यादव परिवार में घमासान के मायने |
September 18 2016 |
यूपी के सबसे बड़े यदुवंशी परिवार की लड़ाई सड़कों पर उतर आई है, पर यादव परिवार को बेहद नज़दीक से जानने वाले लोग इसे बड़ा सियासी ड्रामा करार दे रहे हैं। इनका मानना है कि मंत्रिमंडल से गायत्री प्रजापति की छुट्टी फिर वापसी, शिवपाल यादव से महत्त्वपूर्ण मंत्रालय वापिस लेना और फिर ये मंत्रालय सौंप दिया जाना न सिर्फ एक सियासी बड़ा ड्रामा है बल्कि अखिलेश के ’इमेज मेकओवर’ का एक अहम हिस्सा है। यह सारा ड्रामा एक मीडिया मैनेजमेंट कंपनी के कहने पर हुआ है, जो इन दिनों अखिलेश की बतौर एक ब्रांड स्थापित करने में जुटी है। पर जहां तक यूपी के चीफ सेक्रेटरी दीपक सिंघल की रुखसती का मामला है इसको अंजाम देने के पीछे स्वयं राज्य के युवा मुख्यमंत्री हैं। सिंघल यूपी के एक बड़े अखबार समूह के मालिक के दामाद हैं और उन्हें अखिलेश की मर्जी के बगैर शिवपाल लेकर आए थे, पर अखिलेश ने सेवा निवृत हो चुके आलोक रंजन को अपना सलाहकार रख लिया, क्योंकि सिंघल के मुकाबले रंजन की छवि एक ईमानदार अफसर की रही है और अखिलेश रंजन की राय को बेहद अहमियत देते रहे हैं। पिछले दिनों लखनऊ में आयोजित एक कार्यक्रम में आलोक रंजन अखिलेश के बगल में बैठकर उन्हें कुछ सुझाव दे रहे थे। सूत्र बताते हैं कि वहां अचानक से सिंघल आ गए और उन्होंने रंजन को लगभग झिड़कने वाले अंदाज में कह डाला-’सलाह बाद में दीजिएगा, पहले कुछ सरकारी कामकाज हो जाने दीजिए।’ अखिलेश समेत वहां उपस्थित लोग भी इस बात से सन्न रह गए। लिहाजा अखिलेश ने भी तभी ठान लिया था कि उन्हें सिंघल को शिवपाल व पिता की परवाह किए बगैर बाहर का दरवाजा दिखाना है और उन्होंने वैसा ही किया। |
Feedback |