सुषमा मामले में भगवा रुख

June 21 2015


आहटें बुझते दीयों की मानिंद फड़फड़ा रही हैं, सन्नाटों का बेखौफ साम्राय पसरा है, काफिले यहां से गुजरे हैं जरूर, पर दूर तक कहीं कोई पांव के निशान नहीं। जैसे ही विदेशी और भारतीय मीडिया में ललित गेट का खुलासा हुआ, पार्टी का कोई भी बड़ा नेता जब सुषमा के बचाव में नहीं उतरा तो सुषमा ने पार्टी अध्यक्ष अमित शाह से बात करनी चाही, जब शाह से बात नहीं हो पाई तो उन्होंने फौरन राजनाथ सिंह से बात की, राजनाथ ने इस बाबत संघ, मोदी और शाह से बातचीत की, फिर फौरन शाह ने सुशमा के बचाव में बयान दिया, इसके बाद पूरी पार्टी सुषमा के बचाव में उतर आई। मुख्यमंत्रियों में बस शिवराज सिंह चौहान का बयान आया, संघ की ओर से इंद्रेश कुमार का बयान आया। संघ से जुड़े सूत्र बताते हैं कि इंद्रेश का वह बयान उनकी निजी हैसियत से दिया गया बयान था, क्योंकि इसके बाद वाराणसी में संघ प्रमुख मोहन भागवत ने इंद्रेश को बुलाकर उनसे बातचीत की और कहा कि ऐसे मुद्दों पर कोई सार्वजनिक बयान देने से पहले उन्हें संघ के वरिश्ठ नेताओं से विचार-विमर्श कर लेना चाहिए था। सूत्र बताते हैं कि शुवार को ही सुषमा प्रधानमंत्री से मिलीं और उनसे अपने इस्तीफे की पेशकश की, पर मोदी ने कहा कि ‘पूरी सरकार और पार्टी आपके के पीछे मजबूती से खड़ी हैं, सो केवल मीडिया ट्रायल की वजह से इस्तीफा देने की जरूरत नहीं,’ इसके बाद ही अरूण जेटली और राजनाथ सिंह को प्रेस कांफ्रेंस कर सुषमा के बचाव में उतरना पड़ा।

 
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