राज्यों को मुआवजा देने से मुकर रहा है केंद्र

August 15 2020


जीएसटी से प्राप्त राजस्व की शेयरिंग को लेकर केंद्र और राज्य सरकारों में एक बड़ा घमासान छिड़ने वाला है, वह भी एक ऐसे वक्त जब कोरोना काल में सरकारों के तमाम राजस्व प्राप्ति में भयंकर गिरावट दर्ज हुई है। इस मंगलवार को केंद्रीय वित्त सचिव ने वित्त मंत्रालय की स्थायी समिति की बैठक में खुलेआम ऐलान कर दिया कि केंद्र राज्यों को राजस्व बंटवारे के तय फार्मूले के मुताबिक मुआवजा देने में सक्षम नहीं है, क्योंकि जीएसटी वसूली में 40 फीसदी तक की गिरावट आ गई है। सनद रहे कि केंद्र को राज्यों को 4 लाख 10 हजार करोड़ रुपयों से ज्यादा का मुआवजा देना था। जीएसटी काऊंसिल में एक-चौथाई वोट केंद्र के पास है और तीन-चौथाई वोट राज्यों के पास और किसी प्रस्ताव को पास कराने के लिए कम से कम तीन-चौथाई वोट प्रस्ताव के हक में होने चाहिए। केंद्र अपने भाजपा शासित राज्यों के समर्थन को मिला लें तो भी वह जरूरी बहुमत के पास नहीं पहुंच सकता, क्योंकि अभी भी अनेक राज्यों में गैर भाजपा सरकारें हैं, यहां तक कि भाजपा के समर्थन से बिहार में सरकार चला रहे नीतीश कुमार भी इस मुआवजे की राशि को छोड़ने को तैयार नहीं। ऐसे में केंद्र सरकार के पास एक ही विकल्प बचता है कि वह इस मुद्दे को लेकर सर्वोच्च अदालत का रूख करें जहां आमतौर पर उनकी बातों को वजन मिलता है। केंद्र सरकार को कोरोना संकट आने से पहले ही देश की अर्थव्यवस्था के लड़खड़ाने का अहसास हो गया था, शायद इसीलिए मार्च में ही केंद्र सरकार ने अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल से इस मुद्दे पर राय मांग ली थी, अब वेणुगोपाल की भी राय सामने आ गई है, इनके मुताबिक केंद्र सरकार राज्यों को मुआवजा देने से मना कर सकती है, यानी अब राज्यों के पास भी अदालत जाने का ही विकल्प बचेगा। आमतौर पर केंद्र को जीएसटी के मद में हर माह एक हजार करोड़ रूपए का कलेक्शन होता है, जुलाई में यह मात्र 65 हजार करोड़ रूपए हुआ है, वह भी तब जबकि कोराना काल में मिली छूट का लाभ उठाते हुए कंपनियों ने अपने पुराने बकाए भी अब जमा कराए हैं। सनद रहे कि 2017 में मोदी सरकार ने अपने पहले कार्यकाल में ’एक देश, एक कर’ नीति का ऐलान आधी रात के विशेष संसद सत्र में किया था, इस ठसक के साथ कि राज्य अभी अपना जितना कर वसूल रहे हैं, केंद्र उसमें 14 फीसदी का अतिरिक्त राजस्व प्रदान करेगा और अगर राज्यों को तय वसूली से कम का राजस्व आया तो फिर केंद्र राज्यों को मुआवजा भी देगा, मुआवजे की राशि राज्यों को हर पांच साल में मिलनी है यानी 2017 से भी यह सीमा 2022 में पूरी होती है। कोरोना काल में राज्यों की माली हालत पहले से ही खस्ता है, कई राज्यों के पास तो अपने कर्मचारियों को वेतन देने के पैसे भी नहीं बचे हैं। ऐसे में मुआवजा उनका एक बड़ा सहरा हो सकता है।

 
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