Archive | July, 2023

बिहार में हवाई अड्डों की राजनीति

Posted on 11 July 2023 by admin

‘सिर्फ पंखों से कहां मुकम्मल होती है कोई उड़ान,
इसमें मिलाओ रंग हौसलों का और थोड़ा आसमान’

सियासत को तो यूं भी पंख फैला कर उड़ने की आदत होती है, ऐसे में जब बात हवाई अड्डों की हो तो सियासतदां भी आसमां से चुगली करने लग जाते हैं। एक बिचारे पटना एयरपोर्ट पर आफत आन पड़ी है, इस एयरपोर्ट की लोकेशन ही कुछ ऐसी है कि इसका और विस्तार मुमकिन नहीं, पटना हवाई अड्डे का रनवे भले ही 2.286 मीटर लंबा हो पर यहां जहाज उतारने वाले पायलट इसका मात्र 1.954 मीटर ही इस्तेमाल कर पाते हैं। सो, उन्हें यहां बेहद मुश्किल लैंडिंग करानी पड़ती है क्योंकि लैंडिंग करने वाले जहाज की राह में पटना विधानसभा भवन का क्लॉक टॉवर और दूसरी स्टेशन फूलवारी शरीफ का रेलवे स्टेशन आड़े आ जाता है, साथ ही पटना एयरपोर्ट पर विमान से पक्षी टकराने की आशंका भी सदैव बनी रहती है। डीजीसीए की हमेशा यहां फ्लाइट उतारने वाले पायलटों पर नज़र होती हैं, पटना से सटे बिहटा एयरपोर्ट के पास भी 2500 मीटर का रनवे है, पर यह भी ‘वाइड बॉडी एयरक्राफ्ट’ के उतरने के लिए नाकाफी है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहटा एयरपोर्ट के लिए 126.41 एकड़ जमीन अधिग्रहण को मंजूरी प्रदान की थी, और अब एयरपोर्ट के टर्मिनल बिल्डिंग के लिए एयरपोर्ट ऑथिरिटी को 108 एकड़ भूमि ’फ्री ऑफ कॉस्ट’ दी गई है। यही वजह है कि पूर्व नागरिक उड्डयन मंत्री रूढ़ी इसे अपने संसदीय क्षेत्र सारण के अंतर्गत आने वाले सोनपुर ले जाना चाहते हैं। वहीं नीतीश कुमार चाहते हैं कि ’पटना के विकल्प के तौर पर नालंदा में एक बड़ा एयरपोर्ट बने जहां ’वाइड बॉडी एयरक्राप्ट’ (बड़े जहाज) भी उतर सकें।’ वहीं पटना से लगे बिहटा एयरपोर्ट का काम चल रहा है, वैसे भी नालंदा में एयरपोर्ट के लिए जमीन अधिग्रहण में ढेरों समस्याएं आ रही हैं। पर नीतीश कुमार के लिए एक अच्छी खबर यह है कि कभी उनके बेहद भरोसेमंद अधिकारी रहे चंचल कुमार नागरिक उड्डयन मंत्रालय में सचिव पद का जिम्मा संभालने जा रहे हैं। चंचल कुमार बिहार कैडर के 1992 बैच के आईएएस अधिकारी हैं, जो आईआईटी कानपुर से पढ़े लिखे हैं। जब नीतीश केंद्र में मंत्री थे तब भी चंचल कुमार उनके साथ ही थे।

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क्यों सुलग रहा है मणिपुर?

Posted on 11 July 2023 by admin

मणिपुर में राज्य हाई कोर्ट के 3 मई के उस फैसले के बाद वहां बवाल मचा हुआ है, जिस आदेश में राज्य की गैर जनजाति मैतेई समुदाय को जनजाति में शामिल करने की बात कही गई थी। मैतेई समुदाय का राज्य की कुल आबादी में 64 फीसदी की हिस्सेदारी है, राज्य के 60 में से 40 विधायक मैतई समुदाय से ताल्लुक रखते हैं, मैतेई समुदाय का एक बड़ा हिस्सा हिंदू धर्मावलंबी है। जबकि राज्य की अन्य दोनों प्रमुख जनजातियां यानी कुकी और नगा ईसाई धर्म को मानने वाले हैं। राज्य के मौजूदा मुख्यमंत्री नोंगथोंबन बीरेन सिंह भी इसी बहुसंख्यक मैतेई जाति से आते हैं। मैतेई आम तौर पर घाटी में बसे हुए हैं और कुकी पहाड़ों पर। कुकी समुदाय बड़े पैमाने पर अफीम की खेती से भी जुड़े हैं। मैतेई के पास राज्य की केवल 8 फीसदी भूमि है और मौजूदा कानून के मुताबिक उन्हें पहाड़ों पर जमीन खरीदने की इजाजत नहीं है, पर एक बार अगर वे जनजाति में शुमार हो जाते हैं तो वे भी आसानी से पहाड़ों पर जमीन खरीद पाएंगे। बदलते दौर के साथ मणिपुर ड्रग्स की स्मगलिंग के एक बड़े अड्डे के रूप में विकसित होता गया है, सूत्रों का दावा है कि यहां से ड्रग्स देशभर में सप्लाई होती है। मणिपुर पिछले दो महीनों से सुलग रहा है, ऐसे में यहां से बड़े पैमाने पर कुकी जनजाति का पलायन हुआ है, या तो वे पहाड़ों पर चले गए हैं, या फिर असम जैसे राज्यों में शिफ्ट हो गए हैं। गृह मंत्री अमित शाह के दौरे के बाद भी जब यहां के हालात नहीं सुधरे तो केंद्र सरकार ने अब यहां राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवल को सक्रिय कर दिया है, केंद्र को उम्मीद है कि डोवल यहां के हालात कुछ दिनों में सामान्य कर देने की क्षमता रखते हैं।

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सचिन पायलट कैसे माने?

Posted on 11 July 2023 by admin

क्या कांग्रेस ने अपने राजस्थान का झगड़ा वाकई सुलझा लिया है? क्या राहुल के समझाने पर सचिन पायलट ने अपने हथियार डाल दिए हैं? अशोक गहलोत भले ही इस मीटिंग में अपने पैर की चोट का हवाला देकर वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से शामिल हुए हों पर उनकी गैर मौजूदगी में राहुल का रूख पायलट के लिए किंचित बहुत सकारात्मक था। दिल्ली की इस मीटिंग में राहुल के अलावा कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, केसी वेणुगोपाल, कांग्रेस के राजस्थान प्रभारी सुखजिंदर रंधावा, गोविंद सिंह डोटासरा और वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से अशोक गहलोत जुड़े थे। कहते हैं इस बैठक में दो महत्वपूर्ण फैसला लिए गए, एक तो पार्टी किसी को भी सीएम फेस बनाए बगैर मैदान में उतरेगी और पार्टी एक बार फिर से राजस्थान में विजयी रहती है तो भी गहलोत को दिल्ली आकर पार्टी के राष्ट्रीय संगठन में काम करना होगा। कहते हैं बैठक समाप्त होने के बाद सचिन ने अपनी ओर से 60 प्रत्याशियों की एक सूची भी खड़गे को सौंपी है, जिन्हें वे इस बार के चुनाव में टिकट दिलवाना चाहते हैं, सचिन को आश्वासन मिला है कि पार्टी उनके दिए गए नामों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करेगी।

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चाचा-भतीजा में कौन है सवा सेर?

Posted on 11 July 2023 by admin

महाराष्ट्र में इन दिनों चाचा शरद पवार और भतीजे अजित पवार के बीच तलवारें कुछ इस कदर तनी हैं कि दोनों में से कोई भी इसे वापिस म्यान में रखने को राजी नहीं। इस द्वंद युद्ध की पटकथा मुंबई में उस वक्त लिख दी गई थी जब एनसीपी के 25वें स्थापना दिवस को लेकर शरद पवार के घर एक मीटिंग चल रही थी। दरअसल इस विवाद की शुरूआत तब हो गई थी जब भोपाल की एक जनसभा में पीएम मोदी ने बड़े पवार का नाम लेकर 70 हजार करोड़ के घोटाले का जिक्र अपने भाषण में किया था। पीएम का यह भाषण एनसीपी के शीर्ष नेताओं की नींद उड़ाने के लिए काफी था। इस 25वें स्थापना दिवस के मौके पर प्रफुल्ल पटेल ने महाराष्ट्र के अखबारों में एक पूरे पेज का विज्ञापन देकर उसमें शरद पवार के सानिध्य और मार्गदर्शन का बखान किया था। कहते हैं स्थापना दिवस की मीटिंग के ही रोज अजित पवार और प्रफुल्ल पटेल ने शरद पवार के समक्ष अपना दुखड़ा रोया और कहा कि हमारी पार्टी के तीन बड़े नेता अनिल देशमुख, छगन भुजबल और नवाब मलिक पहले ही जेल जा चुके हैं, अब जेल जाने की हमारी बारी हो सकती है। फिर तय हुआ कि अगर एकनाथ शिंदे अपने अन्य 16 विधायकों के साथ अयोग्य घोषित किए जाते हैं तो बड़ी पार्टी होने के नाते सीएम पद पर एनसीपी का दावा हो सकता है और वह राज्य में भाजपा के साथ मिल कर सरकार बना सकती है। कहते हैं इस मीटिंग में यह भी तय हुआ कि लोकसभा की महाराष्ट्र की 48 सीटों पर भाजपा व एनसीपी का दावा आधा-आधा होगा। इस फार्मूले में सुप्रिया सुले को केंद्र की मोदी सरकार में मंत्री बनाने की बात भी शामिल थी। सूत्र यह भी बताते हैं कि जब अजित पवार ने डिप्टी सीएम पद की शपथ ली तो 11 विधायक बड़े पवार से मिलने आए तो शरद ने उन्हें अजित के साथ जाने को कहा। सो, राजनैतिक पर्यवेक्षक हैरत में है कि ’चाचा-भतीजा की यह लड़ाई वाकई असली है या दोनों स्वांग रच रहे हैं।’

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खड़गे कब करेंगे संगठन में फेरबदल

Posted on 11 July 2023 by admin

मल्लिकार्जुन खड़गे को कांग्रेस पार्टी का कार्यभार संभाले 8 महीनों से ज्यादा का वक्त होने को आया है पर अभी तक वे पार्टी संगठन में कोई माकूल फेरबदल नहीं कर पाए हैं। सबसे अहम सवाल तो यह कि कांग्रेस में फेरबदल अहम कार्यनिर्धारक समिति सीडब्ल्यूसी यानी कांग्रेस वर्किंग कमेटी में फेरबदल क्या वे 2024 के आम चुनाव से पहले कर पाएंगे? कहते हैं सीडब्ल्यूसी में यथास्थिति बनाए रखने में गांधी परिवार के करीबी माने जाने वाले उन नेताओं की बड़ी भूमिका है जो 1998 के बाद से ही यानी सोनिया गांधी के पार्टी अध्यक्ष बनने के बाद से ही इसमें कुंडली मारे बैठे हैं। खड़गे पुराने नेताओं को हटाने की बला अपने सिर नहीं लेना चाहते, आज तक वे राज्यसभा में भी अपनी जगह पार्टी का कोई नेता नहीं बना पाए हैं, वहां भी पार्टी अपने डिप्टी लीडर प्रमोद तिवारी से ही काम चला रही है। लोकसभा में भी अधीर रंजन चौधरी एक साथ दो-दो पदों पर बने हुए हैं, वे लोकसभा में नेता विपक्ष हैं और बंगाल कांग्रेस के मुखिया भी।

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छत्तीसगढ़ में कांग्रेस का अंदरूनी विवाद

Posted on 11 July 2023 by admin

छत्तीसगढ़ में कांग्रेस का अंदरूनी विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा। अभी पिछले दिनों पार्टी ने बाबा यानी टीएस सिंहदेव को राज्य का उप मुख्यमंत्री बना उनकी नाराज़गी दूर करने का प्रयास किया है। ऐसे में राज्य के एक पुराने ओबीसी नेता ताम्रध्वज साहू ने अपनी नाराज़गी सार्वजनिक कर पार्टी की पेशानियों पर बल ला दिए हैं। अब साहू भी बाबा के कदम पर चल कर राज्य के डिप्टी सीएम बनना चाहते हैं। हाईकमान ने साहू से जब बात की तो कहते हैं साहू ने अपने कुछ पसंदीदा लोगों की एक लिस्ट उन्हें थमा दी है जिन्हें वे इस विधानसभा चुनाव में टिकट दिलवाना चाहते हैं। पार्टी शीर्ष ने उन्हें भरोसा दिया है कि उनके द्वारा सुझाए गए नामों पर भी गंभीरता से विचार होगा।

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मोदी मंत्रिमंडल में एक बड़े फेरबदल के कयास

Posted on 11 July 2023 by admin

’एक खबर सा है तू, रोक नहीं पाता खुद को बिखरने से
एक आइना सा है तू, रोक नहीं पाता किसी को संवरने से’

आने वाले कुछ दिनों में मोदी मंत्रिमंडल में एक बड़ा फेरबदल मुमकिन है, कयासों के मंजर सज चुके हैं, आने व जाने वालों की धड़कनें तेज हैं। सूत्रों की मानें तो संसद के मानसून सत्र यानी 17 जुलाई से पहले यह फेरबदल कभी भी हो सकता है। इसके लिए जो तारीख मुकर्रर हो सकती है, वह है 4 या 5 जुलाई या फिर 8-15 जुलाई के बीच कभी भी। जो नाम मंत्री बनने की रेस में शामिल हैं, वे हैं कैप्टन अमरिंदर सिंह, सीपी जोशी, चिराग पासवान, हरसिमरत कौर बादल, केशव प्रसाद मौर्य, प्रताप राव जाधव, राहुल शेवाले या श्रीरंग बर्ने में से कोई एक। कई बड़े मंत्रियों को आसन्न 2024 के चुनावों के मद्देनज़र पार्टी संगठन में भेजा जा सकता है, जैसे धर्मेंद्र प्रधान, भूपेंद्र यादव, नरेंद्र सिंह तोमर, प्रह्लाद जोशी, गजेंद्र सिंह शेखावत व महेंद्र नाथ पांडेय, ये लोग भाजपा संगठन की शोभा बढ़ा सकते हैं। कुछ मंत्रियों के भार कम किए जा सकते हैं, जैसे अश्विनी वैष्णव आईटी, ज्योतिरादित्य सिंधिया से स्टील और अनुराग ठाकुर से सूचना-प्रसारण मंत्रालय वापिस लिया जा सकता है। बदले परिदृश्य में एकनाथ शिंदे की शिवसेना, मुकेश सहनी की वीआईपी और एनडीए का पुराना घटक दल अकाली फिर से सरकार में वापसी कर सकते हैं। वापसी के कयास तो चंद्रबाबू नायडू की तेदेपा के लिए भी है। राजस्थान के आने वाले विधानसभा चुनावों को देखते हुए दौसा की सांसद जरकौर मीणा, व बांसवाड़ा-डूंगरपुर के सांसद कनकमल कटारा के नाम भी मंत्री पद की रेस में शामिल बताए जाते हैं। वहीं राजस्थान का ब्राह्मण चेहरा घनश्याम तिवाड़ी, सीकर के सांसद सुमेधानंद सरस्वती व राजकुमारी दीया कुमारी के नाम के भी चर्चे हैं। तेलांगना के प्रदेश अध्यक्ष बांदी संजय कुमार को भी कैबिनेट में शामिल किया जा सकता है। मल्याली सुपर स्टार सुरेश गोपी जो केरल से आते हैं, इनको भी केंद्र में मंत्री बनाया जा सकता है। तेलांगना प्रदेश भाजपा के नए अध्यक्ष के तौर पर एटाला राजेंद्र और डीके अरूणा के नामों की चर्चा है। इन कयासों को इसीलिए भी पंख मिल रहे हैं कि प्रगति मैदान दिल्ली के नए बने कन्वेंशन सेंटर में पीएम मोदी अपने कैबिनेट की अहम बैठक 3 जुलाई को कर रहे हैं। इससे पहले अपनी विदेश यात्रा से लौटने के तुरंत बाद इस बुधवार को पीएम ने अपने सरकारी आवास पर अमित शाह, जेपी नड्डा व संगठन महासचिव बीएल संतोष के साथ 5 घंटों की एक मैराथन बैठक की थी, यह बैठक सरकार व पार्टी संगठन में व्यापक बदलाव पर फोकस थी।

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सक्रिय राजनीति में आएंगी अहमद पटेल की बेटी मुमताज

Posted on 11 July 2023 by admin

कभी कांग्रेस की राजनीति की धुरी रहे और पार्टी के चाणक्य में शुमार होने वाले दिवंगत अहमद पटेल की बेटी मुमताज पटेल ने कांग्रेस की सक्रिय राजनीति में उतरने के लिए अपनी कदमताल तेज कर दी है। जिस दिन दिल्ली स्थित कांग्रेस मुख्यालय में छत्तीसगढ़ को लेकर एक अहम बैठक चल रही थी, उसी रोज मुमताज अपने पिता के पूर्व सहयोगी यतीन्द्र शर्मा के साथ राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे और वेणुगोपाल से मिली थीं। इस मीटिंग को तय करवाने में कनिष्क सिंह और मुकुल वासनिक की एक अहम भूमिका बताई जाती है। कभी अहमद पटेल के बेहद भरोसेमंद लोग चाहते हैं कि मुमताज को पार्टी के शीर्ष निर्णायक संगठन ’कांग्रेस वर्किंग कमेटी’ में जगह मिले। यह भी सुना जा रहा है कि खड़गे ने मुमताज के समक्ष महिला कांग्रेस की बागडोर संभालने का प्रस्ताव रखा, पर मुमताज ने इसके लिए मना कर दिया है। मुमताज अपने पिता की भरूच सीट से लोकसभा का अगला चुनाव लड़ना चाहती है। यह सीट 1952 से लेकर 1977 तक लगातार कांग्रेस के पास रही थी, 1977 में जब देश में कांग्रेस विरोधी लहर चल रही थी तब अहमद पटेल को कांग्रेस ने इस सीट से उतारा था और तब पटेल चुनाव जीत गए थे और जीतने के बाद उन्होंने इंदिरा गांधी के लिए यह सीट छोड़ने की पेशकश भी कर दी थी। फिर अहमद पटेल ने 1980 और 1985 का चुनाव भी भरूच से जीत कर अपनी जीत की तिकड़ी बना दी, 1989 में वे राज्यसभा के लिए चुन लिए गए, फिर लगातार राज्यसभा में ही बने रहे पर भरूच से उनका नाता कभी टूटा नहीं, वे लगातार भरूच में सक्रिय रहे, जबकि भरूच राजपूतों के दबदबे वाली सीट है। राहुल गांधी ने कांग्रेस संगठन में 50 से कम उम्र के युवाओं को 50 फीसदी जगह देने का लक्ष्य रखा है, यही वजह है कि मुमताज को भी लगता है कि उन्हें कांग्रेस संगठन में कुछ बड़ा मिलने जा रहा है।

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शताब्दी वर्ष की तैयारियों में जुटा संघ

Posted on 11 July 2023 by admin

डॉ. केशव हेडगेवार ने सन् 1925 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की नींव डाली थी, इस लिहाज से आने वाले 2025 में संघ अपनी स्थापना के 100 वर्ष पूरे कर लेगा। संघ ने अपने शताब्दी वर्ष को जोर शोर से मनाने की तैयारियां अभी से शुरू कर दी है। अभी देशभर में संघ की 55,000 शाखाएं लगती हैं, संघ का लक्ष्य 2025 तक इसे एक लाख करने का है। संघ का लक्ष्य गांव-गांव तक अपने विचारों के विस्तार का है, जिसके लिए संघ ने अपने नंबर दो दत्तात्रेय होसाबोले की अगुवाई में 3000 लोगों की एक टीम बनाई है, इस टीम को ’शताब्दी वर्ष विस्तारक’ के रूप में जाना जाएगा। ये विस्तारक गांव-गांव तक पहुंचेंगे, इनका लक्ष्य खास तौर पर दलित व घुमंतु जातियों को साधने का है। 10-12 गांवों को मिला कर ये विस्तारक इसे एक मंडल का रूप देंगे। उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों में यही विस्तारक ’एक गांव, एक कुआं और एक श्मशान’ की नीति को अमलीजामा पहनाएंगे। 2024 के आसन्न आम चुनाव के मद्देनज़र ये विस्तारक देशभर की जमीनी हकीकत और लोगों के मूड को खंगाल कर इसकी रिपोर्ट ऊपर तक देंगे यानी कहीं न कहीं भाजपा को भी इन शताब्दी वर्ष विस्तारकों के जमीनी फीडबैक का लाभ मिलने वाला है।

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केसीआर व भाजपा में क्या गुप्त डील है?

Posted on 11 July 2023 by admin

कभी भाजपा के खिलाफ देशभर में घूम-घूम कर अलख जगाने वाले चंद्रशेखर राव ने क्यों इतना बड़ा सियासी ’यू-टर्न’ ले लिया है? क्यों यूं अचानक शराब घोटाले में उनकी बेटी कविता पर जांच एजेंसियों की लटकती तलवारों की धार कुंद पड़ गई हैं? क्या केसीआर अब अंदरखाने से भाजपा की मदद को प्रस्तर हैं? जैसे पिछले दिनों जब केसीआर महाराष्ट्र के पंढरपुर के विट्ठल रूक्मिणी मंदिर में अपने 600 गाड़ियों के काफिले के साथ पूजा अर्चना को पहुंचे तो एक नया सियासी समीकरण भी वहां अंगड़ाई लेते दिखा। पूजा अर्चना के बाद केसीआर ने बकायदा वहां एक रैली कर अपना शक्ति प्रदर्शन भी कर दिया। कहते हैं महाराष्ट्र में महाअघाड़ी गठबंधन को चुनौती देने के लिए केसीआर का भाजपा के साथ एक गुप्त समझौता हो गया है। जिसके तहत वे पूरे महाराष्ट्र में अपने उम्मीदवार खड़े कर रहे हैं, जिससे महाअघाड़ी के वोट बैंक में सेंध लगाई जा सके, वैसे भी महाराष्ट्र के विदर्भ में तेलुगू भाषियों की एक अच्छी खासी तादाद है, बदले में भाजपा तेलांगना में केसीआर की राहों में कांटे नहीं बिछाएगी और जरूरत पड़ने पर उनकी पुत्री कविता को भी अभयदान मिल सकता है।

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