वैंकेया के बड़े वीर मंत्र

August 09 2015


कोई चार रोज पूर्व मोदी वफादारों की छोटी टोली के लोग संसद और संसद के बाहर कांग्रेस के ताबड़ तोड़ हमले का जवाब देने को जुटे। ज्यादातर लोगों की चिंता अपनी वरिश्ठ नेत्री सुशमा स्वराज पर सोनिया-राहुल व कांग्रेस के सीधे आक्रमण को लेकर थी। प्रधानमंत्री ने पहले ही स्पश्ट कर दिया था कि ऐन वक्त सुशमा से इस्तीफा दिलवाने का अर्थ होगा कांग्रेस को और हमले के लिए जमीन मुहैया कराना, फिर मंडली के किसी सदस्य की ओर से विचार आया कि क्यों नहीं बिहार चुनाव के संपन्न होने के बाद सुशमा का विभाग बदल दिया जाए? ऐसे मौके पर संसदीय कार्य मंत्री वैंकेया नायडू एक नायाब आइडिया लेकर आए, वैंकेया ने सुझाव दिया कि क्यों नहीं सुशमा, वसुंधरा, षिवराज और पंकजा अपने सांसद और विधायक पद से इस्तीफा देकर एक बार फिर से जनता के बीच जाएं और अगर वे दोबारा चुनकर अपने संबंधित सदनों में पहुंच जाते हैं तो कांग्रेस भी इसे जनता का फैसला मानकर अपना मुंह बंद कर लेगी। वैंकेया के इस सुझाव को मोदी करीबी माने जाने वाले एक वरिश्ठ मंत्री ने एक झटके में नकार दिया और कहा कि क्या षिवराज जी के दोबारा विधायक चुनकर आ जाने से व्यापम के चपेट में आए उन 50 लोगों की जिंदगियां वापिस मिल जाएंगी? जाहिर है इस टिप्पणी के बाद कोर मंडली की बैठक में एक असहज सन्नाटा पसर गया।

 
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