हाथरस केस की सुनवाई के दौरान इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ पीठ ने यूपी सरकार से पूछा कि ’इस घटना के आलोक में अगर वहां के एसपी को निलंबित किया गया तो इतनी बड़ी घटना के बाद वहां के डीएम को क्यों बनाए रखा गया? जबकि पीड़िता के रातों-रात हुए अंतिम संस्कार के मामले में डीएम के रोल को संदिग्ध माना जा रहा है।’ इसके साथ ही इस बात की पड़ताल तेज हो गई कि आखिर योगी सरकार में वह कौन है जो डीएम को बचा रहा है? विशेष सूत्रों का दावा है कि इस मामले में योगी के एक मुंहलगे बड़े अफसर ने रात को ही डीएम को फोन कर मामले को रफा-दफा करने को कहा था। कहते हैं लखनऊ से फोन आने के बाद ही डीएम ने ऐसा ही कुछ आदेश एसपी को दिया था, और बेचारे एसपी बलि का बकरा बन गए।