किस राह जाएगा किसान आंदोलन?

March 31 2021


जब से 5 राज्यों के विधानसभा चुनावों के लिए अधिसूचना जारी हुई है, केंद्रनीत भाजपा सरकार का सारा ध्यान इन राज्यों के चुनावों पर फोकस हो गया है। इन चुनावों के नतीजे 2 मई को आने हैं, यानी केंद्र सरकार के प्रमुख रणनीतिकारों का फोकस षिफ्ट हो गया है। वैसे भी पिछले एक महीने से केंद्र सरकार ने किसानों से बातचीत की कोई पहल नहीं की है, तो वार्ता हो कैसे? कटाई का मौसम सिर पर है सो अधिकांश किसानों को अपने फसलों के कटाई की फिक्र सताने लगी है, आंदोलन की कमान जो पहले पंजाब-हरियाणा के अलग-अलग किसान संगठनों की सरपरस्ती में थी, आज उस पर टिकैत बंधुओं का आधिपत्य हो गया है, जो कभी संसद मार्च की बात करते हैं, तो कभी पश्चिम बंगाल चुनाव में भाजपा के खिलाफ चुनाव प्रचार की। वहीं ज्यादातर किसान इस राय के हैं कि उनका किसी राजनैतिक धारा से कोई लेना-देना नहीं, उनका सरोकार तो बस खेती किसानी से है। वहीं कुछ किसानों को लगता है कि यह महज़ भाजपा का गेम है कि उनके आंदोलन को पंजाब-हरियाणा की सरहदों में कैद कर दिया जाए। पर आंदोलन को नैतिक और भावनात्मक समर्थन देने वाले लोगों की तादाद में निरंतर इजाफा हो रहा है, वे सरकारी जांच एजेंसियों की धमक या सरकार के घायल गुरूर पर भी मरहम लगाने को तैयार नहीं। लिहाजा केंद्र सरकार भी मामले की नज़ाकत को भांपते हुए अब राजनाथ सिंह को किसानों से बातचीत के लिए भेज सकती है।

 
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