शासन में कैसे आए पारदर्शिता |
January 28 2018 |
शासन में पारदर्शिता मोदी सरकार के गवर्नेंस का एक मूल मंत्र है और इसके लिए समय-समय पर भाजपा शासित राज्य सरकारों को प्रेरित किया जाता है। चुनांचे पंचायतों से भ्रष्टाचार का खात्मा के लिए केंद्र सरकार की प्रयासों से एक नया सॉफ्टवेयर ‘प्रिया’ प्रकाश में आया है। आमतौर पर यह परंपरा देखी गई है कि सरकार पंचायतों को जिस मद में जितने पैसों का आवंटन करती है कई स्तरों पर उसका दुरुपयोग होता है और सही योजनाओं में पैसा पहुंचने के बजाय ये अधिकारियों और पंचायत के चुने गए जन प्रतिनिधियों की जेब में पहुंच जाता है। प्रिया सॉफ्टवेटर की एक बड़ी विशेषता है कि इसमें बैंको से पैसा तब रिलीज होता है जब वास्तविक कार्यों के वाउचर इस सॉफ्टवेयर के माध्य़म से कंप्यूटर में अपडेट किए जाते हैं। पायलट प्रोजेक्ट की तरह इस योजना को सबसे पहले हरियाणा के यमुनानगर जिले में लागू किया गया। इसके नतीजे दिखने लगे जनता खुश थी कि अचानक जिलों के मुखिया व सरपंचों ने बगावत का झंडा बुलंद कर दिया, उन्हें सरकारी नियंत्रण का यह तरीका पसंद नहीं आ रहा था। बवाल इतना बढ़ा कि मामला सीएम दरबार में जा पहुंचा। हालांकि मनोहर लाल खट्टर की छवि एक ईमानदार सीएम की बनी है, फिर भी हरियाणा में विधानसभा चुनावों की आहटों को भांपते खट्टर साहब ने आनन-फानन में इस आदेश को वापिस ले लिया और यमुनानगर में फिर से भ्रष्टाचार की यमुना बह निकली है। |
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