24 की टंकार और संभावनाओं के खुलते नए द्वार

July 11 2023


’विदा लेती शाम ने आसमां के कोतवाल से बस यही चाहा था,
जब अंधेरों का श्रृंगार किए यह पंख फैलाती रात जमीं पर उतरे
तो चांद का मुंह काला ना हो, पर नासमझ मेघों ने यह भी ना होने दिया’

जैसे-जैसे 2024 के आम चुनाओं की बेला करीब आ रही है, भगवा सियासत भी रोज़बरोज़ नए रूप-रंग धर रही है। सियासी फिज़ाओं में बदलाव के बारूद सुलग रहे हैं, सो भाजपा अभी से लोकसभा की एक-एक सीट के जोड़-घटाव में लग गई है। कई नए कायदे-कानून गढ़े जा रहे हैं, जैसे राज्यसभा के कोटे से मोदी सरकार में सुशोभित होने वाले मंत्रियों से कह दिया गया है कि वे अपने-अपने गृह राज्यों में अपने लिए माकूल सीट तलाश लें, जहां से उन्हें लोकसभा का अगला चुनाव लड़ना है। नरेंद्र मोदी जब 2014 में भाजपा के एकमेव
चेहरा बने थे तभी उन्होंने तय कर लिया था कि किसी भी पार्टी नेता को राज्यसभा का टर्म 2 बार से ज्यादा नहीं मिलेगा, पूर्व केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी भी उनके इसी सूत्र वाक्य की बलि चढ़ गए। मोदी का एक और सूत्र वाक्य भगवा सुर्खियों में जगह बना गया कि 75 पार के नेताओं को मंत्री पद नहीं मिलेगा, इसके शिकार कर्नाटक में येदियुरप्पा भी हुए, उन्हें सीएम पद छोड़ना पड़ा और जाते-जाते उन्होंने इस बार कर्नाटक में भाजपा की संभावनाओं पर पलीता लगा दिया। इस हिसाब से 2024 का आम चुनाव भाजपा के स्टार चेहरे मोदी का भी आखिरी चुनाव हो सकता है, 17 सितंबर 1950 में जन्मे मोदी का 75वां वर्ष 2024 से शुरू हो जाएगा सो, भाजपा के रणनीतिकार अभी से 2024 के सापेक्ष में मंथन बैठकों में जुट गए हैं। इन बैठकों से निकली यह प्रतिध्वनियां भी अब साफ सुनाई देने लगी हैं कि यूपी, राजस्थान, मध्य प्रदेश जैसे हिंदी पट्टी के बड़े राज्यों में एक-तिहाई से ज्यादा मौजूदा सांसदों के टिकट कट सकते हैं। वहीं यूपी सरकार के कुछ मंत्रियों और विधायकों को भी लोकसभा चुनाव के टिकट मिल सकते हैं। इस सूची में आप जितिन प्रसाद, राजेश्वर सिंह, ब्रजेश पाठक, केशव प्रसाद मौर्य व दिनेश प्रताप सिंह के नाम रख सकते हैं। पूर्व ईडी अफसर राजेश्वर सिंह अमित शाह की निजी पसंद बताए जाते हैं। राजेश्वर सिंह की नज़र सुल्तानपुर सीट पर बतायी जाती है, अभी मेनका गांधी वहां की मौजूदा सांसद हैं।

 
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