काॅल ड्राप पर पीएमओ सख़्त

September 20 2015


पिछले कुछ समय से कैबिनेट की तमाम बैठकों में काॅल ड्राप का मुद्दा छाया हुआ है। स्वयं प्रधानमंत्री इस मुद्दे पर कई बार रविषंकर प्रसाद से अपनी नाराज़गी जता चुके हैं। केंद्रीय वित्त मंत्री अरूण जेटली भी कैबिनेट में काॅल ड्राप के मुद्दे पर मुखरता से बोल रहे हैं। उनका कहना है कि ऐसा लगता है कि हम 70 के दशक में जी रहे हैं जब सिर्फ केवल लैंडलाइन का आसरा रहता था। जेटली का कहना था कि साऊथ और नाॅर्थ ब्लाक में तो मोबाइल लगता ही नहीं। इसके बाद ही यह तय हुआ कि तमाम सरकारी इमारतों पर मोबाइल टाॅवर लगाने की इज़ाजत दे दी जाए। रविषंकर प्रसाद तथा दो अन्य मंत्रियों को यह जिम्मेदारी सौंपी गई कि वे मीडिया में जाकर यह बयान दें कि मोबाइल टाॅवर से कैंसर का कोई लेना-देना नहीं है। प्रसाद ने पीएम को बताया कि वे और उनके मंत्रालय के सचिव पहले ही टीवी में ऐसा बयान दे चुके हैं, पर लोगों को उनकी बात पर भरोसा नहीं हो रहा है। सूत्र बताते हैं कि इसके बाद पीएम ने सुझाव दिया कि क्यों नहीं मेनका गांधी से टीवी पर ऐसा बयान दिलवाया जाए जिससे लोगों में यह भरोसा कायम हो सके कि मोबाइल टाॅवर से कैंसर नहीं होता है। पर इस बारे में मेनका से बात करे कौन और कौन मनाए उन्हें ऐसा बयान देने के लिए।

 
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