संजय राउत क्या बेचते हैं?

September 13 2020


ठाकरे परिवार में ’डाइपर बदल’ राजनीति के सिरमौर संजय राउत को उनकी परिवार भक्ति का शिवसेना में भरपूर ईनाम मिला है और उन्होंने सियासत में एक नई पाठशाला का शुभारंभ भी किया है कि महज़ स्तुति गान कर भी राजनीति में अपनी एक जगह बनाई जा सकती है। कहते हैं शिवसेना और भाजपा के रिश्तों में मट्ठा डालने में उनकी एक अहम भूमिका रही है, क्योंकि उनके तार एनसीपी नेता शरद पवार से भी कहीं गहरे जुड़े हैं। और यही वजह है कि उन्होंने विगत जून में ही यह आवाज उठानी शुरू कर दी थी कि पवार को देश का अगला राष्ट्रपति बनाया जाना चाहिए। सूत्रों की मानें तो उनकी सियासी महत्वाकांक्षाएं इस कदर हिलौरे मारने लगी कि एक वक्त ऐसा भी आया जब उन्हें लगने लगा कि वे प्रदेश के सीएम बन सकते हैं, उनका सपना टूटा तो वे अस्पताल में भर्ती हो गए। सुशांत सिंह राजपूत के असमय मौत के मामले में अनाप-शनाप बयान देने वाले राउत अचानक से उत्तर भारतीयों की नज़र में एक खलनायक के तौर पर अवतरित हो गए हैं।

उत्तर भारतीय लोग उनकी शख्सियत से इस कदर आहत हैं कि सोशल मीडिया पर उनकी पार्टी शिवसेना को ’शव सेना’ के नाम से पुकारा जाने लगा। जब आदित्य ठाकरे से उन्होंने ज्यादा लाड़ दिखाना शुरू किया तो छोटे ठाकरे के भी बोल बिगड़ने लगे और भाजपा की डिजिटल आर्मी उनके पीछे हाथ धोकर पड़ गई और बिचारे आदित्य ठाकरे को राहुल के बाद ‘दूसरा पप्पू’ साबित करने की होड़ मच गई। उन्हें सोशल मीडिया पर ’बेबी पेंग्विन’ के नाम से भी पुकारा जाने लगा। यानी राउत ने आदित्य के साथ वही कर दिया ‘जैसे खेत खाए गदहा और मार खाए जुलाहा’। शेरो शायरी के शौकीन राउत ट्विटर पर अक्सर उधार के शेर मारा करते हैं, जैसे हालिया दिनों में उन्होंने कहा कि ’बारिशों में भी घर जल जाते हैं’ अब जिन्हें आदत है चिंगारियों से खेलने की तो आग और धुएं से उनके राग को सहज समझा
जा सकता है।

 
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