान हुआ तो भगवा पार्टी की दूसरी पांत के कुछ प्रमुख नेताओं ने अध्यक्ष जी को समझा दिया कि गोया वे एक राष्ट्रीय पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं चुनांचे उन्हें सड़कों पर उतर कर प्रदर्शन करना शोभा नहीं देता। सो सड़कों पर उतरने, आंदोलन करने और गिरफ्तारी देने का जिम्मा अरुण जेतली ने लखनऊ, सुषमा स्वराज ने भोपाल, और रवि शंकर ने पटना के लिए संभाल लिया। बाद में जब दिल्ली भाजपा के अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता गडकरी से मिले तो उन्हें इस बात के लिए राजी करने में सफल रहे कि गडकरी दिल्ली में सक्रिय रहेंगे। इसके लिए शरद यादव, राजनाथ सिंह व हरसिमरत बादल को तैयार किया गया। गुप्ता जी ने दिल्ली में अपनी सारी ताकत झोंक दी ताकि गडकरी भी इस घड़ी कुछ सियासी लाभ कमा सकें। कहना न होगा कि फिलवक्त विजेंद्र गुप्ता अपने इस प्रयास में सफल दिख रहे हैं।

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मार गया म्यांमार

Posted on 11 July 2010 by admin

27 जुलाई को म्यांमार के मिलिट्री जेंटा काउंसिल के प्रमुख भारत पधार रहे हैं और इनकी भारत यात्रा का सारा खर्च भारत सरकार उठा रही है। म्यांमार के साथ हमारे कुछ अहम गोपनीय समझौते हैं जिसमें सबसे अहम है कि म्यांमार इंडो-बर्मा बॉर्डर पर उल्फा और माओवादियों को अपने कैंप चलाने या किसी भारत विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के लिए अपनी जमीन मुहैया नहीं कराएगा। इसके एवज में भारत म्यांमार को भरपूर आर्थिक मदद करता है यहां तक कि भारत स्थित म्यांमार दूतावास का सारा खर्च भी भारत ही उठाता है। भारत म्यांमार के छात्रों को आईटी सेक्टर में मुफ्त प्रशिक्षण भी दे रहा है। सामरिक और रणनैतिक दृष्टिकोण से म्यांमार में चीनी प्रभाव को रोकना भी भारत की प्राथमिकताओं में शुमार है, म्यांमार की शर्त है कि आंग सान सूकी की नजरबंदी को लेकर भारत सरकार या देश का मीडिया कोई सवाल नहीं उठाएगा, और सचमुच हमने इस ओर अपनी आंखें बंद कर रखी हैं। पर जरूरी है कि म्यांमार भी अपनी आंखें खुली रखे!

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…और अंत में

Posted on 05 July 2010 by admin

कांग्रेस सरकार ने डीजल के दाम एक बार फिर से ‘होल्ड’ किए हुए है, अगर लोगों का ध्यान अब भी भोपाल गैस त्रासदी से न भटका तो फिर लगेगा एक जोर का झटका। फिर से बढ़ जाएंगे पेट्रो पदार्थों के दाम, जनता पिसती है तो पिसे, नामुराद की फिक्र है किसे?

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विपक्षी एका तो देखा

Posted on 05 July 2010 by admin

बेलगाम बढ़ती महंगाई को लेकर मजबूरी में ही सही विपक्ष अपनी एकजुटता दिखाने को राजी हो गया है। अब विपक्षी दलों ने तय किया है कि आगामी 5 जुलाई को वे अपने-अपने संबंधित राज्यों में बढ़ती महंगाई के खिलाफ धरना प्रदर्शन करेंगे। माकपा ने तो पहले से तय किया हुआ था कि इस मसले पर देशव्यापी आंदोलन हो, देर से ही सही भाजपा की नींद खुली तो वह भी इसके लिए राजी हो गई। फिर देखा-देखी जद(यू) भी आगे आया, फिर पीछे-पीछे लालू-मुलायम भी आ गए, और 5 जुलाई को देशव्यापी विरोध का बिगुल बज गया।

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