रूठी-रूठी उमा को ऐसे मनाया

August 15 2020


’धूप के नाज़ हमने भी उठाए थे उम्र भर
सवेरा हुआ तो हमारे हिस्से में अंधेरा रहा’
राम मंदिर आंदोलन में अपने को झोंक देने वाली उमा भारती को भी 5 अगस्त जैसी किसी पावन तिथि का मुद्दतों से इंतजार था, वह शुभ घड़ी आई तो उन्हें बुलावे का इंतजार ही रह गया, बच्चों के मानिंद रूठ जाना वैसे भी उनकी आदतों में शुमार है, सो उन्होंने भी ऐलान कर दिया कि वह उस पूरे समय तक अयोध्या के सरयू तट यानी राम की पैड़ी पर ही बनी रहेंगी जब तक पीएम मोदी राम जन्म मंदिर शिलान्यास कर वहां से चले नहीं जाते। क्योंकि तब तक उन्हें शिलान्यास कार्यक्रम का न्यौता नहीं भेजा गया था। कार्यक्रम स्थल पर सिर्फ एएनआई और दूरदर्शन को जाने की अनुमति थी, बाकी मीडिया का पूरा रेला कार्यक्रम स्थल से कोई 30 किलोमीटर दूर राम की पैड़ी पर डेरा डंडा जमाए बैठा था। उमा के भी मीडिया में पुराने ताल्लुकात हैं, सो चंपत राय को लगा कि मीडिया उनसे कुछ और न कहलवा लें सो, आनन-फानन में उन्हें न्यौता भेजा गया और फिर उमा को शिलान्यास कार्यक्रम में बैठने की जगह दी गई, जो पहली पंक्ति में बैठे थे उनका मंदिर आंदोलन से क्या लेना-देना है, सवाल ये भी पूछे गए, मसलन पहली पंक्ति में विराजमान बाबा रामदेव, महामंडलेश्वर अवधेशानंद गिरि या फिर स्वामी चिदानंद के योगदान के बारे में किसी को कुछ पता नहीं था। मोदी सरकार के एकमात्र मंत्री महेंद्र पांडेय जो कार सेवा में भी शामिल थे, मंदिर आंदोलन की वजह से जेल भी गए, न्यौता उन्हें भी नहीं मिला। विनय कटियार की उम्र अभी 75 पार नहीं हुई है, उन्हें भी नहीं बुलाया गया। साध्वी ऋतंभरा की तरह अपने ओजपूर्ण भाषणों से समां बांधने वाले आचार्य धर्मेंद्र भी 5वीं या छठी पंक्ति में बैठे दिखे। राम मंदिर पर मध्यस्थतता की बात करने वाले श्री-श्री रविशंकर परिदृश्य से ओझल थे, सो मंच, नेपथ्य और समारोह पर उनका कब्जा था जिनका अतीत में राम मंदिर से कोई लेना-देना नहीं था, जिन्होंने ना कभी धूप के नाज़ उठाए थे और न ही कभी सूरज से बतकहियां की थीं।

 
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