वेंकैया का दक्षिण-प्रेम |
October 30 2017 |
वेंकैया नायडू भले ही देश के उप राष्ट्रपति पद पर शोभायमान हो गए हों, पर रगों में दौड़ने-फिरने की कायल राजनीति से उनका मोहभंग होता नहीं दिख रहा, कभी उन्हें ये गुमान था कि वे दक्षिण में एकमात्र स्वीकार्य भगवा चेहरे हैं, पर जब दिल्ली का निज़ाम बदला तो सियासत के दस्तूर भी बदले और वेंकैया नायडू को एक संवैधानिक पद पर गाजे-बाजे के साथ बिठा दिया गया। पर कुछ तो वजह है कि आज भी वे दक्षिण का मोह नहीं छोड़ पा रहे, सप्ताह के पांचों दिन वे दिल्ली में होते हैं तो शनिवार व रविवार के बचे दो दिन वे अपने गृह प्रदेश में गुजराते हैं। विश्वस्त सूत्रों की मानें तो भाजपा की दक्षिण भारत की राजनीति की बागडोर बस दो हाथों में हैं, इनमें से एक वेंकैया स्वयं हैं, तो दूसरे भाजपा महासचिव राम माधव हैं। स्वदेशी जागरण मंच के मुरलीधर राव भले ही पार्टी महासचिव हों पर उनके पास काम नहीं है, पूछे जाने पर भोलेपन से सफाई देते हैं कि वे अब भी कर्नाटक देख रहे हैं तो सवाल उठता है कि फिर कर्नाटक के प्रभारी प्रकाश जावड़ेकर क्या देख रहे हैं? |
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