मोदीत्व का ताना-बाना

October 21 2014


यूपीए के शासनकाल में एक बार अडवानी ने अपने एक मुंहलगे पत्रकार से दिल की बात कही थी और फर्माया था कि कांग्रेस का ग्राफ देशभर में जिस तेजी से गिर रहा है, उस अनुपात में भाजपा का ग्राफ उतनी तेजी से उठ नहीं पा रहा है। अडवानी को लगता है कि कांग्रेस जिस ‘स्पेस’ को खाली कर रही है वहां क्षेत्रीय दलों का प्रभुत्व कायम हो रहा है। उस वक्त नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे और उन्हें भाजपा की ओर से प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किए जाने की राह में तमाम तरह की अड़चनें थीं, फिर भी मोदी तब अपने करीबियों से कहा करते थे कि ‘अगर भाजपा हिंदी हार्टलैंड की पार्टी है तो उसे यहां भी किसी न किसी सहारे या बैसाखी की जरूरत क्यों है?’ जाहिर है तब मोदी का इशारा नीतीश की ओर भी था, तब मोदी को इस बात को लेकर भी चिंता थी कि दक्षिण, पश्चिम व पूर्वोत्तर में भी भाजपा में वह दमखम नहीं। सो, मोदी ने उसी वक्त तय कर लिया था कि लोकसभा चुनाव 2014 के चाहे जो भी नतीजे रहे, भाजपा अकेले अपने दम पर पूरे देश में आगे बढ़ेगी। क्योंकि भाजपा के पास खोने के लिए कुछ भी नहीं है, सिवा 75 पार नेताओं की उदात्त महत्त्वाकांक्षाएं। सो अब हरियाणा, महाराष्ट्र के बाद मोदी-शाह द्वय का सारा जोर पश्चिम बंगाल और दक्षिण भारत के चुनावों को लेकर रहेगा। पंजाब में भी पार्टी ने ‘एकला चलो’ का ताना-बाना बुन लिया है। सो, दक्षिण में भी मोदी को न द्रमुक चाहिए न अन्नाद्रमुक, ओडिशा में भी भाजपा संगठन को नए सिरे से परवान चढ़ाया जा रहा है, मोदी-शाह को उनके इस भगीरथ कार्य में संघ की पूरी मदद मिल रही है, क्योंकि संघ की शाखाएं और इसके लोग देश-विदेश तक फैले हैं।

 
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