भगवा राजनीति में तूफान लाने वाले अप्रवासी भारतीय उद्योगपति अंशुमान मिश्रा आखिर हैं कहां? गॉसिप गुरू को मिली जानकारी के मुताबिक अंशुमान इन दिनों इटली के लेक कोमो में छुट्टियां बिता रहे हैं। समझा जाता है कि अंशुमान एक आत्मवृतात्मक पुस्तक लिखने की योजना पर काम कर रहे हैं। उनके नजदीकी मित्र बताते हैं कि अंशुमान इस बात को लेकर किंचित परेशान हैं कि आखिरकार क्यों उन्होंने झारखंड की कमजोर पिच से अपनी सियासी पारी खेलने की भूल की है। वह भी बतौर निर्दलीय यह तो गनीमत है कि उन्होंने आखिरी समय पर रेस से अपना नाम वापिस ले लिया।
सूत्र बताते हैं कि अंशुमान ने अडवानी, सुषमा यहां तक कि यशवंत सिन्हा के बारे में अपनी सोच व रवैए को बदल लिया है। उन्हें कहीं न कहीं ऐसा लगता है कि गडकरी व जेटली सरीखे उनके तब के शुभचिंतकों ने एक सोची-समझी रणनीति के तहत उन्हें एक नए सियासी खेल में उलझा दिया। खासकर गडकरी की भाव-भंगिमाओं से भी उन्हें ऐसा लगता रहा है कि वे भाजपा के विधायकों को उन्हें समर्थन देने के लिए लामबध्द कर रहे हैं। जबकि उनकी असल की योजना कुछ और थी, ऐन वक्त सुनियोजित तरीके से आइना दिखा दिया गया। अंशुमान के नजदीकी सूत्र दावा करते हैं कि आज उन्हें कहीं न कहीं इस बात का इल्म हो गया है कि वे एक सियासी साजिश के शिकार हुए हैं, अगर वास्तव में नितिन गडकरी उन्हें राज्यसभा में लाने के इच्छुक थे तो उन्हें उनके लिए झारखंड के बजाए किसी सुरक्षित सीट का चुनाव करना चाहिए था जैसाकि गडकरी ने अजय संचेती के केस में किया था और उनके नाम पर बकायदा पार्टी के संसदीय बोर्ड की मुहर लगवानी चाहिए थी। आज अंशुमान इस बात पर अफसोस जाहिर कर रहे हैं कि उन्होंने खासकर यशवंत सिन्हा की बातों को अन्यथा लिया। अंशुमान को ऐसा लग रहा है कि संसद की ठौर पकड़ने के लिए धन के इस्तेमाल का रास्ता अपनाना ही सर्वथा अनुचित है।