Archive | April, 2024

दिग्विजय कि अनोखी अदा

Posted on 07 April 2024 by admin

कांग्रेस के सीनियर नेता और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह हमेशा नई ऊर्जा से लबरेज रहते हैं। कांग्रेस ने उन्हें राजगढ़ लोकसभा सीट से चुनावी मैदान में उतारा है। तो दिग्विजय ने अपनी अनोखी अदा से वहां भी समां बांध दिया है। वे एक ’वादा निभाओ पद यात्रा’ निकाल रहे हैं जिससे वे अपनी क्षेत्र की जनता से व्यक्तिगत रूप से मिल सकें। अभी पिछले दिनों जब वे राघोगढ़ में पद यात्रा कर रहे थे तो उनके साथ उनके पुत्र जयवर्द्धन सिंह और उनके साथ उनका 7 साल का पोता सहस्त्रजय सिंह भी शामिल था। सबसे दिलचस्प तो यह कि अपने दादा के लिए 7 साल का पोता भी वोट मांग रहा था जबकि चुनाव आयोग द्वारा चुनाव प्रचार में बच्चों और नाबालिगों को शामिल करने पर पूरी तरह रोक है।

Comments Off on दिग्विजय कि अनोखी अदा

भाजपा के नए गौरव

Posted on 07 April 2024 by admin

कभी भाजपा के चर्चित प्रवक्ता संबित पात्रा से यह सवाल पूछ कर तहलका मचाने वाले कि 5 ट्रिलियन में कितने जीरो होते हैं? अर्थशास्त्र के प्रोफेसर और कांग्रेस के पूर्व प्रवक्ता गौरव वल्लभ अब रंग बदल कर भगवा हो गए हैं वो भी सनातन धर्म का हवाला देते हुए। राजस्थान से ताल्लुक रखने वाले गौरव वल्लभ जमशेदपुर के ’एक्सएलआरआई’ में प्रोफेसर रहे हैं। कांग्रेस के टिकट पर 2019 का विधानसभा चुनाव उन्होंने भाजपा के रघुबर दास के खिलाफ झारखंड के जमशेदपुर से लड़ा था, जहां उन्हें बुरी तरह मुंह की खानी पड़ी थी। इस हार से सीख न लेते हुए 2023 के राजस्थान विधानसभा चुनाव में वे उदयपुर से फिर से कांग्रेस के टिकट पर मैदान में उतर गए और एक बार फिर उन्हें पराजय का सामना करना पड़ा। पिछले कुछ समय से वे कांग्रेस हाईकमान से अपने लिए राजस्थान से लोकसभा चुनाव का टिकट मांग रहे थे पर जब कांग्रेस नेतृत्व ने उनकी इस मांग को ठुकरा दिया तो वे रंग बदलते हुए भाजपाई हो गए। सूत्र यह भी बताते हैं कि गौरव वल्लभ के इस्तीफा पत्र का ड्राफ्ट भाजपा रणनीतिकारों द्वारा ही तय किया गया था। पत्र की भाषा व भंगिमा इस बात की चुगली खाती थी। 

Comments Off on भाजपा के नए गौरव

क्या करेंगे निरूपम?

Posted on 07 April 2024 by admin

कांग्रेस से बागी हुए संजय निरूपम अपने लिए नई राजनीतिक राह की तलाश में हैं। इस कार्य में उन्हें उनके मित्र मिलिंद देवड़ा की भी भरपूर मदद मिल रही है। सनद रहे कि कुछ दिनों पहले ही देवड़ा भी कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हुए हैं। भाजपा गठबंधन ने मुंबई की 6 में से 4 सीटों पर अपने उम्मीदवार तय कर दिए हैं पर ’मुंबई नार्थ सेंट्रल’ सीट से अभी किसी उम्मीदवार की घोषणा नहीं की गई है। यहां से भाजपा गठबंधन को एक जिताऊ चेहरे की तलाश है सो, पहले प्रिया दत्त से बात की गई पर उनकी ओर से अभी तक कोई जवाब नहीं मिला। इसी सीट पर कांग्रेस की ओर से स्वरा भास्कर को भी ऑफर गया है। साथ ही राज बब्बर के नाम पर भी विचार हो रहा है। अगर राज यहां से चुनाव नहीं लड़ते तो हरियाणा की गुरूग्राम सीट से अपनी किस्मत आजमा सकते हैं। दिवंगत प्रमोद महाजन की बेटी पूनम महाजन यहां से भाजपा के टिकट पर 2 बार विजयी रही हैं। पर उनके ’एंटी इन्कंबेंसी’ को देखते हुए भाजपा गठबंधन यहां से एक नए चेहरे की तलाश में जुटा है। नाम तो विधायक आशीष शेलार का भी चल रहा है पर चूंकि इस सीट पर चार लाख से ज्यादा मुसलमान वोटर हैं सो संजय निरूपम की दावेदारी यहां से सबसे माकूल मानी जा रही है। क्योंकि वे मुसलमानों में भी खासे लोकप्रिय हैं। सो, मुमकिन है वे शिवसेना शिंदे के टिकट पर यहां से मैदान में उतरें।

Comments Off on क्या करेंगे निरूपम?

दिल्ली में कब लगेगा राष्ट्रपति शासन?

Posted on 07 April 2024 by admin

भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने बेहद बारीकी से आम आदमी पार्टी पर अपनी नज़र बनाए रखी है। भगवा रणनीतिकारों का भरोसा था कि ’केजरीवाल के जेल जाने के बाद आप बिखर जाएगी और आप उम्मीदवारों के समक्ष चुनाव लड़ने के लिए धन का संकट पैदा हो जाएगा।’ पर इसके उलट कम से कम दिल्ली में आप को केजरीवाल की सहानुभूति लहर का फायदा मिलते दिख रहा है। केजरीवाल के जेल जाने के बाद आप के उम्मीदवार बेहद मजबूती से चुनावी मुकाबले में आते दिख रहे हैं। पर आप की असली चिंता इसके सेकंड नेतृत्व को लेकर है। केजरीवाल ने अपने जितने लोगों को राज्यसभा भेजा है उनमें से केवल संजय सिंह ही राजनीतिक मोर्चे पर सक्रिय नज़र आ रहे हैं, वो भी जेल से छूट कर आने के बाद। राघव चड्ढा अपनी आंखों के इलाज के सिलसिले में लंदन में हैं, तो स्वाति मालिवाल अपनी बहन का इलाज कराने के लिए अमेरिका चली गई हैं और बाकी जिनको केजरीवाल ने राज्यसभा से उपकृत किया है उनमें से ज्यादातर थैलीशाह हैं जिनका राजनीतिक सक्रियता से खास लेना-देना नहीं है। केंद्र सरकार भी फिलहाल दिल्ली की लहरें गिन रही है और यह थाह लगाने की कोशिश कर रही है कि मौजूदा परिस्थितियों में यहां राष्ट्रपति शासन लगाना कितना समीचीन रहेगा। वहीं आप अपने परिस्थितिजन्य संत्रासों से भविष्य का चेहरा मुकम्मल बनाने की कोशिशों में जुटी है।

Comments Off on दिल्ली में कब लगेगा राष्ट्रपति शासन?

ओवैसी की मैच फिक्सिंग

Posted on 07 April 2024 by admin

सियासत में रंगे सियारों की भी कोई कमी नहीं। कुछ दूर से पहचान भी लिए जाते हैं पर उनकी सियासी महत्ता इससे कम नहीं हो जाती। असद्द्दीन ओवैसी की ’एआईएमआईएम’ पार्टी को भले ही भाजपा की ’बी टीम’ कह लें पर यह खेल बिगाड़ने का माद्दा तो रखती ही है। ओवैसी ने ’अपना दल कमेरावादी’ की पल्लवी पटेल के साथ मिल कर यूपी में तीसरे मोर्चे का गठन किया है, जिसे वो ’पीडीएम’ का नाम दे रहे हैं। ’पीडीएम’ यानी पिछड़ा, दलित और मुसलमान। जबकि सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने इससे कहीं पहले ’पीडीए’ का नारा बुलंद कर दिया था ’पीडीए’ यानी पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक। इस पर ओवैसी ने चुटकी लेते हुए कहा था ’क्या पता ये अल्पसंख्यक न होकर अगड़ा हो, सो हमने सीधे इसे मुसलमान से जोड़ दिया है।’ ओवैसी ’मैच फिक्सिंग’ का गेम खेलने यूपी में पहली बार 2017 विधानसभा चुनाव में आए, जब उन्होंने अपने 38 उम्मीदवार मैदान में उतारे। इत्तफाक देखिए इनमें से 37 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई पर फिर भी ओवैसी मुसलमानों के 2 लाख वोट सपा के खाते से काटने में कामयाब रहे। इसके बाद आया 2022 का विधानसभा चुनाव जिसमें ओवैसी ने 95 उम्मीदवार मैदान में उतारे जिनमें से 49 की जमानत जब्त हो गई और वे वोट ले आए 4 लाख और सपा के कई उम्मीदवार बेहद मामूली अंतर से चुनाव हार गए। यूपी में तकरीबन 19 फीसदी मुस्लिम वोटर हैं और यहां की 80 लोकसभा सीटों में से 65 सीटें वैसी हैं जहां 20 से 30 फीसदी मुस्लिम वोटर हैं। वहीं रामपुर, संभल जैसी लोकसभा सीटों पर तो 49 फीसदी मुस्लिम वोटर हैं। चूंकि ओवैसी को मुस्लिम वोट काट कर अपरोक्ष तौर पर भाजपा को ही फायदा पहुंचाना है सो उन्होंने यूपी में पहले चरण की 8 सीटें छोड़ दी है और अब वे संभल, मुरादाबाद, आज़मगढ़, बहराइच, फिरोजाबाद, बलरामपुर, कुशी नगर जैसी सीटों पर अपने मुस्लिम उम्मीदवार उतारने की तैयारी कर रहे हैं इससे ‘इंडिया गठबंधन’ के समक्ष एक महती चुनौती पेश हो रही है। सनद रहे कि इस बार सपा ने यूपी में अपने 46 घोषित उम्मीदवारों में से मात्र 3 मुस्लिम प्रत्याशियों को ही मैदान में उतारा है। सो, ओवैसी सीधे अखिलेश से पूछ रहे हैं कि ’क्या सपा ने मुसलमानों को केवल दरी बिछाने के लिए ही पार्टी में रखा है।’ 

Comments Off on ओवैसी की मैच फिक्सिंग

पूर्णिया में पप्पू यादव का दबदबा

Posted on 07 April 2024 by admin

पूर्णिया लोकसभा चुनाव में भले ही लालू यादव के स्वांगों के आगे कांग्रेस चित हो गई हो पर पप्पू यादव ने वहां घुटने नहीं टेके हैं। उन्होंने निर्दलीय मैदान में उतर कर राजद की अधिकृत उम्मीदवार बीमा भारती और जदयू के निवर्तमान सांसद संतोष कुशवाहा के लिए मैदान मुश्किल बना दिया है। सूत्रों की मानें तो कांग्रेस में भी बड़ी मुश्किल से पप्पू यादव की एंट्री हुई थी क्योंकि न तो लालू यादव न ही उनके अनुचर अखिलेश सिंह चाहते थे कि पप्पू कांग्रेस ज्वॉइन करें पर प्रियंका गांधी के आश्वासन के बाद पप्पू यादव ने अपनी ’जन अधिकार पार्टी’ का विलय कांग्रेस में कर दिया और पूर्णिया से कांग्रेस के अधिकृत उम्मीदवार के तौर पर चुनावी मैदान में उतर गए। पर ऐन वक्त एक बड़ा सियासी दांव चलते हुए लालू ने कभी नीतीश के बेहद करीबी रहीं और जदयू से आई बीमा भारती को पूर्णिया से टिकट दे दिया और कांग्रेस हाईकमान से कहा कि ’यह सीट तो कभी कांग्रेस के कोटे में थी ही नहीं।’ दरअसल, लालू नहीं चाहते थे कि सीमांचल से कोई और बड़ा यादव नेता उभरे। लालू की बैचेनी की बानगी तब दिखी जब उनके पुत्र तेजस्वी यादव बीमा भारती के नामांकन के लिए हेलीकॉप्टर से उड़ कर सीधे पूर्णिया पहुंचे।

Comments Off on पूर्णिया में पप्पू यादव का दबदबा

कांग्रेस का खेल बिगाड़ने में क्यों लगे हैं लालू यादव

Posted on 07 April 2024 by admin

तेरे कांधों पर रहते हैं जिनके हाथ अक्सर

उन्हीं हाथों में होते हैं एक अदृश्य खंजर

यूं तो लालू यादव राहुल गांधी की तारीफों में अक्सर कसीदे पढ़ते नज़र आ जाते हैं पर भीतरखाने से वे कांग्रेस का खेल बिगाड़ने की जुगत भिड़ा रहे हैं। दरअसल, लालू नहीं चाहते कि कांग्रेस से कोई यादव या मुसलमान नेता उभर कर सामने आए जो कल को उनके पुत्र तेजस्वी यादव के समक्ष कोई चुनौती पेश कर सके। सो, उन्होंने बड़ी तिकड़म भिड़ा कर कांग्रेस से उनकी जिताऊ सीटें लेकर उसकी जगह भागलपुर, पटना साहिब, पश्चिम चंपारण और महाराजगंज जैसी कमजोर सीटें पार्टी के समक्ष परोस दीं। सूत्रों की मानें तो लालू को उनके इस कार्य में उनके पक्के हनुमान अखिलेश सिंह का भी पूरा साथ मिल रहा है जो इत्तफाक से बिहार कांग्रेस के अध्यक्ष भी हैं और उन्हें अध्यक्ष बनाने में लालू यादव की एक महती भूमिका मानी जाती है। पप्पू यादव को पूर्णिया सीट पर झटका देने के बाद लालू ने इसके साथ लगी कटिहार सीट पर भी अपनी नज़रें जमा रखीं थीं। वे नहीं चाहते थे कि इस दफे यहां से कांग्रेस के तारिक अनवर चुनाव में उतरें। तारिक की जगह लालू अपने बेहद भरोसेमंद अहमद अशफाक करीम को चुनावी मैदान में उतारना चाहते थे जिनका यहां मेडिकल कॉलेज भी है। करीम राज्यसभा सांसद भी रह चुके हैं। दुबारा जब करीम राज्यसभा जाने में कामयाब नहीं हो पाए तो लालू ने उन्हें भरोसा दिया था कि ’वे उन्हें लोकसभा का चुनाव लड़वाएंगे।’ पर कांग्रेस तारिक अनवर के नाम पर अड़ गई। कांग्रेस ने कहा कि ’पिछले चुनाव में तारिक 5 लाख से ज्यादा वोट लाए थे। सो उन्हें दुबारा मौका नहीं दिया जाना उनके साथ बड़ी नाइंसाफी होगी।’ इस मामले में सीधे सोनिया गांधी को हस्तक्षेप करना पड़ा तब कहीं जाकर लालू मानें।

Comments Off on कांग्रेस का खेल बिगाड़ने में क्यों लगे हैं लालू यादव

भए प्रगट कृपाला, दीनदयाला

Posted on 07 April 2024 by admin

ये राह जिस पर चल कर तू अपराजेय बना है, उन पर अब भी मेरे पैरों के निशां हैं

वह सीढ़ियां मैंने ही लगाई थी, जिस पर चढ़ कर आज तू इस आसमां का गुमां है

राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम का निमंत्रण भाजपा के वरिष्ठ व वयोवृद्ध नेता 96 वर्षीय लाल कृष्ण अडवानी को भी दिया गया था, पर चंपत राय ने अडवानी की उम्र व उनके स्वास्थ्य  को देखते हुए उनके परिवार को सलाह दी थी कि ’22 जनवरी को अडवानी को अयोध्या आने की कोई खास जरूरत नहीं।’ पर अडवानी की पुत्री प्रतिभा और निजी सचिव दीपक चोपड़ा की अपनी राय थी कि ’दादा यानी अडवानी को प्राण प्रतिष्ठा के इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम में अवश्य ही सम्मिलित होना चाहिए।’ इसके बाद ही प्रतिभा व दीपक चोपड़ा ने उत्तर प्रदेश प्रशासन से संपर्क साधा और उससे जानना चाहा कि ’अगर 22 जनवरी के कार्यक्रम में अडवानी अयोध्या पधारते हैं तो प्रोटोकॉल में उन्हें पीएम से कितनी दूरी पर बिठाया जाएगा?’ अडवानी परिवार की ओर से प्रशासन को यह जानकारी भी दी गई है कि उक्त कार्यक्रम में अडवानी के साथ उनके पुत्र जयंत, पुत्री प्रतिभा और उनके निजी सचिव दीपक चोपड़ा भी अयोध्या आएंगे। अडवानी को अभी चलने-फिरने में कुछ दिक्कत आ रही है, इसके मद्देनज़र भी उनके सीटिंग अरेंजमेंट को जांचा परखा जा रहा है। सनद रहे कि अडवानी ही राम मंदिर आंदोलन के मुख्य सूत्रधार में शुमार होते हैं, अभी हालिया दिनों में उन्होंने संघ की पत्रिका ’राष्ट्र धर्म’ में एक लेख के माध्यम से अपनी भावनाओं को व्यक्त करते हुए लिखा है-’राम मंदिर निर्माण एक दिव्य स्वप्न की पूर्ति है।’ अडवानी ने ही 1990 में विहिप द्वारा शुरू किए गए राम मंदिर आंदोलन को एक राजनीतिक आंदोलन बना दिया था। यह भी बात गौर करने वाली है कि गुजरात के सोमनाथ मंदिर से शुरू हुए रथ यात्रा के रथी तब नरेंद्र मोदी ही थे, तब वे भगवा फलक पर किंचित एक अनजाने से चेहरे थे, पर अपने प्रबंधन कौशल से वे तब भाजपा एक प्रमुख नेता के तौर पर उभर कर सामने आए। भले ही तीन गुंबदों वाला ढांचा इस आंदोलन के दौरान ध्वस्त हो गया था, पर बीच वाले ढांचे के अंदर ही 1949 में रामलला प्रकट बताए जाते हैं, अब उसी जगह से 150 मीटर की दूरी पर राम मंदिर निर्माण हो चुका है।

Comments Off on भए प्रगट कृपाला, दीनदयाला

कांग्रेस को मिला पैसा कहां गया?

Posted on 07 April 2024 by admin

राहुल गांधी की ’भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ शुरू हो चुकी है, पर यह यात्रा अयोध्या में भगवान राम के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम की वजह से यह सुर्खियां नहीं बटोर पा रही। वैसे भी इन दिनों देश की यह सबसे पुरानी पार्टी फंड की कमी से जूझ रही है, एक अनुमान के अनुसार राहुल की इस यात्रा के लिए ही ढाई सौ करोड़ रूपयों से ज्यादा की जरूरत है। कॉरपोरेट जगत कांग्रेस को लेकर कोई खास उत्साह नहीं दिखा रहे, सो पार्टी रणनीतिकारों ने फंड जुटाने के लिए ’क्राउड फंडिंग’ करने की जुगत भिड़ाई, इसके लिए बकायदा एक क्यूआर कोड भी जारी किया गया और क्यूआर वाले इस पेम्फलेट को जनता के बीच बांटा भी गया, कांग्रेस परिवारों से भी दान देने की अपील हुई, यह पूरी मुहिम 28 दिसंबर से शुरू होकर 10 जनवरी तक चली। पर इस बात को लेकर खासा बवाल मचा हुआ है कि क्यूआर कोड को लेकर कुछ फर्जीवाड़ा हो गया है, बकायदा इस बात को लेकर तेलांगना में मुकदमा भी दर्ज कराया गया है। सूत्र बताते हैं कि असल क्यूआर कोड ‘डोनेटआईएनसीडॉटइन’ था, पर ज्यादातर पैसा ‘डोनेटआईएनसीकोडॉटइन’ पर चला गया, यह रकम करोड़ों में बताई जाती है। कहा जाता है कि यह सारा पैसा दिल्ली में ही ट्रांसफर हुआ है, पर कहां? किसके पास? कौन हैं लाभार्थी? अभी इन बातों का कुछ पता नहीं चल पाया है या पार्टी की ही इस लाभार्थी को ढूंढने में कोई खास दिलचस्पी नहीं है।

Comments Off on कांग्रेस को मिला पैसा कहां गया?

क्यों नहीं गवारा है राहुल का साथ

Posted on 07 April 2024 by admin

राहुल गांधी की किचेन कैबिनेट बनती नहीं कि बिखरती जाती है। इसके कई अहम सदस्यों ने एक-एक करके राहुल का साथ छोड़ दिया। एक वक्त था जब राहुल की किचेन कैबिनेट का चेहरा (2014 से 2019 तक) ज्योतिरादित्य सिंधिया, दिग्विजय सिंह, मीनाक्षी नटराजन, सचिन पायलट, जितिन प्रसाद, आरपीएन सिंह, मिलिंद देवड़ा जैसे नेताओं से मिल कर बनता था। बाद में आरपीएन सिंह, सिंधिया, प्रसाद व देवड़ा जैसे नेताओं ने राहुल का साथ छोड़ अपनी नई राह पकड़ ली। अब राहुल की नई किचेन कैबिनेट में केसी वेणुगोपाल, अजय माकन, जयराम रमेश, मणिकम टैगोर, सुनील कानूगोलू के नाम शामिल हैं। कानूगोलू भले ही राहुल मंडली में शामिल अपेक्षाकृत एक नए चेहरे हैं, पर 2024 के आम चुनावों के लिए गठित कांग्रेस की ’टास्क फोर्स’ का उन्हें अहम सदस्य बनाया गया है।

Rahul gandhi speech controversy

Comments Off on क्यों नहीं गवारा है राहुल का साथ

Download
GossipGuru App
Now!!