किसान और सरकार में बात कब बनेगी? | ||||
January 04 2021 |
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क्या केंद्र सरकार किसान आंदोलन की गंभीरता और तीव्रता को मद्देनज़र रखते उसके अनुरूप ही आचरण कर रही है? मामला अदालत में है और सुप्रीम कोर्ट कमेटी बनाने की बात कर रहा है, सरकार को भी अब कोर्ट से ही अपेक्षा है। यह पूछे जाने पर कि किसान रास्ते क्यों बंद कर रहे हैं, किसानों का कहना है कि वे तो प्रदर्शन के लिए रामलीला मैदान और जंतर मंतर आना चाहते थे, पर पुलिस ने उन्हें बार्डर पर ही रोक दिया। सरकार से 5 बार की वार्ता क्यों भंग हुई? किसानों का कहना साफ है कि इस कृषि कानून का मसौदा बनने से पहले उन्हें क्यों नहीं दिखाया गया उनसे राय-मशविरा क्यों नहीं ली गई और किस किसान संगठन ने उनसे ऐसा कानून बनाने की मांग की थी। सूत्र बताते हैं कि सरकार भी अब बीच का रास्ता निकालने को तैयार हो गई है, कृषि बिल में संशोधन कर इसे लागू करने का अधिकार राज्यों के जिम्मे सौंप दिया जाएगा, अब यह मर्जी होगी राज्यों की कि इसे वे लागू करते हैं या फिर पंजाब-हरियाणा सरकारों की तरह इसे ठंडे बस्ते में डालना चाहते हैं। यानी इससे सरकार की नाक भी रह जाएगी और पंजाब-हरियाणा के किसानों का गुस्सा भी ठंडा हो जाएगा। अब इस मुद्दे पर केजरीवाल जैसे नेता बुरे फंसे हैं, पहले तो उनकी आप सरकार ने इस नए कृषि बिल को जल्दबाजी में ‘नोटिफाई’ कर दिया, अब दिखाने के लिए और अपनी साख बचाने के लिए केजरीवाल बिल को फाड़ रहे हैं, क्योंकि आम आदमी पार्टी को आने वाले पंजाब विधानसभा चुनाव में हिस्सा लेना है। |
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