Posted on 19 June 2022 by admin
ईडी द्वारा राहुल गांधी से पूछताछ को कांग्रेस एक मौके में तब्दील कर पाने में कुछ हद तक कामयाब रही। पर इस मौके को कांग्रेस के कई बड़े नेताओं ने अपने लिए चमकने का अवसर बना लिया। बड़े शोर-शराबे हो-हंगामे के साथ प्रमोद तिवारी मैदान में उतरे, पुलिस का सामना भी किया, बाद में ये कहते हुए मैदान छोड़ गए कि पुलिस की लाठियों से उनकी पसलियां टूट गई है, पर बाद के फुटेज में वे भली-भांति चहलकदमी करते नज़र आए। तारिक अनवर भी हरियाणा के अपने एक शागिर्द की गाड़ी में प्रदर्शन स्थल तक पहुंचे, वहां क्या हुआ किसी को कुछ मालूम नहीं, पर बाद में वे राम मनोहर लोहिया अस्पताल की इमरजेंसी में भर्ती हो गए, इस आस के साथ कि कोई उनकी यह खबर राहुल तक पहुंचा दें। युवा कांग्रेस अध्यक्ष बीवी श्रीनिवास को पुलिस ने प्रदर्शन के दौरान गिरफ्तार कर एक इनोवा कार में बिठा दिया था, पर वे कार का दरवाजा खोल कर वहां से चुपचाप नदारद हो गए, यह फुटेज कुछ न्यूज चैनलों के हाथ लग गई। सबसे कमाल तो बिहार के कांग्रेसी नेताओं ने कर दिखाया। बिहार कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष मदनमोहन झा और पार्टी के विधायक दल के नेता पटना स्थित कांग्रेस के सदाकत आश्रम में ही धरने पर बैठ गए, उन्होंने अपना आंदोलन सड़क पर ले जाना भी मुनासिब नहीं समझा।
Posted on 19 June 2022 by admin
हरियाणा के राज्यसभा चुनाव में आखिरकार राहुल करीबी अजय माकन कैसे महज़ आधा वोट से मात खा गए? इसकी पटकथा उसी वक्त लिखी जा चुकी थी जब कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने हरियाणा की पूरी बागडोर एक तरह से भूपिंदर सिंह हुड्डा के हवाले कर दी थी। सूत्रों की मानें तो इस बात से तिलमिलाए हुड्डा विरोधियों का किरण चौधरी के फॉर्म हाऊस पर जमावड़ा हुआ। सूत्रों की मानें तो इस गुप्त मीटिंग में कुलदीप बिश्नोई, कुमारी सैलजा और किरण चौधरी की भी उपस्थिति थी। कहते हैं इसी बैठक में तय हो गया था कि विरोध का बिगुल सबसे पहले कुलदीप बिश्नोई फूंकेंगे। उनके इस विरोध को अपरोक्ष तौर पर किरण चौधरी का समर्थन रहेगा। सो, जब इस दफे के राज्यसभा चुनाव में किरण चौधरी का वोट रद्द हुआ तो सीनियर कांग्रेसियों ने दांतों तले अंगुलियां दबा लीं, क्योंकि किरण चौधरी के लिए वोट में गलती की कोई गुंजाइश बचती नहीं थी, क्योंकि अब से पहले वह छह ऐसे चुनावों में सफलतापूर्वक वोट कर चुकी थीं।
Posted on 19 June 2022 by admin
सूत्रों की मानें तो हरियाणा में राज्यसभा चुनाव की वोटिंग से एक दिन पहले भाजपा समर्थित निर्दलीय और मीडिया बैरन कार्तिकेय शर्मा ने अपने करीबियों से कहा कि ’वे महज़ एक वोट से चुनाव हार रहे हैं।’ जब इस बात की खबर हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर को लगी तो उन्होंने बकायदा फोन कर कार्तिकेय शर्मा से कहा कि ’वे हार नहीं माने, वे उनकी जीत की बंदोबस्त में लगे हैं।’ कहते हैं इसके बाद कार्तिकेय ने अपने पिता विनोद शर्मा के पुराने मित्र भूपिंदर सिंह हुड्डा को फोन कर उनसे मदद मांगी, पर कहते हैं कि हुड्डा ने उनसे दो टूक कह दिया कि ’इस बार वे उनकी कोई मदद नहीं कर पाएंगे।’ इसके बाद उसी शाम किरण चौधरी से सीएम की बात हुई, किरण सीएम से मिलने आना चाहती थीं। तब मनोहर लाल ने किरण चौधरी से कहा कि ’इस वक्त उनका सीएम आवास आना उचित नहीं रहेगा, क्योंकि बाहर मीडिया है, और इससे बात का बतंगड़ बन सकता है।’ विश्वस्त सूत्रों की मानें तो फोन पर ही यह डील पक्की हो गई। सीएम ने आश्वासन दिया कि 2024 के लोकसभा चुनाव में किरण की पुत्री श्रुति चौधरी भाजपा के टिकट पर भिवानी महेंद्रगढ़ से चुनाव लड़ेंगी और कुलदीप बिश्नोई के पुत्र भव्य बिश्नोई को हिसार लोकसभा सीट से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ाने का वायदा हुआ। कुलदीप को भाजपा हरियाणा विधानसभा का स्पीकर बना सकती है।
Posted on 19 June 2022 by admin
प्रशांत किशोर भले ही पर्दे के पीछे रह कर कांग्रेस के लिए काम कर रहे हों पर परोक्ष तौर पर कांग्रेस हाईकमान ने पीके के पूर्व मित्र और चुनावी रणनीतिकार सुनील कानूगोलू को अपना काम सौंप रखा है। पिछले दिनों राहुल और प्रियंका ने सुनील की कंपनी, ’माइंडशेयर एनालिटिक्स’ को एक बड़ा जनमत सर्वेक्षण करने को कहा, यह जनमत सर्वेक्षण देशव्यापी स्तर पर हुआ है, सूत्रों की मानें तो इस सर्वेक्षण के लिए करोड़ों की फंडिंग छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की तरफ से हुई। यह सर्वेक्षण आगामी विधानसभा चुनाव और 24 के लोकसभा चुनावों को लेकर है, पर सर्वेक्षण के नतीजों ने कांग्रेस हाईकमान को सकते में ला दिया है। इस सर्वेक्षण में यूपी-बिहार जैसे हिंदी भाषी राज्यों से कांग्रेस का सूफड़ा साफ होने की बात कही गई है। इसमें यह भी बताया गया है कि 2024 में कांग्रेस के लिए भी रायबरेली की लड़ाई मुश्किल रहने वाली है। अब कई कांग्रेसी कानूगोलू को मोदी का आदमी बता रहे हैं। जब 2010 के आसपास कानूगोलू ‘मेकेन्ज़ी’ के लिए काम करते थे तो वे 2011 में गुजरात में मोदी से जुड़ गए थे। जब 2012 में प्रशांत किशोर मोदी की टीम से जुड़े तो कानूगोलू के जिम्मे डाटा विश्लेषण का काम आ गया और ये दोनों गुजरात की एक गैर सरकारी संगठन ‘सीएजी’ से जुड़ कर मोदी के लिए काम करने लगे। पीके से अलहदा कानूगोलू को पर्दे के पीछे रह कर काम करने की आदत थी, उनकी यही बात मोदी को बहुत पसंद थी। पीके ने जब मोदी का साथ छोड़ा तो कानूगोलू ने बीजेपी के लिए काम करने के लिए एबीएम यानी ’एसोसिएशन ऑफ ब्रिलिएंट माईंड्स’ का गठन करवा दिया, जो अमित शाह के अंतर्गत काम करती रही, यूपी चुनाव के वक्त एबीएम का नाम बदल दिया गया। कानूगोलू कर्नाटक के बेल्लारी के हैं, पर उनका ज्यादातर वक्त तमिलनाडु में गुजरा है, इस नाते उनका तमिल, तेलगू और कन्नड़ तीनों ही भाषाओं पर अच्छी पकड़ है। अब यह तो कांग्रेस के शीर्ष हुक्मरान ही बेहतर बता पाएंगे कि अब तक वे अपने लिए मोदी के लोगों को ही क्यों चुनते आए हैं।
Posted on 19 June 2022 by admin
सचिन पायलट इन दिनों खुद से ही खफा-खफा चल रहे हैं। सचिन से जुड़े एक विश्वस्त सूत्र खुलासा करते हैं कि दरअसल हालिया राज्यसभा चुनावों से पहले प्रियंका गांधी ने सचिन से वायदा किया था कि ’ये चुनाव समाप्त होने के बाद सचिन को एक बड़ा इनाम मिलेगा।’ इस खुशी को शेयर करने के लिए चुनाव वाली शाम ही सचिन ने अपने कुछ खास मित्रों को डिनर पर आमंत्रित किया था। वोटिंग वाले दिन जब सचिन ने प्रियंका को फोन किया तो उन्होंने फोन ही नहीं उठाया, इसके बाद सचिन ने राहुल को फोन लगाया, पर उन्हें वहां से भी कोई जवाब नहीं आया। न ही राहुल-प्रियंका ने उन्हें कोई कॉल बैक ही किया। सचिन समझ गए कि इन राज्यसभा चुनावों में अशोक गहलोत ने जिस सियासी बाजीगरी का परिचय दिया है, ऐसे में उन्हें गद्दी से हटाना राहुल-प्रियंका के लिए कतई भी आसान नहीं होगा। निराश होकर सचिन ने उस शाम डिनर को कैंसिल कर दिया और वे अब सबसे कहते फिर रहे हैं कि ‘जब अगले चुनाव में राजस्थान में भाजपा को ही आना है तो उनके लिए यहां कुछ करने को बचा क्या है?’
Posted on 19 June 2022 by admin
पिछले दिनों भाजपा के बैरकपुर के सांसद और पश्चिम बंगाल भाजपा के उपाध्यक्ष अर्जुन सिंह भाजपा छोड़ टीएमसी में शामिल हो गए। अर्जुन सिंह टीएमसी से 2019 में भाजपा में आए थे और चुनाव जीते थे। भाजपा ने अर्जुन सिंह के पार्टी छोड़ कर जाने की वजह को जानने के लिए एक ’फैक्ट फाईंडिंग कमेटी’ गठित की थी, इस कमेटी की रिपोर्ट किंचित चौंकाने वाली है। दरअसल, अर्जुन सिंह पिछले दिनों बंगाल के जूट व्यापारियों का एक प्रतिनिधिमंडल लेकर मोदी सरकार के एक सीनियर मंत्री के पास गए थे। कहते हैं मंत्री जी ने प्रतिनिधिमंडल के सामने ही अपने सांसद को बेतरह हड़का दिया और कहा-’इस मामले से आपका क्या लेना देना है?’ सांसद मंत्री जी के इस व्यवहार से अचंभित रह गए और इस बात की शिकायत इन्होंने ऊपर की, पर यह मंत्री ऊपर दोनों के ही प्यारे हैं, सो कोई सुनवाई हुई नहीं तो, नाराज़ होकर अर्जुन सिंह ने तृणमूल में जाने का मन बना लिया।
Posted on 19 June 2022 by admin
’यह एक चिराग भी आंधियों के खिलाफ ऐलान हो सकता है
सोई कौमें जाग जाएं तो हर बच्चा हिंदुस्तान हो सकता है’
भाजपा के अपने ही सांसद वरुण गांधी ने जब देश के करोड़ों बेरोजगार युवकों के हक की लड़ाई लड़ने का बीड़ा उठाया तो कम ही लोगों को इस बात का इल्म रहा होगा कि इसकी परिणति ’अग्निपथ’ की आग हो सकती है। आज से कोई महीने भर पहले ही वरुण ने ट्वीट कर इसकी अलख जगाई, इस युवा सांसद ने कहा-’बिना कारण रिक्त पड़े पद, लीक होते पेपर, सिस्टम पर हावी होता शिक्षा माफिया, कोर्ट-कचहरी और टूटती उम्मीदें। छात्र अब प्रशासनिक अक्षमता की कीमत भी स्वयं चुका रहा है। चयन सेवा आयोग कैसे बेहतर हो, परीक्षाएं कैसे पारदर्शी एवं समय पर हो, इस पर आज और अभी से काम करना होगा। कहीं देर ना हो जाए।’ इस ट्वीट के एक सप्ताह बाद वरुण एक ट्वीट और करते हैं और कहते हैं-’जब बेरोजगारी 3 दशकों के सर्वोच्च स्तर पर है तब यह आंकड़े चौंकाने वाले हैं। जहां भर्तियां न आने से करोड़ों युवा हताश और निराश हैं, वहीं सरकारी आंकड़ो की ही मानें तो देश में 60 लाख स्वीकृत पद खाली हैं। कहां गया वो बजट जो इन पदों के लिए आबंटित था? यह जानना हर नौजवान का हक है।’ इसके साथ वरुण ने केंद्र व राज्य सरकारों के विभाग और संस्थानों में रिक्त पड़े 60 लाख पदों का एक ब्यौरा पेश किया है। वरुण ने बीपीएससी में हुई धांधली को लेकर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भी एक पत्र लिखा। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव को आरआरबी व एनटीपीसी परीक्षाओं को लेकर भी चिट्ठी लिखी। इसी बीच सत्ता शीर्ष की ओर से 10 लाख नौकरियां देने का ऐलान आया और उसके पीछे दबे पांव चलती ’अग्निपथ स्कीम’ भी अपने जामे से बाहर आई। इसको लेकर वरुण ने देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को एक पत्र लिख कर कहा-’अग्निपथ योजना को लेकर देश के युवाओं के मन में कई सवाल हैं। युवाओं को असमंजस की स्थिति से बाहर निकालने के लिए सरकार अति शीघ्र योजना से जुड़े नीतिगत तथ्यों को सामने रख कर अपना पक्ष साफ करे। जिससे देश की युवा ऊर्जा का सकारात्मक उपयोग सही दिशा में हो सके।’ पर तब तक अग्निपथ योजना का विरोध हरियाणा, यूपी, बिहार, महाराष्ट्र समेत 16 राज्यों में फैल चुका था, युवा आक्रोश धू-धू कर जलने लगा था, हिंसा पर उतारू युवाओं से शांति की अपील करते वरुण ने अभी अपना एक ताजा वीडियो जारी कर उनसे शांत रहने की अपील की है, पर वरुण ने केंद्र सरकार की पेशानियों पर बल तो ला ही दिए हैं।
Posted on 19 June 2022 by admin
’जब से पागल हवाओं ने हर छोटे-बड़े दीयों का काम तमाम किया है
इस आदम के जंगल ने अपना कल इन जुगनुओं के नाम किया है’
सियासत की सीरत ही कुछ ऐसी है कि यहां असल वफादारी भी नैतिक दीवालियापन के अंतःपुर में बेशर्मी से पसरी नज़र आती है। कहां तो चर्चाओं को पंख लगे थे कि भाजपा रामपुर उप चुनाव में मुख्तार अब्बास नकवी को मैदान में उतारने जा रही है। पर अचानक से एक अप्रत्याशित से नाम की घोषणा हो गई, वह नाम था घनश्याम लोधी का, जिन्हें रामपुर की जनता आजम खान का ही आदमी मानती आई है। लोधी आजम की कृपा से ही दो बार के सपा के एमएलसी रह चुके हैं, उनके बारे में यह भी एक प्रचलित धारणा रही है कि वे आजम की हिंदू सेना के सिरमौर रहे हैं। इन्हें कालांतर में आजम के ‘हनुमान’ का भी दर्जा प्राप्त था। सूत्र बताते हैं कि इससे पहले जब एक बंद कमरे में आजम की मुलाकात अखिलेश यादव से हुई तब आजम के दिलो-दिमाग में कुछ और चल रहा था। यह मुलाकात कोई दो घंटे तक चली और जब अखिलेश इस मीटिंग के बाद कमरे से बाहर निकल कर आए तो उन्होंने अपने करीबियों को संकेत दिया कि आजम अपनी पत्नी तंजीम फातिमा को मैदान में उतारेंगे। पर जैसे ही इस खबर ने भगवा फिजाओं में आकार लेना शुरू किया तो आजम के संपर्क में कुछ लोग आए, इसके बाद उनके सुर बदल गए। अखिलेश से बात कर आजम ने अपने एक करीबी आसिम रजा का नाम सुझा दिया, यह कहते हुए कि उनकी शरीके हयात रामपुर से चुनाव नहीं लड़ना चाहतीं। चुनांचे रामपुर में चाहे लोधी जीते या रज़ा जीत का सुख तो आजम को ही मिलेगा। और इन बदली परिस्थितियों में ईडी चाहे लाख आजम के ऊपर नए केस बना ले, आजम की भगवा आस्थाओं का ऐलान तो पहले हो चुका है।
Posted on 19 June 2022 by admin
अखिलेश यादव ने जिन लम्हों में अपना आजमगढ़ लोकसभा सीट छोड़ने का फैसला लिया होगा उन्हें शायद ही इस बात का इल्म कहीं शिद्दत से हुआ होगा कि भाजपा आजमगढ़ की लड़ाई को उनके लिए इस कदर मुश्किल बना देगी। आजमगढ़ जिले की दस की दस सीटें सपा के कब्जे में हैं जहां उसके अपने एमएलए हैं बावजूद इसके इस सीट को बचाने के लिए सपा को एड़ी-चोटी का जोर लगाना पड़ रहा है। सपा का पहला दांव ही डगमगाने वाला है, स्थानीय कार्यकर्ता चाहते थे कि यहां से पार्टी रमाकांत यादव को मैदान में उतारे जो कि एक स्थानीय नेता हैं। पर अखिलेश ने अपने परिवार से धर्मेंद्र यादव को मैदान में उतार दिया है। वहीं बीएसपी ने सपा का खेल बिगाड़ने के लिए एक बिल्डर शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली को मैदान में उतार दिया है जो मुसलमानों के बीच एक लोकप्रिय चेहरा हैं, अगर वे ठीक-ठाक मुस्लिम वोट काटने में सफल हो जाते हैं तो सपा की साइकिल यहां डगमगा सकती है। पर प्रारंभिक रुझानों से पता चलता है कि इस बार मुसलमान भी हाथी के साथ जाने से हिचक रहे हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि बहिनजी पर्दे के पीछे से भाजपा के लिए ही खेलती हैं। नूपुर शर्मा के बयान पर इस शुक्रवार को जुम्मे की नमाज के बाद जिस तरह मुस्लिम समुदाय ने उग्र प्रतिक्रिया दी है उससे नहीं लगता कि वे जाने-अनजाने कोई भी ऐसा कदम उठाएंगे जिससे भाजपा को फायदा मिले। पर लगता है दिनेष लाल निरहुआ अपने सजातीय यादव वोटरों को तोड़ने में जरूर कुछ हद तक कामयाब हो सकते हैं। अखिलेश की मासूम नादानियों ने आजमगढ़ के उप चुनाव को यकीनन दिलचस्प बना दिया है।
Posted on 19 June 2022 by admin
नूपुर शर्मा के बारूदी बयानों ने जिस कदर देश और देश से बाहर रह रहे मुस्लिम समुदाय को भड़काने का काम किया है और खास कर अरब देशों से जिस तरह से बेहद तीखी प्रतिक्रिया आई है उसे देखते हुए भाजपा राष्ट्रपति चुनाव में अपना तुरूप का इक्का चल सकती है। संघ और भाजपा शीर्ष से जुड़े सूत्रों से पता चलता है कि भाजपा इसके काट के तौर पर अपना मास्टर स्ट्रोक खेल सकती है। जिसके तहत किसी मुस्लिम को देश का अगला राष्ट्रपति या उप राष्ट्रपति बनाया जा सकता है। इस रेस में सबसे पहला नाम मुख्तार अब्बास नकवी का चल रहा है, जो राजनेता होने के अलावा कवि, लेखक व अध्येता हैं। हालिया दिनों में इनका हिंदी में तीन नॉवेल सामने आ चुके हैं, वे मृदुभाषी व मिलनसार हैं, संसदीय मामलों के मंत्री रह चुके हैं इस नाते विपक्षी दलों से भी इनके गहरे ताल्लुकात हैं। इन्हें संघ और मोदी के करीबी भी समझा जाता है। दूसरा नाम केरल के गवर्नर आरिफ मुहम्मद खान का है। जो अपने बेबाक विचारों के लिए हमेशा सुर्खियों में रहते हैं। इस बार भी जब नूपुर शर्मा के बयान पर कतर ने भारत सरकार से माफी की मांग की तो आरिफ ने आगे बढ़ कर इस मांग को सिरे से खारिज करते हुए कहा-’दो चार लोगों की बेवकूफियों की वजह से 5 हजार पुरानी संस्कृति को कटघरे में खड़ा नहीं किया जा सकता।’ पेशे से वकील आरिफ कानून, इस्लाम और संविधान के भी मर्मज्ञ जानकार हैं। उन्हें उपनिषद, पुराण और भागवत गीता का भी उतना ही ज्ञान है। शाह बानो मामले में उन्होंने राजीव गांधी मंत्रिमंडल से अपना इस्तीफा दे दिया था तब वाजपेयी भी उनके मुरीद हो गए थे। एक दलित नेता और कर्नाटक के गवर्नर थावर चंद गहलोत ने भी इस रेस में अभी ताजा-ताजा एंट्री ली है। हालिया दिनों में जब गहलोत दिल्ली आए तो पीएम मोदी से उनकी एक अहम मुलाकात को इसी कड़ी से जोड़ कर देखा जा रहा है।