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उत्तराखंड में घमासान

Posted on 26 July 2011 by admin

उत्तराखंड कांग्रेस कमेटी का झगड़ा सड़कों पर उतर आया है, यहां 31 लोगों की कार्यकारिणी को लेकर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष यशपाल आर्य और राज्य प्रभारी वीरेंद्र सिंह में ठन गई है, दोनों अपने-अपने लोगों को कार्यकारिणी में जगह दिलवाना चाहते हैं, बात बढ़ गई है और अब यह मामला 10 जनपथ में जाने वाला है।

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…और अंत में

Posted on 18 July 2011 by admin

संसद का मानसून सत्र अपने तय समय यानी 1 अगस्त से ही शुरू होगा, प्रणबदा इसे 25 जुलाई से शुरू करवाना चाहते थे, पर इसके लिए विपक्ष सहमत नहीं हुआ।

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बेदम खुफिया तंत्र

Posted on 18 July 2011 by admin

सोहराबुद्दीन और इशरत जहां मुद्दे के बाद क्या जरूरी इंटेलीजेंस का टोटा पड़ गया है? क्या कारण है कि हमारे खुफिया तंत्र को ससमय अहम जानकारियां नहीं मिल पातीं? कभी भूले-भटके कोई जानकारी (कभी अमरीका के सहयोग से तो कभी पुलिसिया पूछताछ में) अकस्मात हासिल हो भी जाती है तो उस पर जरूरी कार्यवाही नहीं होती। इस बारे में खुफिया एजेंसी से जुड़े एक अहम सूत्र ने खुलासा किया ‘हम क्या करें, पिछले कुछ समय से ऐसा चल रहा है कि हमारे पुलिस वालों पर दनादन मुकदमे चल रहे हैं, वे जेलों में डाले जा रहे हैं, और आतंकवादी छुट्टे घूम रहे हैं, उन्हें सियासतदांओं की सरपरस्ती भी हासिल है। केवल पंजाब की जेलों में आज भी 438 पुलिस वाले बंद हैं, गुजरात की जेलों में भी यह गिनती बड़ी है। सो आतंकवाद से लड़ने के लिए जब तक जरूरी राजनैतिक इच्छाशक्ति का अभाव रहेगा, देश ऐसे ही चलता रहेगा।’

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मल्लू लॉबी का चमत्कार

Posted on 03 July 2011 by admin

मलयाली लॉबी का सबसे बड़ा चमत्कार तो रंजन मथाई को देश का नया विदेश सचिव बनाया जाना था। जो फिलवक्त फ्रांस में भारत के राजदूत हैं। सबसे हैरत अंगेज तो यह कि मथाई की कभी किसी पड़ोसी देश में पोस्टिंग हुई ही नहीं, और विदेश सचिव पद की अपरिहार्यता को पूरी करने वाली एक प्रमुख शर्त कभी उनकी फील्ड पोस्टिंग भी नहीं हुई, बावजूद इसके उनका विदेश सचिव के ताकतवर पद पर आसीन होना मल्लू लॉबी के लहराते परचम का ही परिचायक था। यही बात कहीं न कहीं दस जनपथ को परेशान कर रही थी। जबकि विदेश सचिव की रेस में विवेक काटजू, शरद सब्बरवाल और हरदीप पुरी के नाम भी चल रहे थे, चूंकि हरदीप पुरी कभी भाजपा की टिकट पर दिल्ली से चुनाव लड़ने की इच्छा जता चुके थे सो उनका नाम रेस में पहले ही कट गया था। योग्यता के आधार पर काटजू का पलड़ा कहीं अधिक भारी था, क्योंकि उनका प्रदर्शन बतौर राजदूत अफगानिस्तान में शानदार रहा था।

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बसपा को हुआ धोखा

Posted on 23 May 2011 by admin

बसपा को आशंका थी कि राहुल गांधी अपने जिस प्रतिनिधिमंडल के साथ भट्टा-परसौल मामले पर पीएम को ज्ञापन देने जा रहे हैं उस दल में एक कथित किसान नेता व 50 हजार का इनामी बदमाश मनवीर सिंह तेवतिया भी शामिल हो सकता है, लिहाजा यूपी पुलिस वाले सादे कपड़ों में दिल्ली में मुस्तैद थी, इस पूरे मामले की बागडोर बसपा सरकार में मंत्री लक्ष्मी नारायण ने संभाल रखी थी। बसपा को था कि अगर तेवतिया धरा गया तो राहुल के मंसूबों की हवा निकाली जा सकती है, पर जब राहुल पीएम से मिलने पहुंचे तो उस छोटे से प्रतिनिधिमंडल में दूर-दूर तक कहीं तेवतिया की सूंघ नहीं थी।

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कनि के बाद कौन?

Posted on 23 May 2011 by admin

बवंडर करीब आता जा रहा है, इतना करीब कि अब उसे देखने के लिए दूरबीन की जरूरत नहीं रह गई है…क्योंकि नंगी आंखें, नंगे ख्वाब के मानिंद ही बेहद सच्ची होती है। कनिमोझी की गिरफ्तारी के बाद 2जी की लपटें किस ओर भभक सकती हैं? माना जाता है कि अब इसकी तपिश शरद पवार परिवार को झेलनी पड़ सकती है। शाहिद बलवा कनेक्शन पवार के गले की हड्डी बन गया है। उनकी पुत्री सुप्रिया सुले व दामाद सदानंद सूले की अब बारी आ सकती है। बारी तो नीरा राडिया, अनिल अंबानी व टाटा की भी आ सकती है।

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…और अंत में

Posted on 15 May 2011 by admin

कई बड़े नामचीन स्वधन्यमान पत्रकार भी अब ममता से राज्यसभा की आस जोहे बैठे हैं, मसलन अवीक सरकार, एम.जे.अकबर, प्रभु चावला आदि-आदि।

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बात दूर तलक जाएगी

Posted on 15 May 2011 by admin

पर कांग्रेस व इसके सिपहसालार राहुल गांधी के मुद्दे को इतनी आसानी से नहीं छोड़ने वाले, जल्द ही कांग्रेस की मंशाओं को परवान चढ़ाने के लिए इस बारे में कोर्ट में कई जनहित याचिकाएं दाखिल होने वाली है, इस मामले में अदालत में पहले से ही मुकदमे चल रहे हैं सो बहुत संभव है कि कोई जनहित याचिका भी पहले से चल रहे इन मुकदमों के साथ नत्थी हो जाए।

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बदलेगी केंद्र की राजनीति

Posted on 15 May 2011 by admin

पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों के परिणाम आने के साथ केंद्र की राजनीति में नए गठबंधन और नई संभावनाओं के बीज अंकुरित होने लगे हैं। कनिमोझी की संभावित गिरफ्तारी की आहटों के बीच दिल्ली के सियासी गर्दो गुबार में एक अपुष्ट खबर ने जब चरमरा कर अंगड़ाई ली कि करुणा पुत्र अझागिरी ने केंद्रीय मंत्रिमंडल से अपना त्याग पत्र दे दिया है तो तब से यह कयास लगने लगे हैं कि डीएमके कोटे के मंत्रिगण कभी भी मनमोहन सरकार को अलविदा कह सकते हैं, काले चश्मे वाला बाबा इस बात पर गंभीरता से विचार कर रहे हैं कि क्या अब डीएमके को यूपीए सरकार को बाहर से समर्थन देना चाहिए? यही एक यक्ष प्रश्न है जो कांग्रेसी मैनेजरों की पेशानियों पर बल ला रहा है।

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…और अंत में

Posted on 08 May 2011 by admin

दिल्ली में भाजपा की कोर ग्रुप की बैठक आहूत थी और उसमें विषय कर्नाटक में उपजे संकट को लेकर येदुरप्पा को बदले जाने की संभावनाओं से जुड़ा था, बात यूपी को लेकर भी होनी थी, पर तब तक लादेन कांड हो गया और पूरी बैठक में बस लादेन का ही मुद्दा छाया रहा।

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