ऐसे टली भाजपा में बगावत

September 22 2013


मोदी के प्रधानमंत्री पद की उम्मीदवारी को लेकर ऐन वक्त पार्टी के वयोवृद्ध नेता लाल कृष्ण अडवानी के सियासी यू-टर्न के पीछे संघ के कुछ नेताओं की एक महती भूमिका है, नहीं तो अडवानी कैंप ने मोदी की उम्मीदवारी को लेकर बगावत की पूरी पटकथा तैयार कर ली थी। सूत्रों के अनुसार अडवानी कैंप ने अपनी भावनाओं और योजनाओं से पहले ही संघ को अवगत करा दिया था कि जैसे ही 13 सितंबर को मोदी के नाम की घोषणा होगी, अडवानी से जुड़े और उनसे सहानुभूति रखने वाले पार्टी के केंद्रीय व स्टेट यूनिट से जुड़े 100 से ज्यदा पदाधिकारी और दो राज्यों के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और रमण सिंह अपने-अपने पदों से इस्तीफे दे देंगे। यानी भाजपा में एक बड़ा भूचाल लाने की तैयारी थी। इस $खबर की भनक मिलते ही भैय्याजी जोशी के नेतृत्व में संघ के प्रमुख नेताओं की वृंदावन में दो दिनों की मैराथन बैठक हुई और इस बैठक की बात पूरी तरह से गुप्त रखी गई। इस बैठक में हालांकि स्वयं संघ प्रमुख मोहन भागवत उपस्थित नहीं थे पर कृष्ण गोपाल से लेकर सुरेश सोनी तक की इस बैठक में मौजूदगी देखी गई। संघ की इस बैठक से निचोड़ निकला कि अडवानी मुद्दे पर संघ सख्त स्टैंड लेगा, पहले उन्हें समझाने की चेष्टïा की जाएगी फिर भी अगर वे नहीं माने तो पार्टी अपने दायरे के अंदर उन पर और उनके अनुयाइयों पर अनुशासनात्मक कार्यवाही कर सकती है। संघ की इस बैठक का वनलाइनर था कि ‘मैसेज टू द मॉसेज़ देट वी आर वन’ यानी आम जनता में हमारी एकता का संदेश पहुंचे और पार्टी में कत्र्ता व कार्यकत्र्ता के बीच कोई फासला नहीं है।

 
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