Posted on 05 October 2017 by admin
विश्वस्त सूत्र बताते हैं कि तमिल सुपर स्टार रजनीकांत आने वाले चुनावों में भाजपा के पक्ष में चुनाव प्रचार के लिए राजी हो गए हैं। सूत्रों की मानें तो रजनीकांत की पत्नी ने अपना रीयल एस्टेट बिजनेस शुरू करने के लिए इंडियन बैंक से 180 करोड़ का लोन लिया था। हालिया दिनों में जिस तरह से रीयल एस्टेट सेक्टर को भारी गिरावट का मुंह देखना पड़ा है, उससे रजनीकांत की पत्नी को भी बड़े घाटे का सामना करना पड़ा है। भाजपा का शीर्ष नेतृत्व चाहता था कि रजनीकांत भाजपा ज्वॉइन करें, पर अपने खराब स्वास्थ्य का हवाला देकर रजनीकांत ने ऐसा करने से मना कर दिया, पर वे भाजपा के पक्ष में चुनाव प्रचार के लिए राजी हैं बदले में वे चाहते हैं कि बैंक के संग उनके इस लोन विवाद का आसानी से निपटारा हो जाए। उन्हें आश्वासन मिल गया है कि काम हो जाएगा, अब रजनी के समक्ष चुनौती है कि वे अपने नए डॉयलॉग को भगवा रंगों में पिरो लें।
Posted on 05 October 2017 by admin
भाजपा सरकार की आर्थिक नीतियों को जिस प्रकार पार्टी के वयोवृद्ध नेता यशवंत सिन्हा ने सवालों के घेरे में खड़ा किया और उसके अगले ही रोज यशवंत के दावों की हवा निकालने के लिए भाजपा की ओर से इसकी बागडोर उनके पुत्र जयंत सिन्हा को सौंपी गई और जिन्होंने जीएसटी, नोटबंदी और जीडीपी को लेकर जिस तरह मोदी सरकार की तारीफों के कसीदे पढ़े उससे इस बात के संकेत तो मिलते ही हैं कि पार्टी व सरकार में सब कुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा है। नहीं तो क्या वजह है कि इतने काबिल वित्त मंत्री के होते प्रधानमंत्री ने अपनी अलग इकॉनोमिक एडवाइज़री काऊंसिल बनाई है और विवेक दिओबराय को इसका चैयरमेन बनाया है। सूत्र बताते हैं कि जीडीपी के लड़खड़ाने से स्वयं पीएम चिंता में हैं और भाजपा नेतृत्व में भी यह अहसास गहराने लगा है कि आर्थिक मसलों पर पेशेवर लोगों यानी घुटे हुए अर्थशास्त्रियों की राय लेनी जरूरी है। वैसे भी मोदी अब तक हार्वर्ड की बजाए हार्डवर्क पर ज्यादा भरोसा कर रहे थे, पर कहीं न कहीं उनका भरोसा डगमगाता दिख रहा है।
Posted on 05 October 2017 by admin
हालिया दिनों में बीएचयू यानी बनारस हिंदू युनिवर्सिटी में जो कुछ घटित हुआ, इसका ठीकरा केंद्र योगी के सिर पर फोड़ इस मामले से पल्ला झाड़ लेना चाहता है, पर सच्चाई की बात यह है कि बीएचयू एक सेंट्रल युनिवर्सिटी है जिसकी फंडिंग भी न सिर्फ केंद्र द्वारा होती है, अपितु इसके उप कुलपति की नियुक्ति में भी पूरी तरह केंद्र का हाथ होता है। बीएचयू मामले के बाद भाजपा शीर्ष नेतृत्व की ओर से न सिर्फ योगी को झाड़ पिलाई गई बल्कि केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी को यह अहम जिम्मा भी सौंपा गया कि वे मीडिया को वह लाइन दें जिसमें बीएचयू बवाल के लिए योगी सरकार को जिम्मेदार ठहराया जा सके। भाजपा शीर्ष नेतृत्व के मन में जो कुछ चल रहा है उसे योगी के लिए कतई एक शुभ संकेत नहीं माना जा सकता है।
Posted on 05 October 2017 by admin
योगी सरकार में रघुराज प्रताप सिंह ऊर्फ राजा भैया की तूती बोल रही है, योगी सरकार में राजा भैया की पैरवी अचूक साबित हो रही है, तभी तो राजा भैया के खास लोगों को न सिर्फ बेधड़क सरकारी ठेके मिल रहे हैं, अपितु राजा भैया के करीबी लोग यूपी में मलाईदार पदों पर आसीन भी हो रहे हैं।
Posted on 05 October 2017 by admin
सूरत के कपड़ा व्यापारियों ने भाजपा सरकार पर अपना गुस्सा निकालने का एक नया जरिया ढूंढ़ निकाला है, अब बकायदा वे अपने डिब्बों पर प्रिंट करा रहे हैं-’ कमल का फूल, हमारी भूल।’ (एनटीआई-gossipguru.in)
Posted on 05 October 2017 by admin
गुजरात के आसन्न विधानसभा चुनाव मोदी व शाह द्वय के लिए नाक का सवाल बन गए हैं, चुनांचे हर छोटी-बड़ी काना-फूसी पर इनकी पैनी नज़र होती है। सुनने में आ रहा था कि विश्व हिंदू परिषद की अंतरराष्ट्रीय यूनिट के अध्यक्ष प्रवीण तोगड़िया भाजपा शीर्ष नेतृत्व से बेतरह नाराज़ हैं और उन्होंने गुजरात की ऐसी 40 विधानसभा सीटों की शिनाख्त कर ली थी जहां वे भाजपा की जड़ों में मट्ठा डाल सकते हैं। जब से इस खबर का प्रस्फुटन हुआ कहते हैं तब से टीम शाह डैमेज कंट्रोल अभियान में जुट गई। सूत्र बताते हैं कि प्रारंभिक चरण में तोगड़िया को समझाने-बुझाने की चेष्टा हुई, फिर भी जब उनके तेवरों पर पानी नहीं पड़ा तो हालिया दिनों में आहूत हुई संघ की मथुरा की समन्वय बैठक में इस मुद्दे पर किंचित गंभीरता से विचार विमर्श किया गया। संघ से जुड़े विश्वस्त सूत्र खुलासा करते हैं कि इस बाबत तोगड़िया को कड़ी चेतावनी दी गई है और विहिप के इंटरनेशनल वर्किंग प्रेसिडेंट की हैसियत से उनके विदेश जाने पर भी रोक लगा दी गई है, संघ नेतृत्व की ओर से तोगड़िया को निर्देश गया है कि वे फिलवक्त गुजरात में ही बने रहे और इन चुनावों में भाजपा को मजबूत करने का उपक्रम साधें, यानी गुजरात चुनाव की उपादेयता, महत्ता और व्यापकता को देखते हुए संघ नेतृत्व हाथ बांधकर मोदी-शाह जोड़ी के पीछे खड़ा हो गया है, जहां से जो प्रतिकूल बयार चल रही है संघ नेतृत्व उसका रूख बदलने को कृत संकल्प जान पड़ता है।
Posted on 05 October 2017 by admin
भाजपा के युवा सांसद अनुराग ठाकुर इन दिनों किंचित पेरशान हैं, दरअसल इस दफे के फेरबदल के आलोक में उन्हें मोदी सरकार के एक सर्वशक्तिमान मंत्री से आश्वासन प्राप्त हुआ था कि इस बार उन्हें बतौर राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) सरकार में शामिल किया जा रहा है। सूत्र बताते हैं कि यह खबर मिलते ही अनुराग ने अपने पुराने साथियों को आनन-फानन में हिमाचल से दिल्ली आने को कहा, अनुराग के कई चाहने वाले पंजाब से भी आए थे। और इन लोगों ने दिल्ली की एक बड़ी विज्ञापन एजेंसी को सौ से ज्यादा आउटडोर लगाने के लिए एडवांस भी दे दिया। होर्डिंग का मजमून और डिजाइन भी बड़ी मशक्कत के बाद तैयार किया गया। सूत्र बताते हैं कि होर्डिंग पर अनुराग की मुस्कुराती तस्वीर के साथ लिखा गया-’मंत्री बनने पर अनुराग ठाकुर को न्यू इंडिया की ओर से बधाई।’ पर किसी कारणवष नए मंत्रियों की सूची में अनुराग का नाम ही शामिल नहीं हो पाया। सारे मंसूबे और होर्डिंग्स धरे के धरे रह गए। पर युवा अनुराग हार मानने वालों में से नहीं, सूत्रों की मानें तो इसके बाद उन्होंने अपने समर्थकों को संदेशा भिजवाया कि उनकी जगह दिल्ली नहीं, हिमाचल है। पार्टी उन्हें हिमाचल के अगले मुख्यमंत्री के तौर पर प्रोजेक्ट करेगी। सो आनन-फानन में हिमाचल में उनके रोड-शो का प्रोग्राम बना और तय हुआ कि दिल्ली से पहले वह चंडीगढ़ पहुंचेंगे, सोलन पहुंचेंगे और फिर वहां से अपने 500 गाड़ियों के काफिले के साथ शिमला पहुंचेंगे। यह बात केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा को लीक हो गई, कहते हैं उन्होंने फौरन वहां के संगठन मंत्री से बात की और इसके बाद संगठन मंत्री का पार्टी कैडर को निर्देश चला गया कि अनुराग के रोड शो में जो भी नेता दिखेगा, वह इस चुनाव में पार्टी टिकट की उम्मीद न करे। सो, अनुराग की फ्लाइट जब चंडीगढ़ उतरी तो उन्हें रिसीव करने एयरपोर्ट सिर्फ छह गाड़ियां पहुंचीं। रोड शो का आइडिया रोड पर आ चुका था।