| वेंकैया देश के अगले राष्ट्रपति ? |
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May 29 2017 |
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सब कुछ अगर योजनाबद्द तरीके से चला तो मोदी के नए हनुमान में शुमार होने वाले संकट मोचक वेंकैया नायडू देश के अगले राष्ट्रपति हो सकते हैं। सियासत की नब्ज पढ़ने वाले मोदी को इस बात का बखूबी इल्म है कि एक दक्षिण भारतीय को रायसिना हिल्स में काबिज कराने पर दक्षिण भारतीय राज्यों में इसका अच्छा संकेत जाएगा। सनद रहे कि इन दिनों दक्षिण के राज्यों में भाजपा के कदम जमाने के लिए मोदी व शाह ने पूरा दम लगा रखा है। अभी दो रोज पूर्व नए राष्ट्रपति के चुनाव को लेकर मोदी ने राजनाथ सिंह, सुषमा स्वराज, अरुण जेटली व नितिन गडकरी के साथ एक अहम बैठक की थी, सूत्र बताते हैं कि अपने वरिष्ठ मंत्रियों की इस बैठक में मोदी ने अपना पत्ता खोलते हुए वेंकैया के नाम को आगे किया और इस पर साथी मंत्रियों की राय ली। सूत्र यह भी बताते हैं कि मोदी पर वेंकैया का एक पुराना कर्ज़ है। जब मोदी गुजरात दंगों के झंझावत से जूझ रहे थे तब वेंकैया पार्टी अध्यक्ष थे। माना जाता है कि उस समय मोदी और हरेन पंडया के बीच तनातनी थी। सूत्र बताते हैं कि तब मोदी को पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने भरसक यह समझाने की कोशिश की थी कि ’वे अनावश्यक रूप से पंडया को अपना प्रेस्टीज इश्यू ना बनाएं।’ पर समझा जाता है कि इस पर मोदी ने जवाब दिया कि ’गुनाह किसी और का और गुनहगार मुझे ठहराया जा रहा है?’ सूत्रों का यह भी दावा है कि तब मोदी की भावनाओं की कद्र करते हुए तब के पार्टी अध्यक्ष वेंकैया नायडू ने हरेन पंडया को गुजरात चुनाव से दूरी बनाए रखने के निर्देश दिए थे। मोदी अपने ऊपर इसे वेंकैया का अहसान मानते हैं, चुनांचे यही वजह है कि एक असफल संसदीय कार्य मंत्री साबित होने के बावजूद आज वेंकैया के पास शहरी विकास व सूचना प्रसारण जैसे दो अहम मंत्रालयों का जिम्मा है। वहीं पार्टी का एक तबका ऐसा भी है जो यह अंदेशा जता रहा है कि अगर एक बार राष्ट्रपति पद के लिए वेंकैया का नाम आगे आया तो उनके पुराने किस्से भी आगे आ जाएंगे। इसमें से एक प्रमुख आरोप वेंकैया पर यह भी हैं कि जब वाजपेयी सरकार में वे ग्रामीण विकास मंत्री थे तो आंध्र के पैकेज में 100 करोड़ की गड़बड़ी हो गई थी, इसी संवाददाता की रिपोर्ट तब पंजाब केसरी अखबार की पहली ख़बर बनी थी, जिस पर विपक्ष ने लगातार चार दिनों तक संसद चलने नहीं दी थी। |
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