Posted on 08 July 2013 by admin
सीबीआई डायरेक्टर रंजीत सिन्हा की बेटी की शादी नई दिल्ली में अगले ही सप्ताह छत्तीसगढ़ कैडर के एक आईएएस अफसर से हो रही है। सो, इन दिनों डायरेक्टर महोदय अपनी बेटी की शादी की तैयारियों में व्यस्त हैं, ऐसे हालात में जब सीबीआई और आईबी के दरम्यान तलवारें खिंच चुकी हों, तनातनी बढ़ चुकी हो। पर सबसे दिलचस्प तो यह है कि सीबीआई डायरेक्टर की वह पुत्री भी आईबी में बतौर इंटेलिजेंस अफसर तैनात हैं। सिर्फ यही नहीं प्रधानमंत्री के दामाद भी आईबी में एक ऊंचे ओहदे पर तैनात हैं। यानी सीबीआई और आईबी के बीच खुलाखेल फरूर्खाबादी हो भी तो कैसे?
Posted on 29 June 2013 by admin
इशरत जहां एनकाउंटर मामले का एक अहम दस्तावो एफबीआई और एनआइए (जब एनआइए की टीम डेविड हेडली से पूछताछ के लिए अमेरिका गई थी) के पास है। आज एक बदले परिदृश्य में एनआइए ऐसा कोई दस्तावो होने की बात से मना कर रही है पर खुफिया तंत्र से जुड़े अहम सूत्र बताते हैं कि डेविड हेडली ने इशरत जहां के बारे में बकायदा यह बयान दिया था कि वह लश्कर-ए-तोइबा की ‘आपरेटिव’ थी। नहीं तो क्या वजह थी कि इशरत के एनकाउंटर के बाद लश्कर का माऊथपीस माना जाने वाला प्रकाशन ‘गावा टाइम्स’ ने बकायदा एक लेख प्रकाशित कर इशरत को लश्कर का सदस्य बताया था। दो माह पूर्व लश्कर की वेबसाइट पर भी इशरत की मौत को शहादत का दर्ाा दिया गया था। 15 जून 2004 में अहमदाबाद व गांधीनगर के बीच इशरत व उसके साथियों का एनकाउंटर से पूर्व आईबी ने कई अहम सुराग जुटा लिए थे। पर वे तमाम अहम सुराग आज क्यों सियासत की भेंट चढ़ रहे हैं?
Posted on 18 June 2013 by admin
मनमोहन सरकार में अपेक्षाकृत एक कनिष्ठ मंत्री राजीव शुक्ला के लिए रविवार की वह शाम एक सुखद आश्चर्य की तरह थी, उनके लिए चैन्ने से फोन था और फोन की दूसरी तरफ तमिल महारानी जयललिता स्वयं लाइन पर थीं। जयललिता शुक्ला जी से जानना चाहती थीं कि सोमवार को नई दिल्ली के योजना आयोग में आहूत मीटिंग में वे रहेंगे कि नहीं। शुक्ला जी की हामी मिलने के बाद जयललिता ने फोन रख दिया। सोमवार को प्लानिंग कमीशन में साढ़े दस बजे से मीटिंग थी। ठीक सुबह के पौने दस बजे तमिलनाडु हाऊस की एक सरकारी गाड़ी योजना आयोग के पोर्टिको में रूकती है, उसमें से दो लाल रंग की बेहद शानदार कुर्सियां उतारी जाती हैं। इनमें से एक कुर्सी योजना आयोग के उपाध्यक्ष मंटोक सिंह आहलूवालिया के कमरे में रख दी जाती है और दूसरी कांफ्रेंस हॉल में। बताया जाता है कि चूंकि जयललिता पीठ के दर्द से परेशान रहती हैं सो, वे आम कुर्सियों पर नहीं बैठ सकतीं। नियत समय पर जयललिता भी पहुंची अपने छपे हुए भाषण की प्रतियों के साथ। मीटिंग की समाप्ति के बाद मंटोक व शुक्ला जी तमिल महारानी को जब नीचे छोड़ने आए तो दोनों बाहर का दृश्य देखकर हैरान रह गए, पहले जयललिता के लिए उनकी एसयूवी गाड़ी में एक स्पेशल पायदान लगाया गया, कार के साथ पंक्तिबद्द होकर लोकसभा व राज्यसभा के 15 सांसद लुंगी व शर्ट में खड़े थे, उनकी शर्ट की जेब में जयललिता की फोटो, सभी करबद्द होकर तमिल महारानी के सम्मान में एक भाव से नीचे झुके हुए, यह किसी तमिल फिल्म का दृश्य लग रहा था। हैरतअंगेज तो यह कि इस पंक्ति में थंबीदुरै जैसे पार्टी के वरिष्ठ सांसद भी शामिल थे। जयललिता के जाते ही मंटोक और राजीव शुक्ला ने आंखों ही आंखों में एक-दूसरे की ओर देखा और राहत की सांस ली।
Posted on 10 June 2013 by admin
‘नमो’ से अडवानी कई वजहों से नाराा हैं। उनकी नाराागी इस बात को लेकर सबसे ज्यादा है कि अडवानी के संसदीय क्षेत्र गांधीनगर को लेकर मोदी की रणनीति दोधारी है। अडवानी मोदी से कई मौकों पर यह पूछ चुके हैं कि पूरे गुजरात में गांधीनगर ही वह सीट क्यों है जहां निकाय चुनावों में कांग्रेस ने अब भी अपना दबदबा कायम किया हुआ है। नमो के इरादों को भांपते हुए ही अडवानी ने बदले परिदृश्य में भोपाल की ठौर पकड़ी है। वहां शिवराज हैं, भीतरघात का डर नहीं है और पर्याप्त संख्या में सिंधी वोटर्स भी मौजूद हैं। पर क्या अडवानी वाकई चुनाव लड़ेंगे? सवाल यह बड़ा है, क्योंकि संघ अब भी अपनी उसी राय पर कायम है कि 75 साल से ऊपर के किसी भगवा नेता को 2014 का लोकसभा चुनाव नहीं लड़ना चाहिए। संघ चाहता है कि ऐसे नेता पार्टी में अभिभावक की भूमिका में अवतरित हों। अगर ऐसा है तो फिर तो नरेंद्र मोदी को अडवानी का आशीर्वाद अवश्य मिलना चाहिए।
Posted on 26 May 2013 by admin
कांग्रेस में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। अश्विनी कुमार और पवन बंसल की आकस्मिक रूखसती के बाद भी कांग्रेस का अंदरूनी बवाल थमा नहीं है। कांग्रेसी कांग्रेसी के पीछे हाथ धोकर पड़ा है। अभिषेक मनु सिंघवी अभी अपने सीडी प्रकरण से उबर भी नहीं पाए हैं कि उनके खिलाफ आयकर मामले से जुड़े परचे बंटने लगे हैं। सियासी गलियारों में कपिल सिब्बल और आनंद शर्मा के खिलाफ भी परचे-परचम बंट रहे हैं। आनंद शर्मा कैंप अपने खिलाफ बंट रहे परचों के लिए इशारों ही इशारों में अपने ही केंद्रीय मंत्री कमलनाथ को गरिया रहा है। कपिल सिब्बल कैंप अपने खिलाफ बंट रहे परचों के लिए उनको कसूरवार ठहरा रहा है जिनकी हालिया दिनों में कैबिनेट से छुट्टी हुई है।
Posted on 14 May 2013 by admin
Leider ist der Eintrag nur auf English verfügbar.
Posted on 07 May 2013 by admin
पिछली दफे भी सीबीआई पर कोर्ट की तल्ख़ टिप्पणी से फैले ऊहापोह को कम करने के इरादे से कांग्रेसी सियासत के माने हुए चाणक्य और सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार अहमद पटेल बेहद आनन-फानन में सोनिया का एक खास संदेशा लेकर मनमोहन सिंह से मिलने पहुंचे और अपनी भावनाओं से प्रधानमंत्री को अवगत कराया कि कानून मंत्री अश्विनी कुमार को फौरन अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए। पर सबको मालूम है कि ‘चंडीगढ़ क्लब’ के एक अहम मेंबर अश्विनी कुमार प्रधानमंत्री के कितने लाडले हैं। सो, प्रधानमंत्री ने अहमद पटेल से छूटते ही कहा कोर्ट की जो भी ‘ऑबरवेशन’ आई है वह सीबीआई को लेकर है, ना कि कानून मंत्री के बारे में। सो, ऐसे में उनका इस्तीफा देने का क्या औचित्य बनता है? दंग रह गए पटेल, औचित्य-अनौचित्य का ऐसा स्यापा मनमोहन सिह ने क्या कभी पहले अलापा था?
Posted on 30 April 2013 by admin
Leider ist der Eintrag nur auf English verfügbar.
Posted on 25 April 2013 by admin
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की राज्यसभा की सदस्यता की अवधि इस जून में समाप्त हो रही है। इसके बाद क्या? इस यक्ष प्रश्न का उत्तर ढूंढने के वास्ते जब बीते दिनों मनमोहन की मुलाकात यूपीए अध्यक्षा सोनिया गांधी से हुई तब उन्होंने करबध्द होकर मैडम से प्रार्थना की कि अब बहुत हुआ। उनके स्वास्थ्य को देखते हुए अब उन्हें इस पद से मुक्त किया जाए। कोलगेट के पचड़ों में फंसे प्रधानमंत्री की इस प्रार्थना के पीछे उनकी इच्छा कम, राजनीतिक मजबूरी ज्यादा दिख रही थी। पर सोनिया ने छूटते ही मनमोहन से कहा कि उनके नेतृत्व में देश खूब तरक्की कर रहा है। सो, उन्हें आगे भी इस जिम्मेदारी का निर्वहन करना है। रही बात उनकी राज्यसभा सदस्यता की तो उन्हें फिर से असम से ही रिपीट किया जाएगा। सो, कांग्रेस के अंदर एक प्रकार से तय हो गया है कि आने वाले 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस मनमोहन सिंह का चेहरा ही सामने रख का चुनावी मैदान में उतरेगी। मनमोहन सिंह को प्रोजेक्ट करने की सबसे बडी वजह कांग्रेसी युवराज राहुल गांधी को खर्च होने से बचाना है। चूंकि कांग्रेस जानती है कि 2014 के आम चुनाव कांग्रेस की डगर बहुत ही मुश्किल है।
Posted on 05 March 2013 by admin
इस 1 मार्च को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का 62वां जन्म दिन था। आमतौर पर नीतीश अपने जन्म दिन पर कोई शोर-शराबा पसंद नहीं करते हैं। सो, बिहार के अधिकांश एमएलए व एमएलसी इस बात से अनजान थे कि 1 मार्च को नीतीश का जन्म दिन है। नीतीश सरकार में उद्योगमंत्री रेणु कुमारी कोई 11 बजकर 12 मिनट पर विधानसभा के पोर्टिको में खड़ी हो गईं, उनके सहायक ने छुपे तौर पर एक बड़ा सा गुलदस्ता थाम रखा था। जैसे ही ठीक सवा ग्यारह बजे नीतीश की कार वहां आकर रूकी रेणु कुमारी ने नीतीश के चरण स्पर्श किए और उन्हें गुलदस्ता भेट करते हुए जन्म दिन की बधाई दे डाली। वहां आस-पास मौजूद जद (यू) के विधायक और विधान परिषद के सदस्य हैरान-परेशान। उन्हें तो इस बात का इल्म भी नहीं था कि आज नीतीश का बर्थ-डे है। सो, वे इतनी आनन-फानन में गुलदस्ता अब कहां से लाएं। सो, सब वहां गार्डन की तरफ भागे जहां खूबसूरत गुलाब लगे थे, लगे सब दनादन फूल तोड़ने। भागता हुआ माली आया बोला-‘साहब ऐसा न करो, नौकरी चली जाएगी।’ जद (यू)विधायकों ने माली को एक भद्दी सी गाली देते हुए-‘साले… तुझे अपनी नौकरी की पडी है, नौकरी तो हमारी जा सकती है।’ सो, माली मना करता रहा फूल टूटते रहे और कोई एक दर्जन विधायकों ने वहीं गार्डन के गुलाबों से अपने मुख्यमंत्री को ‘हैप्पी बर्थ-डे’ कहा।