आवाज़ें हिरासत में मौन है

February 07 2021


नए दौर का यह दस्तूर नया है, अब लोगों के लिए विरोध प्रदर्शनों में शामिल रह कर आवाज उठाना आसान नहीं रह गया है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जो खुद जेपी आंदोलन की उपज हैं, अब असहमत स्वरों को पचा नहीं पा रहे हैं। बिहार पुलिस मुख्यालय की ओर से जारी एक नोटिस में कहा गया है कि अब आंदोलन और प्रदर्शनों में शामिल होने वालों को सरकारी नौकरी नहीं मिलेगी। उत्तराखंड सरकार ने भी ऐसा ही एक तुगलकी फरमान जारी करते हुए साफ किया है कि ऐसे विरोध प्रदर्शनों में शामिल होने वाले लोगों को पासपोर्ट जारी नहीं किया जाएगा। अन्ना आंदोलन की कोख से उपजी आम आदमी पार्टी आज दिल्ली की सरकार पर काबिज है, दिल्ली में भी एक अनोखे फरमान की बात सुनने को मिल रही है कि विरोध प्रदर्शनों में शामिल रहे लोगों के लिए अपना ड्राईविंग लाइसेंस बनवाना आसान नहीं रह जाएगा। बिहार में सरकार की ओर से जारी नोटिस में कहा गया है कि आंदोलन और प्रदर्शन के दौरान हिरासत में लिए गए लोगों के चरित्र प्रमाण पत्र में पुलिस इस बात का शिद्दत से जिक्र करेगी, फिर ऐसे लोगों को सरकारी नौकरी नहीं मिलेगी। इससे कुछ रोज पूर्व भी बिहार सरकार ने एक नोटिस जारी
किया था जिसमें कहा गया था कि सोशल मीडिया में मुख्यमंत्री, राज्य सरकार के मंत्रियों और अधिकारियों के बारे में आपत्तिजनक बातें लिखने वालों पर कार्रवाई होगी। इसका क्या आशय निकाला जाए कि लोकतंत्र का आगाज़ क्या बस पोलिंग बूथ पर ही खत्म हो जाता है।

 
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