Posted on 22 April 2012 by admin
यूपी के कांग्रेसी सचिव अविनाश पांडे को दिग्विजय सिंह की जगह प्रदेश का प्रभारी बनाने की बात चल रही है। प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए आर.पी.एन.सिंह और इरफान का नाम चल रहा है। इरफान रशीद मसूद के भतीजे हैं, राहुल उनकी कार्यशैली और उनकी भाषण कला के मुरीद हैं, सो राहुल चाहते हैं कि एक प्रयोग के तौर पर क्यों नहीं इरफान को ही प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंप दी जाए, इससे प्रदेश के मुसलमानों में भी एक अच्छा संकेत जाएगा। पर प्रदेश के कांग्रेसी नेता इरफान के नाम का कड़ा विरोध कर रहे हैं, उनका कहना है कि इरफान को अभी जुम्मा-जुम्मा चार ही रोज तो हुए हैं पार्टी ‘ज्वॉइन’ किए।
Posted on 16 April 2012 by admin
यूपी में बड़े पैमाने पर अधिकारियों के तबादलों के बावजूद ग्रेटर नोएडा के सर्वेसर्वा रमा रमण का बालबांका नहीं हो पाना कईयों को हैरत में डाल रहा है। जबकि माना जा रहा है कि अकेले नोएडा और ग्रेटर नोएडा में मायावती के कार्यकाल के दौरान 5400 करोड़ रुपयों से ज्यादा का घोटाला हुआ है। सपा से जुड़े सूत्र बताते हैं कि दरअसल रमा रमण सपा सरकार के लिए जैसे सरकारी गवाह बन गए हों, वे ढूंढ-ढूंढ कर घोटाले की हर फाइल सपा सरकार के हवाले कर रहे हैं, जिसके कोई न कोई तार मायावती शासनकाल से जुड़े हैं। शायद यही वजह है कि अखिलेश अब तलक रमा रमण की पीठ थपाथपा रहे हैं।
Posted on 16 April 2012 by admin
पीएमओ के एंटीकरप्शन सेल में इन दिनों ऊहापोह का आलम बरकरार है। भ्रष्टाचार से त्रस्त जनता आरटीआई के सहारे धड़ाधड़ मामले बाहर निकाल रही है, पीएमओ को हालिया दिनों में कई केंद्रीय मंत्रियों और सरकार के बड़े अधिकारियों के खिलाफ 250 से ज्यादा शिकायतें मिल चुकी है। पीएमओ की मुश्किल यह है कि भ्रष्टाचार में आकंठ डूबे उन केंद्रीय मंत्रियों पर क्या कार्यवाही करें जो आम तौर पर प्रधानमंत्री के सुझावों पर भी कान नहीं धरते। पीएमओ को सुप्रीम कोर्ट की उस ‘रूलिंग’ का भी भय सता रहा है कि यदि चार महीनों के अंदर शिकायतकर्ता के आवेदन पर सुनवाई नहीं हुई तो वह ‘रिलीफ’ के लिए सुप्रीम कोर्ट जा सकता है। ााहिर है रोज-बरोज घोटालों से जूझ रही यूपीए-2 सरकार के लिए ये शिकायतें सिरदर्द बन गई है।
Posted on 11 April 2012 by admin
सेना की दो टुकड़ियों के दिल्ली कूच के मामले को आखिरकार किस केंद्रीय मंत्री की शह पर बढ़ा-चढ़ा कर पेश किया गया, उस केंद्रीय मंत्री की शिनाख्त हो चुकी है। वे न सिर्फ मनमोहन सरकार के एक वरिष्ठ मंत्री हैं अपितु कांग्रेस की ओर से प्रधानमंत्री पद के एक प्रमुख दावेदार भी हैं, और 10 जनपथ की भी थोड़ी-बहुत अनुकंपा उन पर बनी रहती है। मनमोहन के बाद कौन? इस सवाल पर ए.के.एंटनी के साथ उनकी तुलना व प्रतिद्वंद्विता सदैव बनी रहती है, सो इस दफे इमेज के मामले में एंटनी को पटखनी देने के लिहाज से इस मंत्री महोदय ने मामले को इस कदर हवा दी। उनकी चाल थी कि जैसे ही यह मामला तूल पकड़ेगा विपक्ष एंटनी से इस्तीफे की मांग करेगा, एंटनी की हर तरफ छीछालेदारी होगी और 10 जनपथ की नजरों में भी वे गिरेंगे। और वे एक अकर्मण्य व असक्षम मंत्री के रूप में समाने आएंगे। ऐसे में जबकि सेनाध्यक्ष बनाम सरकार में जंग का आगाज है तो शक की सुई भी जनरल की तरफ ही रहेगी सो काफी सोच-समझ कर इस केंद्रीय मंत्री द्वारा मीडिया में यह मामला इस कदर उछाला गया है।
Posted on 01 April 2012 by admin
आखिरकार झारखंड का बहुचर्चित राज्यसभा चुनाव स्थगित हो गया। क्योंकि इस दफे के चुनाव में धन पशुओं ने सियासत की रेलमपेल मचा रखी थी और वहां पैसे का खुला खेल फर्रुकाबादी जारी था। मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा की पसंद आर.के.अग्रवाल थे जो वहां के चैंबर ऑफ कॉमर्स के प्रेसिडेंट थे, कोलकाता के एक धनपशु पवन धूत भी मैदान में थे। एनआरआई अंशुमान मिश्र को स्वयं भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी लेकर आए थे, जिन्होंने पार्टी के दबाव में अपनी उम्मीदवारी वापिस ले ली। संदीप कुमार को हेमंत सोरेन लेकर आए थे। सुनने में आ रहा था कि चुनाव के ऐन वक्त प्रति विधायक का रेट वहां साढ़े तीन करोड़ रुपयों तक जा पहुंचा था।
Posted on 18 March 2012 by admin
इजराइली दूतावास के एक अधिकारी की कार पर स्टिकर बम का मामला लगातार गर्माता जा रहा है और भारत के लिए सांप-छछूंदर वाली स्थिति हो गई है। इजराइल ने चिंता जाहिर की है कि इस बम कांड में लिप्त जिन 8 संदिग्ध ईरानियों की सूची इजराइल ने भारत को सौंपी थी और जिनके लिए रेडकॉर्नर नोटिस भी जारी हो चुका था, आखिरकार वे कैसे भाग कर तेहरान जा पहुंचे, वे भी बिना इमिग्रेशन क्लीयररेंस के, वे आठ के आठ बैचलर हैं, स्टूडेंट हैं। इस मामले में जिस पत्रकार को धरा गया है उसकी इस कांड में कोई खास भूमिका नहीं है। जाहिर है इस पूरे मामले का असर भारत-इजराइल संबंधों पर पड़ रहा है। इजराइल से हमें सुरक्षा, इंटेलीजेंस और तकनीक पर काफी मदद मिलती है। जैसे अमरीका ने भारत को टोही यानी मानव रहित विमान जैसे द्रोण की तकनीक देने में कभी भी दिलचस्पी नहीं दिखाई। पर इजराइल ने यह तकनीक आसानी से भारत को मुहैया करा दी। पर केंद्र की यूपीएनीत सरकार नहीं चाहती थी कि ईरानी संदिग्धों को भारत की धरती पर उनके किए की सजा मिले, क्योंकि इसमें मुसलमानों के नाराज होने का खतरा था, संदिग्धों को तेहरान पहुंचाने में भारतीय खुफिया एजेंसियों की भी एक महती भूमिका है।
Posted on 18 March 2012 by admin
मुकेश अंबानी के तमाम प्रयासों के बावजूद वीरेन जे.शाह के पुत्र राजेश शाह महाराष्ट्र से राज्यसभा पाने में कामयाब नहीं हो पाए। बड़े अंबानी ने स्वयं भाजपा के वरिष्ठ नेताओं को फोन करके राजेश शाह की पैरवी की थी। शाह अडवानी परिवार के भी काफी करीबी हैं, पर अडवानी मीटिंग में जोर देकर शाह की वाह नहीं कर पाए, गडकरी अपने करीबी अजय संचेती को लाने में कामयाब रहे। संचेती काफी पॉवर प्रोजेक्ट्स पर काम कर रहे हैं और इन पर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमण सिंह की भी विशेष अनुकंपा है। बाबूसिंह कुशवाहा का विरोध किरीट सौमेया की संभावनाओं पर ग्रहण लगा गया।
Posted on 18 March 2012 by admin
इस बार के बजट में एक खास मकसद से फाइनेंस बिल में बैकडेट टैक्स को शामिल कर लिया गया है। यानी निशाने पर वोडाफोन की पुरानी टैक्स देनदारी है। मामला 11 हजार करोड़ की टैक्स देनदारी से जुड़ा है, जिसमें वाडाफोन भले ही फौरी तौर पर बाजी मार गया हो पर इस मामले में यूपीए सरकार की क्या खूब छिछालेदारी हुई, इस स्कीम में तकरीबन 30 फीसदी टैक्स की देनदारी बनती है। वोडाफोन ने पहले भी अपने वकीलों पर खासा पैसा लुटाया है और अब टैक्स की नई चपत भी लग गई।
Posted on 28 February 2012 by admin
मुख्य चुनाव आयुक्त एस.वाई.कुरैशी पिछले कुछ दिनों में उप राष्ट्रपति पद के एक मजबूत दावेदार बनकर उभरे थे, और हालिया दिनों की उनकी कार्य प्रणाली व तमाम बड़े फैसले सत्ता पक्ष के ज्यादा मुफीद भी थे। पर यूपी चुनावों में जिस तरह चुनाव आयोग द्वारा राहुल गांधी की छिछालेदारी हुई है, रॉबर्ट वाड्रा के काफिले को रोका गया, गांधी परिवार को कुरैशी की यह बदली भाव-भंगिमाएं ज्यादा रास नहीं आ रही हैं और समझा जाता है कि फिलहाल तो कुरैशी का नाम उप राष्ट्रपति पद की रेस में बाहर हो गया है।
Posted on 28 February 2012 by admin
जनता के बदलते मिजाज की थाह पाने में तो सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव को पूरी महारथ हासिल है। तभी तो उन्होंने जसवंत नगर की एक जनसभा में वहीं मंच पर मौजूद अपने छोटे भाई शिवपाल यादव से कान पकड़ कर उठक-बैठक करवा दी, नेताजी जानते थे कि शिवपाल से जनता बेहद नाराज हैं, इसीलिए उन्होंने अपने छोटे भाई को फौरन यह हुक्म दिया कि वे अपनी पुरानी गलतियों के लिए जनता से कान पकड़ कर माफी मांगे। क्या नेता जी को भी अपनी पुरानी गलतियों का अहसास है?