Archive | October, 2017

चतुर सुजान मोदी

Posted on 25 October 2017 by admin

मोदी सचमुच सियासत के उत्साद बाजीगर है, हारी हुई बाजियों को पलटना भी उन्हें बखूबी आता है। प्रधानमंत्री को लगातार यह रिपोर्ट मिल रही थी कि गुजरात के मौजूदा मुख्यमंत्री विजय रूपानी से उनके विधानसभा की जनता खासी नाराज हैं, और इस बार उनके सिर पर हार का खतरा मंडरा रहा है। इसे देखते हुए चतुर सुजान मोदी ने जून में राजकोट में रोड शो किया था। गुजरात में लोगों की नाराज़गी देखते हुए मोदी ने जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे के साथ 8 किलोमीटर लंबा रोड शो किया था। जिसने जनता में दोगुना उत्साह ला दिया। रोड शो के बाद मोदी सीधी सैयद मस्जिद में गए और उसके आगे लाल दरवाजे तक गए, जहां दो तरफ मुस्लिम समुदाय के लोग पिछले 4-5 घंटे से उनका इंतजार कर रहे थे। मोदी ने हाथ हिलाकर मुस्लिम जनता का अभिवादन किया और उनका कुशलक्षेम पूछा। सिर्फ इतने भर से कई मुस्लिम परिवार मोदी के मुरीद हो गए।

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…और अंत में

Posted on 25 October 2017 by admin

ममता बनर्जी पर जब से अल्पसंख्यक तुष्टिकरण की राजनीति करने के इलज़ाम जोरों से लगने लगे हैं, तब से कोलकाता के रामकृष्ण मिशन आश्रम में उनका आना-जाना उनका बढ़ गया है। सूत्र बताते हैं कि इन दिनों वह घंटों आश्रम में बैठी रहती हैं, उनके समर्थक इसे शांति की खोज बता रहे हैं, तो भाजपा हिंदू वोटों को लुभाने की कवायद।(एनटीआई-gossipguru.in)

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कांग्रेस के नए रणनीतिकारों में शुमार हुए प्रणब दा

Posted on 25 October 2017 by admin

कांग्रेस की गिरती साख को परवान चढ़ाने के लिए पार्टी को प्रणब मुखर्जी के तौर पर एक नया रणनीतिकार मिल गया है। वैसे यह बात अब किसी से छुपी नहीं रह गई है कि प्रणब दा की राहुल के मुकाबले प्रियंका से कहीं गहरी छनती है। प्रणब दा की हालिया रिलीज पुस्तक में भी इस बात का कहीं शिद्दत से जिक्र है कि कैसे जब यूपीए सरकार ने शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती को गिरफ्तार किया था तो प्रणब दा इस बात को लेकर अपसेट हो गए थे। प्रणब दा इसी थ्योरी को लेकर फिर से सामने आए हैं कि कांग्रेस के अभ्युदय से लेकर यूपीए सरकार बनने तक कांग्रेस नेतृत्व का एक वर्ग ’सॉफ्ट हिंदुत्व’ को पोषित करता रहा है और ऐसे में हिंदुवादी नेताओं की कांग्रेस में एक पुरानी परंपरा रही है जो मदन मोहन मालवीय, कमलापति त्रिपाठी से लेकर नरसिंहा राव तक में देखी जा सकती है। राजनैतिक पर्यवेक्षक तो इस कड़ी में नेहरू, इंदिरा, संजय, राजीव और नरसिंहा राव को भी जोड़ने से नहीं चूकते। जब से कांग्रेस की बागडोर सोनिया गांधी के हाथों में आई उनकी सलाहकार मंडली में ईसाई और मुस्लिम नेताओं की तूती बोलती रही। यह सोनिया इफेक्ट ही माना जा सकता है जब उनके वफादार मनमोहन सिंह ने प्रधानमंत्री रहते एक अजीबोगरीब बयान दे दिया कि प्राकृतिक संसाधनों पर देश के मुसलमानों का पहला हक है। कांग्रेस की लोकसभा में हुई करारी हार को पारिभाषित करते एंटोनी कमेटी ने भी कमोबेश यही बात कही है कि कांग्रेस की छवि एक हिंदू विरोधी पार्टी की बन गई है। सो, भले ही कांग्रेस के मौजूदा तारणहार राहुल गांधी प्रणब दा के सीधे संपर्क में ना हों पर उनके कुछ नजदीकी सांसदों का नियमित तौर पर प्रणब दा से मिलना-जुलना हो रहा है, जो दादा का संवाद राहुल तक पहुंचा रहे हैं। शायद यह उस्ताद प्रणब की नसीहतों की परिणति थी कि राहुल गांधी अब मंदिरों में शीश नवाने पहुंच रहे हैं, अकेले गुजरात में राहुल दर्जन भर मंदिरों में जा चुके हैं। यानी कांग्रेस ने सॉफ्ट हिंदुत्व के जिस स्लॉट को पिछले 12-13 सालों में अनदेखा कर दिया था, अब उसकी भरपाई संभव है।

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शत्रु की जगह रितुराज

Posted on 25 October 2017 by admin

अगले लोकसभा चुनाव में (जो 2018 के पूर्वाह्न या 19 की शुरूआत में कभी भी हो सकते हैं) भगवा पार्टी में मोदी विरोधी की अलख जगाने वालों की बोलती बंद करने की तैयारी है। जैसे कि पटना साहिब संसदीय सीट से शाटगन शत्रुघ्न सिन्हा का टिकट कटना तय माना जा रहा है। भाजपा से जुड़े विश्वस्त सूत्र बताते हैं कि पटना साहिब से अगला चुनाव रितुराज सिन्हा लड़ सकते हैं, जो कि सेक्युरिटी सर्विस एसआईएस चलाने वाले आर के सिन्हा के पुत्र हैं। आर के सिन्हा फिलवक्त राज्यसभा सांसद है और संघ के बेहद करीबियों में शुमार होते हैं। रितुराज सिन्हा जो यूके की लीड्स यूनिवर्सिटी से पढ़े-लिखे हैं, वे बिहार के 2014 के विधानसभा चुनाव में एक प्रमुख कैंपेन स्ट्रेटेजिस्ट रह चुके हैं, उन्होंने इस चुनाव में बिहार प्रदेश भाजपा का आईटी सेल संभाला था और 215 नमो रथ को जीपीएस की एक विशेष तकनीक से जोड़ा था।

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कांग्रेस नई, दस्तूर पुराना

Posted on 15 October 2017 by admin

राहुल गांधी एक नए अवतार में समाने आए हैं, अपनी दादी के 100वें जन्मदिन (19नवंबर) के मौके पर कांग्रेस की बागडोर पूरी तरह संभालने को वे कृतसंकल्प दिख रहे हैं, इसके साथ ही वे कांग्रेस का चेहरा मोहरा बदलने को भी उत्सुक जान पड़ते हैं। पार्टी से जमीनी कार्यकर्त्ताओं को जोड़ने की मुहिम का आगाज़ करते हुए और आसन्न विधानसभा चुनावों को मद्देनजर रखते हुए राहुल ने अपनी पहल से एआईसीसी में एक चुनाव प्राधिकरण का गठन किया है, इस प्राधिकरण का सिरमौर किसी मुल्लापुली रामचंद्र को बनाया गया है। लंबे अरसे से ठंडे बस्ते के सुपुर्द कर दिए गए मधुसूदन मिस्त्री भी इस बार जाग गए हैं और बतौर मेंबर उन्होंने इस प्राधिकरण में एंट्री मार ली है। सो, यहां भी उनका पुराना रवैया चालू हो गया है। यहां तक कि पीसीसी डेलिगेट्स के लिए भी पूजा-अर्चना स्वीकार की जा रही है, ऐसा सूत्रों का दावा है। मोतीलाल वोरा इस बात की शिकायत पहले ही राहुल से कर चुके हैं। सूत्रों के मुताबिक वोरा जी को सबसे ज्यादा शिकायतें महाराष्ट्र, राजस्थान, मध्य प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों से मिल रही है। अब राहुल अगर कांग्रेस की पुरानी परिपाटियों पर लगाम नहीं लगा पाएंगे तो कांग्रेस का चेहरा-मोहरा क्या खाक बदल पाएंगे।

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कांग्रेस को नया मुद्दा

Posted on 15 October 2017 by admin

2001 से जब से गुजरात में मोदी की एंट्री हुई है, गुजरात स्टेट पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लगातार विवादों के घेरे में रहा और राजस्थान की प्रमुख विपक्षी पार्टी कांग्रेस के निषाने पर भी। कांग्रेस का मानना है सन् 2001 से लेकर सन् 2014 तक लगातार राजनैतिक फायदे के लिए इस कॉरपोरेशन का दोहन हुआ, कांग्रेसी नेताओं के ये भी आरोप हैं कि इस कॉरपोरेशन के पैसों से ही कई चुनाव लड़े गए। जब दोहन की इंतहा हो गई और यह कॉरपोरेशन लगभग 20 हजार करोड़ के घाटे में आ गया तो केंद्र सरकार की पहल से इसका विलय देश की सबसे बड़ी नवरत्न कंपनियों में शुमार होने वाली ओएनजीसी में कर दिया गया। सूत्र बताते हैं कि इस दफे के गुजरात विधानसभा चुनाव में कांग्रेस बड़े जोर-षोर से यह मुद्दा उठाने वाली है।

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अखिलेश का नया प्लॉन

Posted on 15 October 2017 by admin

समाजवादी पार्टी को नया चेहरा-मोहरा प्रदान करने की कवायद में अखिलेश कहीं शिद्दत से जुटे हैं। पिछले दिनों अखिलेश की अपने पिता से एक लंबी मुलाकात हुई और इस मुलाकात में पार्टी के भावी इंडिकेटर्स को लेकर भी गहन मंत्रणा हुई। अखिलेश ने एक तरह से मुलायम के समक्ष साफ कर दिया है कि वे शिवपाल को और ज्यादा नहीं ढो सकते। सूत्र बताते हैं कि अखिलेश ने अपने पिता के समक्ष इस बात पर कड़ी आपत्ति दर्ज कराई कि अब से पहले तक शिवपाल भाजपा के सीधे संपर्क में थे और जब भाजपा की ओर से उन्हें टका सा जवाब मिल गया कि वे पहले अपनी क्षेत्रीय पार्टी का गठन करें और फिर उसका विलय भाजपा में कर दें, तो लौट के बुद्दू घर को आ गए। सूत्र बताते हैं कि शिवपाल को अब अखिलेश दिल्ली की राजनीति में सक्रिय रखना चाहते हैं, सो मुमकिन है कि उन्हें किसी भांति दिल्ली का ठौर पकड़ाया जाए, जिससे कि यूपी की जमीन पर अखिलेश बेधड़क अपनी साइकिल दौड़ा सकें। सूत्रों का यह भी दावा है कि आने वाले लोकसभा चुनाव में अखिलेश अपने परिवार के कम से कम तीन लोगों का टिकट काट सकते हैं, इनमें से जिन लोगों के टिकट कट सकते हैं, उनके नाम हैं स्वयं अखिलेश की पत्नी डिंपल यादव, मुलायम के भतीजे व लालू के दामाद तेज प्रताप यादव और प्रोफेसर रामगोपाल यादव के पुत्र अक्षय यादव।

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गलहोत की उड़ान, पायलट की धड़ाम

Posted on 15 October 2017 by admin

क्या सचिन पायलट को अभी राज्य का बागडोर संभालने के लिए थोड़ा और इंतजार करना पड़ सकता है? नहीं तो इन दिनों राज्य के पुराने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ही अपने नए लीडर राहुल गांधी के दिलो दिमाग पर छाए हुए हैं। सो, इस बात के अभी से संकेत मिल रहे हैं कि राजस्थान का अगला विधानसभा चुनाव अशोक गहलोत के नेतृत्व में ही लड़ा जाएगा। दरअसल जब गहलोत को पंजाब का प्रभारी बनाया गया था तो किसी को शायद ही इस बात की उम्मीद थी कि कांग्रेस वहां इतना बड़ा चमत्कार कर जाएगी। हालांकि कैप्टन अमरिंदर ने पंजाब चुनाव में अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी, इसके बाद गहलोत को गुजरात का प्रभारी बनाया गया तो वहां भी एक चमत्कार हुआ और पार्टी के कद्दावर अहमद पटेल आधे वोट से वहां से राज्यसभा का चुनाव जीत गए। गुजरात में सुप्तप्रायः कांग्रेस में हालिया दिनों में एक नई जान आ गई है तो गहलोत समर्थक इस बात के क्रेडिट में भी उनका नाम जोड़ रहे हैं। सो, फिलवक्त तो गहलोत की तो निकल पड़ी है।

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दिख नहीं रहे जेटली

Posted on 15 October 2017 by admin

अरुण जेटली भले ही गुजरात के चुनाव प्रभारी हो, पर गुजरात के भगवा चुनाव अभियान से उनका चेहरा नदारद है। यहां तक कि गुजरात के तमाम बैनर, पोस्टर व होर्डिंग्स पर सिर्फ मोदी और अमित शाह के चेहरे नज़र आ रहे हैं। जेटली का कोई छोटा-मोटा फोटो भी आपको वहां खोजने से नहीं मिलेगा। अभी हालिया दिनों में अरुण जेटली ने कई दफे गुजरात का दौरा किया है पर इसकी रिपोर्ट आपको गुजराती मीडिया में भी बमुश्किल मिलेगी।

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…और अंत में

Posted on 15 October 2017 by admin

अगर सूत्रों के दावों पर यकीन किया जाए तो गुजरात के एक प्रमुख उद्योगपति गौतम अदानी अब राहुल गांधी से मिलने का वक्त मांग रहे हैं। वक्त बदल रहा है या लोग बदलते लम्हों के साथ अपने रंग बदल रहे हैं! (एनटीआई-gossipguru.in)

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