मोदी विरोध की कीमत |
July 05 2014 |
मध्य प्रदेश में ‘व्यापम घोटाले’ की आंच ने व्यापक रूप ले लिया है, और अब तो भाजपा के अंदर ही दबी जुबान से यह पूछा जा रहा है कि अगर कांग्रेस ने भी इस चिंगारी को हवा नहीं दी तो आखिरकार यह आग इस कदर भड़की कैसे, जिसकी तपिश शिवराज के दामन को छू रही है। सूत्र बताते हैं कि इसके पीछे कहीं न कहीं आईबी की सक्रियता है, जिसको सबसे बड़े निााम की ओर से इशारा मिलना बताया जाता है। यानी पार्टी के बड़े क्षत्रपों पर लगाम कसने की ‘मोदी नीति’ अब परवान चढ़ने लगी है। गोवा के भगवा मुख्यमंत्री मनोहर परिक्कर और छत्तीसगढ़ के डा. रमन सिंह को मोदी पहले ही अपने कैबिनेट में शामिल होने का आमंत्रण दे चुके हैं, राजस्थान में घोर वसुंधरा समर्थक विधायकों की शिनाख्त पूरी हो चुकी है, पर यह गिनती इतनी थोड़ी है कि इससे बगावत का पलीता भी गीला नहीं हो पाएगा। सो, आने वाले दिनों में भाजपा के अंदर मोदी केंद्रित राजनीति के बदले आयाम को देखा जा सकता है। |
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