इस बार धूम धड़ाके के साथ कांग्रेस की सीडब्ल्यूसी की बैठक हैदराबाद में आहूत हो रही है, जिसमें कांग्रेस के कोई 90 महत्वपूर्ण नेता हिस्सा ले रहे हैं, जिसमें कांग्रेस शासित प्रदेशों के चारों मुख्यमंत्री भी शामिल हैं। इस बैठक में राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के दूसरे चरण व पांच राज्यों के आगामी विधानसभा चुनावों को लेकर चर्चा हो रही है। विपक्षी महागठबंधन इंडिया बनने के बाद कांग्रेस की यह पहली बैठक है। पर इस बैठक से कांग्रेस के 6 प्रमुख नेताओं का गैर हाजिरी रहना, नेपथ्य के सन्नाटों को झंकृत करता है। पवन बंसल या एके एंटोनी जैसे वरिष्ठ नेताओं ने भले ही अपने स्वास्थ्यगत कारणों का हवाला देते हुए बैठक में आने में आने असमर्थता जता दी हो, पर सब जानते हैं कि एंटोनी अपने पुत्र अनिल एंटोनी के भाजपा ज्वॉइन करने से असहज हैं, जूनियर एंटोनी इन दिनों बड़ी तन्मयता से कांग्रेस विरोध की अलख जगा रहे हैं, वहीं पवन बंसल व कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे के दरम्यान तलवारें तनी है और बंसल की कुर्सी जाने का खतरा लगातार उनके सिर मंडरा रहा है।
पिछले दिनों दिल्ली को लेकर कांग्रेस की एक अहम बैठक आहूत थी, मीटिंग की शुरूआत पार्टी अध्यक्ष खड़गे के जोरदार भाषण से हुई, जिसमें खड़गे ने कहा कि ’कांग्रेस दिल्ली में 2 फीसदी तक सिमट कर रह गई है, अगर कांग्रेस को दिल्ली में फिर से पुनर्जीवित करना है तो हमें यहां गंभीरता से आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन करने को सोचना होगा। भले ही आप के साथ गठबंधन कर हमें लोकसभा की 3 सीटें ही लड़ने को मिले, पर इससे विधानसभा चुनाव तक हमारा कैडर फिर से तैयार हो जाएगा।’ इस पर राहुल गांधी ने कह दिया कि ’वे इस मीटिंग में कोई भाषण सुनने नहीं बल्कि लोगों के राय-विचार सुनने को आए हैं।’ राहुल के मनोभावों को समझते अलका लांबा और संदीप दीक्षित जैसे नेताओं ने आप की बखिया उधेड़नी शुरू कर दी। इस पर कांग्रेस के एक पूर्व दलित विधायक जयकिशन ने कहा कि ’आप को गाली देने से बेहतर है, हम उनके साथ जाने की सोचे, नहीं तो पहले भी हमारा कैडर टूट कर आप में चला गया था, इस बार और लोग चले जाएंगे।’ इस पर राहुल ने चुटकी लेते हुए कहा कि ’लगता है आप के लोग हमारी मीटिंग में आ गए हैं।’ राहुल के इस तंज से खड़गे की पेशानियों पर बल पड़ गए, तो राहुल ने खड़गे को टोकते हुए कहा-’खड़गे जी, मेरी बातों को इतनी सीरियसली मत लीजिए, मैं तो बस मजाक कर रहा था।’
महाराष्ट्र में जब से भाजपा ने एकनाथ शिंदे व अजित पवार जैसे अपने नए गठबंधन साथी बनाए हैं, जमीन पर उसका जनाधार दरकने लगा है, अभी भाजपा का अपना सर्वे बता रहा है कि ’अगर आज की तारीख में लोकसभा के चुनाव हो गए तो भाजपा अपने नए गठबंधन साथियों के साथ महाराष्ट्र की मात्र 18 सीटों पर सिमट सकती है।’ क्या यही वजह है कि पिछले दिनों पीएम मोदी की महाराष्ट्र की अहमदनगर, जलगांव व अकोला की तीनों रैलियां कैंसिल कर दी गई, क्या पीएम अजित व शिंदे के साथ एक मंच पर दिखना नहीं चाहते थे?
विपक्षी एका का मंच अभी सजा भी नहीं है कि उसकी चूलें हिलने लगी है। अभी विपक्षी एका की बैठक शुरू ही होनी थी कि आप ने अपना खटराग अलाप दिया कि ’जो अध्यादेश पर हमारे साथ है वह लोकतंत्र के साथ है, जो इसके साथ नहीं वह लोकतंत्र का विरोधी है।’ पर जब दो मुख्यमंत्री केजरीवाल व मान समेत आप का पांच सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल पटना पहुंचा तो कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे ने टका सा जवाब दे दिया कि ’अध्यादेश की बात संसद में होनी चाहिए, सार्वजनिक मंचों पर नहीं।’ खड़गे की बात सुन कर आप खेमे में इतनी निराशा व्याप्त हो गई कि जिस पार्टी प्रतिनिधिमंडल को दिल्ली के लिए शाम 4.30 बजे की फ्लाइट लेनी थी उसने वह एका की प्रेस कांफ्रेंस से पहले ही डेढ़ बजे दोपहर की फ्लाइट पकड़ ली। जबकि राहुल गांधी की फ्लाइट ढाई बजे की थी राहुल प्रेस कांफ्रेंस में आखिर तक बैठे रहे।
हाईकमान की तमाम चाहतों और प्रयासों के बावजूद राजस्थान में अशोक गहलोत और सचिन पायलट के दरम्यान वह समझौता नहीं हो पाया है जिसकी पार्टी रणनीतिकारों को अपेक्षाथी। 11 जून को भले ही पायलट ने अपनी नई पार्टी को घोषणा न की हो पर उन्होंने अब भी अपने लिए संभावनाओं की तलाश जारी रखी है। कहते हैं अपने ष्वसुर फारूख अब्दुल्लाह के मार्फत उनके तार आप सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल से भी जुड़े हुए हैं। आप को भी राजस्थान में अपने लिए एक कद्दावर चेहरे की तलाश है। फिलहाल पायलट से बेहतर उनके पास भी कोई और विकल्प नहीं। चूंकि फारुख और उमर अब्दुल्लाह के केजरीवाल से निजी ताल्लुकात हैं सो, सचिन के प्रति उनके अतिरिक्त लगाव को देखा जा सकता है।
कर्नाटक का विधानसभा चुनाव दिलचस्प मोड़ पर पहुंच गया है। चुनाव पूर्व के ज्यादातर सर्वेक्षण प्रदेश में कांग्रेस की बढ़ती रफ्तार की ओर इशारा कर रहे हैं। अगर इन सर्वेक्षणों के लब्बोलुआब निकाले जाएं तो प्रदेश की कुल 224 सीटों में से 126 सीटों पर अभी से कांग्रेस ने बढ़त बना ली है, भाजपा को 70 सीटें मिलने का अनुमान है, जेडीएस 24 सीटों पर सिमट सकता है, एक-दो सीट निर्दलियों के पाले में जा सकती है। कांग्रेस के वोट शेयर में 9 प्रतिशत का उछाल देखने को मिल सकता है। वहीं सट्टा बाजार फिलहाल कांग्रेस को 111-113, भाजपा को 82-84 और जेडीएस को 21-23 सीट दे रहा है। बहुमत के लिए किसी भी दल को 113 सीटों की दरकार होगी, यानी फिलवक्त तो जेडीएस से किंगमेकर का दर्जा छिन गया लगता है।
महाराष्ट्र की राजनीति में आने वाले तूफान से पहले की शांति है, एकनाथ शिंदे को अपने जाने का आभास हो चला है। अभी मुंबई में हर तरफ भावी सीएम बता कर अजीत पवार के पोस्टर लग चुके हैं, नागपुर में ऐसे ही भावी मुख्यमंत्री के पोस्टर पर देवेंद्र फड़णवीस का चेहरा चस्पां है। पिछले दिनों शिंदे ने भाजपा व फड़णवीस से पूछे बगैर प्रदेश की नौकरशाही में एक बड़ा फेरबदल किया है, पनवेल निकाय प्रमुख समेत 27 आईपीएस अफसर का तबादला हो गया है, उप मुख्यमंत्री फड़णवीस को इस बात की कानों कान खबर तक नहीं हुई।
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राहुल गांधी के लंदन में दिए गए भाशण पर बवाल मचा है, वहीं लंदन जाने से पहले राहुल अपने पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से मिले थे। खड़गे ने राहुल से कहा कि ’जब वे तीन-चार दिनों बाद लंदन से दिल्ली लौट आएंगे तो फिर वे टोलियों में उन चंद नेताओं को राहुल से मिलने भेजेंगे, जिन राज्यों में चुनाव होने हैं।’ राहुल ने हंस कर कहा-’मैं जरा देर में लौटूंगा, आपने देखा है कि हर अच्छी गाड़ी भी 3 महीने के बाद सर्विसिंग के लिए भेजनी पड़ती है।’ खड़गे भी हैरत से राहुल का मुंह तकते रह गए।
अब तक केंद्रीय मंत्रिमंडल में विस्तार की तारीखों को लेकर जितनी भी अटकलें लगी, उनमें से कोई भी मुकम्मल तस्वीर नहीं बन पाई। पर सत्ता शीर्ष से उठने वाले कयासों के धुओं की भला कैसे अनदेखी की जा सकती है। 22 फरवरी से पहले मंत्रिमंडल विस्तार का खम्म ठोक कर दावा करने वाले वही सूत्र कहते हैं कि ’सिर्फ वसुंधरा और राजस्थान की वजह से वह मियाद टल गई।’ विस्तार की नई तारीख ये तीन मार्च की बता रहे हैं, कहते हैं 2 मार्च को त्रिपुरा, मेघालय व नगालैंड विधानसभा चुनाव के नतीजे आ जाएंगे और 3 मार्च को मोदी मंत्रिमंडल का चिर प्रतीक्षित विस्तार हो जाएगा। इस विश्वसनीय सूत्र का दावा है कि इस बारे में राष्ट्रपति भवन को भी इत्तला भेज दी गई है।
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कांग्रेस के रायपुर अधिवेशन पर अनिश्चय का साया मंडराने लगा है, कांग्रेस का यह 85वां अधिवेशन पहले 24 से 26 फरवरी यानी तीन दिनों के लिए रायपुर में आहूत था, अब माना जा रहा है कि अधिवेशन अब 24 के बजाए 25 को शुरू होकर 26 को खत्म हो जाएगा। इस सम्मेलन पर सबकी निगाहें इसीलिए भी टिकी थी कि 26 साल बाद कांग्रेस कार्यसमिति के चुनाव होने थे। पर अब माना जा रहा है कि सीडब्ल्यूसी के यह चुनाव अब टल जाएंगे, पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को हाथ उठा कर कार्यसमिति के लिए प्रतिनिधि चुनने के लिए अधिकृत कर दिया जाएगा, जिसका फैसला वे दिल्ली लौट कर करेंगे। कांग्रेस कार्यसमिति के 23 सदस्यों में से 12 का एआईसीसी प्रतिनिधियों द्वारा चुनाव होना था, 11 सदस्य अध्यक्ष द्वारा नामित होने थे। पर लगता है अब चुनाव नहीं होगा, क्योंकि एआईसीसी लिस्ट में भी गड़बड़ियों के संकेत मिले हैं। 29 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के लगभग 1300 एआईसीसी प्रतिनिधियों की सूची और पीसीसी प्रदत्त सूची की गिनतियों में अंतर मिले हैं, इससे चुनाव समिति के मधुसूदन मिस्त्री और वीपी सिंह की भूमिका पर सवाल खडे़ हो गए हैं कि इन्होंने अपने पसंदीदा लोगों के नाम सूची में डाल दिए हैं। कमोबेश ऐसी ही गड़बड़ियां अध्यक्ष के चुनाव के दौरान भी डेलीगेट्स की सूची में देखने को मिली थी।
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